लास्ट
अपडेट 31 जनवरी 2018
भारत हमेशा से ही एक अद्भुत देश रहा है। भारत की अनोखी सभ्यता और संस्कृति सबको मंत्रमुग्ध
कर देती है। सर्व काल से ही भारत की छवि एक ऐसे देश की रही है, जहाँ की परम्पराएँ एवं
संस्कृति सबसे रोचक हैं। 5000 साल पहले जब विश्व में ज़्यादातर सभ्यताएँ खानाबदोश जीवन
व्यतीत कर रही थीं, भारत में सिंधु-घाटी उन्नति
के शिखर पर थी। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र और विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा देश
तथा प्राचीन सभ्यताओं में से एक है। भारत देश का आधिकारीक नाम रिपब्लिक ऑफ़ इंडिया; भारत गणराज्य है।
आइये जानते हैं इस विशाल
राष्ट्र के बारे में कुछ रोचक तथ्य...
हम दुनिया की सबसे पुरानी संस्कृतिओं में से
एक हैं। हम समग्र मानवसमाज का छठवां हिस्सा है। हमारे पास सबसे ज़्यादा मानव संसाधन हैं और पर्याप्त प्राकृतिक संसाधन भी मौजूद हैं। समृद्ध संस्कृति और चमकते हुए इतिहास
के बाद हमने गुलामी का दौर झेला। उस दौर में अनगिनत लोगों ने अपनी ज़िंदगी भारत को
समर्पित कर दीं और गुलामी को उखाड़ फेंका। उसके बाद हमने हमारा सफ़र फिर से शुरू किया। ऐसा नहीं है कि उसके बाद हम सदैव निष्फल ही रहे हो। आज हम संरक्षण के मामले
में दुनिया के श्रेष्ठ पाँच देशों में शुमार हैं। यांत्रिकीकरण, अवकाशविज्ञान, तकनीक
से लेकर कई सारे मोर्चे पर हमने दुनिया को चौंका दिया है। आज हम एशिया की एक शक्ति
के रूप में स्थापित हो चुके हैं। आइये जानते हैं भारत के कुछ रोचक तथ्य...
16वीं शताब्दी से लेकर 18वीं शताब्दी तक, जब
भी युरोप के विद्वानों को जानकारी या ज्ञान इकठ्ठा करने की ज़रूरत आन पड़ती थीं, उनकी
नज़रें भारत की ओर ही खींची चली आती थीं।
सन 1800 से पहले तक कृषि, कृषि संसाधन,
कुत्रिम उत्पादन, रसायण, लोहे या पोलाद का उत्पादन, चिकित्सापद्धति, शस्त्रक्रिया,
वनस्पतिशास्त्र, गणितशास्त्र, खगोलशास्त्र, शिक्षा व्यवस्था, योगविद्या जैसे
क्षेत्रों में भारत अपना लोहा मनवा चुका था। सन 1700 में दुनिया की कुल आमदनी में अकेले भारत का हिस्सा 24.4 फ़ीसदी था।
विश्व का सबसे प्रथम विश्वविद्यालय 700 बीसी में तक्षशिला में स्थापित किया गया था। इसमें 60 से अधिक विषयों में 10,500 से
अधिक छात्र दुनियाभर से आकर अध्ययन करते थे। नालंदा विश्वविद्यालय चौथी शताब्दी में
स्थापित किया गया था, जो शिक्षा के क्षेत्र में प्राचीन भारत की महानतम उपलब्धियों
में से एक है।
नौवहन की कला और नौवहन का जन्म 6000 वर्ष
पहले सिंध नदी में हुआ था। नौवहन संस्कृत शब्द नव गति से उत्पन्न
हुआ है। शब्द नौ सेना भी संस्कृत शब्द नोउ से हुआ।
निश्चेतक, यानी कि बेहोश करके इलाज करना,
का उपयोग भारतीय प्राचीन चिकित्सा विज्ञान में भली भांति ज्ञात था। शारीरिकी, भ्रूण विज्ञान, पाचन,
चयापचय, शरीर क्रिया विज्ञान, इटियोलॉजी,
आनुवांशिकी और प्रतिरक्षा
विज्ञान आदि विषय भी प्राचीन भारतीय ग्रंथों में पाए जाते हैं।
आधुनिक संख्या प्रणाली की खोज भारत द्वारा
की गई है। आर्यभट्ट ने अंक शून्य का आविष्कार किया था। विश्व में उपयोग की जाने वाली
आधुनिक संख्या प्रणाली को भारतीय अंकों का अंतरराष्ट्रीय रूप कहा जाता है।
भारत के ही खगोलशास्त्री भास्कराचार्य ने शुद्ध
गणना करके विश्व को बता दिया था कि पृथ्वी अपनी कक्षा में घूमते हुए सूर्य का एक चक्कर
365.258756484 दिनों में पूरा करती है।
भारतीय गणितज्ञ श्रीधराचार्य ने 11वीं शताब्दी
में द्विघात समीकरण दिए। प्राचीन भारतीय गणितज्ञों ने ही विश्व में अंकों के बड़े रूप
को 'घात' के रूप में लिखने
के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। भारत में ही दशमलव और उसका उपयुक्त स्थान पर प्रयोग
करने का तरीक़ा भी 100वीं ई.पू. में विकसित हुआ था। भारतीय गणितज्ञों ने ही दस की घात
तिरपन तक की गणना प्राचीन काल में ही कर ली थी। जबकि आधुनिक युग के गणितज्ञ अभी तक दस की घात बारह से अधिक अंक की गणना नहीं कर पाए हैं।
भारत के बुधायन ने पहली बार गणना करके 'पाई' का सही मान छठवीं
शताब्दी में ही निकाला और इसके सिद्धांत को समझाया,
जिसके आधार पर पाईथॉगोरस प्रमेय सामने आया, जो कि यूरोपीय गणितज्ञों ने काफी बाद में सीखा।
आयुर्वेद मानव जाति के लिए ज्ञात सबसे आरंभिक
