शांतिकाल में दुश्मन पर सैन्य अभियान...। इसमें योजनाबद्ध तरीके होते हैं। रणनीति
होती है। सेना और सरकार, दोनों इसमें शामिल होते हैं। कूटनीति, सफलता, विफलता, दावे, सब कुछ होता है। जंग में सब कुछ जायज होता है। यह ‘सब कुछ’ क्या होता है? यह ‘सब कुछ’ सेना के लिए भी अलग
होता है, सरकार के लिए भी अलग। सैन्य अभियान महज आंकड़ों को गिनने के लिए नहीं किए जाते।
1 दुश्मन मरा हो या 100, सैन्य अभियानों का अपना एक अलग असर होता है, अपने उद्देश्य होते
हैं, अपनी नीतियाँ होती हैं। हां, यह ज़रूर है कि आंकड़े मानसिक रूप से असर ज़रूर करते होते हैं। किंतु एक सिंपल
सी बात है। ऐसे सैन्य अभियानों को गुप्त तरीके से किया जाता है, बस उतना ही गुप्त वातावरण
उसके बाद भी होता है और होना भी चाहिए। तमाम जानकारियाँ सेना और सरकार आपके साथ साझा
कर दें यह बेवकूफी भरी आश है।
29 सितंबर 2016 का दिन पाकिस्तान के लिए गच्चा खा जाने का दिन था। 28 सितंबर 2016 की आधी रात को भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में प्रवेश कर, उरी हमले के बाद की सबसे बड़ी प्रतिक्रिया दी थी। ये अभियान 29 सितंबर की सुबह खत्म हुआ था।
इससे पहले 18 सितंबर 2016 के दिन सुबह साढ़े पाँच बजे उरी में बटालियन मुख्यालय पर आत्मघाती हमला हुआ था। ये हमला बहुत बड़ा था। हताहत जवानों की संख्या के हिसाब से भी तथा जगह के हिसाब से भी। पिछले 30 सालों में भारतीय सेना पर हुआ ये तीसरा सबसे बड़ा आतंकवादी हमला था। उस दिन तड़के बटालियन मुख्यालय, जो एलओसी के पास सटा हुआ है, पर चार आतंकवादियों ने आत्मधाती हमला कर दिया था। हमले के दौरान आतंकियों ने ग्रेनेड फेंके और अंधाधुंध फायरिंग भी की। इस आत्मधाती हमले में 18 से ज्यादा जवान वीर गति को प्राप्त हुए तथा कई जवान घायल हुए। पैरा कमांडो फोर्स को तुरंत भेजा गया। चारों आतंकियों को मार गिराया गया। इसी साल जनवरी में पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले के बाद, बटालियन के हेड क्वार्टर पर किया गया यह हमला सेना से सीधी जंग के बराबर था।
इस हमले के बाद भारतीय सेना के डीजीएमओ रणवीर सिंह ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि, “हमारे पास जवाब देने का अधिकार है और जवाब दिया जाएगा। जगह और वक्त हम तय करेंगे।” उसके बाद दोनों देशों की सरहदों पर सैन्य गतिविधियों में इजाफा देखा जा रहा था। दोनों देशों ने अपनी अपनी सरहदों पर सैन्य गतिविधियाँ और संबंधित चीजें बढ़ा दी थी। कूटनीतिक व राजनीतिक तौर पर भी दोनों देश अपनी अपनी चाले चल रहे थे।
उसके बाद 28 सितंबर 2016 की आधी रात को भारत की ओर से जमीनी तौर पर करारा जवाब दिया गया। भारतीय सेना ने लाइन ऑफ कंट्रोल के पार कार्रवाई करते हुए कई आतंकी ठिकाने ध्वस्त कर दिए। भारतीय सेना की कार्रवाई में कई आतंकी भी मारे गए। मारे गये आतंकियों की संख्या कितनी थी इसकी कोई आधिकारिक संख्या नहीं है। हो भी नहीं सकती। ऐसे सैन्य अभियान महज आंकड़े गिनने के लिए नहीं किए जाते। 1 दुश्मन मरा हो या 100, सैन्य अभियान का अपना एक असर होता है, अपने उद्देश्य होते हैं, अपनी नीतियाँ होती हैं। हां, यह ज़रूर है कि आंकड़े मानसिक रूप से असर ज़रूर करते हैं।
ड्रोन से ली गई तस्वीरों के जरिए कथित रूप से यह संख्या 25 से ज्यादा हो सकती थी। इस अभियान में पाकिस्तान के दो सैनिक भी हताहत हुए थे। भारतीय सेना ने रात 12-30 बजे सीमा पार कर के आतंकी ठिकानों पर हमला किया।
कथित रूप से एलओसी के पार 1 से 3 किलोमीटर घूस कर भारतीय सेना ने ऑपरेशन को अंजाम दिया। 7 आतंकी कैंपों को निशाना बनाया गया। हमले के दौरान हेलीकॉप्टर का भी इस्तेमाल किया गया। दरअसल ये ऑपरेशन तकरीबन एक हफ्ते की निगरानी के बाद चलाया गया था। सीमा पार अभियान में 150 पैरा कमांडो शामिल किए गए थे। हालांकि यहाँ पर ये स्पष्ट हो कि ये जानकारी दावों पर आधारित है। सेना का आधिकारिक बयान सीमित था तथा सेना ने कोई आंकड़े वगैरह जानकारी सार्वजनिक नहीं की थी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस कर डीजीएमओ ने दी जानकारी
29 सितंबर 2016 का दिन पाकिस्तान के लिए गच्चा खा जाने का दिन था। 28 सितंबर 2016 की आधी रात को भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में प्रवेश कर, उरी हमले के बाद की सबसे बड़ी प्रतिक्रिया दी थी। ये अभियान 29 सितंबर की सुबह खत्म हुआ था।
इससे पहले 18 सितंबर 2016 के दिन सुबह साढ़े पाँच बजे उरी में बटालियन मुख्यालय पर आत्मघाती हमला हुआ था। ये हमला बहुत बड़ा था। हताहत जवानों की संख्या के हिसाब से भी तथा जगह के हिसाब से भी। पिछले 30 सालों में भारतीय सेना पर हुआ ये तीसरा सबसे बड़ा आतंकवादी हमला था। उस दिन तड़के बटालियन मुख्यालय, जो एलओसी के पास सटा हुआ है, पर चार आतंकवादियों ने आत्मधाती हमला कर दिया था। हमले के दौरान आतंकियों ने ग्रेनेड फेंके और अंधाधुंध फायरिंग भी की। इस आत्मधाती हमले में 18 से ज्यादा जवान वीर गति को प्राप्त हुए तथा कई जवान घायल हुए। पैरा कमांडो फोर्स को तुरंत भेजा गया। चारों आतंकियों को मार गिराया गया। इसी साल जनवरी में पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले के बाद, बटालियन के हेड क्वार्टर पर किया गया यह हमला सेना से सीधी जंग के बराबर था।
इस हमले के बाद भारतीय सेना के डीजीएमओ रणवीर सिंह ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि, “हमारे पास जवाब देने का अधिकार है और जवाब दिया जाएगा। जगह और वक्त हम तय करेंगे।” उसके बाद दोनों देशों की सरहदों पर सैन्य गतिविधियों में इजाफा देखा जा रहा था। दोनों देशों ने अपनी अपनी सरहदों पर सैन्य गतिविधियाँ और संबंधित चीजें बढ़ा दी थी। कूटनीतिक व राजनीतिक तौर पर भी दोनों देश अपनी अपनी चाले चल रहे थे।
उसके बाद 28 सितंबर 2016 की आधी रात को भारत की ओर से जमीनी तौर पर करारा जवाब दिया गया। भारतीय सेना ने लाइन ऑफ कंट्रोल के पार कार्रवाई करते हुए कई आतंकी ठिकाने ध्वस्त कर दिए। भारतीय सेना की कार्रवाई में कई आतंकी भी मारे गए। मारे गये आतंकियों की संख्या कितनी थी इसकी कोई आधिकारिक संख्या नहीं है। हो भी नहीं सकती। ऐसे सैन्य अभियान महज आंकड़े गिनने के लिए नहीं किए जाते। 1 दुश्मन मरा हो या 100, सैन्य अभियान का अपना एक असर होता है, अपने उद्देश्य होते हैं, अपनी नीतियाँ होती हैं। हां, यह ज़रूर है कि आंकड़े मानसिक रूप से असर ज़रूर करते हैं।
ड्रोन से ली गई तस्वीरों के जरिए कथित रूप से यह संख्या 25 से ज्यादा हो सकती थी। इस अभियान में पाकिस्तान के दो सैनिक भी हताहत हुए थे। भारतीय सेना ने रात 12-30 बजे सीमा पार कर के आतंकी ठिकानों पर हमला किया।
