लास्ट अपडेट मई 2022
भारतीय सेना के तीन
विंग हैं- थल सेना, वायु सेना और नौ सेना।
रेजिमेंट मूल रूप से भारतीय थल सेना का व्यवस्थागत हिस्सा है। नौ सेना और वायु सेना
में रेजिमेंट नहीं होते। रेजिमेंट एक तरीक़े का सैन्य दल होता है। थल सेना में कई सारे
रेजिमेंट होते हैं। आम भाषा में कहा जाए तो यह थल सेना के विभिन्न ग्रुप हैं। सारे
रेजिमेंट मिलकर पूरी थल सेना बनाते हैं। रेजिमेंट एक नियम और व्यवस्था के क्रम से बंधे होते हैं। हर रेजिमेंट का अपना विशिष्ट
रंग, वर्दी व प्रतीक चिह्न
और युद्ध क्षेत्र में उपलब्धियाँ होती हैं। एक रेजिमेंट सैन्य बलों के संगठन का एक
हिस्सा होती हैं, जिसमें बटालियन शामिल
हो सकते हैं, जो छोटी लड़ाकू इकाइयाँ
हैं।
संक्षेप में लिखा जाए
तो आर्मर्ड, आर्टिलरी, इन्फैंट्री, मैकेनाइज्ड, कॉर्प्स ऑफ़ आर्मी एयर डिफेंस, कॉर्प्स ऑफ़ इंजीनियर्स, आर्मी एविएशन कॉर्प्स और कॉर्प्स ऑफ़ सिग्नल, वगैरह सेना के प्रमुख हिस्से हैं। गार्ड्स
ऑफ़ ब्रिगेड, राजपूताना राइफल्स, गोरखा राइफल्स, पंजाब रेजिमेंट आदि भारतीय सेना की कुछ ऐसी
रेजिमेंट हैं, जिनसे मिलकर भारतीय
सेना की इन्फैंट्री रेजिमेंट (पैदल सेना) बनती है।
सेना की सबसे पुरानी
रेजिमेंट मद्रास रेजिमेंट है, जिसका गठन 1758 में हुआ था। सिक्किम स्काउट्स सबसे कम उम्र की रेजिमेंट है, जिसका गठन 2013 में हुआ। पंजाब रेजिमेंट,
मराठा लाइट इन्फैंट्री, राजपूताना राइफल्स वगैरह उपमहाद्वीप की सबसे पुरानी इन्फैंट्री
रेजिमेंटों में से एक है। इसका इतिहास भारतीय सेना के विकास को भी बताता है।
18वीं शताब्दी की शुरुआत में कर्नाटक में ईस्ट इंडिया कंपनी के पास अपने व्यापार
की सुरक्षा के लिए भारतीय अधिकारियों द्वारा स्थापित सिपाहियों की स्वतंत्र कंपनियां
थीं। 1757 में, इन स्वतंत्र कंपनियों
को मेजर रॉबर्ट क्लाइव द्वारा तट बटालियनों में मिला दिया गया और इस प्रकार भारतीय
सेना और इसकी इन्फैंट्री के इतिहास की शुरुआत हुई।
1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी
से ब्रिटिश भारत और इसकी रियासतों पर सीधा नियंत्रण स्थापित कर लिया था। यहीं से ब्रिटिश
शासन और ब्रिटिश भारतीय सेना की शुरुआत हुई। अंग्रेज़ों ने अपनी ज़रूरत तथा योजनाओं
के आधार पर अलग अलग समूहों में सेना की भर्तियाँ की। ये भर्तियाँ क्षेत्र, जाति और
समुदाय के आधार पर की गईं और इसी आधार पर रेजिमेंट भी बनीं।
इसी समय इन्फैंट्री
सेना रेजिमेंटों को जाति, समुदाय या क्षेत्र
के नाम से बुलाया जाने लगा था। इसी दौरान राजपूताना राइफल्स, जाट रेजिमेंट, एक गोरखा राइफल्स, सिख रेजिमेंट, गढ़वाल राइफल्स और महार रेजिमेंट जैसी रेजिमेंट
का गठन हुआ। वहीं, क्षेत्र के आधार पर
बनने वाली रेजिमेंट में बिहार रेजिमेंट, कुमाउं रेजिमेंट, लदाख रेजिमेंट, मद्रास रेजिमेंट, असम रेजिमेंट आदि थीं।
स्वतंत्रता के
पश्चात देश में कभी भी वर्ग, पंथ, क्षेत्र या धर्म के आधार पर सेना में रेजिमेंटों
का गठन नहीं किया गया है। अब तक भारत सरकार की यह नीति रही है कि किसी वर्ग, समुदाय, धर्म या क्षेत्र विशेष के लिए कोई नई रेजिमेंट न बनाई जाए। हालाँकि समय समय पर
ऐसी रेजिमेंट बनाने के लिए याचिकाएँ आती रहीं या अन्य तरीक़े से भी प्रयास हुए।
यहाँ नोट यह भी करें
कि जाति के आधार पर बनी रेजिमेंट में जाति के आधार पर रिक्रूटमेंट नहीं होता। ऐसा नहीं
होता कि किसी विशेष जाति के लोग ही एक जाति के रेजिमेंट में जा सकते हैं। ये मिक्स्ड
रेजिमेंट्स होती हैं। जाति, धर्म, प्रांत के आधार पर रेजिमेंट में सैनिक नहीं
होते, बल्कि योग्यता और ज़रूरत
के हिसाब से रेजिमेंट्स में विभिन्न सैनिक होते हैं।
इन्फैंट्री रेजिमेंट्स (पैदल सेना)
मद्रास रेजिमेंट (चिह्न - कवच के ऊपर हाथी के साथ दो क्रॉस्ड
तलवारें) (गठन 1758)
यह सेना की सबसे पुरानी रेजिमेंट है। मद्रास रेजिमेंट का गठन
