लास्ट अपडेट अक्टूबर
2019
पहले ख़बरें प्रमाणित
हैं या नहीं यह जाँचने हेतु न्यूज़ चैनल देखे जाते थे, आजकल न्यूज़ वालों
की ख़बरों में कितना दम है यह जाँचने किसी दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाना पड़ता है! फ़ेक न्यूज़, अविश्वसनीय दावे या भ्रमित करने वाली ख़बरों को लेकर बड़े से बड़े ग्रंथ लिखे
जा सकते हैं। फ़ेक न्यूज़ क्यों फैलाए जाते हैं, कौन फैलाते हैं, कब फैलाते हैं, उससे क्या फ़ायदे या नुक़सान होते हैं, बहुत लंबा लिखा जा सकता है। उसे हमने एक दूसरे संस्करण "World of Fake News: फ़ेक ख़बरों का जंगल..." में विस्तृत रूप से देखा।
मीडिया स्वयं ही अब
फ़ेसबुकिया-व्हाट्सएपिया बनकर काम करने लगा है। फ़ेक न्यूज़ और मीडिया, इसके संबंध में हम
तीसरे संस्करण की तरफ़ आगे बढ़ते हैं।
अरविंद केजरीवाल पर
लगे रिश्वत के आरोप, मीडिया चैनलों द्वारा दिखाई गयी ख़बरों की समीक्षा, आरोप लगने के समय
और आरोप से मुक्ति की ख़बरों के समय मीडिया का अंदाज़
7 मई 2017 का दिन था। उस दिन टीवी चैनलों के न्यूज़ रूम में गहमा गहमी थी। आम आदमी पार्टी
के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाया
था कि उन्होंने केजरीवाल को सत्येंद्र जैन से 2 करोड़ रुपये लेते देखा।
ख़बर सनसनीखेज़ ज़रूर
थी। सीएम केजरीवाल पर घर से ही आक्रमण हुआ था। फिर तो टीवी चैनलों के बीच केजरीवाल
और उनकी पार्टी पर बेलगाम आक्रमण करने की होड़ लग गई। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जन्म
लेने वाली और सत्ता तक पहुँचने वाली पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर घर से ही भ्रष्टाचार
का आरोप लगा था। उधर मीडिया में केजरीवाल को आरोपी साबित करने की होड़ एंकरों की बहसों
में दिखाई देने लगी।
इन दिनों भाजपा या
कांग्रेस, सभी नेता पर आरोप लगते रहे थे, लेकिन एंकरों का ऐसा उत्साह इसी मसले पर देखने को मिला। इस भयंकर उत्साह वाली
मीडियाई रेस के एक साल बाद, टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने इसकी सूचना दी कि, "सीबीआई ने शिकायत के आधार पर केजरीवाल के ख़िलाफ़ जाँच की थी, लेकिन इसमें कोई तथ्य
नहीं मिले; इसलिए औपचारिक जाँच शुरू नहीं हुई। सीबीआई की पूछताछ के आधार पर लोकायुक्त ने
भी मामला बंद कर दिया है।"
एक अन्य रिपोर्ट से
पता चला कि दिल्ली के लोकायुक्त ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नाम जाँच से हटा
दिया था, लेकिन अभी तक मामला बंद नहीं हुआ था और सीबीआई ने कहा था कि उसने कभी भी प्रारंभिक
जाँच शुरू ही नहीं की थी।
फ़ेक न्यूज़ को पकड़ने
वाली साइट ऑल्ट न्यूज़ ने उन दिनों का विस्तृत विश्लेषण पेश किया, जिसे संक्षेप
में नीचे लिखा गया है। दिल्ली के सीएम पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे उस समय की एकरिंग
तथा एक साल बाद की एकरिंग का फ़र्क़, यह चीज़ भारतीय मीडिया की विश्वसनीयता को हानि पहुँचा गई।
रिपब्लिक टीवी