कथित रूप से एलओसी के पार 1 से 3 किलोमीटर घूस कर भारतीय सेना ने ऑपरेशन को अंजाम दिया। 7 आतंकी कैंपों को निशाना बनाया गया। हमले के दौरान हेलीकॉप्टर का भी इस्तेमाल किया गया। दरअसल ये ऑपरेशन तकरीबन एक हफ्ते की निगरानी के बाद चलाया गया था। सीमा पार अभियान में 150 पैरा कमांडो शामिल किए गए थे। हालांकि यहाँ पर ये स्पष्ट हो कि ये जानकारी दावों पर आधारित है। सेना का आधिकारिक बयान सीमित था तथा सेना ने कोई आंकड़े वगैरह जानकारी सार्वजनिक नहीं की थी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस कर डीजीएमओ ने दी जानकारी
इस अभियान के बाद 29 सितंबर 2016 के दिन रक्षा मंत्रालय
और विदेश मंत्रालय की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित हुई। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में
अभियान के बारे में आधिकारिक जानकारी दी गई। पाकिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ की गई
कार्रवाई की जानकारी देते हुए भारतीय डीजीएमओ ने बताया कि, "पाकिस्तान की ओर से
भारत की धरती पर लगातार घुसपैठ की कोशिशें की गई हैं। पाकिस्तान की ओर से ऐसी घुसपैठ
की करीब 20 कोशिशें की गईं। इन हमलों की कोशिश के दौरान पाकिस्तान के हाथ होने के पुख्ता
सबूत मिले। हमने कुछ आतंकियों को गिरफ्त में भी लिया और उन्होंने पाकिस्तान में प्रशिक्षण
मिलने की बात भी कबूली।”
सिंह ने अहम दावा करते हुए कहा कि, "बीते दिनों जब आतंकवादियों ने सीमा से घुसपैठ की कोशिश की तो भारत ने कड़ा जवाब दिया और सीमा के पार आतंकी कैंपों पर हमला किया। आतंकी घुसपैठ करके भारत के भीतर हमले करने की कोशिश में थे। हमने स्ट्राइक कर आतंकियों के नापाक मंसूबों को विफल कर दिया। इन जवाबी आतंकवाद विरोधी कार्यवाहियों में आतंकियों और उनके सहयोगियों को गंभीर नुक्सान हुआ। जिनमें कई मारे गए और घायल हुए। कार्रवाई का उद्देश्य आतंकियों को निष्क्रिय करना था। इस समय इसे आगे जारी रखने की हमारी कोई योजना नहीं है। हालाँकि भारतीय सेनाएँ किसी भी प्रकार के हमलों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। हमारे ऑपरेशन का इरादा आतंकियों के मंसूबों को खत्म करना था। हमने पाकिस्तान को कल के ऑपरेशन की जानकारी भी दी है।”
संवाददाता सम्मेलन में जनरल सिंह ने कहा कि, “हमें कल बेहद विश्वसनीय और खास सूचना मिली थी कि कुछ आतंकी समूह घुसपैठ के लिए एलओसी के पास लॉन्च पैड पर तैयार बैठे हैं। ये सभी जम्मू कश्मीर तथा देश के कुछ महानगरों में आतंकी हमले की फिराक में थे। इन्हीं लॉन्च पैड पर भारतीय सेना ने कल रात धावा बोला और आतंकियों को मार गिराया।” संवाददाता सम्मेलन में उनके साथ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप भी थे।
लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने कहा, "भारत नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार से आतंकवादियों को देश में घूसने और हमला करने की इजाज़त नहीं दे सकता।" उन्होंने कहा, "मैंने पाकिस्तान के डीजीएमओ से बात की है और हमें उम्मीद है कि पाकिस्तान सेना आतंकवाद को समाप्त करने के लिए हमारे साथ सहयोग करेगी। ये हमले विश्वसनीय सूचना के आधार पर किए गए। फिलहाल आगे ऐसे और हमले करने की योजना नहीं है।"
उन्होने कहा कि, "मैं पाकिस्तानी सेना के डीजीएमओ के साथ संपर्क में रहा और उन्हें अपनी कार्यवाहियों के बारे में सूचित किया। भारत का उद्देश्य इस क्षेत्र में शांति और तनावमुक्ति का माहौल देना है। लेकिन हम आतंकवादियों को नियंत्रण रेखा के पार से निर्भय होकर कार्रवाई करने और मनमर्जी से हमारे नागरिकों पर हमला करने की अनुमति नहीं दे सकते हैं। जनवरी 2004 में किए गए पाकिस्तान के वायदे जिसमें उन्होंने अपनी धरती या अपने नियंत्रण के क्षेत्र का प्रयोग भारत के विरूद्ध किसी प्रकार की आतंकवादी गतिविधि के लिए न होने देने का वचन दिया था, उसके आधार पर हम पाकिस्तानी सेना से क्षेत्र में आतंकवाद के समूल नाश के लिए हमारे साथ सहयोग की अपेक्षा करते हैं।"
क्या होता है सर्जिकल स्ट्राइक?
सिंह ने अहम दावा करते हुए कहा कि, "बीते दिनों जब आतंकवादियों ने सीमा से घुसपैठ की कोशिश की तो भारत ने कड़ा जवाब दिया और सीमा के पार आतंकी कैंपों पर हमला किया। आतंकी घुसपैठ करके भारत के भीतर हमले करने की कोशिश में थे। हमने स्ट्राइक कर आतंकियों के नापाक मंसूबों को विफल कर दिया। इन जवाबी आतंकवाद विरोधी कार्यवाहियों में आतंकियों और उनके सहयोगियों को गंभीर नुक्सान हुआ। जिनमें कई मारे गए और घायल हुए। कार्रवाई का उद्देश्य आतंकियों को निष्क्रिय करना था। इस समय इसे आगे जारी रखने की हमारी कोई योजना नहीं है। हालाँकि भारतीय सेनाएँ किसी भी प्रकार के हमलों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। हमारे ऑपरेशन का इरादा आतंकियों के मंसूबों को खत्म करना था। हमने पाकिस्तान को कल के ऑपरेशन की जानकारी भी दी है।”
संवाददाता सम्मेलन में जनरल सिंह ने कहा कि, “हमें कल बेहद विश्वसनीय और खास सूचना मिली थी कि कुछ आतंकी समूह घुसपैठ के लिए एलओसी के पास लॉन्च पैड पर तैयार बैठे हैं। ये सभी जम्मू कश्मीर तथा देश के कुछ महानगरों में आतंकी हमले की फिराक में थे। इन्हीं लॉन्च पैड पर भारतीय सेना ने कल रात धावा बोला और आतंकियों को मार गिराया।” संवाददाता सम्मेलन में उनके साथ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप भी थे।
लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने कहा, "भारत नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार से आतंकवादियों को देश में घूसने और हमला करने की इजाज़त नहीं दे सकता।" उन्होंने कहा, "मैंने पाकिस्तान के डीजीएमओ से बात की है और हमें उम्मीद है कि पाकिस्तान सेना आतंकवाद को समाप्त करने के लिए हमारे साथ सहयोग करेगी। ये हमले विश्वसनीय सूचना के आधार पर किए गए। फिलहाल आगे ऐसे और हमले करने की योजना नहीं है।"
उन्होने कहा कि, "मैं पाकिस्तानी सेना के डीजीएमओ के साथ संपर्क में रहा और उन्हें अपनी कार्यवाहियों के बारे में सूचित किया। भारत का उद्देश्य इस क्षेत्र में शांति और तनावमुक्ति का माहौल देना है। लेकिन हम आतंकवादियों को नियंत्रण रेखा के पार से निर्भय होकर कार्रवाई करने और मनमर्जी से हमारे नागरिकों पर हमला करने की अनुमति नहीं दे सकते हैं। जनवरी 2004 में किए गए पाकिस्तान के वायदे जिसमें उन्होंने अपनी धरती या अपने नियंत्रण के क्षेत्र का प्रयोग भारत के विरूद्ध किसी प्रकार की आतंकवादी गतिविधि के लिए न होने देने का वचन दिया था, उसके आधार पर हम पाकिस्तानी सेना से क्षेत्र में आतंकवाद के समूल नाश के लिए हमारे साथ सहयोग की अपेक्षा करते हैं।"
क्या होता है सर्जिकल स्ट्राइक?