1758 में हुआ था। इस रेजिमेंट ने ब्रिटिश भारतीय
सेना और आज़ादी के बाद भारतीय सेना, दोनों के कई अभियानों में सहयोग किया है।
वर्तमान समय में इसमें 21 बटालियन हैं। इसका रेजिमेंटल सेंटर तमिलनाडु में है।
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पंजाब रेजिमेंट (चिह्न - पाल वाला जहाज़) (गठन 1761)
पंजाब रेजिमेंट भारतीय सेना में सेवारत दूसरी सबसे पुरानी
रेजिमेंट है। मूल रूप से इसका गठन 1761 में हुआ था। स्वतंत्रता और विभाजन से पहले ब्रिटिश भारतीय
सेना में कई पंजाब रेजिमेंट थीं। स्वतंत्रता के पश्चात यह भारत और पाकिस्तान में
विभाजित की गई। भारत के हिस्से में दूसरी पंजाब रेजिमेंट आई और फिर इसका पुनर्गठन
हुआ। वर्तमान समय में इसमें 20 बटालियन हैं और रेजिमेंटल सेंटर झारखंड में
है।
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मराठा लाइट इन्फैंट्री (चिह्न - एक बिगुल, पार की हुई तलवारों की एक जोड़ी और एक ढाल)
(गठन 1768)
मराठा लाइट इन्फैंट्री भारतीय सेना की एक लाइट इन्फैंट्री
रेजिमेंट है। इसकी वंशावली बॉम्बे आर्मी से मिलती है। मराठा लाइट की स्थापना 1768 में हुई थी। इसका रेजिमेंटल सेंटर कर्णाटक
में है।
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राजपूताना राइफल्स (चिह्न - कटार और बिगुल) (गठन 1775)
राजपूताना राइफल्स भारतीय सेना की पुरानी रेजिमेंट्स में से
एक है। इसकी स्थापना 10 जनवरी 1775 के दिन की गई थी, जब तात्कालिक ईस्ट इंडिया कंपनी ने राजपूत
लड़ाकों की क्षमता को देखते हुए उन्हें अपने मिशन में भर्ती कर लिया। वर्तमान समय
में इसमें 25 बटालियन हैं। इसका हेडक्वार्टर दिल्ली कैंटोनमेंट
में है।
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राजपूत रेजिमेंट (चिह्न - अशोक के पत्तों के मध्य कटारों का
जोड़ा) (गठन 1778)
इसकी स्थापना 1778 में बंगाल नेटिव इन्फैंट्री की 24वीं रेजिमेंट की स्थापना के साथ हुई थी।
रेजिमेंट की पहली बटालियन का गठन 1798 में हुआ। वर्तमान समय में यह 23 बटालियनों में बंटी हुई है। इसका रेजिमेंटल सेंटर उत्तर प्रदेश
में है।
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ग्रेनेडियर्स (चिह्न - घोड़ा) (गठन 1778)
इसका गठन 1778 में हुआ था। ग्रेनेडियर्स पहले बॉम्बे आर्मी
और बाद में (स्वतंत्रता पूर्व) ब्रिटिश भारतीय सेना का हिस्सा थी। तब इसे 4वें बॉम्बे ग्रेनेडियर्स के रूप में जाना
जाता था। वर्तमान समय में इसमें 23 बटालियन हैं। इसका रेजिमेंटल सेंटर मध्य
प्रदेश में है।
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जाट रेजिमेंट (चिह्न - रोमन संख्या नौ IX) (गठन 1795)
इसका गठन 1795 में किया गया था। यह सेना की सबसे पुरानी
रेजिमेंट में से एक है और अनेक वीरता पुरस्कार विजेता रेजिमेंट है। वर्तमान में इसमें
24 बटालियन हैं। इसका रेजिमेंटल सेंटर उत्तर
प्रदेश में है।
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कुमाऊं रेजिमेंट (चिह्न - एक अर्ध प्रचंड शेर एक क्रॉस क्रॉसलेट
पकड़े हुए) (गठन 1813)
इस रेजिमेंट का गठन 1813 में किया गया था। तब मात्र 4 बटालियन थीं। यह कुमांऊँ नामक हिमालयी क्षेत्र
के निवासियों से सम्बन्धित भारतीय सैन्य दल है। वर्तमान समय में इसमें 22 बटालियन हैं। इसका रेजिमेंटल सेंटर उत्तराखंड
में है।
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महार रेजिमेंट (चिह्न - क्रॉस्ड विकर्स मीडियम मशीनगनों की
एक जोड़ी, एक खंजर के साथ) (गठन 1815)
इसका गठन 1815 में किया गया था। महार को महाराष्ट्र का
मूल निवासी माना जाता है। वर्तमान में इसमें 22 बटालियन हैं। इसका रेजिमेंटल सेंटर मध्य
प्रदेश में है।
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1 गोरखा राइफल्स (चिह्न – क्रॉस्ड कुकरी की एक जोड़ी के साथ
संख्या 1 ऊपर) (गठन 1815)
