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Bollywood and Underworld: बॉलीवुड और अंडरवर्ल्ड की दुनिया के रिश्ते, ख़ूबसूरत बाज़ार और पैसों का क़ारोबार


अंडरवर्ल्ड और उसके गुंडे, जिन्हें ज़्यादातर तो मीडिया और उनके मैगजीन ने डॉन या भाई के नाम से ज़्यादा फ़ेमस किया, उनके रिश्ते यूँ तो राजनीति से ज़्यादा रहे। सिंपल सी बात है कि राजनीति से रिश्ते नहीं रहे होते, तो वे लोग बॉलीवुड की दुनिया पर अपना ख़ौफ़ जमा नहीं पाए होते। दूसरी तरफ़ बॉलीवुड और अंडरवर्ल्ड के बीच कुछ सुमधुर संबंध वाले क़िस्से देखकर ऐसा लगता है कि बॉलीवुड पर उन्हें ख़ौफ़ या धाक जमाने की ज़रूरत ही नहीं रही होगी!
 
यूँ तो अनेका अनेक क़िस्से या रिपोर्ट दर्शाते हैं कि अंडरवर्ल्ड वाली दुनिया के रिश्ते राजनीति और पुलिस व्यवस्था से जुड़े अधिकारीयों से भी रहे। ये रिश्ते बेहद गहरे रहे। ऐसे में केवल बॉलीवुड को उस नज़र से देखना कितना जायज़ है यह आपको सोचना है।
 
बॉलीवुड और अंडरवर्ल्ड, इन दोनों के बीच विवादित रिश्ते हो या सुमधुर रिश्ते हो, एक बात यह कही-लिखी जाती है कि एक ज़माना था जब फ़िल्म उद्योग अंडरवर्ल्ड पर ही निर्भर था। बॉलीवुड के लिए अंडरवर्ल्ड से हाथ मिलाना या फिर उनके पैरों के तले रहना, दोनों में से एक मजबूरी था। इस बात के पीछे कई सारी चीज़ों को वजह बताया जाता है। उन वजहों में राजनीति- पुलिस विभाग- पैसा- बाहुबल, जैसी चीज़ें आ जाती हैं। बॉलीवुड को अपना व्यवसाय करना था और अंडरवर्ल्ड उनके लिए मजबूरी था, यह तर्क तथ्यों के साथ अरसे से मौजूद है। इसमें सच्चाई का तत्व दिख भी जाता है।
 
दूसरी तरफ़, बॉलीवुड और अंडरवर्ल्ड के कुछ ऐसे क़िस्से हैं, जो दोनों के बीच सुमधुर संबंधों को उजागर कर जाते हैं। इन रिश्तों में मजबूरी वाला तत्व कम, बल्कि दूसरे द्दष्टिकोण ज़्यादा दिखते हैं। ऐसे रिश्तों में ख़ौफ़ या मजबूरी नहीं, किंतु दूसरे अवगुण ज़्यादा दिखते हैं। बॉलीवुड की चमक-दमक ऐसी थी कि अंडरवर्ल्ड उसकी तरफ़ खिंचता चला गया, उधर अंडरवर्ल्ड से रिश्ते रखना मजबूरी और फ़ैशन, दोनों बन चुका था।
 
अंडरवर्ल्ड पर निर्भर थी फ़िल्म इंडस्ट्री? गैंगस्टर को हीरो की तरह पेश करती फ़िल्में और क़ानून तोड़ने वाले को कहानी का नेता बनाना, अपराध को फ़ैशन बना कर पेश करने में किसका हाथ था?
बॉलीवुड से अंडरवर्ल्ड का रिश्ता बेहद पुराना है। सत्तर के दशक में मुंबई के अंडरवर्ल्ड पर राज करने वाले हाजी मस्तान से लेकर दाऊद इब्राहिम और अबु सलेम तक, हर गुंडा, जिसे हमारा मीडिया डॉन कहा करता है, बॉलीवुड की चमक-दमक की ओर खिंचता रहा है। 
कहा और लिखा जाता है कि लंबे समय तक अंडरवर्ल्ड का पैसा मुंबइया फ़िल्मों का हिस्सा रहा और उस पर आरोप लगे कि वह अपराध जगत की ऐसी तस्वीर नहीं दिखाता, जो असलियत के क़रीब हो। सच्ची कहानियों पर बनी कुछ फ़िल्मों ने कोशिश ज़रूर की, लेकिन उनकी गिनती अंगुलियों पर ही हो जाएगी। हर दूसरी या तीसरी फ़िल्म में कानून तोड़ने वालों की बात करने वाले हिन्दी सिनेमा में अंडरवर्ल्ड पर कुछ फॉर्मूला टाइप फ़िल्में ही दिखतीं। नाइंसाफ़ी, ग़रीबी और ज़ुल्म के शिकार नायक-नायिका का बंदूक उठाना पर्दे पर इतना वाजिब और स्वाभाविक बना कर पेश किया गया कि उनसे डर की बजाय हिम्मत और उत्साह का वातावरण बनता रहा। यह दौर बहुत लंबे समय तक क़ायम रहा।
 
