8 नवम्बर 2016 की रात 8 बजे राष्ट्र के नाम संबोधन में तत्कालीन प्रधानमंत्री ने 500 और 1000 के नोट अमान्य घोषित कर दिए। उसके बाद 30 नवम्बर तक का वक्त... उसे हमने दो संस्करणों में देखा। एक संस्करण में हमने उस ऐतिहासिक फ़ैसले, उसके अच्छे असर, बुरे असर, आपाधापी, आशंकाएं, विवाद और ख़ुशी व ग़म के दौर को देखा। उसके बाद 31 दिसंबर 2016 के दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री ने फिर एक बार राष्ट्र को संबोधित किया। 31 दिसंबर 2016 से लेकर 1 फ़रवरी 2017 के घटनाक्रम को हमने “कथित नोटबंदी या नोटबदली के 50 दिन बाद की कहानियाँ” में देखा। हम वहीं से आगे बढ़ते हैं।
कैशलेस सिस्टम बनाने की जगह बैंक और एटीएम ही हो चुके थे कैशलेस, चुनाव की वजह से बैंकों और लोगों को झेलनी पड़ी थी दिक्कतें
18 फरवरी 2017 के दिन उत्तरप्रदेश को लेकर एक खबर अखबार में छपी। खबर के मुताबिक 20 फरवरी 2017 के दिन प्रदेश में मौजूद लाखों एटीएम और बैंक कैशलेस हो सकते थे। मीडिया में छपा कि हो सकता है कि उस दिन बैंक अपने ग्राहकों को पैसा देने से इनकार कर दे। दरअसल इसके पीछे वजह थी नकदी की कमी। कहा गया कि सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मियों की कमी की वजह से कानपुर आरबीआई से पिछले एक सप्ताह से पैसा नहीं आने से ऐसे हालात हो चुके थे।
दिल्ली से सटे गाजियाबाद और नोएडा में भी कैश न होने से लोगों का बुरा हाल था। गौतमबुद्ध नगर के लीड डिस्ट्रिक्ट मैनेजर एके सिंह का कहना था कि गाजियाबाद, मेरठ, बुलंदशहर और नोएडा के चेस्ट में कानपुर आरबीआई से पैसा नहीं आ पा रहा। इसकी वजह थी प्रदेश में हो रहे चुनाव। चूंकि पैसा लाने के लिए जिले की पुलिस जाती है, लेकिन यह सभी पुलिसकर्मी चुनाव ड्यूटी में दूसरे जिलों में गए थे। लिहाजा पैसा लाने का काम ठप हो चुका था।
सरकारी ही नहीं, निजी बैंकों का भी यही हाल था। निजी बैंकों को भी कैश लाने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा था। इन बैंकों के पास भी पहले से मौजूद कैश खत्म होने को थी। 17 फरवरी 2017 के दिन से गाजियाबाद के कई निजी बैंकों के एटीएम में कैश नहीं था। बैंकों के ब्रांच भी एटीएम में पैसा नहीं डाल रहे थे। बैंक अधिकारियों की ओर से आरबीआई को अपील भी की गई कि वह अपनी ओर से सुरक्षाकर्मियों की व्यवस्था कर पैसा भिजवाएं ताकि लोगों का किसी तरह से काम चल सके।
नये नोट की छपाई और पूर्व तथा तत्कालीन गवर्नरों के उन नोट पर हस्ताक्षर को लेकर आरबीआई ने दिया था यह जवाब
नोटबंदी पर दायर की गई एक आरटीआई याचिका का जवाब देते हुए आरबीआई सवालों के घेरे में और उलझ गया। आरबीआई ने 2000 के नये नोट की छपाई की जो तारीख बताई, उस पर पुराने गवर्नर रघुराम राजन के दस्तखत न होना संशय पैदा कर गया। आरबीआई ने जो उत्तर दिया था उस हिसाब से जब 2000 के नए नोट की छपाई शुरू हुई थी तब उर्जित पटेल आरबीई के गवर्नर पद पर नहीं थे। हालांकि नए नोट में दस्तखत इन्हीं के थे। आरबीआई के नियम के हिसाब से नोट पर मौजूदा गवर्नर के हस्ताक्षर होते है। ऐसे में नए नोट पर हस्ताक्षर रघुराम राजन के होने चाहिए थे।
आरटीआई कार्यकर्ता सतपाल गोयल ने 13 दिसंबर 2016 को दायर की गई आरटीआई में पूछा था कि रिजर्व बैंक ने 2000 तथा 500 के नए नोटों की छपाई का कार्य कब से शुरू किया था। गोयल के आवेदन पर आरबीआई के केंद्रीय जनसूचना अधिकारी ने 12 जनवरी 2017 को जवाब देने के लिए ट्रांसफर कर दिया था। रिजर्व बैंक द्वारा जवाब में बताया गया कि, “2000 रुपए के नए नोट की छपाई का कार्य बीआरबीएनएमपीएल में 22 अगस्त 2016 को शुरू हुआ था, जबकि 500 रुपए के नए नोट की छपाई का पहला चरण बीआरबीएनएमपीएल में 23 नवंबर 2016 को शुरू हुआ था।”
अब सवाल यह उठा कि अगर 2000 के नए नोट की छपाई का कार्य 22 अगस्त को शुरू हुआ था तो फिर उस पर नए गवर्नर उर्जित पटेल के हस्ताक्षर कैसे आ गए? क्योकि उर्जित पटेल ने तो गवर्नर के तौर पर अपना चार्ज 6 सितम्बर 2016 को संभाला था। स्वाभाविक है कि चार्ज संभालने से पहले गवर्नर के हस्ताक्षर नए नोटों पर नहीं आ सकते। अगस्त मध्य में तो गवर्नर का पदभार रघुराजन के हाथों में था।
चौबीसों घंटे, सातों दिन हो रही थी नोटों की छपाई
नकदी की स्थिति सामान्य होने के इतने दिनों बाद भी प्रिटिंग प्रेसों में अब भी सातों दिन काम हो रहा था। केंद्र सरकार की ओर से लिए गए नोटबंदी के फैसले के बाद बैंकों और एटीएम के बाहर दिखने वाली लंबी लंबी कतारों की स्थिति भले ही अब सामान्य हो गई थी, लेकिन प्रिटिंग प्रेस में नोटों की छपाई का काम अब भी युद्ध स्तर पर जारी था। कहा गया कि प्रिटिंग प्रेसों में अब भी सातों दिन, चौबीसों घंटे, तीन शिफ्टों में काम हो रहा था। सिक्योरिटी प्रिंटिंग मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसपीएमसीआईएल) के मुख्य प्रबंध निदेशक एवं आर्थिक मामलों के विभाग में संयुक्त सचिव प्रवीण गर्ग ने कहा कि, "एक लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के 500 रुपये के नए नोट पहले ही छापे जा चुके हैं। 500 रुपये के 2.2 करोड़ नोट प्रतिदिन छापे जा रहे हैं।"