रिपब्लिक टीवी 6 मई 2017 को लॉन्च हुआ था और
7 मई 2017 को कपिल मिश्रा ने
अरविंद केजरीवाल के ख़िलाफ़ यह आरोप लगाया। ऐसे मौक़े पर अर्नब गोस्वामी का अपने उत्साह
को नियंत्रित कर पाना बेहद ही मुश्किल था। उन्होंने केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को
कोसने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ा। उनके चैनल ने सिर्फ़ एकतरफ़ा आरोपों के आधार पर #IsKejriCorrupt और #ArvindGate जैसे हैशटैग को दिन-रात
चलाया। वे चाहते थे कि केजरीवाल इस्तीफ़ा दें और यहाँ तक कि रिपब्लिक टीवी ने इस मुद्दे
पर एक ऑनलाइन मतदान भी चलाया। केजरीवाल की हर गतिविधियों को ट्रैक करने में व्यस्त
रहे और बड़े उल्लासपूर्वक ट्वीट करते रहे। इस न्यूज़ के महीनों बाद तक, रिपब्लिक टीवी ने
कपिल मिश्रा को कवर करना जारी रखा और #AAPDonationgate,
#AAPSundayDrama and #KejriCorruptionCharge, #KejriCorruptionCharge जैसे कई हैशटैग चलाते रहे। लेकिन एक साल बाद की स्टेटस रिपोर्ट पर उनकी रिपोर्ट
में वो उत्साह नहीं था।
टाइम्स नाउ
आरोपों पर टाइम्स नाउ
का कवरेज भी रिपब्लिक टीवी के जैसा ही चला। आप और केजरीवाल चैनल के पसंदीदा टीआरपी
बढ़ाने वाले मुद्दे देखे गए और उन्होंने #आप_के_टुकड़े, #AAPKaSach, #AAPKaGhotala, #KejriKaKalaSach और #KejriwalKiSafai जैसे हैशटैग ख़ूब चलाए। टाइम्स नाउ ने "सबसे बड़ा आरोप" लगाते हुए यह
कहा कि देश जानना चाहता है कि क्या केजरीवाल ने रिश्वत ली थी? रिपब्लिक टीवी की
तरह, टाइम्स नाउ ने भी यह न्यूज़ चलाई कि, "क्या केजरीवाल अब इस्तीफ़ा देंगे?" अगले कुछ महीनों तक टाइम्स नाउ न्यूज़ चैनल ने भी कपिल मिश्रा को बहस में बुलाना
जारी रखा, जिसमें #KejriwalCheatedDelhi और #AAPKaKyaHoga जैसे हैशटैग ख़ूब चलाए गए।
इंडिया टुडे
कपिल मिश्रा के आरोपों
का इंडिया टुडे ने भी व्यापक कवरेज किया। हालाँकि उनके कवरेज में रिपब्लिक टीवी और
टाइम्स नाउ जैसा हो हल्ला नहीं दिखा, लेकिन चैनल ने ऑनलाइन मतदान द्वारा लोगों से पूछा कि क्या वे इन आरोपों पर विश्वास
करते हैं? सिर्फ़ एक दिन में 7 मई को, इस मुद्दे पर चैनल ने 18 बार ट्वीट किया था। इंडिया टुडे के मुताबिक़ यह एक #KejriBribeBomb था जो फूट गया।
सीएनएन न्यूज़ 18
"2 करोड़ का डोनेशन घोटाला" - सीएनएन न्यूज़ 18 पर भी यह ख़बर इस
तरह ब्रेक की गई। चैनल ने पूरे मुद्दे को व्यापक रूप से कवर किया, लेकिन उनका हैशटैग
#HeatOnAAP निष्पक्ष था।
एनडीटीवी
एनडीटीवी का कवरेज
भी व्यापक था, लेकिन बिना किसी सनसनीखेज़ हैशटैग के। हालाँकि चैनल ने न केजरीवाल के इस्तीफ़े
की बात की और न हो-हल्ला वाली बहस की, लेकिन कपिल मिश्रा काफी दिनों तक चैनल के हेडलाइंस में बने रहे।
ज़ी न्यूज़
ज़ी न्यूज़ ने भ्रष्टाचार
के आरोपों पर अपने कार्यक्रम DNA में चलाया कि, "क्या भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ रहे अरविंद केजरीवाल भ्रष्ट हो गए?"