भारतीय टेलीविज़न इतिहास के सबसे मशहूर धारावाहिक रामायण के प्रोड्यूसर रामानंद सागर के पुत्र ने बायोग्राफी एन एपिक लाइफ़: रामानंद सागर: फ्रॉम बरसात टू रामायण में लिखा है कि, दुबई के माफ़ियाओं की फ़िल्म इंडस्ट्री में दखलअंदाज़ी बढ़ती जा रही थी। फिरोज़ ख़ान की फ़िल्म कुर्बानी के ओवरसीज़ राइट्स का निपटारा माफ़िया ने ही करवाया था। न सिर्फ़ पापाजी बल्कि कई और दिग्गज फ़िल्म मेकर्स का मानना था कि बॉलीवुड का भविष्य अंधकार में है, क्योंकि दुबई में बैठे आक़ा लगातार फ़िल्म बिज़नेस को अपने कंट्रोल में करते जा रहे थे।
 
सीनियर फ़िल्म जर्नलिस्ट अजय ब्रह्मात्मज बताते हैं, "सबसे पहले सत्या में और फिर कई और फ़िल्मों में एक गैंगस्टर के प्यार, परिवार और दूसरे मानवीय पक्षों को दिखाया गया, जिसे मैं सही नहीं मानता। अपराध, अपराध होता है, उसके मानवीय पक्ष को उभारना ग़लत है।"
 
क्राइम और फ़िल्मी दुनिया से जुड़े लोगों के हवाले से अनेक जगहों पर लिखा गया है कि 90 के दशक में बॉलीवुड में अंडरवर्ल्ड का हस्तक्षेप आम बात थी। फ़िल्म इंडस्ट्री को तब इंडस्ट्री का दर्जा नहीं मिला था, और आज की तरह बैंक से क़र्ज़ लेने के बजाय फ़िल्मों में अमीर बिज़नेसमैन, बड़े प्रोड्यूसर्स या फिर अंडरवर्ल्ड का ही पैसा लगता था।
 

बॉलीवुड और अंडरवर्ल्ड का यह रिश्ता इतना गहरा और असरदार हो गया था कि महज़ फ़िल्म के कलाकार और किरदार ही नहीं, बल्कि कई बार अंडरवर्ल्ड डॉन भी कहानियाँ तय करने की मांग करते। हालाँकि ज़्यादातर मामलों में उन्होंने कंटेंट में दखल तभी दिया, जब किसी गैंगस्टर की इमेज जैसी कोई बात हुई। ब्रह्मात्मज ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि, फ़िल्मों में अगर खलनायक का कोई कैरेक्टर होता, तो उसे कैसे दिखाया जाए यह तय करने में अंडरवर्ल्ड की दखलंदाज़ी जारी थी। फ़िल्म के डिस्ट्रीब्यूशन से लेकर कमाई में अंडरवर्ल्ड का हिस्सा होता था।
 
संजय दत्त और ऐसे दूसरे अभिनेता सिर्फ़ फ़िल्मों में ही नहीं, असल ज़िंदगी में भी अंडरवर्ल्ड से जुड़े मिले! इसने दिखा दिया कि हिन्दी सिनेमा के पर्दे पर जितना अपराध दिखता है, मायानगरी की असल दुनिया में उसकी भूमिका उससे कहीं ज़्यादा है। संजय दत्त की गिरफ़्तारी या गुलशन कुमार की हत्या जैसी घटनाएँ तो महज़ शुरुआत थी। इसके बाद तो एक एक कर कड़ियाँ खुलती गईं, और नए नए नाम सामने आने लगे। लोगों को पता चलने लगा कि कलाकारों को काम सिर्फ़ हुनर और सफलता से नहीं, बल्कि अंडरवर्ल्ड के रिश्तों से भी मिलता है। नायक नायिका का ऑडिशन स्टूडियो में ही नहीं, अपराधियों के बंगलों पर भी होता है। हर गुज़रते दिन के साथ अंडरवर्ल्ड के कदमों की छाप गहरी होकर उभरती गई।
 