सर्जिकल स्ट्राइक न
ही कोई युद्ध है न ही कोई लड़ाई। यह एक सैन्य ऑपरेशन है, जिसके तहत सेना बिजली
के गति से दुनिया के किसी भी कोने में स्थित दुश्मन के ठिकानों का पता लगा के वहाँ
पहुंच उसे नेस्तनाबूद कर वापस आ जाती है। इस सबके दौरान सेना की कोशिश रहती है कि उसका
कोई भी जवान घायल न हो। सर्जिकल स्ट्राइक से पहले सेना एक विस्तृत और व्यापक योजना
बनाती है। इसमें आपातकालीन योजना भी शामिल होती है। योजना का उद्देश्य दुश्मन के ठिकानों
को ढेर करने के साथ साथ सभी सैनिकों के सकुशल वापसी का होता है। सेना-रक्षा-प्रतिरक्षा, क्रिया-प्रतिक्रया
की दुनिया में रक्षा विशेषज्ञ सर्जिकल स्ट्राइक की परिभाषा को लेकर बताते हैं कि ऐसा
अभियान जो विशेष खुफिया सूचना पर आधारित हो,
अधिकतम प्रभाव से किसी वैध सैन्य लक्ष्य पर केंद्रित होता हो
और जिसमें इस पक्ष का न्यूनतम नुकसान होता हो या बिल्कुल नुकसान नहीं होता हो। रक्षा
विशेषज्ञों के मुताबिक इसमें सोचे-समझे तरीके से लक्षित क्षेत्र में प्रवेश किया जाता
है। वहाँ बिल्कुल सटीक तरीके से कार्रवाई किए जाने की ज़रूरत होती है और तेजी से जवानों
को तथा संभवित नुकशान के समय जवानों के शवों को वापस बेस में लाए जाने की ज़रूरत होती
है।
सर्जिकल स्ट्राइक 2016 पर विशेष
28 सितंबर 2016 की आधी रात को भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में प्रवेश कर, उरी हमले के बाद की सबसे बड़ी प्रतिक्रिया दी। ये अभियान 29 सितंबर 2016 की सुबह खत्म हुआ।
पीओके में कई आतंकी शिविर चल रहे हैं यह सभी जानते हैं। दावों के मुताबिक भारतीय खुफिया एजेंसियों को पुख्ता इनपुट मिले थे कि सैंकड़ों प्रशिक्षित आतंकी एलओसी के नजदीक लॉन्चिंग पैड पर घुसपेठ के लिए तैनात थे। घुसपेठ के लिए तैयार इन आतंकियों पर पिछले एक सप्ताह से सेना की विशेष नजर थी। कहते हैं कि सेना को इनपुट मिले थे कि उरी हमले के बाद पाकिस्तान एलओसी पर राजोरी-पुंछ में हमले की साजिश रच रहा है।
भारतीय सेना ने रणनीति के तहत पहले पाकिस्तानी सेना को छकाया और बाद में चित कर दिया। दावों की माने तो उरी सैन्य शिविर पर आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने कश्मीर घाटी के उरी और टंगधार से सटे एलओसी पर अपनी ताकत बढ़ाकर पाकिस्तान सेना के रणनीतिकारों को उलझाया और इस बीच पुंछ और कुपवाड़ा सेक्टर में सर्जिकल स्ट्राइक सरीखे सैन्य अभियान की गोपनीय तैयारी कर ली। उरी हमले के बाद लश्कर-ए-तैयबा ने हमले की जिम्मेदारी ली थी। लेकिन भारतीय सेना ने तत्काल इसे जैश-ए-मोहम्मद की करतूत बताया। कहते हैं कि इस रणनीति से लश्कर-ए-तैयबा के कैंपों को तबाह करने की व्यूहरचना में बाधा उत्पन्न नहीं हो सकी। सेना को उरी हमले के बाद भिम्बर, केल और लीपा इलाके में लश्कर-ए-तैयबा के मुखिया हाफिज सईद के मूवमेंट की भी खबर मिली थी। समझा जाता है कि भारतीय सेना के अभियान से पहले हाफिज ने पीओके छोड़ दिया था। इस अभियान में आतंकी संगठन लश्कर के ज्यादा कैंप तबाह हुए।
इतना ही नहीं, उरी हमले से ठीक पहले लश्कर के आतंकियों ने उरी में सेना की 93 ब्रिगेड को निशाना बनाने की कोशिश की थी। हालांकि, वक्त रहते भारतीय सेना ने उस नापाक हरकत को नाकाम कर दिया था।
कथित तौर पर इस अभियान में कई जवान शामिल थे, लेकिन एक दावे की माने तो 19 जवान इस अभियान का केंद्रीय हिस्सा थे। अभियान के दौरान भारतीय सेना ने हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया था। हालांकि यह तय नहीं है कि हेलीकॉप्टर ने सीमा पार की थी या नहीं। बेहद ज्यादा संभावना के अनुसार हेलीकॉप्टर के द्वारा जवानों को एलओसी के नजदीक भारतीय सीमा में ही उतारा गया था। कुछ दावों की माने तो हमले के दौरान पैरा कमांडो की पांच क्रैक टीम बनाई गई थी। कथित तौर से ऊधमपुर के उत्तरी कमान से पैरा कमांडो ने एएलएच ध्रुव हेलीकॉप्टर से उड़ान भरी। हेलीकॉप्टर ने इन जवानों को जंगल में उतार दिया। पाकिस्तानी सेना की फायरिंग की आशंका के बीच इन कमांडोज़ ने तक़रीबन तीन किलोमीटर का फासला रेंग कर तय किया। इस दौरान बैक अप के लिए भारतीय सेना ने मोर्टार फायर किए। दावों की माने तो कमांडोज़ तवोर और एम-4 जैसी राइफलों, ग्रेनेड्स और स्मोक ग्रेनेड्स से लेस थे। उनके पास अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चिंग, नाइट विज़न डिवाइसेज़ और हेलमेट माउण्टेड कैमरे भी थे।
कथित रूप से स्पेशियल फोर्स ने नियंत्रण रेखा के पार डेढ़ से तीन किलोमीटर भीतर कार्रवाई की। कार्रवाई के दौरान एलओसी पर मौजूद 7 लॉन्च पैड खत्म किए गए। ऑपरेशन को बारामूला, राजौरी और कुपवाड़ा में तैनात सेना की 19, 25 और 28 डिविज़न्स के जवानों ने अंजाम दिया। इनमें बिहार व डोगरा रेजिमेंट के जवान भी थे। इन्हें सीमा पार की अच्छी खासी जानकारी थी। उरी हमले में वीर गति को प्राप्त हुए जवान इसी रेजिमेंट के थे।
भारतीय सेना ने 28 सितंबर 2016 की देर रात को तकरीबन 12-30 बजे इस अभियान को अंजाम दिया। सीमा पार किए गए इस ऑपरेशन में कितने जवान शामिल थे, उन्हें कितने दलों में बाँटा गया था, पूरी कार्रवाई में कितना समय लगा, दुश्मन को कितना नुकसान हुआ, यह सारी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। जो कुछ खबरें हैं वह दावों के आधार पर है। कुछ रिपोर्ट्स की माने तो पीओके के भिम्बर, तत्तापानी, केल और लीपा स्थित आतंकी शिविरों पर सर्जिकल कार्रवाई की गई।
सुबह अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सूज़न राइस ने अजित डोभाल से इस बारे में भी बातचीत की। हालांकि कुछ दावों की माने तो अमेरिका को इस अभियान की पूर्व जानकारी दी जा चुकी थी। लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। सेना ने इस ऑपरेशन की जानकारी उच्च पदस्थ अधिकारियों को दी। राष्ट्रपति और रक्षा मंत्रायल से अनुमति मिलने के बाद सेना की स्पेशल फोर्सेज़ ने ऑपरेशन को अंजाम देने का प्लान बनाया था। लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह के अनुसार प्रोटोकॉल का पालन करते हुए पाकिस्तान को इस सर्जिकल हमले की जानकारी दे दी गई थी। कहा गया कि भारत ने इस स्ट्राइक के वीडियो भी रिकोर्ड किए थे।