आरोप लगने के बाद पार्टी
पर हिंदी समाचार चैनलों द्वारा लगातार हमला किया गया। यह एक प्रकार से मीडिया ट्रायल
जैसा था। इस्तेमाल की जाने वाली शब्दावली अप्रत्यक्ष रूप से आरोप लगाने वाली थी। न्यूज़
एंकर कटाक्ष करते हुए न्यूज़ पढ़ रहे थे और ऐसा प्रतीत हो रहा था कि न्यूज़ एंकरों ने
तो सीबीआई जाँच से पहले ही केजरीवाल को दोषी ठहरा दिया था। लेकिन जब एक साल बाद लगभग
लगभग क्लीन चिट का दौर आया, हो-हल्ला मचाने वाले चैनल क़रीब क़रीब शांत ही दिखे।
टाइम्स नाउ और कई कन्नड़
चैनलों ने चुनाव आयोग से पहले ही चुनाव के तारीख़ों की घोषणा कर दी
"कर्नाटक में 12 मई 2018 को मतदान होगा। गिनती 18 मई 2018 को होगी।" 27 मार्च 2018 की सुबह 11-08 बजे भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने यह ट्वीट किया था। मुख्य चुनाव आयुक्त
ओपी रावत के 11-23 (सुबह) बजे घोषणा करने से पहले कर्नाटक चुनाव के तारीख़ों को मालवीय द्वारा ट्वीट
करने पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद पत्रकारों को झटका लगा।
मालवीय कर्नाटक चुनाव
के तारीख़ों की घोषणा को ट्वीट करने में अकेले नहीं थे। कर्नाटक कांग्रेस सोशल मीडिया
के प्रभारी श्रीवत्स ने भी उसी समय ट्वीट किया था, लेकिन उनके ट्वीट ने ज़्यादा ध्यान नहीं खींचा। दोनों ने बाद
में अपने ट्वीट डिलीट कर लिए।
मालवीय के ट्वीट ने
सोशल मीडिया पर विवाद खड़ा कर दिया और कई यूज़र्स ने आक्रोश के साथ चुनाव आयोग की निष्पक्षता
और प्रक्रिया पर सवाल किए। जब मालवीय से पूछा गया कि चुनाव आयोग की घोषणा से पहले उन्हें
तारीख़ों की जानकारी कैसे मिली, तो मालवीय ने दावा किया कि यह ख़बर Times
Now पर आई थी। श्रीवत्स ने भी दावा किया कि उन्हें इस ख़बर की जानकारी
स्थानीय और नेशनल मीडिया समाचार चैनलों से मिली थी।
ऑल्ट न्यूज़ ने Jio App और Yupp TV का इस्तेमाल कर लाइव टीवी प्रोग्राम की जाँच की तो पता चला कि Times
Now ने सच में अमित मालवीय से पहले यह घोषणा कर दी थी! Times Now ने जब इस ख़बर का प्रसारण किया था, तब समय 11:06/11:07am हो रहा था। मालवीय और श्रीवत्स का Times
Now के बाद ट्वीट करने वाला दावा वास्तव में सच था। Times Now ने भी चुनाव आयोग
की घोषणा के पहले ट्वीट किया था! Times Now ने बाद में इस ट्वीट
को हटा लिया था।
इस जानकारी को लीक
करने में Times Now अकेला नहीं था। कई कन्नड़ समाचार चैनलों जैसे - TV9 Karnataka, BTV, TV5 Kannada और Suvarna News ने उसी समय के आसपास चुनाव के तारीख़ों की जानकारी प्रसारित की थी!