चिकित्सा शाखा है। इस शाखा विज्ञान के जनक माने जाने वाले चरक ने 2500 वर्ष पहले आयुर्वेद
का समेकन किया था। भारत के प्रसिद्ध चिकित्सक सुश्रुत को 'शल्य चिकित्सा का जनक' माना जाता है। इन्होंने अपने सहयोगियों के
साथ मिलकर 2600 साल पहले मोतियाबिंद,
कृत्रिम अंगों, शल्य चिकित्सा से बच्चे का जन्म कराना, मूत्राशय की पथरी, प्लास्टिक सर्ज़री और मस्तिष्क की शल्य चिकित्सा
जैसे जटिल ऑपरेशन किए। माना जाता है कि भारतीय चिकित्सक प्राचीन काल से ही निश्चेतकों
से भली भांति परिचित थे।
बीजगणित,
त्रिकोणमिति और
कलन जैसी गणित की अलग-अलग शाखाओं का जन्म भारत में हुआ था। आज भी कई गाणितिक
निष्णांतों का मानना है कि भारत की गाणितिक पद्धति सबसे ज़्यादा सरल और सह्योगी है।
विश्व स्तर पर भारत ने हर बड़े धर्म का प्रतिनिधित्व
किया है। भारत में जन्में चार धर्मों में हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म,
जैन धर्म एवम् सिक्ख
धर्म के अनुयायियों की मात्रा संसार की कुल आबादी का 25 प्रतिशत भाग है। जबकि इस्लाम
भारत और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है।
एक (अपुष्ट) मान्यता के अनुसार सांप सीढ़ी का खेल तेरहवीं शताब्दी में कवि
संत ज्ञानदेव द्वारा तैयार किया गया था। इसे मूल रूप से मोक्षपट कहते थे। इस खेल में
सीढियाँ वरदानों का प्रतिनिधित्व करती थीं, जबकि सांप अवगुणों को दर्शाते थें। इस खेल
को कौडियों तथा पांसे के साथ खेला जाता था। आगे चल कर इस खेल में कई बदलाव किए गए, परन्तु इसका अर्थ वहीं रहा। अर्थात अच्छे
काम लोगों को स्वर्ग की ओर ले जाते हैं, जबकि बुरे काम दोबारा जन्म के चक्र में डाल
देते हैं।
एक दूसरी (अपुष्ट) मान्यता के अनुसार शतरंज जैसे प्रसिद्ध खेल का आविष्कार भी भारत
में ही हुआ। शतरंज शब्द मूल संस्कृत भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है चतुरंग, अर्थात एक सेना के चार सदस्यों का समूह, जिसमें ज़्यादातर हाथी, घोड़े,
रथ और पैदल सैनिक
होते हैं।
10वीं सदी में बना तमिलनाडु का तिरुपति मंदिर
दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल माना जाता है। जहाँ प्रतिदिन 30 हज़ार से भी अधिक
लोग इस मंदिर परिसर में दर्शन के लिए आते हैं तथा प्रतिदिन दिन भर में लगभग 3 करोड़
रुपयों का दान एकत्र हो जाता है। इस प्रकार भगवान विष्णु को समर्पित भारत का यह मंदिर
रोम व मक्का के धार्मिक स्थलों से भी बड़ा है।
जयपुर में सवाई राजा जयसिंह द्वारा 1724 में
बनाई गई जंतर मंतर संसार की सबसे बड़ी पत्थर निर्मित वेधशाला है।
हिन्दी
हमारे देश की राजभाषा है, मगर आधिकारिक
नहीं। हमारे देश में 20 से अधिक आधिकारिक भाषाएँ हैं। पंजाबी, मराठी, तेलगु, तमिल, कन्नड़, बंगाली, अंग्रेज़ी उनमें
से एक हैं। हालाँकि सरकारों को इस बात की पूरी छूट है कि वे अपने राज्य के आधिकारिक
भाषाओं को बढ़ावा और विस्तार दे सकें।
वर्तमान
काल में जो अयोध्या नगरी हम सभी के बीच विराजमान है, उसे राजा विक्रमादित्य ने बसाया
था। रामायण काल में वर्तमान समय में जो अयोध्या नगरी है उस नगरी का कोई अस्तित्व नहीं
था या नहीं मिलता।थाइलैंड
में भी एक 'अयुथ्थया' नामक शहर है, जिसके पास भी अपनी कहानियाँ हैं और अपना रामायण भी। एक शोध के मुताबिक़ उस नगर को किसी राजा ने युद्ध
किए बिना जीत लिया था, और इसीलिए उसे अयोध्या कहा गया।
शून्य के आविष्कार से लेकर विविध विषयों के बारे में ज्ञान व शिक्षा के उपरांत भारत ने दुनिया को ऐसी चीज़ें भी दीं, जिसने मानव सभ्यता का जीवन सुगम बना। जैसे कि योग, जलाशय तथा सीवेज व्यवस्था, शैंपू, रेडियो प्रसारण, फ़ाइबर ऑप्टिक्स, यूएसबी पोर्ट इत्यादि।
भारत में बना बेलीपुल विश्व का सबसे ऊंचा पुल
है। यह द्रास और हिमालय पर्वतों में सुरु नदियों के बीच लद्दाख घाटी में स्थित है,
जिसे भारतीय सेना द्वारा अगस्त 1982 में बनाया गया था। इसके अलावा 2017 में निर्माण
कार्य समापन के बाद भारत में निर्मित चेनाब पुल विश्व के सबसे ऊंचे रेल पुलों में से
एक होगा। चेनाब नदी पर बना यह पुल नदी से 359 मीटर ऊंचा है तथा इसकी कुल लंबाई 1315 मीटर है।
लेह मनाली का खरदुंगला रोड दुनिया में सबसे
ज़्यादा ऊंचाई पर बना हुआ रास्ता है। इसी जगह लेह का ऑल इंडिया रेडियो स्टेशन
दुनिया का सबसे ज़्यादा ऊंचाई पर स्थित रेडियो स्टेशन है। ठीक वैसे ही, हिमाचल