एक रिपोर्ट की माने तो भारतीय सेना द्वारा पीओके में की गइ स्ट्राइक में पहली बार कार्टोसैट सैटेलाइट द्वारा ली गइ तस्वीरों का प्रयोग किया गया था। इसरो ने एलओसी के पार हुए स्ट्राइक के लिए सैन्य बलों को बेहतरीन क्वालिटी की तस्वीरें प्रदान की थीं। कार्टोसैट के जरिए सैन्य बलों को तस्वीरें मुहैया कराई गईं। कार्टोसैट सैन्य बलों को एरिया ऑप इंट्रेस्ट आधारित तस्वीरें भी प्रदान कर रहा है। सशस्त्र बलों की मांग के अनुसार तस्वीरों को प्रदान किया जाता है।
जानकारी के लिए बता दे कि पहला कार्टोसैट उपग्रह कार्टोसैट-1 श्रीहरिकोटा में नव निर्मित दूसरे लॉन्च पैड से 5 मई 2005 के दिन पीएसएलवी-सी6 द्वारा लॉन्च किया गया था। इसरो ने इसी साल जून में पीएसएलवी सी34 के ज़रिए एक साथ जिन 20 उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित कर नया इतिहास रचा था, उनमें कार्टोसैट -2 सीरीज़ के सैटेलाइट को भी अंतरिक्ष कक्षा में स्थापित किया गया था। जिसके जरिए ये तस्वीरें मिली थी। इसकी मदद से आसमान से ज़मीन की बेहतरीन क्वालिटी की तस्वीरें ली जा सकती है।
स्पष्ट था कि पीओके में चल रहे आतंकी शिविरों पर शुरू की गई कार्रवाई से पाकिस्तान हैरानी में ज़रूर आ गया था। भारत द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान की तरफ से वही प्रतिक्रिया आई जिसकी उम्मीद थी। पाकिस्तान ने तीखी प्रतिक्रिया दी। पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ ने कहा कि हम इस हमले की निंदा करते हैं, शांति की हमारी चाहत को हमारी कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए। उन्होंने अपने बयान में कहा कि हम पूरी दृढ़ता से भारतीय सेना की अकारण और नग्न आक्रामकता की निंदा करते हैं, जिसकी वजह से सीमा पर हमारे दो जवान वीर गति को प्राप्त हो गए। यानि पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर अपने दो जवानों की हताहत होने की बात को स्वीकार कर लिया था।
उधर पाकिस्तान मिलिट्री मीडिया विंग प्रवक्ता असीम बाजवा ने कहा कि भारत की ओर से कोई सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हुई है। बाजवा ने कहा कि हां, भारत ने क्रॉस बार्डर फायरिंग जरूर की है, जोकि आम बात है, पाकिस्तानी सेना ने भी इस फायरिंग का जवाब दायरे में रहकर दिया है। पाकिस्तानी सेना के लेफ्ट जनरल असीम बाजवा ने जियो टीवी को बताया कि हम इसे खारिज करते हैं, जमीनी स्तर पर ऐसा कुछ नहीं हुआ है, उस रात सिर्फ गोलीबारी की घटना हुई जिसका हमने जवाब दिया।
मतलब कि पाकिस्तानी हुकूमत और पाकिस्तानी सेना के बयानों में बहुत बड़ा अंतर था। उनके प्रधानमंत्री आधिकारिक तौर पर भारत के सैन्य कदम का स्वीकार करते हैं, उधर पाकिस्तान की सेना इनकार करती है! वैसे ऐसी विसंगतता कोई नयी बात नहीं थी! कम से कम पाकिस्तान के लिए तो नहीं!
उधर 29 सितंबर 2016 की सुबह विदेश मंत्रालय व रक्षा मंत्रालय द्वारा साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस सैन्य अभियान के बारे में आधिकारिक सूचना जारी की गई। इसके अलावा दुनिया के तकरीबन 22 देशों के राजदूतों को इस ऑपरेशन के बारे में सूचित किया गया। भारत सरकार ने अपने राजकीय कर्तव्यों का पालन करते हुए देश के राजकीय दलों व व्यक्तियों को इस बारे में अवगत कराया। राज्यों के सीएम तथा नेताओं को केंद्र सरकार ने अवगत कराया। भारत सरकार ने कहा कि जिस इलाके में ऑपरेशन किया गया है वो भारत का हिस्सा है तथा उस हिस्से पर पाकिस्तान का कोई हक़ नहीं बनता।
सर्वप्रथम बांग्लादेश ने आधिकारिक रूप से इस ऑपरेशन का समर्थन किया। बांग्लादेश ने कहा कि संप्रभुता पर हमला होता है, तो भारत के पास कार्रवाई का अधिकार है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि भारतीय सेना के ऑपरेशन के बाद दोनों देशों के बीच उपजे हालात पर अमेरिका की नजर है। भारत स्थित अफगानी राजद्वारी शाइदा अब्दाली ने कहा कि भारत द्वारा की गई कार्रवाई आत्मरक्षा हेतु थी, हम उम्मीद करते हैं कि कोई भी देश आतंकवादियों के लिए सेफ हेवन बनकर पड़ोसी देशों के विरुद्ध उपयोग नहीं करेगा।
रूस ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पाकिस्तान के लिए ज़रूरी है कि वो आतंकवादियों के विरुद्ध सख्त कदम उठाए। लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन से मुलाकात में दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति पार्क ग्युन हे ने भारत की कार्रवाई का समर्थन किया। यूरोपीय संसद के उपाध्यक्ष रिकार्ड जारनेकी ने भी भारत के स्ट्राइक का समर्थन किया।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून के प्रवक्ता स्टीफान दुजारिक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सैन्य प्रेक्षक दल ने भारत और पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर कोई गोलीबारी सीधे तौर पर नहीं देखी है, संघर्ष विराम के इस कथित उल्लंघन के बारे में हमें खबरों जानकारी मिली है। प्रेक्षक दल उस सिलसिले में संबंधित अधिकारियों से बातचीत कर रहा है।
वहीं पाकिस्तान के मित्र देश चीन ने इस अभियान को लेकर अपने बयान में विशेष ज़िक्र नहीं किया। भूटान, जर्मनी, यूरोपीय संघ ने भारत के इस कदम का समर्थन किया।
इसी दौरान पाकिस्तान में सार्क समिट आयोजित होनी थी। भारत, बांग्लादेश, भूटान व अफगानिस्तान ने इस संमेलन से किनारा किया। श्रीलंका व नेपाल ने ना ही किनारा किया और ना ही समर्थन दिया। आखिरकार पाकिस्तान को सार्क संमेलन रद्द करना पड़ा। चीन, कतर, बहरीन, सऊदी अरब जैसे देशों ने चुप्पी साध कर पाकिस्तान को निराश किया।