मूल रूप से 1815 में ब्रिटिश भारतीय सेना के हिस्से के रूप में इसका गठन किया
गया था। 1950 में इसका नाम 1 गोरखा राइफल्स (मलऊन रेजिमेंट) रखा गया। वर्तमान में इसमें
6 बटालियन हैं। इसका रेजिमेंटल सेंटर हिमाचल
प्रदेश में है।
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3 गोरखा राइफल्स (चिह्न - क्रॉस्ड कुकरी की जोड़ी,
एक सितारा और भीतर अंक 3) (गठन 1815)
इसे 1815 में ब्रिटिश भारतीय सेना में गठित किया गया था। 1947 में विभाजन के बाद इस रेजिमेंट को भारत, नेपाल और ब्रिटेन के बीच त्रिपक्षीय समझौते के हिस्से के
रूप में बांटा गया। भारतीय सेना को हस्तांतरित छह गोरखा रेजिमेंट में से एक था। वर्तमान
में इसमें 5 बटालियन हैं। इसका रेजिमेंटल सेंटर उत्तर
प्रदेश में है।
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9 गोरखा राइफल्स (चिह्न - क्रॉस्ड कुकरी की एक जोड़ी और अंक
9) (गठन 1817)
रेजिमेंट का गठन शुरू में 1817 में अंग्रेज़ों द्वारा किया गया था, और यह 1947 में त्रिपक्षीय समझौते के हिस्से के रूप में भारतीय सेना
में स्थानांतरित गोरखा रेजिमेंटों में से एक थी। वर्तमान में इसमें 5 बटालियन हैं। इसका रेजिमेंटल सेंटर उत्तर प्रदेश में है।
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जम्मू कश्मीर राइफल्स (चिह्न - सूर्य को आलिंगन करता हुआ एक
अंडाकार, राज्य का प्रतीक) (गठन 1821)
इसकी स्थापना 1821 में हुई थी। इसका मूल नाम जम्मू कश्मीर रेजिमेंट
था, जिसे 1963 में जम्मू कश्मीर राइफल्स किया गया। वर्तमान
में इसमें 22 बटालियन हैं। इसका रेजिमेंटल सेंटर मध्य
प्रदेश में है।
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8 गोरखा राइफल्स (चिह्न - क्रॉस्ड कुकरी की एक जोड़ी और अंक
8) (गठन 1824)
इसकी स्थापना 1824 में ईस्ट इंडिया कंपनी के हिस्से के रूप में की गई थी और
बाद में 1857 के भारतीय विद्रोह के बाद इसे ब्रिटिश भारतीय
सेना में स्थानांतरित कर दिया गया। भारत के दो फ़ील्ड मार्शलों में से एक, फ़ील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ इसी रेजिमेंट से थे। वर्तमान में
इसमें 6 बटालियन हैं। इसका रेजिमेंटल सेंटर मेघालय
में है।
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सिख रेजिमेंट (चिह्न - चक्र के भीतर सिंह) (गठन 1846)
इसका गठन 1 अगस्त 1846 के दिन किया गया था। आधुनिक सिख रेजिमेंट
की जड़ें सीधे ब्रिटिश भारतीय सेना की 11वीं सिख रेजिमेंट से जुड़ी हैं। वर्तमान समय में इसमें 20 बटालियन हैं। इसका रेजिमेंटल सेंटर झारखंड
में है।
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4 गोरखा राइफल्स (चिह्न - रोमन अंक IV, अशोक प्रतीक के साथ क्रॉस्ड कुकरी की जोड़ी) (गठन 1857)
सन 1857 में ब्रिटिश भारतीय सेना के हिस्से के रूप में इसका गठन किया
गया था। वर्तमान में इसमें 5 बटालियन हैं। इसका रेजिमेंटल सेंटर हिमाचल प्रदेश में है।
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5 गोरखा राइफल्स (फ्रंटियर फ़ोर्स) (चिह्न - क्रॉस्ड कुकरी की एक जोड़ी और अंक 5) (गठन 1858)
इसका गठन 1858 में ब्रिटिश भारतीय सेना के हिस्से के रूप में किया गया था।
उस समय रेजिमेंट को 5वीं रॉयल गोरखा राइफल्स (फ्रंटियर फोर्स)
के रूप में जाना जाता था। विभाजन के पश्चात इसे भारतीय सेना में स्थानांतरित कर दिया
गया और 1950 में इसे इसका वर्तमान नाम दिया गया। वर्तमान
में इसमें 6 बटालियन हैं। इसका रेजिमेंटल सेंटर मेघालय
में है।
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डोगरा रेजिमेंट (चिह्न - बाघ) (गठन 1877)
इसका गठन 1877 में हुआ था। इस रेजिमेंट की जड़ें सीधे ब्रिटिश
भारतीय सेना की 17वीं डोगरा रेजिमेंट से जुड़ी हैं। इसका रेजिमेंटल सेंटर उत्तर
प्रदेश में है।