प्रदेश के स्पीति वैली में 15,000 फ़ीट की ऊंचाई पर बना हुआ पोस्ट ऑफिस भी ऐसे रिकॉर्ड में शुमार है।
वाराणसी,
जिसे बनारस के नाम
से भी जाना जाता है, एक प्राचीन शहर है। कहा
जाता है कि भगवान बुद्ध ने यहाँ आगमन किया था। इस लिहाज़ से यह आज विश्व के सबसे पुराने
शहरों में से एक और निरंतर आगे बढ़ने वाला शहर है। (कई बार कहा जाता है कि वाराणसी
दुनिया का सबसे पुराना शहर है। लेकिन ये कथन बिलकुल सत्य नहीं है। 1100 ईसापूर्व पूरी दुनिया में 30 से अधिक शहरों को बसाया जा
चुका था। इस लिहाज़ से वाराणसी दुनिया का सबसे पुराना शहर तो नहीं कहा जा सकता,
किंतु सबसे पुराने शहरों में से एक ज़रूर है।)
दिल्ली और कोलकाता के बीच के समय में 1 घंटे
का फ़र्क़ है, हालाँकि पूरे भारत का समय क्षेत्र एक ही माना
जाता है। अंतरराष्ट्रीय मानक समय के अनुसार भारत का समय ग्रीनविच मध्याहन समय (जीएमटी) से साढ़े पाँच घंटे आगे है।
भारतीय रेल में 14 लाख से ज़्यादा कर्मचारी
काम करते हैं, जो कि मॉरीशस, आइसलैंड, वैटिकन सिटी, बहरीन,
एस्टोनिया जैसे
देशों की कुल जनसंख्या से भी अधिक है।
2011 के कुंभ मेले में 75,000,000 से अधिक तीर्थयात्री एकसाथ इकट्ठे हुए
थे, जो कि दुनिया में एक ही सभा में इकट्ठे होने वाले सबसे ज़्यादा लोग थे। एक आकलन
के मुताबिक़ मेला इतना बड़ा था कि इसकी भीड़ को अंतरिक्ष से भी उपकरण के द्वारा देखा जा सकता था।
जयपुर में एक ऐसा परिवार है जिसमें 31 डॉक्टर
हैं। इस परिवार के ज़्यादातर सदस्य डॉक्टर ही है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार इस
परिवार में 7 फिजिशियन, 5 स्त्रीरोग विशेषज्ञ, 3 नेत्र रोग विशेषज्ञ, 3 ईएनटी विशेषज्ञ, मनोचिकित्सक, पैथोलॉजिस्ट, स्नायू-विशेषज्ञ, यूरोलॉजिस्ट इत्यादि डॉक्टर्स हैं।
जौनपुर
जिले में माधोपट्टी एक ऐसा गाँव है, जहाँ से कई आईएएस और ऑफिसर हैं। इस गाँव में महज़
75 घर हैं, लेकिन यहाँ के 47 आईएएस अधिकारी विभिन्न
विभागों में सेवा दे रहे हैं। इतना ही नहीं माधोपट्टी की धरती पर पैदा हुए बच्चे इसरो, भाभा, मनीला और
विश्व बैंक तक में अधिकारी हैं। सिरकोनी विकास खण्ड का यह गाँव देश के दूसरे गाँवों के लिए रोल मॉडल है।
अनेक
जगह लिखा मिलेगा कि भारत का पहला रॉकेट साइकिल पर लाया
गया था। दरअसल यह अधूरी कहानी है। जब भारतीय
अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने किसी अन्य अनुसंधान
संगठन के साथ पहला रॉकेट विकसित किया, तब उस रॉकेट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा साइकिल
पर लाया गया था। नोट करें कि
रॉकेट का महत्वपू्र्ण हिस्सा साइकिल पर ले जाया गया था, समूचा
रॉकेट नहीं। 1981 में इसरो के वैज्ञानिकों ने एक कम्युनिकेशन
सैटेलाइट को बैलगाड़ी में ढोया था। ऐसे अंचभित करने वाले ट्रांसपोर्टेशन आर्थिक
तंगी, संसाधनों की कमी या किसी मज़बूरी के चलते नहीं हुए थे, किंतु यह सब वैज्ञानिकों
के सोचे समझे फ़ैसले थे।
भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल
कलाम को सम्मानित करने के लिए स्विट्ज़रलैंड सरकार ने 26 मई 2005 को विज्ञान दिवस के
रूप में मनाने की घोषणा की थी। क्योंकि इसी दिन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने स्विट्ज़रलैंड
का दौरा किया था। इससे उनकी लोकप्रियता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
पूरी
दुनिया में महात्मा गाँधी ही
इकलौते इंसान हैं, जिनके संदर्भ में सबसे ज़्यादा देशों में किसी न किसी
प्रकार का निर्माण हुआ हो। दुनिया में उनके अलावा और कोई इंसान ऐसा नहीं है। किसी
न किसी देश में उनके बारे में पुस्तकों से लेकर पुतले, संग्रह, रास्ते
या चौराहे या ऐसी चीज़ें बनी हैं। दुनिया के अनेक देशों
में गाँधीजी की स्मृतियाँ विद्यमान हैं। उनकी
याद में यूनाइटेड नेशन्स द्वारा अंतरराष्ट्रीय अंहिसा दिवस भी मनाया जाता है। दरअसल महात्मा गाँधी से पहले और उनके बाद एक भी ऐसा इंसान नहीं
मिलता, जिसे दुनिया समूची मानवता का प्रतिनिधि मानती हो।
सिर्फ़ एक व्यक्ति के लिए एक पूरा मतदान केंद्र
स्थापित होता हो ये बड़ी उल्लेखनीय घटना है। महंत भारतदास दर्शनदास, जो कि गुजरात में
'गिर'
के जंगलों में रहते
हैं, इस अकेले इंसान के लिए चुनाव आयोग को जंगल
में पोलिंग बूथ लगवाना पड़ता है, जो कि उल्लेखनीय
घटना है।