भारतीय सेना के अनुसार नियंत्रण रेखा के पार जाकर हुई स्ट्राइक में भारतीय सेना का कोई भी सैनिक हताहत नहीं हुआ था या टीम का कोई सदस्य पाकिस्तान सेना के हाथ नहीं आया था। हालांकि इस दौरान भारतीय सेना के एक जवान को लेकर कुछ चीजें ज़रूर दर्ज की गई। भारतीय सेना के अनुसार 37 आरआर (राष्ट्रीय राइफल्स) बटालियन का एक सैनिक हथियार के साथ नियंत्रण रेखा के उस पार (पाक अधिकृत कश्मीर) की तरफ चला गया था। इस जवान का नाम चंदु बाबुलाल चौहाण था, जो महाराष्ट्र से थे। भारतीय डीजीएमओ ने हॉट लाइन पर पाकिस्तान के अपने समकक्ष को भूलवश नियंत्रण रेखा के उस पार गए इस सैनिक के बारे में जानकारी दे दी और दोनों देशों के बीच स्थापित प्रक्रिया के तहत इस सैनिक को लौटाने का निवेदन किया। भारतीय सेना के अनुसार इस जवान ने गलती से सीमा पार कर दी थी और इस जवान का सर्जिकल स्ट्राइक से कोई लेना देना नहीं था। हालांकि अभी तक पाकिस्तान ने इन्हें भारत को लौटाया नहीं है।
यहाँ ये बात गौर करने लायक रही कि भारत ने ऐसी कार्रवाई को खुलकर स्वीकार करने की हीमत दिखाई थी। इसके पीछे राजनीति वजहें रही या कुछ दूसरी चीजें, इसके बारे में केवल अटकले ही लगाई जा सकती हैं। कहा जाता है कि पहले भी ऐसे नियंत्रित हमले किए गए हैं। लेकिन इन्हें आधिकारिक रूप से सरकार ने कबूल नहीं किए हैं या रिकॉर्ड नहीं किए गए। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसी चीजे औपचारिक रूप से एक दूसरे के साथ साझा की जाती हैं। लेकिन इस बार भारत ने आधिकारिक रूप से इसे देश व दुनिया से साझा किया था। इससे दुनिया के पटल पर भारत की राजनीतिक इच्छाशक्ति और भारतीय सेना को मनोवैज्ञानिक जीत भी मिली थी।
सरहद की बात की जाए तो 28 सितंबर 2016 को पूंछ में एलओसी के सब्जियां सेक्टर में पाकिस्तान ने शाम 5 बजकर 55 मिनट पर दो पोस्टों को निशाना बना कर गोलाबारी शुरू की थी। इस दौरान पाक रेंजरों की ओर से मोर्टार दागे गए थे, साथ ही यूएमजी गन से फायरिंग की गई। इसी रात को भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया। दूसरे दिन सुबह फिर से पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सीमा पर फायरिंग की। सुबह 4 बजे पाकिस्तानी सेना की ओर से नौशेरा सेक्टर में सीजफायर का उल्लंघन करते हुए फायरिंग की गई। पाकिस्तानी सेना के जवानों ने भारतीय सीमा पर मोर्टार भी दागे। सीमा पर तैनात भारतीय सेना के जवानों ने इस फायरिंग का जवाब दिया। पाकिस्तानी सेना की ओर से सुबह 8-45 बजे तक रूक रूक कर फायरिंग होती रही।
पाकिस्तानी सैनिकों ने जम्मू कश्मीर के अखनूर जिले में भी नियंत्रण रेखा पर फिर से संघर्षविराम का उल्लंघन करते हुए गोलीबारी की। पाकिस्तानी की ओर से रात को छोटे हथियारों से नियंत्रण रेखा में जम्मू जिले के पल्लनवाला, चपरियाल और समनाम इलाकों में गोलीबारी की गई। गोलीबारी रात करीब साढ़े बारह बजे शुरु की गई, जबकि देर रात डेढ़ बजे समाप्त हो गई। इस गोलीबारी में कोई भी घायल या हताहत नहीं हुआ। पाकिस्तान की और से युद्धविराम का यह उल्लंघन कई दिनो तक चलता रहा। एक ही दिन में तीन से चार बार तक पाकिस्तान गोलीबारी करता रहा।
इधर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारत ने राजस्थान में एयरफोर्स स्टेशन हाइ अलर्ट पर रखे हुए थे। भारतीय सेना पाकिस्तानी गोलीबारी का जवाब देती रही। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पंजाब के अटारी इलाके से सटे गांव खाली कराए गए। पश्चिमी सीमा पर तैनात जवानों की छुट्टियां रद्द् कर दी गई। गृहमंत्रालय ने सीमावर्ती सीमा के लिए एडवाइज़री जारी की। बॉर्डर के 10 किमी के इलाके को लेकर विशेष निर्देश दिए गए।
एक राष्ट्रीय मीडिया वेबसाइट पर छपी एक खबर की माने तो उस रात को पाकिस्तानी इलाके में भारतीय सेना द्वारा हमला, यानि स्ट्राइक उरी सेना बेस पर आतंकी हमले के बाद देश की जनता में उमड़े 'व्यापक गुस्से' को शांत करने के लिए किया गया था। यह दावा प्रधानमंत्री के साथ बैठक में शामिल होने वाले मंत्री के हवाले से किया गया था। दावे की माने तो यह उन मंत्रियों का कहना था, जो गुरुवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा की समीक्षा करने के लिए बुलाई गई बैठक में शामिल थे। दावा किया गया था कि सरकार को इस बात की जानकारी थी कि जनता में उरी हमले के बाद व्यापक गुस्सा मौजूद है। यह भी बताया गया कि जनता में इस कदर गुस्सा भरा हुआ था, जो पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए भारत द्वारा हाल ही में उठाए गए एमएफएन दर्जा वापस लेने और राजनयिकों को वापस बुला लेने जैसे कदमों से शांत नहीं होने वाला था।
आज तक न्यूज़ साइट के मुताबिक पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में भारतीय सेना के ऑपरेशन की पूरी जानकारी अमेरिका को थी। ऑपरेशन को अंजाम देने से ठीक एक दिन पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अपने अमेरिकी समकक्ष जॉन केरी से लंबी बात हुई थी। इस दौरान सुषमा ने केरी को भारत के भावी रुख से अवगत करा दिया था। इस ऑपरेशन के बाद भी अमेरिका के आला अधिकारी द्वारा नई दिल्ली फोन कर इस ऑपरेशन के बाद की भी जानकारी साझा की गई थी। ऑपरेशन के बाद की जानकारी का जिक्र खुद अमेरिका में व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जॉश अर्नेस्ट ने अपनी प्रेस ब्रीफिंग में किया था।
रही बात राजनीति की, आश यही है कि कूटनीति के सामने राजनीति जीत ना जाए। ज़रूरत से ज्यादा राजनीति मूल उद्देश्य से भटका देती है।
हालांकि आज 2 अक्टूबर 2016 के दिन अटारी वाघा बॉर्डर फिर से खोल दिया गया है। यहाँ रोजाना होने वाले बीटिंग रिट्रीट को देखने के ले चार दिनों बाद लोगों को फिर से अनुमति मिल गई है। यानि सरहद पर वातावरण फिर से वैसा हो रहा है, जैसा स्ट्राइक के पहले था।
जैसा हमने ऊपर लिखा है वैसे शांतिकाल के दौरान किए जाने वाले ऐसे सैन्य अभियान सैन्य की नीति और कूटनीति, दोनों चीजों से बहुत संदर्भ रखते हैं। आंकड़े गिनना इसका मकसद नहीं होता। आंकड़े मनोवैज्ञानिक असर डालते हैं, इस लिहाज से सैन्य अभियानों के बाद शामिल रहे देश इसे लेकर अपने अपने तरीके से अलग अलग दावे ज़रूर करते रहते हैं। जो हुआ है उससे अधिक दिखाकर एक दूसरे पर मनोवैज्ञानिक दबाव डालना मान्य परंपरा है। क्योंकि कहते हैं कि जंग भले ही जमीन पर लड़ी जाती हो, लेकिन फैसला अक्सर दिलों दिमाग करते हैं। अभियानों के खत्म हो जाने के बाद आधिकारिक बहुत कम होता है, दावे-सूत्र आदि चीजें ज्यादा होती हैं। सरकार की अपनी राजनीति सदैव शामिल रहती है, जब ऐसे अभियानों को सार्वजनिक किया जाए। सरकार या सेना तमाम जानकारियाँ साझा कर देंगे यह तो बेवकूफी भरी आश है।