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गढ़वाल राइफल्स (चिह्न - अशोक प्रतीक के साथ एक माल्टीज़ क्रॉस)
(गठन 1887)
इसे मूल रूप से 1887 में बंगाल सेना की 39वीं (गढ़वाल) रेजिमेंट के रूप में स्थापित
किया गया था। स्वतंत्रता के पश्चात इसे भारतीय सेना में शामिल किया गया। वर्तमान
समय में इसमें 22 बटालियन हैं। इसका रेजिमेंटल सेंटर उत्तराखंड
में है।
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11 गोरखा राइफल्स (चिह्न - रोमन अंक XI के साथ क्रॉस्ड कुकरी की जोड़ी) (गठन 1918)
इसका गठन 1918 में अंग्रेज़ों द्वारा किया गया था। 11 गोरखा राइफल्स को आधिकारिक तौर पर 1 जनवरी 1948 को मुंबई में फिर से स्थापित किया गया। भारत के पहले सीडीएस
बिपिन रावत इसी रेजिमेंट से थे। वर्तमान में इसमें 6 बटालियन हैं। इसका रेजिमेंटल सेंटर उत्तर प्रदेश में है।
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सिख लाइट इन्फैंट्री (चिह्न - एक क्वॉइट, जिसमें कृपाण लगी होती है) (गठन 1941)
यह एक लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट है, जिसका गठन 1941 में हुआ था। यह रेजिमेंट ब्रिटिश भारतीय
सेना की 23वीं, 32वीं और 34वीं रॉयल सिख पायनियर्स की उत्तराधिकारी इकाई है। वर्तमान
में इसमें 19 बटालियन हैं। इसका रेजिमेंटल सेंटर उत्तर
प्रदेश में है।
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असम रेजिमेंट (चिह्न - गैंडा) (गठन 1941)
रेजिमेंट की स्थापना 15 जून 1941 के दिन लेफ्टिनेंट कर्नल रॉस हॉवमैन द्वारा
शिलांग में तत्कालीन अविभाजित राज्य असम की अपनी लड़ाकू इकाई के दावे को पूरा करने
और भारत पर जापानी आक्रमण के ख़तरे का मुकाबला करने के लिए की गई थी। वर्तमान में
इस रेजिमेंट में 25 बटालियन शामिल हैं। इसका रेजिमेंटल सेंटर
मेघालय में है।
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बिहार रेजिमेंट (चिह्न - अशोक स्तंभ प्रतीक) (गठन 1941)
बिहार रेजिमेंट का गठन 1941 में 11वीं (टेरिटोरियल) बटालियन, 19वीं हैदराबाद रेजिमेंट को नियमित करके और
नई बटालियनों का गठन करके किया गया था। अभी इसमें 26 बटालियन हैं। इसका रेजिमेंटल सेंटर बिहार
में है।
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पैराशूट रेजिमेंट (चिह्न - पंख युक्त खुला पैराशूट) (गठन 1945)
यह भारतीय सेना की हवाई (एयरबॉर्न) इन्फैंट्री रेजिमेंट है।
भारतीय पैराशूट रेजिमेंट का गठन 1 मार्च 1945 के दिन किया गया था। इससे पहले 1941 में इस रेजिमेंट में 50वाँ पैराशूट ब्रिगेड बना था, जिसमें ब्रिटिश, भारतीय, गोरखा बटालियन और अन्य समर्थक इकाइयाँ भी
थीं। आज़ादी के बाद, एयरबोर्न डिवीजन भारत की सेनाओं और हाल में
गठित पाकिस्तान के बीच विभाजित की गई। भारत ने 50वीं और 77वीं ब्रिगेड साथ रखी। जबकि पाकिस्तान ने 14वें पैराशूट ब्रिगेड को ले लिया। इस रेजिमेंट
में वर्तमान में 18 बटालियन हैं। पैराशूट का रेजिमेंटल सेंटर
कर्णाटक में है।
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जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री (चिह्न - क्रॉस्ड राइफलों की
एक जोड़ी) (गठन 1947)
इसका गठन 1947 में किया गया था। 1947 में कश्मीर पर पाकिस्तानी आक्रमण के जवाब
में जम्मू, लेह, नुब्रा आदि जैसे विशिष्ट क्षेत्रों के लिए
स्थानीय मिलिशिया का गठन किया गया था। वर्तमान में इसमें 15 बटालियन हैं। इसका रेजिमेंटल सेंटर श्रीनगर
में स्थित है।
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ब्रिगेड ऑफ़ द गार्ड्स (चिह्न - गरुड़) (गठन 1949)
ब्रिगेड ऑफ़ द गार्ड्स भारतीय सेना का एक रेजिमेंट है। इसका
गठन 1949 में किया गया था। इस रेजिमेंट में वर्तमान
में 23 बटालियन हैं। इनमें से अधिकांश मैकेनाइज़्ड
इन्फैंट्री के रूप में संचालित हैं। टोही और टैंक रोधी निर्देशित मिसाइल (एंटी टैंक