मतदान के साथ साथ मतदाता की बात की जाए तो एक दावे के मुताबिक़ श्याम चरण नेगी आज़ाद हिंदुस्तान के सर्वप्रथम लोकसभा चुनाव
में मतदान करने वाले व्यक्ति थे, जिन्होंने 2017 में अपनी जिंदंगी के 100 वर्ष पूर्ण
किए। नेगी के ऊपर एक से अधिक डोक्युमेंट्री बन चुकी हैं। गूगल तथा चुनाव आयोग,
दोनों ने उनके वीडियो भी बनाए हैं।
भारत के हर राज्य और हर ज़िले में अलग प्रकार
की भाषा बोली जाती है। वर्तमान में भारत में लगभग 780 भाषाएं नियमित रूप से बोली जाती
हैं।
रुचि सांघवी फ़ेसबुक की पहली महिला इंजीनियर
थीं। उन्होंने 2010 में फ़ेसबुक छोड़ दिया और ख़ुद की कोव नामक कंपनी बनाई, जिसे बाद में
ड्रॉपबॉक्स को बेच दिया।
पेंटियम चिप का आविष्कार विनोद धाम ने किया
था। आज दुनिया के 90% कंप्यूटर इसी से चलते हैं।
सबीर भाटिया ने हॉटमेल बनाई। हॉटमेल दुनिया
का नं. 1 ईमेल प्रोग्राम रह चुका है।
चंद्र पर सबसे कम ख़र्च में पहुंचने वाला
राष्ट्र भारत है। यही नहीं, चन्द्रमा पर पानी की खोज सबसे पहले भारत के चंद्रयान ने
की थी।
भारत के बेंगलोर नगर में 1,500 से भी अधिक सॉफ्टवेयर कंपनियाँ हैं, जिनमें
26,000 से भी अधिक आईटी प्रोफेशनल काम करते
हैं। इन कम्पनियों के निर्यात से 22,000 करोड़ रुपयों की आय होती
है।
रेडियो
और सूक्ष्म तरंगों पर अध्ययन करने वाले जगदीश चन्द्र बोस पहले भारतीय वैज्ञानिक थे।
विभिन्न संचार माध्यमों, जैसे- रेडियो, टेलीविज़न, रडार, सुदूर संवदेन यानी रिमोट सेंसिंग, सहित माइक्रोवेव ओवन की कार्यप्रणाली
में बोस का योगदान अहम है। बोस को मार्कोनी के साथ बेतार संचार के पथप्रर्दशक कार्य
के लिए रेडियो का सह-आविष्कारक माना जाता है।
भारत में पाकिस्तान नाम का एक गाँव है और पाकिस्तान
में बिहार नाम का एक गाँव है। बिहार में पूर्णिया से 25 किमी दूर बसे इस गाँव का नाम
पाकिस्तान है। जबकि पाकिस्तान में इस्लामाबाद से 200 किमी की दूरी पर बिहार नाम की
एक जगह है।
भारत की अपनी कोई मातृभाषा नहीं है। हालाँकि
हिंदी एवं इंग्लिश देश की आधिकारिक भाषाएं हैं, पर संवैधानिक रूप से भारत की अपनी कोई
एक मातृभाषा नहीं है। इसी प्रकार हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल नहीं है। खेल मंत्रालय ने
एक आरटीआई के जवाब में कहा था कि भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी नहीं है। वास्तव में कोई भी खेल हमारा
राष्ट्रीय खेल नहीं है। अब तक
की आधिकारिक स्थिति यही है।
दुनिया का सबसे ऊंचा क्रिकेट का मैदान हिमाचल
प्रदेश के चायल नामक स्थान पर है। इसे समुद्री सतह से 2,444 मीटर की ऊंचाई पर भूमि को समतल बनाकर 1893
में बनाया गया था। वर्तमान में इसे एक मिलिट्री स्कूल में तब्दील कर दिया गया है।
भारत की कबड्डी टीम ने आज तक हुई तमाम विश्वकप
प्रतियोगिताएँ जीती हैं। अब तक हुए 5 पुरुष कबड्डी विश्वकप प्रतियोगिताओं को भारत ने
जीता है। इसी प्रकार हमारी महिला कबड्डी टीम ने भी आज तक एक भी विश्वकप नहीं गंवाया।
भारत में क्रिकेट 1848 में पहली बार खेला गया
था, चूंकि पहले क्रिकेट अंग्रेज़़ों तक ही सीमित
था। लेकिन कई सौ सालों की दासता के बाद क्रिकेट भारतीयों को भी भाने लगा और आगे के सालों
में क्रिकेट भारतीयों का लोकप्रिय खेल बन गया।
बैंगलोर के चिन्नास्वामी क्रिकेट स्टेडियम
का सालाना बिजली का बिल 1 से 1.2 करोड़ आता है। यहाँ हर साल 18 लाख यूनिट बिजली की
खपत होती है। बिजली की खपत कम करने के लिए स्टेडियम में अब सोलर प्लेटें लगाई गई हैं
और आशा की जा रही है कि इससे 6 लाख यूनिट तक की बिजली का उत्पादन किया जाएगा। हालाँकि
सोलर प्लेट के इस ग्रिड से पूरे स्टेडियम में बिजली तो पहुंचाई जा सकेगी, लेकिन फ्लडलाइट के लिए परंपरागत बिजली का ही
इस्तेमाल करना पड़ेगा।
कपिल देव ने 1983 के विश्वकप में धुआंधार
175 रनों की पारी खेली थी, जो आज तक किसी भी भारतीय कप्तान के द्वारा विश्वकप में बनाया
गया सर्वाधिक व्यक्तिगत स्कोर है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मैच की वीडियो फुटेज
है ही नहीं। ऐसा इसलिए, क्योंकि भुगतान विवाद की वजह से बीबीसी ने उस दिन हड़ताल कर
रखी थी, जिसके कारण कपिल देव की इस पारी को किसी भी वीडियो कैमरे में कैद नहीं किया
गया।
भारत के भागवत चंद्रशेखर और न्यूजीलैंड के
क्रिस मार्टिन दुनिया के ऐसे क्रिकेटर हैं, जिनके नाम रन से ज़्यादा विकट हैं। भागवत