यह वो वक़्त था जब हिंदी फ़िल्मों को पैसों की ज़रूरत पूरी करने के लिए इधर उधर हाथ पसारना पड़ता था। उधर अंडरवर्ल्ड को कमाई के इस ख़ूबसूरत बाज़ार का शौक तो पहले से ही था। ज़रूरत के पता चलने और भारी मुनाफ़े की उम्मीद ने उनमें लगाव भी पैदा कर दिया। फिर शुरू हुआ दोनों की गलबहियों का दौर। कहीं बात से बात बनी, तो कहीं आपसी लेन देन से, और जहाँ दोनों काम न आया वहाँ डर ने अपना असर दिखाया। मायानगरी पर अपना दबदबा हासिल करने की फ़िराक़ में लगे अंडरवर्ल्ड को धमकी, जबरन वसूली, यहाँ तक कि हत्या से भी परहेज़ नहीं था। कैसेट किंग गुलशन कुमार की जान गई तो अनुपम खेर, हृतिक रोशन और कुछ दूसरे बड़े कलाकारों को पुलिस के पास सुरक्षा मांगने जाना पड़ा।
 
अंडरवर्ल्ड की पार्टियाँ फ़िल्मी सितारों से चमकने लगीं। अपराध की दुनिया को बॉलीवुड की कमाई और जगमगाती शोहरत, दोनों में हिस्सेदारी चाहिए थी। वैसे भी सितारों से नज़दीक़ी भारत में हर किसी को लुभाती है। अजय ब्रह्मात्मज कहते हैं, "फ़िल्मी सितारों के साथ उठना बैठना, चाहे राजनेता हों, अंडरवर्ल्ड, रसूख़ वाले हो या आम लोग, हर किसी को लुभाता है। जो दबाव डाल कर नहीं बुला सकते वो पैसे दे कर बुलाते और अंडरवर्ल्ड अपनी ताक़त के कारण जब चाहे हाथ मरोड़ कर बुला लेता।"
अपराध जब हद से आगे बढ़ा, तो उसके भी पाँव उखड़ने शुरू हुए। एक तरफ़ मुंबई बम धमाकों के बाद दाऊद और उसके गुर्गों को मुंबई छोड़नी पड़ी, तो दूसरी तरफ़ देश भर में फ़िल्म और अंडरवर्ल्ड के रिश्तों पर कड़ी प्रतिक्रिया देख सरकार और पुलिस को हरकत में आना पड़ा। बॉलीवुड के लेन देन पर निगाह रखी जाने लगी और सितारों के लिए ऐसे लोगों से पीछा छुड़ाना आसान होने लगा। सफलता के शॉर्टकट बिखरने लगे। फ़िल्म को उद्योग का दर्जा मिला और बैंकों ने क़र्ज़ देना शुरू कर दिया। नतीजा यह कि निजी देनदारों पर फ़िल्मकारों की निर्भरता ख़त्म हो गई या घट गई। इनकी बजाय उन लोगों की मुसीबतें बढ़ने लगीं, जो अंडरवर्ल्ड का पैसा इस्तेमाल कर रहे थे। मशहूर हीरा क़ारोबारी और फ़िल्म फाइनेंसर भरत शाह का भरी अदालत में कान पकड़ कर गवाही देना भला कौन भूल सकता है।
 
इस बीच एक नई-नवेली लड़की ने इन डॉनों के डर को मानने से इनकार कर दिया। 2001 में एक फ़िल्म आई। फ़िल्म का नाम था - चोरी चोरी चुपके चुपके। इस फ़िल्म में प्रीति जिंटा भी थीं। इस फ़िल्म के साथ बहुत सारे विवाद जुड़े। फ़िल्म के प्रोड्यूसर नाजीम रिज़वी और हीरा व्यापारी भरत शाह का अंडरवर्ल्ड कनेक्शन सामने आया। माफ़िया और बॉलीवुड से जुड़े इस मामले में कई एक्टरों के नाम सामने आए। बड़े बड़े हीरो ने अदालत में कुछ नहीं कहा, लेकिन अपने करियर का आगाज़ करने वाली प्रीति ने बयान दिया। प्रीति के इस बयान के बाद ही भरत शाह को गिरफ़्तार किया गया था।
 
ये वो दौर था, जब बॉलीवुड और अंडरवर्ल्ड के क़िस्से ख़ूब चलते थे। पर्दे पर अपने घर, गाँव या देश के सम्मान के लिए एक साथ अनेक को उड़ाने वाले हीरो माफ़िया डॉनों की पार्टी में नाचा करते थे! कई हीरोइनें कथित तौर पर डॉनों से जुड़ जातीं। कथित तौर पर कितनों के करियर बन जाते, कितनों के बिगड़ जाते। कोई इसे प्रमाणित नहीं कर सकता, पर हवा में इस बात की गंध ज़रूर थी।
 