गाइडेड मिसाइल) से सुसज्जित दस्ते भी हैं। गार्ड्स का रेजिमेंटल सेंटर महाराष्ट्र
में है।
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लद्दाख स्काउट्स (चिह्न - हिमालयन आईबेक्स) (गठन 1963)
लद्दाख स्काउट्स की स्थापना 1 जून 1963 को केवल आठ कंपनियों के साथ की गई थी। इसे
'स्नो वॉरियर्स' के नाम से भी जाना जाता है। लद्दाख स्काउट्स
को हाल ही में पूर्ण पैदल सेना रेजिमेंट का दर्जा दिया गया है। वर्तमान में इसमें
5 बटालियन हैं। इसका रेजिमेंटल सेंटर लद्दाख
में है।
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नागा रेजिमेंट (चिह्न - पार किए गए नागा भालों की एक जोड़ी
और एक दाओ) (गठन 1970)
यह भारतीय सेना की सबसे कम उम्र की रेजिमेंटों में से एक है।
इसकी स्थापना 1970 में हुई थी। वर्तमान में इसमें 3 बटालियन हैं। इसका रेजिमेंटल सेंटर उत्तराखंड
में है।
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मैकेनाइज़्ड इन्फैंट्री रेजिमेंट (चिह्न - टैंक के ऊपर रखी
गयी बंदूक) (गठन 1979)
मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री रेजिमेंट भारतीय सेना की एक पैदल सेना
रेजिमेंट है। इसका गठन 2 अप्रैल 1979 के दिन किया गया, ताकि पैदल सेना बटालियनों को अधिक से अधिक
गतिशीलता दी जा सके। यह 27 बटालियनों में बंटी हुई है। यह बटालियन जनरल
के सुंदरजी की दूरदर्शिता का नतीजा थी। वे इस रेजिमेंट के पहले कर्नल थे और उन्होंने
सेवानिवृत्ति तक इस पद पर सेवा दी थी। इसका रेजिमेंटल सेंटर महाराष्ट्र में है।
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राष्ट्रीय राइफल्स (चिह्न - एक अशोक चक्र के साथ दो टोपी युक्त
क्रॉस्ड राइफल) (गठन 1990)
इसका गठन 1990 में किया गया था। इसका मूल उद्देश्य कश्मीर
में उग्रवाद से लड़ने के लिए और क्षेत्र में कमजोर स्थानीय सुरक्षा बलों को बेहतरीन
बनाना था। राष्ट्रीय राइफल्स, जिसे आरआर के नाम से भी जाना जाता है, को अर्धसैनिक बल के रूप में बनाया गया था।
फ़िलहाल इसमें अनेक रेजिमेंट्स को शामिल किया गया है। आरआर में मूल रूप से चार उग्रवाद
रोधी बल हैं, जिसे रोमियो फोर्स (राजौरी और पुंछ), डेल्टा फोर्स (डोडा), विक्टर फोर्स (अनंतनाग, पुलवामा और बड़गाम), किलो फोर्स (कुपवाड़ा, बारामूला और श्रीनगर) तथा समान बल (उधमपुर
और बनिहाल) के नाम से जाना जाता है। वर्तमान समय में इसमें 65 बटालियन शामिल हैं। इसका रेजिमेंटल सेंटर
जम्मू कश्मीर में है।
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अरुणाचल स्काउट्स (गठन 2010)
इसकी स्थापना 2010 में हुई थी। चीन के साथ सीमा की रक्षा के लिए लद्दाख स्काउट्स
की तर्ज़ पर अरुणाचल स्काउट जुटाने का प्रस्ताव 2008 में सेना की तरफ से आया और पहली बटालियन
2010 में सामने आयी और दूसरी 2012 में। नई बटालियन असम रेजिमेंट से बनाई गई।
यह रेजिमेंट पर्वत युद्ध में माहिर है। वर्तमान में इसमें 2 बटालियन हैं। इसका रेजिमेंटल सेंटर अरुणाचल
प्रदेश में है।
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सिक्किम स्काउट्स (चिह्न - 11 गोरखा राइफल्स का प्रतीक) (गठन 2013)
यह सिक्किम राज्य से सम्बंधित रेजिमेंट है। 2013 में इसका गठन किया गया। 2015 में दूसरी बटालियन बनाई गई थी। यह सबसे कम
उम्र की रेजिमेंट है। यह सीमा रक्षा व पहाड़ युद्ध को समर्पित है। सिक्किम स्काउट
11 गोरखा राइफल्स के साथ जुड़ी हुई है और उनका
झंडा व प्रतीक चिह्न ही प्रयोग करती है। वर्तमान में इसमें 2 बटालियन हैं। इसका रेजिमेंटल सेंटर सिक्किम
में है।
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आर्मर्ड रेजिमेंट्स (बख्तरबंद सेना)
राष्ट्रपति के सुरक्षा गार्ड
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1 हॉर्स या स्किनर्स हॉर्स
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2 लैंसर्स
