सिर क्रिक गुजरात के कच्छ और पाकिस्तान
के सिंध प्रांत के बीच स्थित समंदर का खाड़ी क्षेत्र है। सिर क्रिक पहुंचने के लिए समंदर
के रास्ते से 96 किमी तक का अंतर काटना पड़ता है। सिर क्रिक खनिज से
संपन्न इलाक़ा है। पाकिस्तान उस इलाक़े के ऊपर अपना अधिकार जमाना चाहता है। आज़ादी के पहले
से ही इस इलाक़े का विवाद चल रहा है। सिर क्रिक के 650 चोरस किमी के इलाक़े में भारत
का अधिकार है और भारत के उस अधिकार क्षेत्र के ऊपर पाकिस्तान अपना दावा पेश कर रहा
है।
1999 में पाकिस्तान का एक फ़ौजी विमान
सिर क्रिक का मुआयना करने के लिए भारतीय सीमा में घुसा था। भारतीय फ़ौज ने उस विमान
को मार गिराया था। सन 2000 के दौरान भी पाकिस्तानी फ़ौज ने सिर क्रिक में कारगिल जैसा
ऑपरेशन चलाने के लिए योजनाएँ लागू की थीं। लेकिन भारत की ख़ुफ़िया संस्था और फ़ौज ने मिलकर
इस ऑपरेशन को शुरू होने से पहले ही सफलतापूर्वक ख़त्म करवा दिया था।
सिर क्रिक के इलाक़े में बीएसएफ के “वॉटर विंग” के जवानों का पहरा रहेता है। सिर क्रिक समंदर का इलाक़ा होने की वजह से तथा पाकिस्तानी सीमाएं बहुत
नज़दीक होने के कारण यहाँ सुरक्षा करना पहले से ही कठिन रहा है। सिर क्रिक में सुरक्षा
के लिए फ़ौज की “फ्लाइंग पोस्ट” (पानी में तैरती चौकियां)
है। उसी पोस्ट से दुश्मन पर निगरानी रखी जाती है। इन फ्लाइंग पोस्ट में ही जवान रहते
हैं, सोते हैं, खाते हैं। उनका जीवन समंदर के बीच ही गुज़रता है। समंदर के बीच चौबीसों घंटे
रहना और अपना स्वास्थ्य और शारीरिक क्षमताएं बरकरार रखना किसी ग्लेशियर चौकी से कम जोखिम
वाला काम नहीं है।
सिर क्रिक में विशेष रूप से बनाई गई
और दुनिया भर में मशहूर “क्रोकोडाइल कमांडो फोर्स” है। कच्छ
के “हरामी नाला” और “सिर क्रिक” के लिए ख़ास बनाई गई यह फोर्स ख़तरनाक दलदल वाले इलाक़े में भी रॉकेट लॉन्चर जैसे भारी
हथियारों के साथ नज़र रखती है।
किनारों पर मैंग्रोव्स के घने जंगल
दुश्मन के लिए महफ़ूज़ जगह है। अपने विशिष्ट उपकरणों के माध्यम से यह फोर्स हर गतिविधि
पर नज़र रखती है और जरा भी संदेहास्पद प्रवृत्ति देखते ही अपनी बोट से हथियारों के साथ
समंदर में कूद जाती हैं और दुश्मन को बार बार करारा जवाब देती रहती है।