स्टेट बैंक ने बिना जानकारी दिये किसानों के खातों से काट लिए 990 करोड़
18 फरवरी 2017 के दिन ये खबर अखबारों में छपी। हालांकि नोटबंदी से सीधा कनेक्शन तो नहीं था, क्योंकि किसानो के पैसे काटने के पीछे वजह और बताई गई थी। खबरों के मुताबिक हवामान की जानकारी देने के नाम पर एसबीआई ने किसानों के खातों से उन्हें पूछे बिना ही प्रति खाते 990 रुपये काट लिए। एक करोड़ केसी धारक किसानों के खातों से 990 करोड़ रुपये काट लिए गए। रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश के 6 लाख किसानों के खातों से 60 करोड़ काट लिए गए। एसबीआई ने इसे सर्विस चार्ज बताया, जबकि केंद्र सरकार हवामान संबंधित जानकारियां टोल-फ्री नंबर पर दे रही थी।
निकासी सीमा पर घोषित हुई एक और छूट
20 फरवरी 2017 के दिन निकासी सीमा के मामले में बैंक उपभोक्ताओं के लिए एक और छूट की घोषणा की गई। ये बचत खातों से संबंधित थी। इस दिन से अब उपभोक्ताओं के लिए अपने बचत खातों से प्रति सप्ताह 50,000 रुपये तक की निकासी तय की गई। रिजर्व बैंक ने 1 फरवरी, 2017 को चालू खातों के लिए निकासी सीमा हटा ली थी, लेकिन बचत खातों के लिए साप्ताहिक निकासी की सीमा 24,000 रुपये पर यथावत छोड़ दी गई थी।
नकद निकासी की सीमा खत्म
रिजर्व बैंक ने 12 मार्च 2017 के दिन कहा कि 13 मार्च से नकद निकासी की सीमा समाप्त कर दी जाएगी। यानी कि इस दिन से कैश निकालने के नियंत्रण समाप्त हुए और अब जितना चाहे उतना कैश निकाल सकते थे। आरबीआई ने उम्मीद जताई कि अगले महीने नकदी की आपूर्ति पूरी तरह सामान्य हो जाएगी। रिजर्व बैंक ने कहा कि होली के अगले दिन से बचत खाते सहित सभी तरह की निकासी की सीमा पूरी तरह समाप्त कर दी जाएगी।
हिंसा रोकने में अब बेअसर हो रही नोटबंदी? आतंकियों को फिर हवाला से फंडिग शुरू?
20 फरवरी 2017 के दिन आई खबर के मुताबिक कश्मीर में फिर से हिंसा और उपद्रव का दौर का शुरू करने की साजिशें तेज हो गईं थी। खबर के मुताबिक सुरक्षा एजेंसियों ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी रिपोर्ट में मार्च से हिंसा भड़कने की आशंका जताई। रिपोर्ट में कहा गया था कि अलगाववादियों और आतंकी संगठनों के गठजोड़ ने मार्च से फिर से व्यापक विरोध प्रदर्शन और हमले की साजिश बुनी है। हवाला के जरिए फंडिंग तेज हो रही है। पत्थरबाजों को दिहाड़ी भी मिलने लगी है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पत्थरबाजी की घटनाएं बंद होने के पीछे नोटबंदी के असर को कारण बताया था। बीच में नोटबंदी की वजह से हवाला कारोबार और आतंकी घटनाओं में 50 से 60 प्रतिशत गिरावट की बात सामने आई थी। लेकिन एजेंसियों के अनुसार अब यह असर समाप्त हो रहा था। जनवरी से पत्थरबाजी की घटनाएं फिर से शुरू हुई। मुठभेड़ के बाद हिंसक प्रदर्शन भी शुरू हुए। तत्कालीन सैनाध्यक्ष और तत्कालीन रक्षा मंत्री को चेतावनियां तक देनी पड़ी कि आतंकी अभियानों में अड़ंगा डालनेवालों को आतंकवादी ही माना जाएगा।
केंद्र सरकार से उलट जम्मू-कश्मीर सरकार ने माना था कि नोटबंदी से कश्मीर हिंसा पर कोई असर नहीं
केंद्र सरकार ने अपनी एजेंसियों के रिपोर्ट के जरिये बताया था कि नोटबंदी की वजह से कश्मीर हिंसा में कमी आई है। दूसरी ओर केंद्र की रिपोर्ट के उलट रियासत सरकार मानती थी कि कश्मीर हिंसा पर नोटबंदी का कोई असर नहीं पड़ा था। जम्मू-कश्मीर की तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती इस संबंध में विधानसभा में स्पष्ट कर चुकीं थी कि नोटबंदी के कारण पत्थरबाजी की घटनाएं बंद होने जैसी कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा था कि, “ऐसी कोई रिपोर्ट रियासत सरकार को नहीं मिली है जिसमें नोटबंदी का कश्मीर हिंसा पर किसी तरह के असर की बात कही गई हो।” महबूबा ने उपद्रव और हिंसा में जाली मुद्रा के इस्तेमाल की संभावना से भी इनकार किया था।
कितने खातों में 2.5 लाख से ज्यादा जमा हुए नहीं पता- आरबीआई का जवाब
31 दिसंबर से लेकर 1 फरवरी तक आरटीआई में चौंकानेवाले जवाब देने का आरबीआई का सिलसिला यही नहीं रुका। मध्यप्रदेश से आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने एक आरटीआई डाली थी। उन्होंने पूछा था कि नोटबंदी के दिन से 30 दिसंबर 2016 तक गैरकानूनी घोषित करेंसी के जरिये कितने खातों में ढाई लाख से ज्यादा की रकम जमा हुई। 17 फरवरी 2017 के दिन आरबीआई ने उन्हें जवाब दिया कि, “हमारे पास इसकी कोई जानकारी नहीं है।”
पीएम के चुनावी बयान या फिर अपने ही बातों में पैदा कर रहे थे विरोधाभास?
