हर देश का अपना एक राष्ट्रीय ध्वज होता है, जो उसकी कहानी को बयां करता है। भारत का राष्ट्रीय ध्वज, जिसे आज 'तिरंगा' भी कहा जाता है, की
कहानी भी बड़ी रोचक है। अपने वर्तमान रूप में आने से पहले भारत के ध्वज ने 6 बार अपना
रंग रूप बदला।
सन
1900 के पश्चात वर्ष 1905 में स्वामी विवेकानंद की शिष्या सिस्टर निवेदिता ने पूरे
भारत के लिए एक राष्ट्रीय ध्वज की कल्पना की थी। सिस्टर निवेदिता द्वारा बनाए गए ध्वज
में कुल 108 ज्योतियाँ बनाई गई थीं और यह ध्वज चौकोर आकार का था, साथ ही यह तीन
रंगों वाला नहीं, बल्कि दो रंगों वाला झंडा था। कुछ अन्य तीन रंगों वाले झंडों का
भी कुछ लेखों और किताबों में ज़िक्र है। यहाँ हम जो पुष्ट और आधिकारिक जानकारी है
उसे देखते हैं।
पहला ध्वज
सबसे पहले तिरंगे को 7 अगस्त, 1906 को कलकत्ता (वर्तमान में कोलकाता) के पारसी बागान स्क्वायर में फहराया गया था। इस झंडे में तीन रंग की पट्टियाँ थीं। जिनमें बीच की पट्टी पर वंदे
मातरम लिखा था। बीच में सफ़ेद की बजाय पीली पट्टी थी। वहीं नीचे की पट्टी लाल थी,
जिस पर अर्ध चंद्र और सूरज बना था। इसके अलावा सबसे ऊपरी हरी पट्टी पर कमल का फूल अंकित
था।
दूसरा ध्वज
बर्लिन कमेटी का झंडा
यह भी पहले झंडे से काफी कुछ मिलता जुलता था। इसमें बीच की पीली पट्टी पर वंदे
मातरम लिखा था। इसमें ऊपरी पट्टी पर कमल के फूल की बजाय सात तारे छपे थे, जो कि सप्तर्षि का तारामंडल का प्रतीक थे। इसे 1907 में मैडम कामा ने फहराया था।
साथ ही इसे बर्लिन में आयोजित एक सभा में भी भारत के झंडे के रूप में फहराया गया।
तीसरा ध्वज
होम रूल आंदोलन का झंडा
इसके बाद तीसरी बार भारत का झंडा सामने आया नए रूप में होम रूल आंदोलन के दौरान।
1917 में इस झंडे को होम एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने फहराया था। इस झंडे में पाँच
लाल और चार हरी पट्टियाँ थीं। इन पर सात तारे अंकित थे। इसके बाएं कोने में ऊपरी ओर
ब्रिटेन का आधिकारिक झंडा भी छपा था।
चौथा ध्वज
अनौपचारिक तिरंगा झंडा
1921 में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की एक बैठक में आयोजित एक युवा ने गाँधीजी को
यह झंडा दिया। यह तीन रंग की पट्टियों से बना था और इस पर नीले रंग में चरखा अंकित
था। इसके तीन रंगों सफ़ेद रंग सबसे ऊपर, उसके नीचे हरा रंग और सबसे नीचे लाल रंग था।
पाँचवाँ ध्वज
गाँधीजी का झंडा
साल 1931 तिरंगे की यात्रा में महत्वपूर्ण पड़ाव है। इस दौरान एक रेजोल्यूशन पास कर तिरंगे को आधिकारिक तौर पर भारत के ध्वज के रूप में अपनाया गया। इस ध्वज में
सफ़ेद पट्टी बीच में थी और इस पर गाँधीजी का चरखा अंकित था।
छठा ध्वज
तिरंगा
कहते हैं कि भारत के वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज की कल्पना पिंगली वेंकैया ने की
थी। तिरंगे को इस रूप में पहली बार भारतीय संविधान सभा की 22 जुलाई को आयोजित बैठक
में अपनाया गया था। जिसके बाद 26 जनवरी 1950 को इसे राष्ट्रध्वज के रूप में अपनाया
गया।
Social Plugin