त्रिदेव, मोहरा और गुप्त जैसी ब्लॉक बस्टर फ़िल्में बनाने वाले फ़िल्म निर्माता राजीव राय को 1997 में जान से मार देने की धमकी मिली थी, जिसके बाद उन्हें कुछ समय के लिए देश भी छोड़ना पड़ा था। वह दौर भी आया, जब गुलशन कुमार को बीच बाज़ार मार दिया गया। ऋतिक रोशन के पापा राकेश रोशन पर हमले हुए। बॉलीवुड से जुड़े अनेक लोगों को समय समय पर अब भी अंडरवर्ल्ड से धमकियाँ मिलती रहती हैं। अब गैंगस्टर रवि पुजारी या फिर लॉरेंस बिश्नोई का नाम सामने आने लगा है।
 
उन दिनों आए दिन मुंबई की सड़कों पर पुलिस और अंडरवर्ल्ड के अपराधियों की मुठभेड की ख़बरें 90 के दशक के अंत में आम हो गई थीं। इस दौरान एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक, विजय सालस्कर, प्रदीप शर्मा और सचिन वाजे जैसे नाम भी मुंबई पुलिस में उभरे। 90 के दशक में मुंबई पुलिस की सख़्ती के बाद दाऊद इब्राहिम और उसके गुर्गे मुंबई से भागकर दुबई पहुंच गए। इस बीच बॉलीवुड में अंडरवर्ल्ड की दखल कुछ कम ज़रूर हुई, लेकिन पूरी ख़त्म नहीं हो पाई। मुंबई के बजाय दुबई में दाऊद के दरबार में सितारों की महफ़िलें बदस्तूर सजती रहीं।


नई सदी की शुरुआत से थोड़ा पहले से ही एक बड़ा बदलाव देश की अर्थव्यवस्था भी ला रही थी, जिसमें 90 के दशक वाली उदारवाद की योजना के टॉनिक ने अब अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था। वाजिब तरीक़ों से पैसा कमाना आसान हो गया और मध्यमवर्ग का दायरा बढ़ने लगा। फ़िल्मों के लिए भी कमाई के नए रास्ते खुलने लगे। लगान फ़िल्म की सफलता के बाद विदेशों में फ़िल्में रिलीज़ होने लगीं और विदेशों में वितरण का अधिकार फ़िल्मों के लिए बड़े मौक़े ले कर आया। सिर्फ़ इतना ही नहीं, टीवी चैनलों की बाढ़ ने भी उनके लिए पैसे कमाने के रास्ते खोले और अब सचमुच बॉलीवुड को अंडरवर्ल्ड की ज़रूरत नहीं रह गई थी।
 
बॉलीवुड के अदाकार, जिनका अंडरवर्ल्ड से याराना प्रचलित हुआ
अंडरवर्ल्ड से किसी बॉलीवुड अदाकार का नाम सबसे ज़्यादा जुड़ा रहा तो वो है संजय दत्त का। मुंबई बम धमाको के मामले में भी उनका नाम चला और हथियारी धारा के तहत 5 साल की सज़ा भी सुनाई गई। ड्रग्स लेने के मामले से लेकर अवैध हथियारो के मामले तक, कई तथ्यात्मक कहानियाँ इनके साथ जुड़ीं।
संजय दत्त की तरह सलमान ख़ान का संपर्क भी अंडरवर्ल्ड के लोगों से रहा। यह जगज़ाहिर तब हुआ, जब सल्लू की एक फ़ोटो दाऊद इब्राहीम के साथ सामने आ गई। तस्वीर में सलमान दाऊद इब्राहीम के साथ दिखे थे।
 
हिंदी न्यूज़ वेबसाइट द लल्लनटॉप की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, महेश मांजरेकर की फ़िल्म कुरुक्षेत्र से जुड़ा हुआ एक क़िस्सा है। इस फ़िल्म की रिलीज़ के बाद संजय दत्त, महेश मांजरेकर, संजय गुप्ता और हरिश सुगंध, शिरडी मत्था टेकने गए थे। वहाँ से वापस आते समय ये लोग 14 दिसंबर, 2000 को नाशिक के एक होटल में रुके हुए थे। वहाँ से इन चारों ने दुबई बेस्ड छोटा शकील से फ़ोन पर बातचीत की। एक बार फिर से पुलिस को इंटरफ़ेयर करना पड़ा। लेकिन कर-कराके कुछ दिनों में ये सारा झोल ख़त्म हो गया था।
 
इस आर्टिकल में लिखा गया है कि एक और फ़िल्म कांटे अगस्त 2002 में रिलीज़ होनी थी, और इसी बीच जुलाई में उनकी बातचीत का वो टेप पुलिस ने सार्वजनिक कर दिया। वो टेप मीडिया में फैल गया। इस बातचीत में छोटा शकील बॉलीवुड में अंडरवर्ल्ड की धाक को कम करने की बात कहते सुना जा सकता था। संजय दत्त उसे फ़िल्म इंडस्ट्री की कुछ अंदर वाली ख़बरें बता रहे थे। साथ ही गोविंदा की शिकायत भी कर रहे थे। और महेश मांजरेकर उस गुंडे से उसकी कहानी मांगकर फ़िल्म बनाने की बात कह रहे थे!
 