24 फरवरी 2017 के दिन यूपी में गोंडा रैली के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री ने कहा कि, “नोटबंदी लागू की गई उससे पहले मायावती और मुलायम ने कहा था कि नोटबंदी करनी है तो करिये, लेकिन उसके लिए 7-8 दिन का वक्त दे दीजिए।” पीएम का यह बयान चौंकानेवाला इसलिए था, क्योंकि खुद उन्होंने 8 नवम्बर 2016 और उसके बाद भी देश को कहा था कि, “नोटबंदी के बारे में उन्हें और चंद लोगों को ही पता था। यहां तक की कई मंत्रियों को भी नहीं पता था।” ऐसे में सवाल उठता है कि फिर मायावती और मुलायम को कैसे पता होगा?! हो सकता है कि ये महज एक चुनावी बयान हो, लेकिन जिस विषय को लेकर आरटीआई हो रही थी या समितियां जानना चाह रही थी उस बात को ऐसे विरोधाभासी तरीके से कहकर पीएम खुद ही बात को ज्यादा संदिग्ध बना रहे थे।
मीडिया रिपोर्ट- 1000 का नोट लाने की तैयारियां
20 और 21 फरवरी के दिन मीडिया में यह रिपोर्ट छपी। मीडिया में छपी रिपोर्ट में दावा किया गया कि भारतीय रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार ने एक हज़ार रुपये का नया नोट मार्केट में लाने की तैयारी शुरू कर दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक हज़ार रुपये के नए नोटों की छपाई भी शुरू हो गई है।
सरकार का स्पष्टीकरण- 1000 के नोट लाने की कोई योजना नहीं है
22 फरवरी 2017 के दिन आर्थिक विषयों के सचिव शशिकांत दास ने कहा कि, “1000 का नोट बाजार में उतारने की सरकारी की कोई योजना नहीं है।” उन्होंने कहा कि, “फिलहाल 500 और उससे छोटी नोट के प्रिन्टिंग और वितरण पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।” अपनी बात में उन्होंने लोगों को ये नसीहत भी दी कि जितनी ज़रूरत हो उतने ही पैसे एटीएम से निकाले।
28 फरवरी के दिन बैंकों ने रखा बंद
28 फरवरी 2017 के दिन राष्ट्रीयकृत बैंकों ने बंद रखा। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन ने देशभर में इस बंद का एलान किया था। इस बंद में 26 राष्ट्रीयकृत बैंक, 5 एसोसियेट बैंक तथा एसबीआई समूह के बैंकों ने हिस्सा लिया। एचडीएफसी, एक्सिस, आईसीआईसीआई, सिटी बैंक तथा सहकारी बैंक इस बंद से दुर रहे। नोटबंदी के बाद बैंक कर्मचारियों के सामने खड़ी हो चुकी समस्याओं को सरकार तक पहुंचाने के लिए ये बंद रखा गया था। नोटबंदी के दौरान ओवरटाइम, ओवरटाइम का वेतन, बैंकों को हो रहा नुकसान, नकदी की कमी-एटीएम की समस्याएं, समस्याओं के चलते बैंक कर्मचारियों पर हो रहे हमले जैसे मुद्दों को लेकर इस दिन बैंक कर्मचारियों ने बंद रखकर अपनी दिक्कतों को सरकार के सामने रखा। हालांकि, यूएफबीयू में शामिल दो बैंक यूनियनों नेशनल आर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स और नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स इस हड़ताल में शामिल नहीं थे। इन संगठनों ने इस हड़ताल को राजनीति से प्रभावित कदम बताया था।
500-1000 के बंद नोट मिले तो लगेगा 10,000 का जुर्माना
केंद्र सरकार ने रद्दी हो चुके 500 और 1000 के पुराने नोटों को लेकर बनाए गए कानून की अधिसूचना जारी कर दी। जिसमें 10 या उससे ज्यादा रद्दी हो चुके नोट पाए जाने पर न्यूनतम अर्थदंड तय किया गया था। जनवरी 2017 में पुराने नोट (500 और 1000) को बाजार से पूरी तरह से खत्म करने के लिए सरकार ने संसद में नोटबंदी विधेयक 2017 पास कर दिया था। 27 फरवरी के दिन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कानून पर हस्ताक्षर किए। फाइनेंसियल एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक कानून के चलन में आने के बाद किसी भी व्यक्ति के पास निजी तौर पर 10 से ज्यादा पुराने नोट और 25 से ज्यादा पढ़ाई शोध के लिए रखे गए पुराने नोट होने पर जुर्माना लगेगा। कानून लागू होने के बाद से पुराने नोटों पर सरकार और आरबीआई की जिम्मेदारी खत्म हो गई। कानून 31 दिसंबर 2016 के बाद से पुराने नोट रखने, किसी और को देने या प्राप्त करने पर प्रतिबंध लगाता था।
नोटबंदी के दौरान देश का आर्थिक विकासदर रहा 7, आंकड़ा आने के बाद सरकार को मिली थी राहत
इस बीच नोटबंदी की दौरान देश के आर्थिक विकासदर का आंकड़ा आया। आंकड़ा आने के बाद सरकार और उनके नेताओं को राहत महसूस हुई। शायद चारो तरफ से आ रही बुरी खबरों के बीच एक अच्छी खबर ने लोगों से ज्यादा तो सरकार को खुश कर दिया था! आंकड़ा आया कि अक्टूबर 2016 से दिसंबर 2016 की तिमाही में जीडीपी 7 प्रतिशत रहा। नोटबंदी की वजह से जीडीपी का आंकड़ा गिरने की आशंकाएं कई संगठन और संस्थाएं पेश कर चुकी थी। लेकिन दुनिया के सबसे तेज विकसित अर्थतंत्र की जगह भारत ने बनाए रखी। विकासदर कम होने का अनुमान फिलहाल तो उतना जोख़िमभरा विषय नहीं रहा था। आंकड़े के हिसाब से तो यही कहा जा सकता था।
आर्थिक विकासदर के आंकड़ों की खुशी के बीच गैस के दामों में हुआ ऐतिहासिक इज़ाफ़ा
नोटबंदी के पहले 50 दिन खत्म होने के बाद 1 जनवरी 2017 के दिन सब्सिडी व बिना सब्सिडी वाले सिलेंडर के दामों में बढ़ोतरी हुई थी। उस गिफ्ट के बाद कतारों में खड़े रहकर अपना तथाकथित फर्ज निभाने वाले नागरिकों को 2 मार्च 2017 के दिन एक और स्पेशल गिफ्ट मिला। अभी एक दिन पहले ही कतारों में खड़े रहने वालों के लिए कई बुरी खबरों के बीच अच्छी खबर आई थी कि आर्थिक विकासदर 7 फीसदी रहा था। लेकिन इस खुशी के साथ साथ उन्हें गैस सिलेंडर के दामों में तगड़े इज़ाफ़े का तगड़ा झटका लग गया। इस दिन बिना सब्सिडी वाले सिलेंडर के दाम 86 रुपये तक बढ़ाए गए। बताया जाता है कि गैस सिलेंडर के दामों में किसी भी सरकार के दौरान हुई ये सबसे ज्यादा बढ़ोतरी थी। वैसे अभी लोग इस ऐतिहासिक इज़ाफ़े में पूरा झुलसते, उससे पहले ही अमूल दूध में प्रति लीटर 2 रुपये की बढ़ोतरी हो गई। आर्थिक विकासदर अच्छा रहने का खामियाजा भी आम लोगों को ही भुगतना पड़ा!