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3rd
कैवेलरी
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4 हॉर्स या हडसन्स हॉर्स
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5 आर्मर्ड रेजिमेंट
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6 लैंसर्स
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7 कैवेलरी
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8 कैवेलरी
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9 हॉर्स या डेक्कन हॉर्स
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10 आर्मर्ड रेजिमेंट
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11 आर्मर्ड रेजिमेंट
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12 आर्मर्ड रेजिमेंट
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13 आर्मर्ड रेजिमेंट
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14 हॉर्स या स्किन्ड हॉर्स
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15 आर्मर्ड रेजिमेंट
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16 कैवेलरी
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17 हॉर्स (डी पूना हॉर्स)
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18 कैवेलरी
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19 आर्मर्ड रेजिमेंट
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20 लैंसर्स
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सेंट्रल इंडियन हॉर्स
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40 आर्मर्ड रेजिमेंट
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41 आर्मर्ड रेजिमेंट
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42 आर्मर्ड रेजिमेंट
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43 आर्मर्ड रेजिमेंट
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44 आर्मर्ड रेजिमेंट
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45 कैवेलरी
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46 आर्मर्ड रेजिमेंट
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47 आर्मर्ड रेजिमेंट
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48 आर्मर्ड रेजिमेंट
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49 आर्मर्ड रेजिमेंट
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50 आर्मर्ड रेजिमेंट
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51 आर्मर्ड रेजिमेंट
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52 आर्मर्ड रेजिमेंट
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53 आर्मर्ड रेजिमेंट
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61 कैवेलरी
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62 कैवेलरी
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63 कैवेलरी
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64 कैवेलरी
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65 आर्मर्ड रेजिमेंट
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66 आर्मर्ड रेजिमेंट
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67 आर्मर्ड रेजिमेंट
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68 आर्मर्ड रेजिमेंट
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69 आर्मर्ड रेजिमेंट
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70 आर्मर्ड रेजिमेंट
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71 आर्मर्ड रेजिमेंट
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72 आर्मर्ड रेजिमेंट
