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UP Election History : यूपी चुनाव में आंकड़ों का इतिहास, जिसे बहुमत मिला रिकॉर्डतोड़ मिला


300 से ज्यादा सीटें जीतने का रिकॉर्ड कांग्रेस और जनता पार्टी के नाम, भाजपा जुड़ सकती है इस क्लब में
उत्तरप्रदेश भारत का सबसे बड़ा सूबा है और यहां 403 विधानसभा सीटें हैं। उत्तरप्रदेश के चुनाव नतीजों के अतीत पर नजर डालें तो 300 से ज्यादा सीटें जीतने का रिकॉर्ड कांग्रेस और जनता पार्टी के नाम है। कांग्रेस ने 2 बार, तो जनता पार्टी ने एक बार यह करिश्मा करके दिखाया था। कुछ खबरें बताती हैं कि 2017 के ताज़ा विधानसभा चुनावों में बीजेपी तिहरा शतक लगा सकती है। देश को आजादी मिलने के बाद पहले आम चुनाव में कांग्रेस ने 388 सीटें जीतकर रिकॉर्ड बनाया। यह रिकॉर्ड आज तक कोई पार्टी तोड़ नहीं पाई। आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनाव में जनता पार्टी ने 352 सीटें जीतकर सरकार बनाई। कांग्रेस को सिर्फ 47 सीटें मिलीं। जनता पार्टी की सरकार गिरने के बाद 1980 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने फिर वापसी की और 308 सीटें जीतकर सरकार बनाई। जबकि 2017 के चुनावों में भाजपा इस क्लब में शामिल हो सकती है। बात 250 से 300 सीटों के बीच की करें तो यह सिर्फ 2 बार हुआ है। इसके अलावा किसी पार्टी को यह इतिहास दोहराने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ।

भाजपा को राम लहर ने पार करवाया, सपा और बसपा भी जीत चुके हैं 200 से ज्यादा सीटें
1991 के दौर में राम लहर में भाजपा को अबतक सर्वाधिक सीटें मिली थी। यानी कि भाजपा के यूपी इतिहास की सर्वाधिक सीटें। भाजपा को 221 सीटें राम लहर में 1991 में मिली थी। उसके बाद वह कभी इतनी सीटें हासिल नहीं कर पाई। सपा का अधिकतम सीटों का आंकड़ा 2012 के चुनाव में 224 का है। बसपा की बात करें तो उसने भी अब तक सर्वाधिक सीटें 2007 में 206 जीती हैं।

250 से ज्यादा सीटें जीतने में भी कांग्रेस रही थी आगे
300 से कम और 250 या इससे ज्यादा सीटें जीतने की बात करें तो ऐसा सिर्फ 2 बार हुआ है। दोनों रिकॉर्ड कांग्रेस के नाम है। कांग्रेस ने 1957 में 286 सीटें जीतीं, तो दूसरी बार इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1985 में हुए चुनाव में 269 सीटें जीतकर अपनी सीटों का आंकड़ा 250 के पार पहुंचाया।

31 सालों से कोई नहीं पहुंचा था 250 से पार, 2017 में भाजपा तोड़ सकती है यह रिकॉर्ड
वर्ष 1962 में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 249 सीटों पर जीत तो हासिल की, पर 250 के आंकड़े को छू पाने से चूक गई। 1985 में कांग्रेस ने 269 सीटें जीती थी, लेकिन उसके बाद अब तक कोई पार्टी इस आंकड़े के करीब नहीं पहुंची। लेकिन 2017 विधानसभा चुनावों में भाजपा ये रिकॉर्ड तोड़ सकती है। नरेन्द्र मोदी की लहर 1991 में राम नाम की लहर से भी ज्यादा सीटें बीजेपी को दे सकती है।

राम मंदिर की लहर के बाद मोदी की लहर विरोधियों पर बरपाएगी कहर?
1991 में भाजपा ने राम लहर के बीच 221 सीटें जीती थी। कहते हैं कि 2017 के चुनावों में मोदी नाम का सिक्का इतना चल सकता है कि राम लहर से भी ज्यादा सीटें बीजेपी जीत लाए। ईवीएम से लेकर कई सारे तर्क या आरोप आ सकते हैं, लेकिन कई चीजें, इतिहास या कुछ स्थितियां देखे तो सीटों का आंकड़ा बहुत ऊपर जाता दिखाई दे रहा है।