बैंकों से 4 बार से अधिक लेन-देन पर 150 रुपये का टैक्स
निजी क्षेत्र के एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और सार्वजनिक क्षेत्र के ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने 1 मार्च 2017 से शूल्क की संशोधित दरें लागू कर दी। कुछ बैंक पहले से ही शुल्क बढ़ा चुके थे। अब ग्राहक हर महीने जमा या निकासी के रूप में चार ही नि:शुल्क ट्रांजेक्शन कर सकेंगे। इसके बाद जैसे ही पांचवां ट्रांजेक्शन होगा, ग्राहकों से हर ट्रांजेक्शन पर 150 रुपये का शुल्क एवं देय टैक्स और सेस वसूला जाएगा। सार्वजनिक क्षेत्र के ओरियंटल बैंक आफ कामर्स ने भी 1 मार्च से शुल्क में बढ़ोतरी कर दी। आईसीसीआई बैंक में अगर आप बैंक की किसी और शाखा से नकद लेन-देन करते हैं तो आप महीने में केवल एक बार बिना किसी शुल्क के नकद लेन-देन कर सकेंगे। उसके बाद आपको तय शुल्क देना पड़ेगा। माना गया कि बाक़ी निजी बैंक भी अपने “बड़े भाइयों” की राह पर पर चलेंगे और आम जनता की जेब ढीली करने के मुहिम का हिस्सा बनेंगे।
पैसे निकालने पर ही नहीं, बैलेंस चेक किया तो भी कट जाएगी जेब?
निजी क्षेत्र के एचडीएफसी बैंक ने बैंक निकासी और जमा के फ्री ट्रांजेक्शन और पेड ट्रांजेक्शन के नियमों में बदलाव किया। लेकिन 1 मार्च से बदले गए नियमों में एचडीएफसी बैंक ने अपने सेविंग अकाउंट के एटीएम-डेबिट कार्ड पर लगने वाले चार्ज में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया। एचडीएफसी बैंक के डेबिट कार्ड पर वही चार्ज लगने थे, जो बैंक 1 दिसंबर 2014 से अपने कस्टमर से ले रहा था। एचडीएफसी बैंक अपने नॉन-फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन, जिसमें बैलेंस चेक, सूचना अपडेट और पिन चेंज करना शामिल थे, के लिए हर ट्रांजेक्शन पर 8.50 रुपये लेगी। अगर आप एचडीएफसी बैंक के कार्ड से किसी इंटरनेशनल एटीएम से ट्रांजेक्शन करते हैं तो हर बार बैंलेस चेक के लिए 25 रुपये और कैश निकालने के लिए 125 रुपये लगेंगे। इस पर टैक्स और सेस भी लगेगा।
एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, एक्सिस और एसबीआई जैसे बैंकों ने अपने खाताधारकों के लिए न सिर्फ कैश ट्रांजेक्शन (नकद निकासी, जिसमें कैश जमा करना और निकालना दोनों शामिल थे) को लेकर नए नियम बनाए, बल्कि कुछ और चार्ज भी लगाए।
बैंक में नकदी व्यवहार पर फी वसूली करेंसी टेरर है- व्यापारी महामंडल
बैंक के चार नकद व्यवहारों के बाद होने वाले नकदी व्यवहारों पर चार्ज लगाने के नियम को लेकर व्यापारी मंडल ने यह आरोप लगाया। अखिल भारत व्यापारी महामंडल ने 2 फरवरी 2017 के दिन कहा कि, “वसूला रहा चार्ज करेंसी टेरर है।” महामंडल के महामंत्री प्रविण खंडेवाल ने कहा कि, “लोगों को ऐसे हालातों में रखकर डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने की नीति ठीक नहीं है।”
एसबीआई में पांच साल बाद नियम की वापसी, न्यूनत्तम बैलेंस रखे वर्ना लगेगा जुर्माना
मार्च 2017 के दौरान एसबीआई में 5 साल के अंतराल के बाद फिर एक बार उस नियम की वापसी हुई। कहा गया कि 1 अप्रैल 2017 से एसबीआई में खातों में उपभोक्ताओं को न्यूनत्तम तय बैलेंस रखना पड़ेगा वर्ना जुर्माना होगा। तय बैलेंस सीमा के साथ साथ अन्य सेवाएं, ट्रांजेक्शन, एसएमएस एलर्ट, एटीएम ट्रांजेक्शन जैसे नये चार्ज भी 1 अप्रैल से लागू हो गए। एसबीआई ने कहा कि, “उपभोक्ता को प्रति माह तीन ट्रांजेक्शन फ्री दिये जाएंगे, उसके बाद प्रति ट्रांजेक्शन 50 रुपयै व सर्विस चार्ज वसूला जाएगा। अगर न्यूनत्तम तय बैलेंस नहीं रखा तो 100 रुपये तथा सर्विस टैक्स बतौर जुर्माना वसूला जाएगा।” बैंक ने महानगरीय क्षेत्रों में खातों के लिए न्यूनतम 5,000 रुपये, शहरी क्षेत्रों में 3,000, अर्धशहरी क्षेत्रों में 2,000 तथा ग्रामीण इलाकों में 1,000 रुपये न्यूनतम बैलेंस रखने का फरमान दिया गया।
सरकार का खजाना खाली? बैंकों को देने के लिए पैसा नहीं?