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73 आर्मर्ड रेजिमेंट
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74 आर्मर्ड रेजिमेंट
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75 आर्मर्ड रेजिमेंट
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76 आर्मर्ड रेजिमेंट
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81 आर्मर्ड रेजिमेंट
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82 आर्मर्ड रेजिमेंट
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83 आर्मर्ड रेजिमेंट
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84 आर्मर्ड रेजिमेंट
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85 आर्मर्ड रेजिमेंट
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86 आर्मर्ड रेजिमेंट
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87 आर्मर्ड रेजिमेंट
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88 आर्मर्ड रेजिमेंट
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89 आर्मर्ड रेजिमेंट
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90
आर्मर्ड रेजिमेंट
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आर्टिलरी रेजिमेंट्स (तोपखाना रेजिमेंट)
140 एएडी (द स्काई लेन्सर्स)
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37 कुर्ग एंटी-टैंक रेजिमेंट RIA
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9 पैराशूट फील्ड रेजिमेंट
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11 फील्ड रेजिमेंट
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12 मीडियम रेजिमेंट
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15 मीडियम रेजिमेंट
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16 मीडियम रेजिमेंट
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34 मीडियम रेजिमेंट (कैसिनो)
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38 मीडियम रेजिमेंट
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40 फील्ड रेजिमेंट
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42 फील्ड रेजिमेंट (DBN)
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56 फील्ड रेजिमेंट (JITRA)
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61 मीडियम रेजिमेंट
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63 फील्ड रेजिमेंट
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70 फील्ड रेजिमेंट (सवियर्स)
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76 फील्ड रेजिमेंट
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80 फील्ड रेजिमेंट
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92 मीडियम रेजिमेंट
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99 फील्ड रेजिमेंट
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106 मीडियम रेजिमेंट
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161 फील्ड रेजिमेंट
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163 मीडियम रेजिमेंट
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168 फील्ड रेजिमेंट
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169 फील्ड रेजिमेंट (लोंगेवाला)
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172 फील्ड रेजिमेंट
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175 रेजिमेंट (फील्ड या मीडियम)
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191 फील्ड रेजिमेंट
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193 मीडियम रेजिमेंट
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195 फील्ड रेजिमेंट (बनवत)