के नाम 242 विकेट और 177 रन हैं और मार्टिन के नाम 123 रन और 233 विकेट हैं।
भारत के भाऊसाहिब निंबालकर एक प्रथम श्रेणी
मैच में 443* रनों के व्यक्तिगत स्कोर पर बल्लेबाजी कर रहे थे और वे डॉन ब्रेडमैन(452*)
के प्रथम श्रेणी क्रिकेट में बनाए गए रिकॉर्ड से मात्र 9 रन दूर थे। लेकिन वे मैच के
अंतिम दिन बल्लेबाजी के लिए नहीं उतरे, क्योंकि उस दिन उनकी शादी थी।
1984-85 में भारत-पाकिस्तान के बीच सियालकोट
में क्रिकेट मैच खेला जा रहा था और भारत का स्कोर 210/3 था। दिलीप वेंगसरकर (94*) पर
खेल रहे थे। इसी बीच मैदान में ख़बर पहुंची कि भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की
गोली मारकर हत्या कर दी गई है। इस ख़बर के बाद मैच को रद्द कर दिया गया।
जिस दिन सुनील गावस्कर का जन्म हुआ उस दिन
उनके चाचा मौसेरकर उन्हें देखने अस्पताल पहुंचे। उन्होंने देखा कि सनी के कान के पास एक छोटा
सा छेद है। लेकिन जब वे सनी को देखने अगले दिन आए तो उन्हें वह छेद नहीं मिला। इसके
बाद उन्होंने यह जानकारी अस्पताल के स्टाफ़ को दी और तब उन्होंने ढूंढाई शुरू की। कुछ
देर के बाद पता चला कि सनी एक मछुआरे की महिला के पास लेटे थे। शायद अस्पताल में वह
मछुआरे के बच्चे से बदल गए थे। अगर उनके चाचा की नज़रें पारखी नहीं होती तो सोचिए भारतीय
क्रिकेट का भविष्य क्या होता।
कोई भी बल्लेबाज 90 के आँकड़े तक पहुंचने
के बाद शतक तक ज़रूर पहुंचना चाहता है। लेकिन हर इच्छा पूरी हो ये ज़रूरी नहीं। शतकों
का शतक बनाने वाले महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के शतकों की संख्या और ज़्यादा होती, लेकिन वो अपने पूरे करियर में सबसे ज़्यादा बार 90 के आँकड़े तक पहुंचने के बाद उसको
शतक में तब्दील नहीं कर पाए। सचिन कुल 28 बार 90 से 99 के बीच पवेलियन लौटे।
क्रिकेट में सैकड़ों रिकॉर्ड अपने नाम करने
वाले सचिन तेंदुलकर के नाम अनचाहा रिकॉर्ड भी है। ये रिकॉर्ड है सबसे ज़्यादा मौक़ों पर बोल्ड होने होने का रिकॉर्ड। सचिन तेंदुलकर वनडे में 66 और टेस्ट क्रिकेट में
48 बार बोल्ड आउट हुए हैं।
अपने पहले टेस्ट में सबसे शानदार गेंदबाजी
का रिकॉर्ड भारतीय स्पिनर नरेन्द्र हिरवानी के नाम है। हिरवानी ने 1988 में वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ अपने करियर का आगाज़ किया था और अपने पहले ही टेस्ट की दोनों पारियों में
8-8 विकेट चटकाते हुए मैच में कुल 16 खिलाड़ियों को पवेलियन का रास्ता दिखाया। ऑस्ट्रेलिया
के बॉब मॉसी ने भी अपने पहले टेस्ट में 16 विकेट चटकाए थे, लेकिन रन के लिहाज़ से हिरवानी
ने मॉसी से कम रन देकर 16 विकेट झटके थे।
स्वर्ण मंदिर की रसोई, जिसे लंगर नाम से भी
जाना जाता है, दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है, जहाँ प्रतिदिन
1,00,000 से भी ज़्यादा लोगों के लिए खाना बनता है
तथा इसका मुफ़्त वितरण किया जाता है।
जनसंख्या की दृष्टि से उत्तर प्रदेश दुनिया
का चौथा सबसे आबादी वाला क्षेत्र है! उत्तर प्रदेश की जनसंख्या विश्व के 192 देशों
को पीछे छोड़ देती है। सिर्फ़ चीन,
अमेरिका और इंडोनेशिया
की जनसंख्या उत्तर प्रदेश से अधिक है।
राजनीति का जानामाना चेहरा और एक से अधिक
बार तमिलनाडु की मुख़्यमंत्री बन चुकी जयललिता क्षेत्रीय फ़िल्मों का प्रसिद्ध चेहरा
थीं ये सभी भलीभाति जानते हैं, लेकिन 'इज़्ज़त' एकमात्र बॉलीवुड फ़िल्म है, जिसमें जयललिता ने
काम किया है।
प्रसिद्ध अभिनेता जगदीश राज का नाम एक ही तरह की सबसे ज़्यादा
भूमिका निभाने के लिए गिनीज़ बुक के विश्व रिकॉर्ड में दर्ज है, और ये भुमिका पुलिस
अफ़सर की है। उन्होंने 144 फ़िल्मों में पुलिस अफ़सर का अभिनय किया था। ये अजीब ही है कि
लगभग तमाम फ़िल्म निर्माता पुलिस अधिकारी की भुमिका में उन्हें ही पसंद करते थे।
1964 में रिलीज़, सुनील दत्त की 'यादें' फ़िल्म का नाम भी गिनीज़ बुक के विश्व रिकॉर्ड में दर्ज है। इस 113 मिनट की मूवी में यह एकमात्र अकेले अभिनेता थे।
फ़िल्म 'कहो ना प्यार है' का नाम सबसे ज़्यादा
(92 अवॉर्ड) जितने के कारण गिनीज़ बुक के विश्व रिकॉर्ड में दर्ज है।
'लगान' भारत की सबसे पहली फ़िल्म है, जो चीन (शंघाई
और बीजिंग) में रिलीज़ हुई।
राज कपूर की 'मेरा नाम जोकर' पहली ऐसी हिंदी
फ़िल्म थी, जिसमें एक नहीं बल्कि 2-2 इंटरवल थे।