नवभारत टाइम्स ने 7 मार्च 2017 के दिन लिखा था कि, “नोटबंदी का असर अब सरकारी खजाने और सरकारी बैंकों पर साफ तौर पर दिखाई दे रहा था। बैंकिंग सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए सरकार को 1.80 लाख करोड़ रुपये की ज़रूरत थी, लेकिन हालात यह थे कि सरकार के पास इतना पैसा नहीं था कि बैंकिंग सिस्टम में डाल पाए।” रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने बैंकों से साफ कह दिया था कि उनको पैसा नहीं दिया जा सकता। ऐसे में वे अपना कारोबार और लाभ बढ़ाने के लिए खुद ही इंतज़ाम करें। नवभारत टाइम्स ने लिखा कि बैंकों से कहा गया था कि जो भी उनकी शाखाएं, चाहे वह विदेश में हो या देश में, अगर घाटे में चल रही हैं तो उनको बंद कर दिया जाए या फिर अन्य शाखाओं के साथ उसका मर्जर कर दिया जाए। बैंकों को अपने नॉन-कोर ऐसेट्स बेचने को भी कहा गया था। नॉन कोर ऐसेट का मतलब है, बैंकों का किसी फर्म में हिस्सेदारी या फिर कोई जॉइंट वेंचर। कुछ सरकारी बैंकों ने यह प्रक्रिया शुरू कर दी थी। अगर बैंकों ने नुकसान में चलने वाली विदेशी और देशी शाखाओं को बंद किया या फिर उसका विलय किया तो कर्मचारियों की छंटनी होने की आशंकाएं भी जताई गई। हाल ही में इंडियन ओवरसीज बैंक ने मलेशिया में घाटे में चलने वाली शाखा को बंद करने का एलान किया था।
रिपोर्ट में लिखा गया कि बैंकों द्वारा अलग अलग प्रकार के चार्ज लगाना इसीका असर था। दरअसल नोटबंदी के दौरान सरकार ने एटीएम से कैश निकालने पर सभी चार्ज खत्म कर दिए थे। इससे बैंकों को काफी नुकसान हुआ। कई बैंकों के हालात तो यह थे कि उनको अपने ब्रांच के साथ एटीएम को चलाने में दिक्कतें आ रही थी और लागत खर्च निकल नहीं रहा था। दावा किया गया कि नोटबंदी के कारण सरकारी और निजी बैंकों के क्रेडिट ग्रोथ में जोरदार गिरावट आई थी। बैंकों के पास, जहां लोन लेने वालों की लाइनें लगती थीं, अब लोन लेने वालों की संख्या घटकर आधी रह गई थी। पीएनबी की एमडी और चीफ एक्जीक्युटिव उषा अनंत सुब्रह्मण्यम का कहना था कि हमारी इक्विटी, यूटीआई और पीएनबी हाउसिंग फाइनैंस में है। हम इसको बेचने की संभावनाओं पर विचार कर रहे है।
सरकार ने एसबीआई समेत बैंकों से चार्ज संबंधित फैसले पर दोबारा गौर करने को कहा
बैंकों द्वारा ट्रांजेक्शन शुल्क वसूलने के बढ़ते विरोध के बीच सरकार हरकत में आई। एक दावे के मुताबिक सरकार ने बैंकों से ट्रांजेक्शन शुल्क वसूलने के फैसले की समीक्षा करने का आग्रह किया। इसके अलावा, एसबीआई से खातों में न्यूनतम बैलेंस न होने पर पेनल्टी लगाने के फैसले को वापस लेने का आग्रह किया गया। दरअसल, जब से बैंकों ने कैश ट्रांजेक्शन शुल्क वसूलने का फरमान सुनाया था, तभी से उनके इस फैसले का विरोध हो रहा था। सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा विरोध हुआ था।
एसबीआई का बयान- सरकार से कोई सूचना नहीं मिली है
8 या 9 मार्च 2017 के दिन एसबीआई ने आधिकारिक रूप से एक सवाल के जवाब में साफ किया कि, “उसे सरकार की ओर से जुर्माने के अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए अभी तक औपचारिक रूप से कोई सूचना नहीं मिली है। यदि सरकार की ओर से कुछ आता है तो उस पर विचार किया जाएगा।” एक ओर सरकार द्वारा सिफारिश की गई है उसकी खबरें देश पढ़ रहा था, तो दूसरी ओर एसबीआई ने कहा कि उसे औपचारिक रूप से कोई केंद्रीय सूचना नहीं मिली है। खैर, हो सकता है कि पुनर्विचार की सूचना को थोड़ा पेटदर्द होगा और वो बीच रास्ते में होगी!!!
एसबीआई का जवाब- जनधन खातों का प्रबंधन बना बोझ, मिनिमम बैलेंस पेनल्टी का फैसला सही
केंद्र सरकार की कथित सिफारिश के बावजूद एसबीआई ने बैंक खातों में न्यूनतम राशि नहीं रखने पर जुर्माना लगाने के अपने फैसले को उचित ठहराया। एसबीआई ने कहा कि, “उसे शून्य शेष वाले बड़ी संख्या में जनधन खातों के प्रबंधन के बोझ को कम करने के लिए कुछ शुल्क लगाना पड़ेगा।” एसबीआई ने यह भी स्पष्ट किया कि जनधन खातों पर जुर्माना नहीं लगाया जाएगा। एसबीआई की चेयरमैन अरंधति भट्टाचार्य ने महिला उद्यमियों पर राष्ट्रीय सम्मेलन के मौके पर अलग से कहा कि, “आज हमारे ऊपर काफी बोझ है। इनमें 11 करोड़ जनधन खाते भी शामिल हैं। इतनी बड़ी संख्या में जनधन खातों के प्रबंधन के लिए हमें कुछ शुल्क लगाने की जरूरत है। हमने कई चीजों पर विचार किया और सावधानी से विश्लेषण के बाद यह कदम उठाया है।”
सरकार का बैंकों को निर्देश, 31 मार्च तक सभी खातों को नेट बैंकिंग से जोड़ें