मुख्य चुनाव आयुक्त
को जब प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों ने सूचित किया कि भाजपा आईटी सेल हेड ने पहले
ही तारीख़ों का एलान करते हुए ट्वीट कर दिया था, तो उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और आश्वासन दिया कि
इस लीक की जाँच की जाएगी और उचित क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह ना पूछे कि ट्वीट
करने वाले व्यक्तियों या न्यूज़ चैनलों के विरुद्ध कौन सी सख़्त कार्रवाई की गई। हमारे
यहाँ एलान होते हैं, अंजाम का पता करने का चलन नहीं है।
आज तक तथा एबीपी न्यूज़
ने झारखण्ड राज्यसभा चुनाव के परिणाम में ग़लत रिपोर्टिंग की, आप पार्टी के विधायकों
से जुड़े लाभ के पद मामले में भी न्यायालय के फ़ैसले की ग़लत रिपोर्टिंग हुई
"झारखण्ड से अच्छी ख़बर आ रही है बीजेपी के लिए, क्योंकि बीजेपी के दो राज्यसभा उम्मीदवार जीत गए हैं"
- आज तक ने राज्यसभा चुनाव पर स्पेशल रिपोर्ट में यह घोषणा कर दी थी। आज तक की ये ख़बर
झूठी साबित हुई, क्योंकि वहाँ कांग्रेस और भाजपा, दोनों ने एक-एक सीट जीती थी।
वैसे एक व्यस्त न्यूज़
रूम में गलतियाँ होती हैं, ख़ास कर तब, जब आप कोई ख़बर सबसे पहले दिखाने की होड़ में रहते हैं। आज तक की 6 घंटों के अंदर यह
दूसरी ग़लती थी! इससे पहले आज तक ने आप के विधायकों से जुड़े
लाभ के पद मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के फ़ैसले की भी ग़लत रिपोर्टिंग की थी!
वास्तव में आज के दौर
में ब्रेकिंग न्यूज़ मॉडल में तथ्य-जाँच की कोई जगह नहीं बची है। ऐसा लगता है, जैसे समाचार देने
में सबसे पहला बनने के दबाव में आधिकारिक स्रोतों से ख़बरों की पुष्टि और जाँच किए
बगैर ही रिपोर्ट की जाती है। अभी के समय में जिस तरह नकली समाचार फ़ैल रहे हैं, मीडिया भी इसमें जमकर
अपना योगदान दे रहा है! ख़बरों के सत्यापन
का चलन गायब हो चुका है! सबसे तेज़ ख़बरों
के चक्कर में ख़बरों के सत्यापन और सटीकता का नज़रिया अब बचा नहीं है।
मुख्यधारा के कई मीडिया
हाउस ने आप विधायकों के ऊपर दिल्ली हाईकोर्ट के फ़ैसले की ग़लत रिपोर्टिंग की थी! ब्रेकिंग न्यूज़ के चक्कर में फिर एक बार फ़र्ज़ी ख़बर दिखाई गई! लाभ के पद मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से फ़ैसला आने वाला था। सबसे पहले ख़बर पहुँचाने
की होड़ में रिपब्लिक टीवी, इंडिया टुडे, आज तक, टाइम्स नाउ और इंडिया टीवी ने इसके बारे में ग़लत ख़बर दी।
इंडिया टुडे ग्रुप
के आज तक चैनल ने झूठी घोषणा कर दी कि दिल्ली हाईकोर्ट ने आप के 20 विधायकों को अयोग्य
घोषित कर दिया है। आज तक के लाइव वीडियो में हास्यास्पद रूप से यह कहा गया कि अरविंद
केजरीवाल को बड़ा झटका लगा और इस ख़बर पर चर्चा शुरू कर दी गई। एंकर ने लाइव वीडियो
में बाद में जाना कि असली ख़बर कुछ और है। आज तक की अंजना ओम कश्यप ने कहना शुरू किया
कि आप के 20 विधायक अयोग्य करार दे दिए गए हैं। अंजना ओम कश्यप दहाड़ कर कहने लगी कि हाईकोर्ट
की तरफ़ से बड़ी खब़र सबसे पहले आज तक पर, दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, जिसमें आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को कोई राहत नहीं दी गई है, उनकी याचिकाएँ ख़ारिज कर दी गई हैं।
इस ख़बर में एक हास्यास्पद
मोड़ तब आया जब चैनल को एहसास हुआ कि दिल्ली हाईकोर्ट ने ठीक इससे विपरीत फ़ैसला सुनाया