लेकिन एक बात तो साफ है कि अब की बार पाकिस्तान भौचक्का ज़रूर रह गया था। ऐसे सैन्य अभियान को सार्वजनिक करने से पाकिस्तान की सेना, पाकिस्तान की राजनीति और पाकिस्तान की जनता, तीनों पर इसका असर ज़रूर देखा गया। पाकिस्तान गच्चा खाकर भी संभल नहीं पाया, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वह अकेला दिखाई दिया और सार्क समिट रद्द करना पड़ा।
(इंडिया इनसाइड, एम वाला)
सर्जिकल स्ट्राइक 2016 पर विशेष
28 सितंबर 2016 की आधी रात को भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में प्रवेश कर, उरी हमले के बाद की सबसे बड़ी प्रतिक्रिया दी। ये अभियान 29 सितंबर 2016 की सुबह खत्म हुआ।
पीओके में कई आतंकी शिविर चल रहे हैं यह सभी जानते हैं। दावों के मुताबिक भारतीय खुफिया एजेंसियों को पुख्ता इनपुट मिले थे कि सैंकड़ों प्रशिक्षित आतंकी एलओसी के नजदीक लॉन्चिंग पैड पर घुसपेठ के लिए तैनात थे। घुसपेठ के लिए तैयार इन आतंकियों पर पिछले एक सप्ताह से सेना की विशेष नजर थी। कहते हैं कि सेना को इनपुट मिले थे कि उरी हमले के बाद पाकिस्तान एलओसी पर राजोरी-पुंछ में हमले की साजिश रच रहा है।
भारतीय सेना ने रणनीति के तहत पहले पाकिस्तानी सेना को छकाया और बाद में चित कर दिया। दावों की माने तो उरी सैन्य शिविर पर आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने कश्मीर घाटी के उरी और टंगधार से सटे एलओसी पर अपनी ताकत बढ़ाकर पाकिस्तान सेना के रणनीतिकारों को उलझाया और इस बीच पुंछ और कुपवाड़ा सेक्टर में सर्जिकल स्ट्राइक सरीखे सैन्य अभियान की गोपनीय तैयारी कर ली। उरी हमले के बाद लश्कर-ए-तैयबा ने हमले की जिम्मेदारी ली थी। लेकिन भारतीय सेना ने तत्काल इसे जैश-ए-मोहम्मद की करतूत बताया। कहते हैं कि इस रणनीति से लश्कर-ए-तैयबा के कैंपों को तबाह करने की व्यूहरचना में बाधा उत्पन्न नहीं हो सकी। सेना को उरी हमले के बाद भिम्बर, केल और लीपा इलाके में लश्कर-ए-तैयबा के मुखिया हाफिज सईद के मूवमेंट की भी खबर मिली थी। समझा जाता है कि भारतीय सेना के अभियान से पहले हाफिज ने पीओके छोड़ दिया था। इस अभियान में आतंकी संगठन लश्कर के ज्यादा कैंप तबाह हुए।
इतना ही नहीं, उरी हमले से ठीक पहले लश्कर के आतंकियों ने उरी में सेना की 93 ब्रिगेड को निशाना बनाने की कोशिश की थी। हालांकि, वक्त रहते भारतीय सेना ने उस नापाक हरकत को नाकाम कर दिया था।
कथित तौर पर इस अभियान में कई जवान शामिल थे, लेकिन एक दावे की माने तो 19 जवान इस अभियान का केंद्रीय हिस्सा थे। अभियान के दौरान भारतीय सेना ने हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया था। हालांकि यह तय नहीं है कि हेलीकॉप्टर ने सीमा पार की थी या नहीं। बेहद ज्यादा संभावना के अनुसार हेलीकॉप्टर के द्वारा जवानों को एलओसी के नजदीक भारतीय सीमा में ही उतारा गया था। कुछ दावों की माने तो हमले के दौरान पैरा कमांडो की पांच क्रैक टीम बनाई गई थी। कथित तौर से ऊधमपुर के उत्तरी कमान से पैरा कमांडो ने एएलएच ध्रुव हेलीकॉप्टर से उड़ान भरी। हेलीकॉप्टर ने इन जवानों को जंगल में उतार दिया। पाकिस्तानी सेना की फायरिंग की आशंका के बीच इन कमांडोज़ ने तक़रीबन तीन किलोमीटर का फासला रेंग कर तय किया। इस दौरान बैक अप के लिए भारतीय सेना ने मोर्टार फायर किए। दावों की माने तो कमांडोज़ तवोर और एम-4 जैसी राइफलों, ग्रेनेड्स और स्मोक ग्रेनेड्स से लेस थे। उनके पास अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चिंग, नाइट विज़न डिवाइसेज़ और हेलमेट माउण्टेड कैमरे भी थे।
कथित रूप से स्पेशियल फोर्स ने नियंत्रण रेखा के पार डेढ़ से तीन किलोमीटर भीतर कार्रवाई की। कार्रवाई के दौरान एलओसी पर मौजूद 7 लॉन्च पैड खत्म किए गए। ऑपरेशन को बारामूला, राजौरी और कुपवाड़ा में तैनात सेना की 19, 25 और 28 डिविज़न्स के जवानों ने अंजाम दिया। इनमें बिहार व डोगरा रेजिमेंट के जवान भी थे। इन्हें सीमा पार की अच्छी खासी जानकारी थी। उरी हमले में वीर गति को प्राप्त हुए जवान इसी रेजिमेंट के थे।
भारतीय सेना ने 28 सितंबर 2016 की देर रात को तकरीबन 12-30 बजे इस अभियान को अंजाम दिया। सीमा पार किए गए इस ऑपरेशन में कितने जवान शामिल थे, उन्हें कितने दलों में बाँटा गया था, पूरी कार्रवाई में कितना समय लगा, दुश्मन को कितना नुकसान हुआ, यह सारी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। जो कुछ खबरें हैं वह दावों के आधार पर है। कुछ रिपोर्ट्स की माने तो पीओके के भिम्बर, तत्तापानी, केल और लीपा स्थित आतंकी शिविरों पर सर्जिकल कार्रवाई की गई।
सुबह अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सूज़न राइस ने अजित डोभाल से इस बारे में भी बातचीत की। हालांकि कुछ दावों की माने तो अमेरिका को इस अभियान की पूर्व जानकारी दी जा चुकी थी। लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। सेना ने इस ऑपरेशन की जानकारी उच्च पदस्थ अधिकारियों को दी। राष्ट्रपति और रक्षा मंत्रायल से अनुमति मिलने के बाद सेना की स्पेशल फोर्सेज़ ने ऑपरेशन को अंजाम देने का प्लान बनाया था। लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह के अनुसार प्रोटोकॉल का पालन करते हुए पाकिस्तान को इस सर्जिकल हमले की जानकारी दे दी गई थी। कहा गया कि भारत ने इस स्ट्राइक के वीडियो भी रिकोर्ड किए थे।
एक रिपोर्ट की माने तो भारतीय सेना द्वारा पीओके में की गइ स्ट्राइक में पहली बार कार्टोसैट सैटेलाइट द्वारा ली गइ तस्वीरों का प्रयोग किया गया था। इसरो ने एलओसी के पार हुए स्ट्राइक के लिए सैन्य बलों को बेहतरीन क्वालिटी की तस्वीरें प्रदान की थीं। कार्टोसैट के जरिए सैन्य बलों को तस्वीरें मुहैया कराई गईं। कार्टोसैट सैन्य बलों को एरिया ऑप इंट्रेस्ट आधारित तस्वीरें भी प्रदान कर रहा है। सशस्त्र बलों की मांग के अनुसार तस्वीरों को प्रदान किया जाता है।