केंद्र सरकार ने देश के सभी बैंकों को निर्देश देते हुए कहा कि वे सभी खातों को इंटरनेट बैंकिंग से जितनी जल्दी हो सके जोड़ दें। साथ ही सभी खातों को आधार कार्ड नंबर से भी जोड़ा जाए। इसके लिए बैंकों को 31 मार्च तक की डेडलाइन दी गई। डिजिटल ट्रांजेक्शन और पेमेंट को लेकर केंद्रीय मंत्री रवि शकंर प्रसाद की अध्यक्षता में एक समीक्षा बैठक भी हुई। इस बैठक में प्रसाद ने कहा कि सभी खातों को बैंकिंग से जोड़ने पर डिजिटल पेमेंट सेटअप को आगे बढ़ाने में अहम मदद मिलेगी। प्रसाद ने कहा कि बैंकों से अनुरोध किया गया है कि वे खातों को आधार कार्ड से जोड़ दें ताकि डिजिटल ट्रांजेक्शन आसान हो जाए। इस पर सूचना एवं तकनीकी मंत्रालय की ओर से बताया गया कि करीब 35 फीसदी अब भी ऐसे खाते हैं जो कि आधार से जुड़े नहीं हैं।
आरटीआई में खुलासा - नोटबंदी की घोषणा के 15 दिन बाद छपना शुरू हुए थे 500 के नए नोट
मध्यप्रदेश के मालवा अंचल के नीमच जिले के सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ को आरटीआई के तहत मिली जानकारी के अनुसार देश में नोटबंदी लागू होने के ढाई माह पहले से 2,000 रुपये के नोट छपने शुरू हो गए थे। जबकि 500 रुपये के नोट नोटबंदी की घोषणा के 15 दिन बाद छपने शुरू हुए थे। आरटीआई से स्पष्ट हुआ कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्ण स्वामित्व वाली एक सहायक यूनिट ने सरकार द्वारा नोटबंदी की घोषणा करने से करीब ढाई माह पहले 2,000 रुपये के नए नोटों की छपाई शुरू कर दी थी। इस घोषणा के एक पखवाड़े बाद 500 रुपये के नए नोटों की छपाई आरंभ की गई थी। बेंगलुरु में स्थित बीआरबीएनएमपीएल के एक अफसर ने अर्जी के जवाब में बताया कि, “इस इकाई में 2,000 रुपये के नए नोटों की छपाई का पहला चरण 22 अगस्त 2016 को शुरू किया गया था, जबकि 500 रुपये के नए नोटों की छपाई का पहला चरण 23 नवंबर 2016 आरंभ हुआ था।” आरबीआई द्वारा वर्ष 1995 में स्थापित कंपनी ने गौड़ की आरटीआई अर्जी के एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि, “इस इकाई में 500 रुपये के पुराने नोटों की छपाई का आखिरी चरण 27 अक्टूबर 2016 को खत्म हुआ था। 1,000 के पुराने नोटों की छपाई का आखिरी चरण 28 जुलाई 2016 को खत्म हो गया था।”
4 करोड़ के पुराने नोट को लेकर टेंशन में आया तिरुपति मंदिर
आंध्रप्रदेश के तिरुपति में स्थित भगवान वेंकटेश्वर के मंदिर के सामने नोटबंदी के बाद अजीब स्थिति पैदा हो गई। नोटबंदी के बाद से मंदिर में लोगों ने करीब 4 करोड़ रुपये दान किए थे। इनमें 500 और 1000 के पुराने नोट शामिल थे। मंदिर के सामने समस्या ये आई कि इन्हें 30 दिसंबर के बाद दान किया गया था, जो कि पुराने नोट बदलने की अंतिम तारीख थी। समस्या ये भी आई कि एकमुश्त इतने नोटों को बदलवाया जाए तो कैसे, क्योंकि ज्यादातर समय सीमा समाप्त होने के बाद आए थे। इसी बीच केंद्र सरकार ने पुरानी नोट के कानून की अधिसूचना भी जारी कर दी थी। मामला गला पड़ते देख मंदिर प्रबंधन ने जिला प्रशासन को खत लिखकर इससे अवगत कराया। प्रबंधन ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को भी खत लिखा और नोटों को बदलवाने की अपील की। अब मामला यह भी था कि क्या आयकर विभाग इसे लेकर मंदिर प्रशासन से पूछताछ करेगा या सवाल-जवाब होंगे?
क्यों न पुराने नोट बदलने की समय सीमा सभी के लिए 31 मार्च कर दी जाए - केंद्र से सुप्रीम कोर्ट
नोटबंदी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्यों न पुराने नोट बदलने की समय सीमा सभी के लिए 31 मार्च कर दी जाए? कोर्ट ने केंद्र सरकार और आरबीआई को नोटिस जारी कर 10 मार्च 2017 तक जवाब मांगा। कोर्ट में दाखिल जनहित याचिकाओं में कहा गया था कि पहले प्रधानमंत्री और आरबीआई ने घोषणा की थी कि जो लोग किसी भी वजह से पुराने नोट जमा नहीं कर पाए वे 31 मार्च तक आरबीआई में जमा करा सकते हैं, लेकिन बाद में यह सीमा 30 दिसंबर 2016 तक ही कर दी गई, जबकि 31 मार्च 2017 तक यह छूट एनआरआई को ही दी गई। याचिका में कहा गया कि चूंकि लोगों के लिए सरकार ने यह घोषणा की थी इसलिए सुप्रीम कोर्ट सरकार को आदेश दे कि वह सभी के लिए पुराने नोट जमा करने की सीमा 31 मार्च तक करे।
आएंगे 10 रुपए के नए नोट
अब आरबीआई 10 के नये नोट लाने के मूड में दिख रहा था। कहा गया कि इन नए नोटों को सुरक्षा के लिए लिहाज से ज्यादा बेहतर बनाया जाएगा। आरबीआई ने अपने बयान में कहा कि, "महात्मा गांधी सीरीज-2005 बैंकनोट के दोनों नंबर पैनल में अंग्रेजी का 'L' छपा होगा। साथ ही इनपर नए गवर्नर उर्जित पटेल के हस्ताक्षर होंगे।" इन नोटों के पीछे साल 2017 भी अंकित होगा। साथ ही नोटों का नंबर, बाएं से दाएं की और घटते क्रम में होंगे। हालांकि, पहले तीन अक्षर एक ही साइज के होंगे। बैंक ने घोषणा में यह भी कहा गया कि पहले से जारी नोटों का इस्तेमाल जारी रहेगा। उन्हें बंद नहीं किया जा रहा है।
क्रेडिट कार्ड से रीचार्ज हुआ महंगा, पेटीएम ने बढ़ाया चार्ज