1990 के दौरान कुवैत बचाव अभियान भारत के
इतिहास के सबसे बड़ा बचाव अभियान था। जब ईराक ने कुवैत पर आक्रमण किया तब वहाँ बसे
1,70,000 हिन्दुस्तानियों की जान पर बन आई
थी। उन्हें बचाने के लिए ये अभियान चलाया
गया था, जो 59 दिन तक चलता रहा। इसके लिए एयर इंडिया ने 488 बार उड़ानें भरी थीं।
भारतीय सेना का हाई ऑल्टीट्यूड वॉरफेयर स्कूल
दुनिया के सबसे अच्छे ट्रेनिंग संस्थान में गिना जाता है। अफ़ग़ानिस्तान भेजे जाने से
पहले अमेरिका के स्पेशल फोर्स की ट्रेनिंग भी इसी इंस्टीट्यूट में हुई थी। साथ ही यूके
और रशिया से भी जवान भी यहाँ ट्रेनिंग के लिए आते हैं। ये इंस्टीट्यूट पहाड़ी इलाकों और
ऊंचाई पर लड़ाई करने की ट्रेनिंग देता है।
जंगलों में लड़ने के मामले में भारतीय सेना
को दुनिया में सबसे श्रेष्ठ सेना के तौर पर जाना जाता है। भारत की इस गुणवत्ता को जानने
के लिए अमेरिका, ब्रिटेन और रूस जैसे देश
अक्सर इस टुकड़ी का दौरा करते हैं।
भारतीय सेना द्वारा चलाया गया ऑपरेशन राहत
अब तक भारत के अंदर सबसे बड़ा लोगों को बचाने वाला मिशन था। ऑपरेशन राहत मिशन को भारतीय
वायुसेना द्वारा चलाया गया था। इस मिशन का मुख्य लक्ष्य 2013 में उत्तराखंड में आयी
बाढ़ से प्रभावित लोगों को बचाना था। ऑपरेशन राहत के पहले चरण में 17 जून 2013 को
20,000 लोगों को बाढ़ के क्षेत्र से सुरक्षित निकाल
लिया गया था।
ये तो हम सब जानते हैं कि भारत का स्वाधीनता
दिवस 15 अगस्त और पाकिस्तान का 14 अगस्त है। क्या आपने कभी यह सोचा है कि भारत का स्वाधीनता
दिन 15 को और पाकिस्तान का 14 को क्योँ मनाया जाता है? आधिकारिक जानकारी तो नहीं है, लेकिन कहा
जाता है कि वो इसलिए क्योँकि माउंटबेटन दोनों देशों में उपस्थित रहना चाहते थे इसी
वजह से ऐसा किया गया, अन्यथा दोनों के स्वाधीनता दिवस एक ही दिन मनाए जाते। और
वजहें हो सकती हैं, पर ज्ञात नहीं है। पर क्या आप यह जानते हैं कि भारत और पाकिस्तान की
सीमा का निर्धारण 17 अगस्त को हुआ था।
जवाहरलाल नेहरू ने अपना प्रसिद्ध भाषण 'ट्रिस्ट विद डेस्टिनी' प्रधानमंत्री बनने से पहले दिया था।
उल्लेखनीय है कि नेहरू ने यह भाषण 14 अगस्त की मध्यरात्रि को दिया था, जबकि देश के पहले प्रधानमंत्री वह 15 अगस्त
की सुबह बने थे।
15 अगस्त 1947 को पूरे देश में धूमधाम से आज़ादी
का जश्न मनाया जा रहा था। जब पूरा देश आज़ादी का जश्न मना रहा था, तब एक शख़्स ऐसा भी था, जो इस आज़ादी का जश्न नहीं मना रहा था। वो शख़्स
कोई और नहीं, बल्कि राष्ट्रपिता महात्मा
गाँधी थे। गाँधीजी ने आज़ादी का दिन अनशन करके मनाया था। गाँधीजी आज़ादी के दिन दिल्ली
से हज़ारों किलोमीटर दूर कलकत्ता (अब कोलकाता) में थे। कलकत्ता में हिन्दुओं और मुसलमानों
के बीच शांति और सौहार्द कायम करने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया था।
आज़ादी के बाद देर रात संसद को धोया भी गया
था। क्योंकि ब्रिटिश शासकों के बाद अब यहाँ भारतीय बैठने वाले थे। धोने के बाद बताए
मुहूर्त पर गोस्वामी गिरधारीलाल ने संसद की शुद्धि करवाई थी।
भारतवर्ष में 662 रियासतें थीं, जिसमें से 565 रजवाड़े ब्रिटिश शासन के अंतर्गत
थे। 565 रजवाड़ों में से 552 रियासतों ने स्वेच्छा से भारतीय परिसंघ में शामिल होने
की स्वीकृति दी थी। जूनागढ़, हैदराबाद, त्रावणकोर और कश्मीर को छोड़कर बाकी की रियासतों
ने पाकिस्तान के साथ जाने की स्वीकृति दी थी।
15 अगस्त 1947 को पहले स्वतंत्रता दिन पर
फोर्ट सेंट जॉर्ज पर पहली दफा तिरंगा फहराया गया था। राष्ट्रीय पुरातत्व विभाग इस
झंड़े को संभाले हुए है। यह झंडा एएसआई के संग्रहालय में बीते कई
दशकों से सुरक्षित रखा गया है। झंड़े को पहली बार 26 जनवरी, 2013 को फोर्ट सेंट
जॉर्ज परिसर में सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए रखा गया था। झंड़े को सुरक्षित रखने के लिए
एएसआई दिन रात मेहनत करता है। झंड़े को कांच के बॉक्स में रखा गया है। वहीं नमी से बचाने
के लिए सिलिका जेल के छह बॉक्स रखे गए हैं। वहीं झंड़े को प्राकृतिक रोशनी से दूर रखा
गया है। इस झंड़े को सुबह 5 बजकर 5 मिनट पर फहराया
गया था। संग्रहालय के अधिकारियों के मुताबिक़ दुर्भाग्य से हमारे पास इस झंड़े का रिकॉर्ड
नहीं है कि इस झंड़े को किसने फहराया था। आज़ादी के बाद फहराए गए तिरंगों में केवल एक