40 फीसदी से ज्यादा मतों का रिकॉर्ड भी नहीं टूटा
मत प्रतिशत की बात करें तो विधानसभा चुनाव में तीन मौकों को छोड़कर सरकार बनाने वालों को 40 प्रतिशत भी मत नहीं मिले। सर्वाधिक मत प्रतिशत हासिल करने का रिकॉर्ड जनता पार्टी के नाम है। इस पार्टी को 1977 में 48.04 प्रतिशत मत मिले। कांग्रेस को 1951 में 48 और 1957 में 42.42 प्रतिशत वोट मिले। इसके अलावा सभी पार्टियां अभी तक 40 प्रतिशत से कम ही वोट हासिल कर सरकार बनाती रही हैं।

सीटें तो ज्यादा पर मुख्यमंत्री नहीं
वैसे तो माना जाता है कि ज्यादा सीटें जीतने वालों को ही सरकार बनाने का मौका मिलता है। पर, विधानसभा के इतिहास में कुछ ऐसे मौके भी आए हैं कि सीटें ज्यादा होने के बावजूद उस दल की सरकार नहीं बन पाई। वर्ष 1993 में भाजपा ने सबसे ज्यादा 177 सीटें जीती थीं, परंतु सरकार सपा और बसपा गठबंधन ने बनाई। मुलायम सिंह मुख्यमंत्री बने। हालांकि स्टेट गेस्ट हाउस कांड के बाद यह गठबंधन टूट गया। भाजपा ने बसपा को समर्थन देकर सरकार बनवाई। पर यह दोस्ती भी ज्यादा नहीं चली। इसके बाद 1996 में हुए चुनाव में भाजपा ने सबसे अधिक 174 सीटें जीतीं। लेकिन उसे सरकार बनाने का राज्यपाल ने न्यौता नहीं दिया।

छह-छह महीने की शर्त पर बने मुख्यमंत्री
1996 में हुए चुनाव में भाजपा ने सबसे अधिक 174 सीटें जीतीं। लेकिन उसे सरकार बनाने का राज्यपाल ने न्यौता नहीं दिया। इसको लेकर तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी के खिलाफ भाजपा ने धरना-प्रदर्शन भी किया। बावजूद इसके उन्होंने भाजपा को आमंत्रित नहीं किया। छह महीने किसी पार्टी की सरकार नहीं बनी। बाद में भाजपा व बसपा ने छह-छह महीने के मुख्यमंत्री की शर्त पर गठबंधन करके सरकार बनाई। हालांकि बसपा की सीटें 67 ही थीं। पर, पहले मुख्यमंत्री मायावती ही बनीं। छह महीने बाद मायावती के मुख्यमंत्री पद न छोड़ने की जिद पर गठबंधन टूट गया। फिर बसपा व कांग्रेस से अलग हुए कुछ विधायकों के समर्थन से भाजपा ने सरकार बनाई।

इसी तरह 2002 में अकेली पार्टी के रूप में सबसे ज्यादा 143 सीटें सपा के हिस्से में आईं। पर, उसे भी सरकार बनाने का मौका नहीं मिला। भाजपा और बसपा ने गठबंधन करके सरकार बना ली। हालांकि इस बार भी दोनों की दोस्ती ज्यादा नहीं निभी और अलगाव हो गया। इसके बाद मुलायम सिंह यादव ने बसपा, भाजपा व कांग्रेस के विधायकों को तोड़कर उनके समर्थन से सरकार बनाई।

पिछले दो टर्म में यूपी का मूड, जिसे दिया वोट जमकर दिया
पिछले दो टर्म से यूपी का मूड कुछ इस प्रकार का रहा। यूपी के लोगों ने जिसे चुना, बहुमती के साथ ही चुना। 2007 में बसपा को 206 सीटों के साथ जिताया, 2012 में सपा को 224 सीटें दी। जबकि इस बार 2017 में भाजपा गठबंधन को एग्जिट पोल की उम्मीद से भी ज्यादा सीटें मिलने का अनुमान है। 

यहां देखें, कैसा रहा पार्टियों का प्रदर्शन
वर्ष    सबसे ज्यादा सीटें     मत प्रतिशत
1951  कांग्रेस 388          48
1957  कांग्रेस 286         42.42
1962  कांग्रेस 249         36.45
1967  कांग्रेस 199          32.20
1969  कांग्रेस 211          33.78
1974  कांग्रेस 215          34.04
1977  जनता पार्टी 352     48.04
1980  कांग्रेस 308         37.76
1985  कांग्रेस 269         39.25
1989  जनता दल 208      35.27
1991  भाजपा 221          31.76
1993  भाजपा 177         33.30
1996  भाजपा 174         33.31
2002  सपा   143         26.27
2007  बसपा  206        30.43
2012  सपा   224         29.29