मार्च 2017 के दौरान ई-वॉलेट कंपनी पेटीएम ने अपनी ट्रांसेक्शन में इज़ाफ़ा करने का एलान किया। अब पेटीएम क्रेडिट कार्ड से वॉलेट में पैसे डालने वाले यूजर्स से 2% का चार्ज लेगा। दरअसल, कई यूजर्स क्रेडिट कार्ड के जरिए अपने पेटीएम वॉलेट से पैसा बैक अकाउंट में डाल लेते हैं और इसका कोई चार्ज नहीं लगता। पेटीएम ने कहा कि वो क्रेडिट कार्ड से वॉलेट में पैसे उसी रकम का ट्रांसफर करेगा, जितनी रकम भरी जाएगी। इसके अलावा कंपनी नेट बैंकिंग और डेबिट कार्ड के जरिए पैसे ट्रांसफर करने पर भी को चार्ज नहीं लगाएगी।
पेटीएम का यू टर्न, फैसला वापस लिया
पेटीएम ने यू टर्न लेते हुए ट्रांजेक्शन में इज़ाफ़ा करने वाला फैसला दूसरे दिन ही वापस ले लिया। कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि ग्राहकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए क्रेडिट कार्ड पर 2 % लेवी का फैसला वापस ले लिया गया है।
जब भाजपा गुजरात के मंत्री ने ही 500 और 2000 के नोट को वापिस लेने का दे दिया बयान
दिन था 9 मार्च 2017। गुजरात भाजपा सरकार के उद्योगराज्यमंत्री रोहित पटेल ने विधानसभा में अचानक ही बम फोड़ दिया। उन्होंने गृह से बोल दिया कि, “500 और 2000 के नोट को वापिस ले लेना चाहिए।” गौरतलब है कि केंद्र में भी भाजपा की ही सरकार थी। वलसाड जिले में वेट से संबंधित सवाल का जवाब देते वक्त उन्होंने कहा कि, “विदेश में 500 और 1000 का नोट नहीं होता, लोगों को भी 1000 के नोट की ज़रूरत नहीं होती, हमें 500 और 2000 के नोट वापिस ले लेने चाहिए।” वहां बैठे मुख्यमंत्री विजय रुपाणी को महसूस हो गया कि उनके मंत्री ने तो बम फोड़ दिया है! उन्होंने तुरंत ही चिठ्ठी लिखी और दंडक के जरिये मंत्री तक भेजी और उन्हें सवाल का सीधा जवाब देने के लिए कहा। हालांकि मंत्रीजी ने फिर भी नोटबंदी पर ही अपना बयान देना जारी रखा। बाद में डिप्टी सीएम नितिन पटेल को कहना पड़ा कि ये उनके निजी विचार थे। गृह के अध्यक्ष रमणलाल वोरा ने भी रोहित पटेल को जो सवाल पूछा गया था उसका उत्तर देने के लिए कहा। लेकिन मंत्रीजी नोटबंदी पर ही भाषण देते रहे। शाम को इस विवादास्पद भाषण को रेकर्ड से दूर किया गया। वैसे ये चीज़ नेताओं ने कमाल की ढूंढी है। कुछ भी बोल दो, कहीं पर भी बोल दो और फिर बड़े प्यार से अन-डू करने की भी सहूलियत है!!!
आरबीआई ने फिर बदला बयान, कहा – जीडीपी पर नोटबंदी का कोई असर नहीं, हालांकि महंगाई बढ़ने की आशंका जताई
लोकलेखा समिती के सामने आरबीआई गवर्नर ने कहा था कि जीडीपी के ऊपर कुछ समय के लिए नोटबंदी का बुरा प्रभाव ज़रूर होगा। लेकिन 11 मार्च 2017 के दिन उन्होंने अपना मत बदल लिया। आरबीआई ने कहा कि, “देश के जीडीपी पर नोटबंदी का असर समाप्त हो चुका है।” इससे पहले आरबीआई ने जीडीपी पर बुरे प्रभाव की आशंका जताई थी। आरबीआई ने कहा कि, “फरवरी से नोटबंदी के बुरे प्रभाव का कम होना शुरू हो गया था।” हालांकि आरबीआई ने महंगाई में इज़ाफ़े की आशंका ज़रूर जताई और कहा कि महंगाई बढ़ सकती है। जीडीपी का आंकड़ा अच्छा रहेगा और नोटबंदी का उस पर प्रभाव नहीं होगा तथा महंगाई बढ़ेगी ये दोनों विरोधाभास आम लोगों के लिए तो समझ से परे थे।
जाली नोट की कहानियां, एटीएम ही उगलने लगे थे जाली–चूरनछाप नोट!!!
8 नवम्बर 2016 से 31 दिसंबर 2016 और फिर 1 जनवरी 2017 से लेकर 1 फरवरी 2017, जाली नोट की कहानियां खत्म होती नहीं दिखी थी। इसी कड़ी में एक और कड़ी जुड़ी गुजरात से। वडोदरा में पश्चिम बंगाल के मालडा इलाके के एक शख्स को जाली नोट के साथ गिरफ्तार किया गया। यह आदमी सालों से गुजरात में रह रहा था। पं. बंगाल का मालडा इलाका वैसे भी जाली नोट का बड़ा केंद्र माना जाता रहा है। गिरफ्त में आए इस शख्स ने पुलिस के सामने कबूला कि वो 8 नवम्बर 2016 के बाद दो-दो बार गुजरात में 500 के नकली नोट लाया था। इन नोट को उसने वडोदरा तथा भरूच जिले के शहरों में इस्तेमाल भी किए थे।
गुजरात के राजकोट शहर में भी जाली नोट के मिलने की घटना सामने आई। यहां एक कार से 3.92 करोड़ के जाली नोट मिले। माना गया कि नोटबंदी के बाद जाली नोट जब्त होने की ये सबसे बड़ी घटना थी। ये वाक़या मार्च 2017 के दौरान हुआ था। जांच से पता चला कि आरोपियों ने अब तक 4.58 करोड़ के नकली नोट छाप दिये थे!!! 6 फरवरी 2017 के दिन दक्षिणी दिल्ली के संगमविहार से एसबीआई के एटीएम से ही 2000 के जाली नोट बाहर निकलने की घटना सामने आई। रोहित नाम के शख्स ने एटीएम से 8,000 रुपये निकाले, लेकिन एटीएम से निकले 2000 के चारो नोट जाली थे!!! इन नोट पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की जगह चिल्ड्रन बैंक ऑफ इंडिया तथा केंद्र सरकार द्वारा गारंटी की जगह चिल्ड्रन गवर्नमेंट गेरन्टेड लिखा हुआ था!