है और उन्होंने ज़ल्दबाजी में जो भी जानकारी दी थी वो ग़लत है। चेनल झूठा साबित हुआ
तो एंकर ने एक दूसरा ही हास्यास्पद दावा कर दिया। एंकर ने कहा कि, "दरअसल यह ख़बर अब पूरी
तरह से पलट गयी है। आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को बहुत बड़ी राहत मिल गई है और इसकी वजह से जो पहले ख़बर थी वो ग़लत
साबित हुई है। आज तक पर ख़बर जो हमने पहले आपको दिखाई थी, माफी के साथ दरअसल
कोर्ट से बहार फ़ैसला आते-आते वो बदल गया है।"
इंडिया टुडे ने भी
इस झूठी ख़बर को 2-24 बजे ट्वीट किया था। "आप के विधायकों को अयोग्य घोषित किया, अरविंद केजरीवाल के
लिए बड़ा झटका" - रिपब्लिक टीवी ने भी ऐसा ट्वीट किया था, जबकि वास्तव में दिल्ली
हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी के विधायकों को राहत दी थी। टाइम्स नाउ ने भी इसी तरह ख़बर
चलाई थी कि आप के 20 विधायकों को कोई राहत नहीं। इंडिया टीवी ने भी ट्वीट किया था कि दिल्ली हाईकोर्ट
ने आप के 20 विधायकों को अयोग्य करार दिया है। एएनआई ने भी 2 बजकर 28 मिनट पर दिल्ली हाईकोर्ट
के फ़ैसले की ग़लत ख़बर प्रसारित कर दी थी।
कुछ महीने पहले भारतीय
मीडिया के कुछ हिस्सों ने लालू यादव को दोषी ठहराए जाने से पहले ही बरी कर दिया था! इन्हीं दिनों श्रीदेवी की शव-परीक्षा की रिपोर्ट आने से पहले ही उसका परिणाम घोषित
कर दिया गया था!
पोस्टकार्ड न्यूज़
ने जैन मुनि पर मुसलमानों द्वारा हमले की फ़र्ज़ी ख़बर फैलाई
"बहुत ही दुखद समाचार, कल कर्नाटक में कुछ मुस्लिम युवकों ने एक जैन मुनि पर हमला किया… सिद्धारमैया के कर्णाटक
में कोई भी सुरक्षित नहीं है।" उन दिनों कर्णाटक का चुनाव सिर पर था। ध्रुवीकरण
की रणनीति सोशल मीडिया पर हावी हो रही थी।
पोस्टकार्ड न्यूज़
के संस्थापक महेश विक्रम हेगड़े और अक्सर नकली समाचार फैलाने वाले गौरव प्रधान के ट्विटर
टाइमलाइन पर इसी तरह के दावे देखे गए। महेश विक्रम हेगड़े और गौरव प्रधान, दोनों को पीएम मोदी
ट्विटर पर फॉलो करते हैं।
ऑल्ट न्यूज़ ने पता लगाया और पाया कि मुस्लिम युवाओं ने हमला नहीं किया था। जैन मुनि मयंक सागर के साथ
छोटी सी दुर्घटना हुई थी। दरअसल बाइक से ठोकर लगने के कारण उनके कंधे पर चोट लगी थी।
यह घटना कनकपुरा, कर्नाटक में हुई थी।
इस ख़बर को जैन पब्लिकेशन की अहिंसा क्रांति ने रिपोर्ट किया था और चोट से मुनि के
ठीक होने की रिपोर्ट भी की थी। इस प्रकाशन के संपादक ने ऑल्ट न्यूज़ से बात कर अपने
वेबसाइट पर इस ख़बर की पुष्टि की और इस घटना में मुस्लिम समुदाय के हाथ होने के दावे
को नकार दिया।
पैरोडी अकाउंट के चक्कर
में फंसा आज तक जैसा चैनल, बिना जाँचे चला दिया कार्यक्रम
जब प्रिया प्रकाश वारियर
के बारे में सोशल मीडिया पर तूफ़ान अपने शीर्ष पर था, तब मौलाना आतिफ कादरी
का कथित बयान काफी सर्कुलेट हुआ, जिसमें कादरी ने भावनाएँ आहत करने के लिए अभिनेत्री के ख़िलाफ़ फ़तवा जारी किया
था।
इस बयान को आज तक और
वरिष्ठ एंकर अंजना ओम कश्यप ने पकड़ लिया और एक शो प्रसारित किया, जिसमें कथित बयान
में इस्तेमाल किए गए शब्दों के लिए कादरी पर हमला बोला गया। मजे के बात यह थी कि आज
तक और अंजना ओम कश्यप जैसी जानीमानी एंकर जिस पर अपने फेफड़े फाड़ रहे थे, दरअसल कादरी ने कभी
भी ऐसी कोई बात नहीं कही थी!
