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Non Indian Vegetables : कुछ सब्जियाँ जो भारत की नहीं हैं, किंतु रोजाना हमारी डिश में दिख जाती है




नोट : नीचे दी गई जानकारी भारतीय सब्ज़ियाँ और भारतीय पाक कला से संदर्भ रखने वाली पुस्तकें तथा प्रमाणित व विश्वसनीय कहे जाने वाले लेखों से इक्ठ्ठा की गई है। 

स्वादिष्ट खाना बनाना एक कला है, इसी कारणवश भारतीय संस्कृति में इसे पाक कला कहा गया है। स्वादिष्ट भोजन के लिए चाहिए सब्ज़ियाँ। हम रोजाना ऐसी कई सब्ज़ियाँ खाते हैं, जिन्हें हम यहीं की मानते हैं। लेकिन कुछेक सब्ज़ियाँ ऐसी भी हैं, जो हमारे भारत की नहीं हैं। ऐसी कितनी सब्ज़ियाँ हैं यह हमें नहीं पता। नोट में जैसे सूचित किया वैसे जितनी विश्वसनीय जानकारी हम इक्ठ्ठा कर पाए, हम यहाँ इसे आपके साथ साझा करते हैं।

कई सब्ज़ियाँ ऐसी हैं, जो सदियों पहले किसी न किसी तरह विदेशों से होती हुई भारत आईं और भारत की ही होकर रह गईं। भारत में इनके स्वाद को इतना पसंद किया गया कि यहाँ इसकी खेती शुरू की गई और यह हमारी ज़िंदगी का अभिन्न अंग बन गईं। कुछ सब्ज़ियाँ तो ऐसी हैं, जिनके बिना आम तौर पर रेसिपीज़ बन ही नहीं सकतीं। कुछ नाम तो ऐसे हैं, जिन्हें सुनकर आप यक़ीन नहीं करेंगे। क्योंकि उन सब्ज़ियों का हमारी सभ्यता और उनके जीवन के साथ बहुत ही पुराना रिश्ता है।

आलू
आलू... भारत में इस सब्ज़ी के बिना रसोईघर की कल्पना नहीं की जा सकती। कदाचित भारत में सबसे ज़्यादा लोकप्रिय और प्रचलित सब्ज़ी आलू ही है। आलू के बिना तो भारतीय भोजन को अधूरा ही मान लीजिए। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में आलू बहुत ही लोकप्रिय है, जिससे हम कई तरह के डिश बनाते हैं और यह डिश हमारे किसी न किसी राज्य की संस्कृति तक में शामिल हो चुके हैं।

लेकिन आलू मूल रूप से भारत का नहीं है। आलू का इतिहास बहुत पुराना है। आलू की खेती सबसे पहले आधुनिक दक्षिणी अमेरिका के पेरू तथा उत्तर पश्चिमी बोलीविया में 8000 और 5000 ईसा पूर्व के मध्य की गई थी। आलू पर शोधकर्ता बताते हैं कि जब स्पेन ने पेरू पर हमला किया तो उसके बाद आलू का सफ़र तेज़ी से आगे बढ़ा। आलू यूरोप, फ़्रीका से होते हुए एशिया तक पहुंचा। कहते हैं कि भारत में पहली बार जहाँगीर के ज़़माने में पुर्तगाली व्यापारियों द्वारा गोआ में आलू आया था। कृषि वैज्ञानिकों के एक तर्क की माने तो भारत में आलू को बढ़ावा देने का श्रेय वारेन हेस्टिंग्स को जाता है, जो 1772 से 1785 तक भारत के गवर्नर जनरल रहे। 18वीं शताब्दी तक आलू का पूरी तरह से भारत में प्रचार-प्रसार हो चुका था।

टमाटर
भारत में टमाटर तो हर डिश में चाहिए ही चाहिए। आलू के भीतर भी और दूसरे डिश में भी। सब्ज़ी के अलावा टमाटर सलाद, चटनी या सूप के रूप में भी इस्तेमाल होता है। भारत के किचन में आलू के साथ टमाटर का दिख जाना सामान्य सी बात मानी जाती है।

लेकिन इस टमाटर का इतिहास इतना पुराना है कि लोग मानने से इनकार ही कर देते हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक़ टमाटर जिस पौधे से विकसित हुआ है, वह हज़ारों साल पहले अंटार्कटिका में विकसित हुआ था। 15वीं सदी में अमेरिका के रोलको द्वीप पर सबसे पहले यह फल देखने को मिला। टमाटर जब मानव जीवन में आया तब उसे ज़हरीला फल समझा गया था। समय बदला और फिर टमाटर मानवजीनव के खाने से रिश्ता बनाने में सफल हुआ। अमेरिका से होता हुआ टमाटर भारत में आया, जिसे कथित रूप से मेक्सिको वासी ले आए थे। समय बीता और टमाटर भारतीयों के लिए रसोई की शान बन गया। आज देशभर में व्यापक स्तर पर टमाटर की खेती होती है और लोग बड़े चाव से कभी 'विलायती बैंगन' कहे गए इस टमाटर को खाते हैं।

प्याज
प्याज से भारत के रिश्ते की सबसे बड़ी पहचान यही है कि आज भारत में प्याज को कोई विदेशी मानने के लिए तैयार नहीं होता। भारतीय किचन में आलू हो ना हो, टमाटर हो ना हो, प्याज तो होने ही चाहिए। मज़ाक में कहें तो भारत में आज प्याज सिर्फ़ और सिर्फ़ सब्ज़ी नहीं है, बल्कि प्याज तो सरकारें गिराते भी हैं, बनवाते भी हैं।