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200 मीडियम रेजिमेंट
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216 मीडियम रेजिमेंट
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223 फील्ड रेजिमेंट
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228 मीडियम रेजिमेंट
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237 फील्ड रेजिमेंट
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253 मीडियम रेजिमेंट (माइटी)
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255 फील्ड रेजिमेंट
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274 फील्ड रेजिमेंट
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286 मीडियम रेजिमेंट
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298 फील्ड रेजिमेंट
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307 मीडियम रेजिमेंट
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311 फील्ड रेजिमेंट
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314 मीडियम रेजिमेंट
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315 फील्ड रेजिमेंट
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821
लाइट रेजिमेंट बॉम्बर्स
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3342
एमएसएल रेजिमेंट
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110 मीडियम रेजिमेंट
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279 साटा बैटरी
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91 फील्ड रेजिमेंट
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122
साटा रेजिमेंट
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125 साटा रेजिमेंट
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161 फील्ड रेजिमेंट
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861 रेजिमेंट (ब्लॉक I)
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862 रेजिमेंट (ब्लॉक II)
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863 रेजिमेंट (ब्लॉक II)
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864 रेजिमेंट (ब्लॉक III)
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170 मीडियम रेजिमेंट (वीआर)
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इंजीनियर समूह
इनको ब्रिटिश भारत की तत्कालीन प्रेसीडेंसियों में से प्रत्येक
सैपर और खान समूह में से गठित किया गया था।
मद्रास सैपर्स
इसका गठन 1780 में किया गया था। मद्रास इंजीनियर ग्रुप
(एमईजी), जिसे अनौपचारिक रूप से मद्रास सैपर्स के
नाम से जाना जाता है, भारतीय सेना के कोर ऑफ़ इंजीनियर्स का एक
इंजीनियर समूह है। मद्रास सैपर्स की उत्पत्ति ब्रिटिश राज की पूर्ववर्ती मद्रास प्रेसीडेंसी
सेना से हुई है। इस रेजिमेंट का मुख्यालय बेंगलुरु में है। मद्रास सैपर्स कोर ऑफ़
इंजीनियर्स के तीन समूहों में सबसे पुराने हैं।
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बंगाल सैपर्स
इसका गठन 1803 में किया गया था। यह अब भारतीय सेना के इंजीनियर्स
कॉर्प्स के अंतरगत है। बंगाल सैपर्स का रेजिमेंटल सेंटर उत्तराखंड में है। बंगाल
सैपर्स बेंगॉल प्रेसिडेंसी सेना की गिनी चुनी रेजिमेंटों में से है, जो 1857 की बग़ावत से बची रही।
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बॉम्बे सैपर्स
बॉम्बे इंजीनियर ग्रुप या बॉम्बे सैपर्स भारतीय सेना के कोर
ऑफ़ इंजीनियर्स की एक रेजिमेंट हैं। बॉम्बे सैपर्स का मूल ब्रिटिश राज के समय में
तत्कालीन बॉम्बे प्रेसिडेंसी से है। इसका रेजिमेंटल सेंटर महाराष्ट्र में है।
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