टेप लीक के बाद हालत ये थी कि उसके डायरेक्टर से लेकर दो लीडिंग एक्टर्स (संजय और महेश) अंडरवर्ल्ड के साथ कनेक्शन में पकड़े गए थे। कांटेसाल की मोस्ट अवेटेड फ़िल्मों में से थी। वजह थी उसकी स्टारकास्ट। इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन, संजय दत्त, सुनील शेट्टी, महेश मांजरेकर, लकी अली और कुमार गौरव ने काम किया था।
 
बॉलीवुड के अभिनेता व अभिनेत्रियों के अंडरवर्ल्ड से रिश्तों के बावजूद उन अदाकारों की लोकप्रियता में ज़्यादातर तो उछाल ही देखने को मिला है! यह तथ्य समाज क्या सोचता है, क्या मानता है, क्या देखता है, इसके उपर रिसर्च करने का एक द्दष्टिकोण है। वैसे भी सोशल मीडिया पर सुबह सुबह जो सुविचार देखने को मिलते हैं, समाज सचमुच उन सुविचारों जैसा होता, तो फिर ऐसी कहानियाँ या ऐसे तथ्य बिखरे हुए न होते! वैसे भी यहाँ क्वालिटी नहीं कॉन्ट्रोवर्सी ही सक्सेस होती है!
 
डांस की अपनी अलग स्टाइल और अंदाज़ से हंसी के फव्वारों छो़ड़ने वाले गोविंदा। कोई सोच भी नहीं सकता की इनका रिश्ता ख़ून के फव्वारे उड़ाने वालों से होगा। उनकी एक तस्वीर मीडिया में आई थी, जिसमें वे दाऊद के साथ दिखे। इस पर गोविंदा ने कहा कि लाखों फ़ैन रोज मिलते हैं, किस किस को याद रखूँ, मैं दाऊद से मिला ऐसा मुझे याद नहीं।
 
झक्कास फेम!, जिनकी दूसरी पीढ़ी भी मैदान में है। एक ज़माने में अनिल को दाऊद के साथ दर्शक दीर्घा में देखा गया था। अभिनेता अनिल कपूर की तस्वीर भी दाऊद के साथ आ चुकी है।
 
जनवरी 2017 में बॉलीवुड स्टार ऋषि कपूर ने अपनी बायोग्राफी खुल्लम खुल्ला ऋषि कपूर अनसेंसर्डका विमोचन किया। अपनी बायोग्राफी में उन्होंने लिखा कि 1988 में दाऊद के साथ उनकी मुलाक़ात दुबई में हुई थी। ये मुलाक़ात तक़रीबन चार घंटे चली, जिसकी कुछ बातें अपनी बायोग्राफी में उन्होंने लिखीं। ऋषि कपूर आरडी तथा आशा का शो देखने उनके मित्र बिट्टू के साथ दुबई गये हुए थे। बकौल ऋषि, उस वक़्त दाऊद ने उन्हें चाय के लिये न्यौता भेजा था। ऋषि कपूर ने लिखा है कि दाऊद के साथ उनकी दूसरी मुलाक़ात दुबई के एक शॉपिंग सेंटर में 1989 में हुई थी।
 
बॉलिवुड अभिनेत्रियों के अंडरवर्ल्ड कनेक्शन
अनेका अनेक मीडिया लेख लिखते रहे हैं कि 1985 में 'राम तेरी गंगा मैली' से बॉलिवुड में अपनी ख़ास पहचान बनाने वालीं ऐक्ट्रेस मंदाकिनी भी दाऊद की मित्र हुआ करती थीं। क्रिकेट के मैदान पर दाऊद के साथ खड़ीं वह कई बार नज़र आईं। कुछ रिपोर्ट की मानें तो, मंदाकिनी तिब्बत में योग जैसे काम में बिज़ी हैं और दलाई लामा की फ़ॉलोअर बन चुकी हैं।
मीडिया आर्टिकल्स की माने तो, मोनिका बेदी और अबू सलेम के बीच कई सालों तक रिश्ता रहा और उसने मोनिका को फ़िल्मों में काम भी दिलवाया। दोनों कई वर्षों तक पुर्तगाल में साथ रहे। सलेम से उसके रिश्ते ने मोनिका को बॉलीवुड में कई फ़िल्में दीं। लेकिन इस रिश्ते का अंत अच्छा नहीं हुआ। दोनों को पॉर्टूगीस में गिरफ़्तार किया गया। जहाँ एक तरफ़ मोनिका आज आज़ाद हैं, वहीं अबु अब भी जेल की सलाख़ों के पीछे है।
 