खैर, किंतु कई पुरातत्वविदों और वनस्पति विज्ञानियों का मानना है कि प्याज की उत्पत्ति मध्य एशिया में हुई थी। खाद्य पदार्थों की इतिहासकार और द सिल्क रोड गुर्मे की लेखिका लॉरा केली भी यही चीज़ कहती हैं। अन्य शोध बताते हैं कि प्याज पहले ईरान में उगाया गया था। फ्रेंच पुरातत्वविदों के मुताबिक़ प्याज की कहानी 4000 साल पुरानी है। भारत के कृषि वैज्ञानिक भारत में इसके आगमन का पता अब तक तो नहीं लगा पाए हैं, लेकिन भारत में भी प्याज का सफ़र हज़ारों साल पुराना है। एक शोध के मुताबिक़ 6 ईसा पूर्व के चरक संहिता में प्याज के औषधीय गुणों का वर्णन है। कहने को कह सकते हैं कि प्याज वो सब्ज़ी है, जो भारत के आसपास ही विकसित हुई थी, इस लिहाज से प्याज का भारत से नज़दीक़ी रिश्ता रहा।

फूलगोभी
फूलगोभी भारत में लोकप्रिय सब्ज़ी है। इसका इस्तेमाल कई चटाकेदार और स्वादिष्ट व्यंजनों में होता है। फूलगोभी की उत्त्पति भारत में नहीं, बल्कि साइप्रस या इटली के भूमध्यसागरीय क्षेत्र में हुई थी। भारत में इसका आगमन मुग़ल काल में हुआ था। एक कहानी यह कहती है कि इसे मुग़ल अपने साथ लेकर आए थे। जबकि दूसरी कहानी के अनुसार डॉ. जेमसन सन् 1822 में इसे इंग्लैंड से लाए और कम्पनी बाग़ सहारनपुर में इसे उगाकर देखा। इसके बाद फूलगोभी देश के अन्य भागों में फैल गई।

शिमला मिर्च या कैप्सिकम
शिमला मिर्च का नाम जब भी हम सुनते हैं तो हम में से तक़रीबन हर किसी को लगता है कि इसकी खेती शिमला में होती है और इसी वजह से इसे शिमला मिर्च पुकारा जाता होगा। शिमला मिर्च या कैप्सिकम मूलत: दक्षिण अमेरिका महाद्वीप की है, जहाँ इसकी खेती लगभग 3000 साल पहले पहली बार की गई थी। शिमला मिर्च ने भी एक लंबा सफ़र तय किया है और अमेरिका से भारत पहुंची है और यहाँ के किचन का अहम हिस्सा है।

इतिहासकार मानते हैं कि अंग्रेज़ जब भारत में आए तो कैप्सिकम का बीज भी साथ ले आए। शिमला की पहाड़ियों की मिट्टी और यहाँ के मौसम को इस सब्ज़ी की खेती के लिए अनुकूल देखते हुए उन्होंने यहाँ इसका बीज रोपा। तभी से इसे शिमला मिर्च कहा जाने लगा।

मकई
भारत के खानों में इस्तेमाल होने वाला मकई यहाँ का नहीं है। वैज्ञानिकों की माने तो इसकी खेती मध्य मेक्सिको में रहने वाले लोगों ने सबसे पहले कम से कम 7000 साल पहले की थी। समय बीता और वहाँ से मकई यूरोप पहुंची। कहते हैं कि यूरोप ने ही मकई को वैश्विक बनाया। लेकिन इसका इतिहास बहुत पुराना नहीं है। फिर रूस और फिर भारत। भारत में यह कब पहुंची इसका संदर्भ कहीं पर तो होगा, लेकिन हम ढूंढ नहीं पाए। लेकिन हमारे देश में इसका कोई बहुत पुराना इतिहास नहीं है।

लौकी
लौकी दुनिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में आमतौर पर खेती की जाने वाली वनस्पति है। कुछ लोगों का मानना है कि यह सबसे पहले दक्षिणी अफ़्रीका में उगाई गई थी। इसके अलावा फ्रेंच बीन्स, गोभी और गाजर भी विदेशी आयात थे।

लौकी से मानव भोजन का नाता बहुत पुराना है। मेक्सिको की गुफाओं (ईसा से 7000 से 5500 वर्ष पूर्व) व मिश्र के पुराने पिरामिडों (ईसा से 3500 से 3300 वर्ष पूर्व) इसकी उपस्थिति इसके प्राचीनतम होने की सबूत दोहराती है। लौकी भारत में मालावार तट और देहरादून के नम जंगलों से यह आज भी जंगली रूप में पायी जाती है।

चुकंदर
चुकंदर, जिसे हम बीट कहते हैं। यह एक मूसला जड़ वाली वनस्पति है। मनुष्यों ने इसे शताब्दियों पहले से ही विकसित किया था। चुकंदर बीटा वल्गैरिस जाति का पौधा है। कृषि शोधकर्ताओं के मुताबिक़ बीट प्राचीन रोम और ग्रीस की सब्ज़ी है। कुछ जगहों पर लिखा गया है कि बीट की खेती या तो जर्मनी या इटली में सबसे पहले की 1542 में गई थी।

वनस्पतियों के अलावा जलेबी, गुलाब जामुन, फिरनी, सेवैया, हलवा, शाही टुकड़ा, फ़ालूदा जैसे कई मीठे व्यंजन हैं, जो कहीं दूर से आए और भारत के बनकर रह गए। ठीक वैसे जेसे कई भारतीय चीज़ें, स्वाद, व्यंजन बाहर गए और वहीं के बनकर रह गए। 

लास्ट अपडेट मार्च 2020 

(इनसाइड इंडिया, एम वाला)