मात्र यही झंड़ा है जो अभी तक सुरक्षित बच सका है।
भारत के शनि शिंगणापुर में लोग बिना दरवाजों के अपने घरों में रहते हैं। क्योंकि उनका ऐसा मानना था कि जो भी शनि शिंगणापुर से चोरी
करता है उसे शनि भगवान बड़ी से बड़ी सज़ा देते हैं। यहाँ तक कि शनि शिंगणापुर में कोई
पुलिस स्टेशन भी नहीं था। (आज के समय में ऐसा है या नहीं यह जानकारी हमारे पास नहीं है)
भारतीय रेलवे सबसे लंबी और सबसे छोटी दूरी
की अनोखी यात्रा कराती है। डिब्रूगढ़ से कन्याकुमारी के बीच चलने वाली विवेक एक्सप्रेस
कुल 4286 किलोमीटर की दूरी तय करती है, जबकि नागपुर से अजनी के बीच महज़ 3 किमी. के
लिए भी ट्रेन चलाई जाती है।
त्रिवेंद्रम-निज़ामुद्दीन राजधानी एक्सप्रेस
वड़ोदरा से कोटा के बीच 528 किमी. की दूरी महज़ 6.5 घंटे में बिना किसी स्टॉपेज़ के
पूरी करती है। यह भारत की सबसे लंबी नॉन स्टॉप ट्रेन है। वहीं हावड़ा-अमृतसर एक्सप्रेस
सबसे ज़्यादा 115 स्टेशनों पर रुकती है।
चेन्नई के नज़दीक़ अराकोनम-रेनीगुंटा सेक्शन
पर 'वेंकटनरसींहराजुवारीपेटा' स्टेशन है, जिसका नाम सबसे लंबा है। वहीं ओडिशा
के झारसुगुड़ा के नज़दीक़ स्टेशन 'इब' और गुजरात के आणंद के नज़दीक़ 'ओड'
सबसे छोटे नाम वाले
रेलवे स्टेशन हैं।
'नवापुर' ऐसा रेलवे स्टेशन है, जो दो राज्यों की सीमा
के अंतर्गत आता है। इसका आधा हिस्सा महाराष्ट्र की सीमा के भीतर, जबकि बाकी का आधा हिस्सा
गुजरात की सीमा में है।
फिश थेरेपी स्पेशल उस ट्रेन का नाम है, जो
हर साल गुवाहाटी से हैदराबाद तक दौ़ड़ाई जाती है। यह ट्रेन अस्थमा के उन मरीज़ों के
लिए दौड़ाई जाती है, जिन्हें हैदराबाद दवाई लेने के लिए जाना होता है।
समोसे का नाम लेते ही मुँह में पानी आने लगता
है। इसकी ख़ुशबू और स्वाद के तो भारतीय दीवाने हैं। भारत के ज़्यादातर शहरों में आसानी
से मिलने वाले समोसे की शुरूआत मध्य पूर्व देशों से हुई थी। इसे संभोसा का नाम दिया
गया था। भारत में समोसे का बनना 13वीं और 14वीं शताब्दी के बीच में शुरू हुआ। यह भारत
में वहाँ से आने वाले व्यापारियों के कारण आया। धीरे-धीरे भारतीयों को यह इतना पसंद
आया कि बस यहाँ का होकर रह गया।
यह एक ऐसी मिठाई है जिसे देखकर बिना खाए रहा
नहीं जा सकता। भारत में शायद ही ऐसा कोई राज्य होगा, जहाँ ये न उपलब्ध हो। भारतीयों
की सबसे पसंदीदा मिठाई कहा जाने वाला गुलाब जामुन पर्सिया की देन है। ये पर्सिया की
ख़ास डिश लुकमात-अल-क़ादी से प्रेरित है। वहाँ इसे बनाने के लिए शहद को बतौर चाशनी इस्तेमाल
किया जाता था। भारत आने पर इसके रूप और बनाने के तरीक़े में थोड़ा बदलाव हुआ और इसे
गुलाम जामुन के नाम से जाना गया।
शादी या पार्टी से लेकर रेस्तरां तक में नान
रोटी की काफी डिमांड रहती है। लेकिन यह चौंकानी बाली बात है कि इसकी खोज ब्रेड के सप्लीमेंट
के तौर पर हुई थी। अमेरीका और यूरोप देशों में इसका इस्तेमाल चिकन टिक्का का हिस्सा
बनाकर किया गया था। भारत में इसकी शुरुआत मुग़ल शासन काल में हुई थी। धीरे-धीरे यह भारत
में इतनी प्रसिद्ध हुई कि इसे रोटी की तरह इस्तेमाल किया जाने लगा।
जलेबी को भारतीय मिठाई के तौर पर जाना जाता
है। भारत के कई राज्यों में दिन की शुरुआत ही दही-जलेबी से की जाती है। इसकी शुरुआत
मिडिल ईस्ट देशों (तर्की, ईरान, ईराक) से हुई थी। मुस्लिम देश होने के कारण
इसका नाम अरब संस्कृति से प्रेरित था। इसे ज़लाबिया नाम दिया गया था। यह डिश भारत में
पर्सियों के लोगों द्वारा लाई गई थी। भारत में धीरे-धीरे दक्षिण के राज्यों में इसका
स्वरूप बदला और नाम दिया जानगिरी और इमरती। जो धीरे-धीरे जलेबी में तब्दील हो गई।
भारत-पाकिस्तान के बीच कुत्तों के तबादले की
बड़ी रोचक घटना हुई थी। हुआ यह कि भारत से ग़लती से समझौता एक्सप्रेस में एक आवारा कुत्ता
लाहौर पहुंच गया। इसके जवाब में पाकिस्तान ने उसी ट्रेन से 50 आवारा कुत्ते वापस भारत
भेज दिए। जनवरी 2013 में अटारी बॉर्डर से एक आवारा कुत्ता बिना अधिकारियों की जानकारी
के पाकिस्तान जाने वाली समझौता एक्सप्रेस में घुस गया था। इसकी जानकारी कस्टम और दूसरे
लोगों को भी नहीं थी। इसका पता तब चला,
जब इस कुत्ते पर
लाहौर स्टेशन के पाक अधिकारियों की नज़र पड़ी। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी अपने यहाँ