कहते हैं कि ममता कुलकर्णी दाऊद के साथी रहे छोटा राजन की मित्र थीं, जिसके कारण उनके लिए बॉलीवुड में पैर जमाना आसान हो गया। तिरंगा, क्रांतिवीर, करन-अर्जुन, क़िस्मत और चाइना गेट जैसी कई हिट फ़िल्मों में काम कर चुकी ममता कुलकर्णी अचानक ही बॉलीवुड से ग़ायब हो गई थीं।


बॉलीवुड से दूर होने के बाद ममता ने ड्रग स्मगलर विक्रम गोस्वामी से शादी कर ली थी। बाद में ड्रग्स की तस्करी के आरोप में वह ड्रग माफ़िया विक्रम गोस्वामी के साथ गिरफ़्तार हुई। हालाँकि, यह भी पढ़ने को मिलता है कि दाऊद ने ममता के पति विक्रम गोस्वामी को गिरफ़्तार करवा दिया था, क्योंकि वो छोटा राजन का बिज़नेस संभाल रहा था, और उन दिनों दाऊद और छोटा राजन के रिश्ते ख़राब हो चुके थे।
 
फ़िलहाल ममता केन्या में अपने पति विक्रम गोस्वामी के साथ रहती हैं। 28 मार्च 2017 के दिन स्पेशल कोर्ट ने ड्रग्स मामले को लेकर ममता कुलकर्णी के ख़िलाफ़ ग़ैर ज़मानती वारंट इश्यू किया था। जुलाई 2017 के दौरान ममता कुलकर्णी और विक्रम गोस्वामी को भगोड़ा घोषित किया गया।
 
पाकिस्तान की अभिनेत्री अनीता अय्यूब ने बॉलीवुड में तो कोई ख़ास कमाल नहीं किया, लेकिन दाऊद इब्राहिम से इनकी ख़ूब नज़दीक़ी रही। कहा जाता है कि प्रोड्यूसर जावेद सिद्दीकी को दाऊद के गुर्गे के मौत के घाट उतारने की वजह भी उनका अनीता को एक फ़िल्म में ना लेना था।
 
इंडस्ट्री का तमगा पाने के बाद भी बॉलीवुड के अंडरवर्ल्ड से रिश्ते क़ायम हैं?
न्यूज़ 18 हिंदी की एक रिपोर्ट बताती है कि 2015 में दुबई के एक आलीशान फ़ाइव स्टार होटल में पार्टी हुई। इस होटल का नाम है मेडैन होटल, जो कि दुबई के अल शबा इलाके में है। इस हाई प्रोफ़ाइल पार्टी के आयोजक दाऊद के ख़ासमख़ास लोग ही थे। इस पार्टी में बॉलीवुड के भी कुछ सितारे शामिल हुए थे। ये सितारे दुबई में अपनी नई फ़िल्म का प्रमोशन करने पहुंचे थे। इन सितारों में एक तो बॉलीवुड का बहुत बड़ा स्टार भी शामिल था। होटल मेडैन में हुई इस पार्टी से एक बार फिर ये साबित हो गया कि अंडरवर्ल्ड और बॉलीवुड के रिश्ते अभी भी क़ायम हैं। अब तो मजबूरी वाला तत्व था नहीं!
रिपोर्टे के मुताबिक़, दुबई की इस शानदार पार्टी में मोस्ट वांटेड अपराधी दाऊद इब्राहिम ख़ुद तो मौजूद नहीं था, लेकिन उसके परिवार का एक शख़्स इस पार्टी का विशेष मेहमान था। पार्टी के दौरान आयोजक के फ़ोन की घंटी बजी। फ़ोन करने वाले शख़्स ने कहा, मैं छोटा शकील बोल रहा हूँ। पुलिसिया जाँच के दौरान छोटा शकील के फ़ोन रिकॉर्ड से इस बात का खुलासा हुआ था। बॉलीवुड सुपरस्टार के रूम के बगल में एक और रूम बुक कराए जाने की कॉल में बात हुई। कॉल पर कहा गया कि ये हाज़ी साहब का हुक्म है। मीडिया लिखता है कि दाऊद अपने क़रीबियों के बीच हाज़ी साहब के नाम से जाना जाता है। छोटा शकील ने कहा कि इस पार्टी में हाज़ी साहब के बेटे मोइन और उनकी बहू सानिया भी पार्टी में आएंगे।
 
मोइन और सानिया को सीधे बॉलीवुड सुपरस्टार के कमरे में ले जाने को कहा गया। साथ ही ये भी कहा गया कि सुपरस्टार के साथ मोइन और सानिया की फ़ोटो खिंचवाई जाए। आयोजक ने शकील से वादा किया कि वो हर हाल में मोइन और सानिया को सुपरस्टार से मिलवाएगा। मोइन और सानिया की शादी 2011 में हुई थी। सानिया के पिता पाकिस्तानी मूल के हैं और ब्रिटेन के बड़े क़ारोबारी हैं। शादी के बाद मोइन और सानिया ज़्यादातर वक़्त लंदन में ही बिताते हैं।
 