उसके बाद भी यह सिलसिला नहीं थमा। मेरठ के सुनील दत्त शर्मा के साथ भी ऐसा ही हुआ। उन्होंने दावा किया कि पंजाब नेशनल बैंक के तेजगढ़ इलाके के एटीएम से उन्होंने 10,000 रुपये निकाले। एटीएम से 2,000 के 5 नोट निकले और सुनील ये पैसे लेकर घर लौट आए। लेकिन बाद में उन्हें किसी तरीके से पता चला कि नोट नकली है। उन्होंने बैंक के टोल-फ्री नंबर पर फोन घुमाया और 27 फरवरी 2017 के दिन शिकायत दर्ज करवाई। इन नोट पर भी चिल्ड्रन बैंक ऑफ इंडिया लिखा था। हरियाणा के हिसार से भी ऐसी घटना अखबारों में छपी थी। हिसार निवासी व लोक निर्माण विभाग में कार्यरत महेंद्र सिंह हांसी पहुंचे थे। वह भगतसिंह रोड पर एटीएम से पैसे निकालने गए। उन्होंने आईसीआईसी बैंक के एटीएम से 10,000 की नकदी निकाली। जिसमें दो हज़ार के 4 नोट असली थे, जबकि 1 नोट नकली निकल आया। नोट पर अंग्रेजी में चिल्ड्रन बैंक ऑफ इंडिया और हिंदी में भारतीय मनोरंजन बैंक लिखा हुआ था।
इन्हीं दिनों रोहतक से भी ऐसा मामला सामने आया था। जब उपभोक्ता को बैंक ने मदद नहीं की तो उसने पुलिस में मामला दर्ज कराया। कई जगहों पर, जहां से ऐसे नोट मिल रहे थे, लोग गुस्से में आकर कह रहे थे कि जिनकी जान-पहचान हो उन्हीं के नोट बैंक वाले बदलकर दे रहे हैं। आम आदमी को इन चूरनछाप नोटों से परेशानियां ही उठानी पड़ रही है। 7 मार्च 2017 का एक ऐसा ही वाक़या राष्ट्रीय अखबारों में छाया रहा। दिल्ली के अमर कॉलोनी के एक एटीएम से 2 हज़ार रुपये का चूरन ब्रांड नोट निकला! गढ़ी गांव में शीतला माता मंदिर के पास आईसीआईसीआई बैंक के एटीएम में चंदन राय पैसे निकालने आए थे। चंदन ने एटीएम से पैसे निकाले तो उसे 2 हज़ार का चूरन वाला नकली नोट मिला। उसमें चिल्ड्रन बैंक भी लिखा था। उन्हें एटीएम से 2,000 रुपये विड्राल करने की स्लिप भी मिली। उनके अकाउंट से 2,000 रुपये कट गए। चंदन ने इसकी शिकायत तुरंत पुलिस को दी, जिसके बाद जांच अधिकारी ने मौके पर पहुंचकर एटीएम से नकली नोट निकाले। पुलिस ने चंदन के बयान पर मामला दर्ज कर एटीएम को सील कर दिया।
इससे पहले संगम विहार में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एटीएम से भी चूरन ब्रांच और चिल्ड्रन बैंक के 2000 रुपये के नकली नोट निकले थे। इस मामले में एटीएम के कस्टोडियन मोहम्मद ईशा को गिरफ्तार किया गया था। उसने बताया था कि वह बच्चों के खिलोने बेचने की एक दुकान से वे नकली नोट लाया था। वह नोट उसने एटीएम में डाल दिए थे।
मंजर तो अब ये होने लगा कि पहले जाली नोट बाजार से बैंकों तक पहुंचा करते थे और बैंकवाले उपभोक्ताओं को सवाल पूछा करते थे। लेकिन अब तो बैंक के एटीएम ही उपभोक्ताओं को जाली नोट बांटने लगे थे और जवाब देने की बारी बैंकवालों की थी। हालांकि जवाब मिलते भी कैसे? जवाब की जगह असली नोट मिल जाए यहीं लोगों की उम्मीद थी!
कोई पैसा काला या सफेद नहीं होता, वो अघोषित पैसा होता है – पूर्व आरबीआई गवर्नर रंगराजन
10 मार्च 2017 के दिन आईआईएम अहमदाबाद से रंगराजन ने ये कहा। वो आरबीआई के पूर्व गवर्नर है। उन्होंने कहा कि, “कोई मनी ब्लैक या व्हाइट नहीं होता। अर्थतंत्र में उसे ब्लैक मनी नहीं कहते, लेकिन उसके लिए अनअकाउंटेड, यानी कि टैक्स पे ना किया गया हो ऐसा पैसा कहते हैं। जिसे अघोषित संपत्ति कहा जाता है।” उन्होंने कहा कि, “ब्लैक मनी के लिए टैक्स के ऊंचे दर जिम्मेदार है।” नोटबंदी पर वे सीधा तो नहीं बोले, लेकिन उन्होंने कहा कि, “इससे नकदी की आवाजाही पर सीधा हमला हुआ है।”
नोटबंदी को मिला विश्व बैंक का समर्थन, कहा - भारत की अर्थव्यस्था पर सकारात्मक असर होगा
वर्ल्ड बैंक की सीईओ क्रिस्टीना जियोर्जिवा ने नोटबंदी का समर्थन किया। क्रिस्टीना इन दिनों भारत आई हुई थीं। हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, क्रिस्टीना ने कहा कि नोटबंदी की वजह से कुछ लोगों को परेशानी हुई लेकिन लंबे वक्त में यह फायदा देगा। क्रिस्टीना ने कहा कि भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए बड़े नोटों को बंद करने का जो फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिया आने वाले वक्त में भारतीय अर्थव्यवस्था पर उसका सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा। क्रिस्टीना ने गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के लिए भी अपना सकारात्मक रुख दिखाया और उसके जल्द लागू होने की आशा जाहिर की। वर्ल्ड बैंक की सीईओ क्रिस्टीना ने मोदी द्वारा 8 नवंबर को किए गए नोटबंदी के एलान की तारीफ की। गौरतलब है कि विश्व बैंक पहले भी दूरगामी परिणामों को लेकर हकारात्मक प्रतिक्रिया दे चुका था। हालांकि क्रिस्टीना की बड़े नोट बंद करने वाली बात सीधे सीधे संदेहात्मक लगी। क्योंकि 2,000 का नोट चलन में लाया जा चुका था।
(इंडिया इनसाइड, मूल लेखन 18 फरवरी 2017, एम वाला)
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