से 50 आवारा कुत्तों को उसी ट्रेन से भारत भेज दिया। ये कुत्ते इतने भूखे थे कि उन्हें
जो कुछ मिल जाए उसे खाने के लिए दौड़ पड़ते थे।
भारत देश के लिए सर्वप्रथम बने संविधान में धर्मनिरपेक्ष शब्द का इस्तेमाल नहीं था। संविधान
को 1976 में संशोधित करके इसकी प्रस्तावना और दूसरे सेक्शन्स में 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द को शामिल किया गया। स्वतंत्र भारत की काली अवधि माने जाने वाले आपातकाल के कुछ चौंकाने वाले फ़ायदों
में से एक फ़ायदा यह भी माना जाता है।
4 सितम्बर, 2016 के दिन मदर टेरेसा को वेटिकन में संत की
उपाधि दी गई थी। भारत रत्न और मदर टेरेसा के नाम से मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता उस दिन
से संत टेरेसा ऑफ़ कोलकाता के नाम से सम्मानित हो गईं। गौरतलब है कि मदर टेरेसा अब
तक 124 पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकीं हैं। वेटिकन में हुए इस समारोह में 13 राष्ट्रों
के प्रमुखों ने हिस्सा लिया था। भारत की ओर से तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज
और भारत का सरकारी प्रतिनिधि मंडल, पश्चिम बंगाल की तत्कालीन मुख़्यमंत्री ममता
बनर्जी तथा दिल्ली के तत्कालीन मुख़्यमंत्री अरविंद केजरीवाल वहाँ पहुंचे थे।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से अब
तक हमारे देश के विभिन्न राज्यों में 125 बार राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है।
सितम्बर 2016 में भारत के
प्रधानमंत्री के निवासस्थान का नाम बदल दिया गया। आज़ादी के पश्चात इस निवासस्थान
को 7-रेसकोर्स रोड के नाम से जाना जाता था। लेकिन इसी महीने इसे 7-लोक कल्याण
मार्ग नाम दिया गया।
सितम्बर 2016 के दौरान ब्रिटिश
भारत काल से चले आ रहे बजट में बड़ा परिवर्तन आया। हालाँकि, बजट के दिन या वक़्त में
पहले परिवर्तन आ चुके थे। लेकिन इस महीने रेल बजेट को आम बजट के साथ जोड़ दिया गया।
मार्च 2017 के दौरान अटारी-वाधा
बॉर्डर पर देश का सबसे बड़ा तिरंगा फहराया गया। ये 360 फ़ीट ऊंचा था। इसे देश का
सबसे ऊंचा फ्लैग मास्ट माना जाता है। इसे 3.50 करोड़ के ख़र्चे पर बनाया गया था। हालाँकि
बाद में कुछ प्राकृतिक समस्याओं के चलते इसे अब तक दोबारा फहराया नहीं गया है।
2 अप्रैल 2017 के दिन भारत की
तथा एशिया की सबसे लंबी टनल की शुरुआत हुई। कश्मीर के उधमपुर तथा रामबन को जोड़ने
वाली 9.2 किमी लंबी यह टनल, चेनानी-नाशरी टनल, इस दिन तक एशिया की सबसे लंबे रास्ते वाली टनल है।
मध्य प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य
है, जहाँ 2018 से वित्त वर्ष जनवरी से दिसंबर तक लागू हुआ। भारत में मध्य प्रदेश ऐसा प्रथम
राज्य था, जिसने यह फ़ैसला सबसे पहले लिया था। मई 2017 के दौरान राज्य सरकार ने कैबिनेट
की बैठक के बाद इस फ़ैसले की जानकारी दी थी। यानी कि भारत में कारोबारी साल बदलने वाला देश
का पहला राज्य मध्य प्रदेश था।
मुंबई स्थित ताज पेलेस होटल भारत
की पहली इमारत है, जिसे ट्रेडमार्क मिला हो। 2017 में इस इमारत का ट्रेडमार्क
रजिस्ट्रेशन हुआ। न्यूयॉर्क का एम्पायर स्टेट बिल्डिंग, पेरिस का एफिल टावर, सिडनी
का ओपेरा हाउस, जैसी इमारतों की सूची में ताज पेलेस होटल का इमारत भी शामिल हो गया।
भारत में अब तक चार बार मिडनाइट
सेशन (आधी रात को संसद का विशेष सत्र) आयोजित हुए हैं। 14 अगस्त 1947 में सेंट्रल हॉल
को कॉन्स्टिट्यूशन हॉल कहा जाता था। देश को आज़ादी मिलने जा रही थी। इस मौक़े पर आधी
रात को विशेष सत्र बुलाया गया था। दूसरी बार 14 अगस्त 1972 को आज़ादी मिलने के 25 साल पूरे होने के मौक़े पर संसद का आधी रात्रि को सत्र बुलाया गया था। तब वीवी गिरी राष्ट्रपति थे तथा इंदिरा
गांधी प्रधानमंत्री थीं। तीसरी बार 14 अगस्त 1997 को आज़ादी की 50वीं सालगिरह के मौक़े पर आधी रात को विशेष सत्र बुलाया गया। उस समय इंद्र कुमार गुजराल पीएम थे और केआर नारायणन
राष्ट्रपति थे। जबकि चौथी बार 30 जून 2017 की आधी रात को जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स) लागू करने हेतु संसद का विशेष सत्र बुलाया गया था। तब प्रणब
मुखर्जी राष्ट्रपति तथा नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री थे।
(लास्ट अपडेट 31 जनवरी 2018)
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