फ़िल्मी रिपोर्टर और क्राइम रिपोर्ट की माने तो, भारत स्थित हो या भारत के बाहर हज़ारों मील दूर स्थायी अंडरवर्ल्ड हो, फ़िल्म इंडस्ट्री से जुड़ी हर ख़बर पर उसकी पैनी नज़र रहती है। कहा जाता है कि अंडरवर्ल्ड वाले अभी भी बॉलीवुड की फ़िल्मों में करोड़ों-अरबों रुपये लगाते हैं। बॉलीवुड में डी-कंपनी और दूसरे अंडरवर्ल्ड गुंडों का नाम सामने आता रहता है। दावा तो यहाँ तक है कि आज भी अंडरवर्ल्ड के दबाव में कलाकारों को फ़िल्मों में काम मिलता है, या उन्हें फ़िल्म से निकाला जाता है और फ़िल्म के ओवरसीज़ राइट्स से लेकर डिस्ट्रीब्यूशन तक में अंडरवर्ल्ड का दखल रहता है।
 
मुंबई पुलिस और जाँच एजेंसियों के हवाले से लिखा जाता रहा है कि बॉलीवुड में अंडरवर्ल्ड या डी कंपनी का कोई रोल नहीं है, लेकिन फ़िल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को आए दिन अंडरवर्ल्ड के धमकी भरे फ़ोन आते रहते हैं। कुछ पुलिस में शिकायत कराते हैं, तो कुछ ख़ामोश रह जाते हैं।
 
ड्रग तस्करों से लेकर दूसरे ग़ैरक़ानूनी व्यवसायियों के साथ बॉलीवुड के नज़दीक़ी संबंध? पनामा से लेकर पैराडाइज़ पैपर्स तक में इनके नाम चमकते रहे!
अंडरवर्ल्ड अब पहले जैसा नहीं रहा। मतलब कि उनके धंधे के तौर-तरीक़े बदल चुके हैं। इस हिसाब से सत्तर के दशक से जोड़कर अंडरवर्ल्ड को देखा-समझा नहीं जाता। कुछ ख़बरों की माने तो, आजकल व्हाइट कॉलर बिज़नेस में भी अंडरवर्ल्ड शामिल है! हत्या, फिरौती, धमकी को पीछे छोड़कर अंडरवर्ल्ड दूसरे सफ़ेदपोश व्यवसायों में शामिल है! व्यवसाय भले सफ़ेद हो, किंतु काम तो उसी ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से ही होता है। 
विदेशों में काला धन छिपाने वालों की अंतरराष्ट्रीय सूची वाला पनामा पैपर्स तथा पैराडाइज़ पैपर्स मामला सभी को शायद अब भी याद हो। बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन सूची में शामिल हो ही जाते हैं! इनका नाम पनामा से लेकर पैराडाइज़ तक में है!
 
यूँ तो पनामा और पैराडाइज़ में दुनिया भर के बड़े बड़े नाम थें। किंतु बॉलीवुड की बात करें तो, इसमें अमिताभ बच्चन के अलावा ऐश्वर्या राय बच्चन, अजय देवगन, मान्यता दत्त उर्फ़ दिलनशीन जैसों के नाम इस दौरान बाहर आए थे।
 
वैसे तो बॉलीवुड चमकदमक का उद्योग है। यहाँ बन रही फ़िल्मों में समाज को कई संदेश दिए जाते हैं। अच्छा और बुरा, दोनों यहाँ बहुत पहले से स्थायी है। ऐसा नहीं है कि ड्रग्स सिर्फ़ बॉलीवुड की समस्या है और समाज के बाकी वर्गों का ड्रग्स से कोई लेना देना नहीं है। ये समस्या हर जगह है।


ड्रग्स के अलावा जिस्मफ़रोशी जैसे अनैतिक व्यवसायों के साथ अभिनेत्रियों तक के नाम जुड़ते रहे हैं। श्वेता प्रसाद बसु, भुवनेश्वरी, ऐश अंसारी, शर्लिन चोपड़ा, संगीता बालन, सायरा भानु, आरती मित्तल, जैसी कई अभिनेत्रियों के नाम जुड़े, जिनमें से श्वेता बसु समेत कईयों को क्लीन चीट मिल चुकी हैं। जुलाई 2021 में अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा को अश्लील फ़िल्म निर्माण के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था।
 