जानकारी के लिए बता दे कि पहला कार्टोसैट उपग्रह कार्टोसैट-1 श्रीहरिकोटा में नव निर्मित दूसरे लॉन्च पैड से 5 मई 2005 के दिन पीएसएलवी-सी6 द्वारा लॉन्च किया गया था। इसरो ने इसी साल जून में पीएसएलवी सी34 के ज़रिए एक साथ जिन 20 उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित कर नया इतिहास रचा था, उनमें कार्टोसैट -2 सीरीज़ के सैटेलाइट को भी अंतरिक्ष कक्षा में स्थापित किया गया था। जिसके जरिए ये तस्वीरें मिली थी। इसकी मदद से आसमान से ज़मीन की बेहतरीन क्वालिटी की तस्वीरें ली जा सकती है।
स्पष्ट था कि पीओके में चल रहे आतंकी शिविरों पर शुरू की गई कार्रवाई से पाकिस्तान हैरानी में ज़रूर आ गया था। भारत द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान की तरफ से वही प्रतिक्रिया आई जिसकी उम्मीद थी। पाकिस्तान ने तीखी प्रतिक्रिया दी। पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ ने कहा कि हम इस हमले की निंदा करते हैं, शांति की हमारी चाहत को हमारी कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए। उन्होंने अपने बयान में कहा कि हम पूरी दृढ़ता से भारतीय सेना की अकारण और नग्न आक्रामकता की निंदा करते हैं, जिसकी वजह से सीमा पर हमारे दो जवान वीर गति को प्राप्त हो गए। यानि पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर अपने दो जवानों की हताहत होने की बात को स्वीकार कर लिया था।
उधर पाकिस्तान मिलिट्री मीडिया विंग प्रवक्ता असीम बाजवा ने कहा कि भारत की ओर से कोई सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हुई है। बाजवा ने कहा कि हां, भारत ने क्रॉस बार्डर फायरिंग जरूर की है, जोकि आम बात है, पाकिस्तानी सेना ने भी इस फायरिंग का जवाब दायरे में रहकर दिया है। पाकिस्तानी सेना के लेफ्ट जनरल असीम बाजवा ने जियो टीवी को बताया कि हम इसे खारिज करते हैं, जमीनी स्तर पर ऐसा कुछ नहीं हुआ है, उस रात सिर्फ गोलीबारी की घटना हुई जिसका हमने जवाब दिया।
मतलब कि पाकिस्तानी हुकूमत और पाकिस्तानी सेना के बयानों में बहुत बड़ा अंतर था। उनके प्रधानमंत्री आधिकारिक तौर पर भारत के सैन्य कदम का स्वीकार करते हैं, उधर पाकिस्तान की सेना इनकार करती है! वैसे ऐसी विसंगतता कोई नयी बात नहीं थी! कम से कम पाकिस्तान के लिए तो नहीं!
उधर 29 सितंबर 2016 की सुबह विदेश मंत्रालय व रक्षा मंत्रालय द्वारा साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस सैन्य अभियान के बारे में आधिकारिक सूचना जारी की गई। इसके अलावा दुनिया के तकरीबन 22 देशों के राजदूतों को इस ऑपरेशन के बारे में सूचित किया गया। भारत सरकार ने अपने राजकीय कर्तव्यों का पालन करते हुए देश के राजकीय दलों व व्यक्तियों को इस बारे में अवगत कराया। राज्यों के सीएम तथा नेताओं को केंद्र सरकार ने अवगत कराया। भारत सरकार ने कहा कि जिस इलाके में ऑपरेशन किया गया है वो भारत का हिस्सा है तथा उस हिस्से पर पाकिस्तान का कोई हक़ नहीं बनता।
सर्वप्रथम बांग्लादेश ने आधिकारिक रूप से इस ऑपरेशन का समर्थन किया। बांग्लादेश ने कहा कि संप्रभुता पर हमला होता है, तो भारत के पास कार्रवाई का अधिकार है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि भारतीय सेना के ऑपरेशन के बाद दोनों देशों के बीच उपजे हालात पर अमेरिका की नजर है। भारत स्थित अफगानी राजद्वारी शाइदा अब्दाली ने कहा कि भारत द्वारा की गई कार्रवाई आत्मरक्षा हेतु थी, हम उम्मीद करते हैं कि कोई भी देश आतंकवादियों के लिए सेफ हेवन बनकर पड़ोसी देशों के विरुद्ध उपयोग नहीं करेगा।
रूस ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पाकिस्तान के लिए ज़रूरी है कि वो आतंकवादियों के विरुद्ध सख्त कदम उठाए। लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन से मुलाकात में दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति पार्क ग्युन हे ने भारत की कार्रवाई का समर्थन किया। यूरोपीय संसद के उपाध्यक्ष रिकार्ड जारनेकी ने भी भारत के स्ट्राइक का समर्थन किया।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून के प्रवक्ता स्टीफान दुजारिक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सैन्य प्रेक्षक दल ने भारत और पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर कोई गोलीबारी सीधे तौर पर नहीं देखी है, संघर्ष विराम के इस कथित उल्लंघन के बारे में हमें खबरों जानकारी मिली है। प्रेक्षक दल उस सिलसिले में संबंधित अधिकारियों से बातचीत कर रहा है।
वहीं पाकिस्तान के मित्र देश चीन ने इस अभियान को लेकर अपने बयान में विशेष ज़िक्र नहीं किया। भूटान, जर्मनी, यूरोपीय संघ ने भारत के इस कदम का समर्थन किया।
इसी दौरान पाकिस्तान में सार्क समिट आयोजित होनी थी। भारत, बांग्लादेश, भूटान व अफगानिस्तान ने इस संमेलन से किनारा किया। श्रीलंका व नेपाल ने ना ही किनारा किया और ना ही समर्थन दिया। आखिरकार पाकिस्तान को सार्क संमेलन रद्द करना पड़ा। चीन, कतर, बहरीन, सऊदी अरब जैसे देशों ने चुप्पी साध कर पाकिस्तान को निराश किया।
भारतीय सेना के अनुसार नियंत्रण रेखा के पार जाकर हुई स्ट्राइक में भारतीय सेना का कोई भी सैनिक हताहत नहीं हुआ था या टीम का कोई सदस्य पाकिस्तान सेना के हाथ नहीं आया था। हालांकि इस दौरान भारतीय सेना के एक जवान को लेकर कुछ चीजें ज़रूर दर्ज की गई। भारतीय सेना के अनुसार 37 आरआर (राष्ट्रीय राइफल्स) बटालियन का एक सैनिक हथियार के साथ नियंत्रण रेखा के उस पार (पाक अधिकृत कश्मीर) की तरफ चला गया था। इस जवान का नाम चंदु बाबुलाल चौहाण था, जो महाराष्ट्र से थे। भारतीय डीजीएमओ ने हॉट लाइन पर पाकिस्तान के अपने समकक्ष को भूलवश नियंत्रण रेखा के उस पार गए इस सैनिक के बारे में जानकारी दे दी और दोनों देशों के बीच स्थापित प्रक्रिया के तहत इस सैनिक को लौटाने का निवेदन किया। भारतीय सेना के अनुसार इस जवान ने गलती से सीमा पार कर दी थी और इस जवान का सर्जिकल स्ट्राइक से कोई लेना देना नहीं था। हालांकि अभी तक पाकिस्तान ने इन्हें भारत को लौटाया नहीं है।