आज तक ने जिस पीठ का
हवाला दिया, वह तो किसी पैरोडी अकाउंट टाइम्स हाउ की ओर से था, ना कि टाइम्स नाउ
की ओर से। इतना बड़ा तथ्य आज तक जैसे चैनल की आँखों से नज़रअंदाज़ हो गया और वे बिना
जाँचे परखे पूरा कार्यक्रम चलाने लगे, जो बाद में कॉमेडी विद अंजना जैसा शो साबित हो गया!
जी न्यूज़ ने अबू धाबी
के क्राउन प्रिंस द्वारा 'जय श्री राम' से भाषण शुरू करने की ग़लत ख़बर दी
जिस दिन प्रधानमंत्री
मोदी अबू धाबी पहुँचे, हद से ज़्यादा बदनाम हो चुके जी न्यूज़ ने ख़बर चला दी- "जैसे ही प्रधानमंत्री
मोदी यूएई में पहुँचे, अबू धाबी के क्राउन प्रिंस द्वारा जय श्री राम कहने वाला वीडियो वायरल हुआ, देखें।"
अन्य मीडिया घरानों
ने भी इस ख़बर की रिपोर्ट दी थी। दरअसल, इस वीडियो में दिख रहे व्यक्ति क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन ज़ायद अल नाहयान नहीं, बल्कि सुलतान सऊद
अल क़ासमी थे, जो संयुक्त अरब अमीरात में रहने वाले एक स्तंभकार और अरब मामलों पर अपनी राय व्यक्त
करने वाले टिप्पणीकर्ता थे। जब तक इस झूठी ख़बर को रोका जाता तब तक इसने काफी दूर तक
अपना सफ़र तय कर लिया था।
मेनस्ट्रीम मीडिया
ने अभिनेत्री श्रीदेवी की हार्ट अटैक से मौत की फ़ेक न्यूज़ फैला दी
टाइम्स ऑफ़ इंडिया
से शुरू करते हुए, प्रमुख समाचार प्रकाशन ने ख़बर दी कि अभिनेत्री
श्रीदेवी की मौत हार्ट अटैक की वजह से हुई है, जैसा की फॉरेंसिक रिपोर्ट में बताया गया है।
यह ख़बर सबसे पहले टाइम्स ऑफ़ इंडिया के एक पत्रकार के ट्वीट से निकली थी। इस समाचार
की ख़बर Hindustan Times, Firstpost और National
Herald ने भी दी थी। ख़बर में फॉरेंसिक रिपोर्ट का भी ज़िक्र किया गया था।
तुरंत पता चला कि यह
ख़बर झूठी थी। ऑटोप्सी रिपोर्ट में प्राथमिक रूप से बताया गया था कि अभिनेत्री की मृत्यु
बाथ टब में डूबने की वजह से हुई थी। इसमें हार्ट अटैक का कोई ज़िक्र नहीं था। फिर भी
बिना सत्यापित किए प्रमुख समाचार संस्थानों ने इसकी रिपोर्ट दी थी और अपने दर्शकों
को फ़ेक न्यूज़ परोस दी थी।
(इनसाइड इंडिया, एम वाला)