ड्रग्स और ड्रग्स तस्करों के साथ कई बॉलीवुड कलाकार के रिश्ते सामने आते रहे हैं और इससे जुड़े कई अपराध या घटनाएँ आती-जाती रहती हैं। 2016 में महाराष्ट्र के सोलापुर से ड्रग्स का बड़ा जत्था पकड़ा गया। बॉलीवुड में ड्रग्स का बड़ा रैकेट सामने आया। ममता कुलकर्णी और उसके मित्र विक्रम गोस्वामी के नाम भी सामने आए। जाँच करने वाले अधिकारियों के हवाले से मीडिया ने दावा किया कि अस्सी-नब्बे के दशक में काम करने वाले कई नामी कलाकार भी इसमें शामिल हो सकते हैं। जाँच अधिकारियों ने एक टेलीवुड अभिनेत्री तथा बॉलीवुड के एक बड़े हास्य कलाकार के शामिल होने की तरफ़ इशारा किया।
 
इस मामले में जय मुखी तथा किशोर राठौड़ के नाम सामने आए थे। उन दिनों जय मुखी ड्रग्स माफ़िया के तौर पर जाना जाता था, जबकि किशोर राठौड़ गुजरात कांग्रेस के एक नेता के पुत्र बताए गए। सामने आया यह मामला बॉलीवुड और ड्रग्स तस्करों के बीच मेफेड्रोन ड्रग्स की हैराफेरी करने की योजना को लेकर था।
28 अक्टूबर 2016 में राजस्थान के उदयपुर के राजसमंद से एक ड्रिंक फैक्ट्री से 3000 करोड़ का ड्रग्स ज़ब्त किया गया। इस अभियान को डीआरआई टीम ने बीएसएफ के सशस्त्र जवानों की मदद से अंजाम दिया था। इस मामले में फ़िल्म प्रोड्यूसर सुभाष दुदानी को मुंबई एयरपोर्ट से गिरफ़्तार किया गया। इस अभियान की जाँच के दौरान दावा किया गया था कि पाँच हज़ार करोड़ का ड्रग्स गुजरात के अदानी मुंद्रा, पीपावाव तथा कांडला बंदरों से यूएस और साउथ आफ्रिका की तरफ़ पहले ही भेज दिया गया था!
 
शाहरुख ख़ान के बेटे आर्यन ख़ान की ड्रग्स केस में गिरफ़्तारी के बाद एक बार फिर से बॉलीवुड और ड्रग्स की काली दुनिया के बीच नापाक रिश्ते की चर्चा शुरू हो गई। हालाँकि यह मामला कथित रूप से भ्रष्टाचार और क़ानूनी अधिकारों के दुरुपयोग से जुड़ा और जाँच अधिकारी समीर वानखेड़े कटघरे में खड़े नज़र आए।
 
फ़िल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जाँच नशे की अंधेरी दुनिया तक पहुंची थी। संजय दत्त, ममता कुलकर्णी, कंगना रनौत, फ़रदीन ख़ान, प्रतीक बब्बर, हनी सिंह, रणबीर कपूर, गीतांजलि नागपाल, विजय राज, रिया चक्रवर्ती, अरमान कोहली, एजाज़ ख़ान, गौरव दीक्षित, मशहूर कॉमेडियन भारती सिंह और उनके पति हर्ष लिंबाचिया, रकुल प्रीत सिंह, अर्जुन रामपाल, सारा अली ख़ान, दीपिका पादुकोण, सिद्धार्थ कपूर, श्रद्धा कपूर, जैसे कई फ़िल्मी सितारे ड्रग्स के चंगुल में फंसने की कहानी दुनिया को बता चुके हैं या फिर इनमें से अनेक के नाम नशे की दुनिया से जुड़े हैं।
 
बॉलीवुड में ड्रग्स के मामलों ने कई बार तूल पकड़ा है, हालाँकि आधिकारिक तौर पर किसी तरह की गंभीर जाँच में कुछ साबित नहीं हुआ है। वैसे फ़िल्म जगत की कुछ हस्तियों को ड्रग्स के चलते जेल जाना पड़ा है, तो कई हस्तियों ने ड्रग्स रिहैबिलिटेशन में अपना इलाज करवाया है।
 
यूँ तो वक़्त बदला, साल बदले, चेहरे बदले, हाल बदले। न किसी ग़ैर क़ानूनी व्यापार का क़ारोबार कम हुआ, न इनके साथ जुड़े लोग कम हुए, न इसकी चपेट में आने वाले युवाओं की तादाद घटी। चाहे बॉलीवुड हो, राजनीति हो, खेल हो या हम आम नागरिक हो, जिसकी जितनी औक़ात, उतने तक तो पर सभी ने फैलाए हैं!
 
एक शेर है कि,
मुजरिम ना कहना मुझे दोस्तों, मुजरिम तो सारा ज़माना है,
पकड़ा गया वो चोर है, बाकी जग सियाना है। 
(इनसाइड इंडिया, एम वाला)