यहाँ ये बात गौर करने लायक रही कि भारत ने ऐसी कार्रवाई को खुलकर स्वीकार करने की हीमत दिखाई थी। इसके पीछे राजनीति वजहें रही या कुछ दूसरी चीजें, इसके बारे में केवल अटकले ही लगाई जा सकती हैं। कहा जाता है कि पहले भी ऐसे नियंत्रित हमले किए गए हैं। लेकिन इन्हें आधिकारिक रूप से सरकार ने कबूल नहीं किए हैं या रिकॉर्ड नहीं किए गए। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसी चीजे औपचारिक रूप से एक दूसरे के साथ साझा की जाती हैं। लेकिन इस बार भारत ने आधिकारिक रूप से इसे देश व दुनिया से साझा किया था। इससे दुनिया के पटल पर भारत की राजनीतिक इच्छाशक्ति और भारतीय सेना को मनोवैज्ञानिक जीत भी मिली थी।
सरहद की बात की जाए तो 28 सितंबर 2016 को पूंछ में एलओसी के सब्जियां सेक्टर में पाकिस्तान ने शाम 5 बजकर 55 मिनट पर दो पोस्टों को निशाना बना कर गोलाबारी शुरू की थी। इस दौरान पाक रेंजरों की ओर से मोर्टार दागे गए थे, साथ ही यूएमजी गन से फायरिंग की गई। इसी रात को भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया। दूसरे दिन सुबह फिर से पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सीमा पर फायरिंग की। सुबह 4 बजे पाकिस्तानी सेना की ओर से नौशेरा सेक्टर में सीजफायर का उल्लंघन करते हुए फायरिंग की गई। पाकिस्तानी सेना के जवानों ने भारतीय सीमा पर मोर्टार भी दागे। सीमा पर तैनात भारतीय सेना के जवानों ने इस फायरिंग का जवाब दिया। पाकिस्तानी सेना की ओर से सुबह 8-45 बजे तक रूक रूक कर फायरिंग होती रही।
पाकिस्तानी सैनिकों ने जम्मू कश्मीर के अखनूर जिले में भी नियंत्रण रेखा पर फिर से संघर्षविराम का उल्लंघन करते हुए गोलीबारी की। पाकिस्तानी की ओर से रात को छोटे हथियारों से नियंत्रण रेखा में जम्मू जिले के पल्लनवाला, चपरियाल और समनाम इलाकों में गोलीबारी की गई। गोलीबारी रात करीब साढ़े बारह बजे शुरु की गई, जबकि देर रात डेढ़ बजे समाप्त हो गई। इस गोलीबारी में कोई भी घायल या हताहत नहीं हुआ। पाकिस्तान की और से युद्धविराम का यह उल्लंघन कई दिनो तक चलता रहा। एक ही दिन में तीन से चार बार तक पाकिस्तान गोलीबारी करता रहा।
इधर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारत ने राजस्थान में एयरफोर्स स्टेशन हाइ अलर्ट पर रखे हुए थे। भारतीय सेना पाकिस्तानी गोलीबारी का जवाब देती रही। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पंजाब के अटारी इलाके से सटे गांव खाली कराए गए। पश्चिमी सीमा पर तैनात जवानों की छुट्टियां रद्द् कर दी गई। गृहमंत्रालय ने सीमावर्ती सीमा के लिए एडवाइज़री जारी की। बॉर्डर के 10 किमी के इलाके को लेकर विशेष निर्देश दिए गए।
एक राष्ट्रीय मीडिया वेबसाइट पर छपी एक खबर की माने तो उस रात को पाकिस्तानी इलाके में भारतीय सेना द्वारा हमला, यानि स्ट्राइक उरी सेना बेस पर आतंकी हमले के बाद देश की जनता में उमड़े 'व्यापक गुस्से' को शांत करने के लिए किया गया था। यह दावा प्रधानमंत्री के साथ बैठक में शामिल होने वाले मंत्री के हवाले से किया गया था। दावे की माने तो यह उन मंत्रियों का कहना था, जो गुरुवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा की समीक्षा करने के लिए बुलाई गई बैठक में शामिल थे। दावा किया गया था कि सरकार को इस बात की जानकारी थी कि जनता में उरी हमले के बाद व्यापक गुस्सा मौजूद है। यह भी बताया गया कि जनता में इस कदर गुस्सा भरा हुआ था, जो पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए भारत द्वारा हाल ही में उठाए गए एमएफएन दर्जा वापस लेने और राजनयिकों को वापस बुला लेने जैसे कदमों से शांत नहीं होने वाला था।
आज तक न्यूज़ साइट के मुताबिक पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में भारतीय सेना के ऑपरेशन की पूरी जानकारी अमेरिका को थी। ऑपरेशन को अंजाम देने से ठीक एक दिन पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अपने अमेरिकी समकक्ष जॉन केरी से लंबी बात हुई थी। इस दौरान सुषमा ने केरी को भारत के भावी रुख से अवगत करा दिया था। इस ऑपरेशन के बाद भी अमेरिका के आला अधिकारी द्वारा नई दिल्ली फोन कर इस ऑपरेशन के बाद की भी जानकारी साझा की गई थी। ऑपरेशन के बाद की जानकारी का जिक्र खुद अमेरिका में व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जॉश अर्नेस्ट ने अपनी प्रेस ब्रीफिंग में किया था।
रही बात राजनीति की, आश यही है कि कूटनीति के सामने राजनीति जीत ना जाए। ज़रूरत से ज्यादा राजनीति मूल उद्देश्य से भटका देती है।
हालांकि आज 2 अक्टूबर 2016 के दिन अटारी वाघा बॉर्डर फिर से खोल दिया गया है। यहाँ रोजाना होने वाले बीटिंग रिट्रीट को देखने के ले चार दिनों बाद लोगों को फिर से अनुमति मिल गई है। यानि सरहद पर वातावरण फिर से वैसा हो रहा है, जैसा स्ट्राइक के पहले था।
जैसा हमने ऊपर लिखा है वैसे शांतिकाल के दौरान किए जाने वाले ऐसे सैन्य अभियान सैन्य की नीति और कूटनीति, दोनों चीजों से बहुत संदर्भ रखते हैं। आंकड़े गिनना इसका मकसद नहीं होता। आंकड़े मनोवैज्ञानिक असर डालते हैं, इस लिहाज से सैन्य अभियानों के बाद शामिल रहे देश इसे लेकर अपने अपने तरीके से अलग अलग दावे ज़रूर करते रहते हैं। जो हुआ है उससे अधिक दिखाकर एक दूसरे पर मनोवैज्ञानिक दबाव डालना मान्य परंपरा है। क्योंकि कहते हैं कि जंग भले ही जमीन पर लड़ी जाती हो, लेकिन फैसला अक्सर दिलों दिमाग करते हैं। अभियानों के खत्म हो जाने के बाद आधिकारिक बहुत कम होता है, दावे-सूत्र आदि चीजें ज्यादा होती हैं। सरकार की अपनी राजनीति सदैव शामिल रहती है, जब ऐसे अभियानों को सार्वजनिक किया जाए। सरकार या सेना तमाम जानकारियाँ साझा कर देंगे यह तो बेवकूफी भरी आश है।
लेकिन एक बात तो साफ है कि अब की बार पाकिस्तान भौचक्का ज़रूर रह गया था। ऐसे सैन्य अभियान को सार्वजनिक करने से पाकिस्तान की सेना, पाकिस्तान की राजनीति और पाकिस्तान की जनता, तीनों पर इसका असर ज़रूर देखा गया। पाकिस्तान गच्चा खाकर भी संभल नहीं पाया, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वह अकेला दिखाई दिया और सार्क समिट रद्द करना पड़ा।
(इंडिया इनसाइड, एम वाला)
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