भारत में आतंकवाद का अपना एक लंबा इतिहास रहा है, जिसमें कई बेगुनाहों
की जानें गई और कई जवानों ने शहादत दी। जिसने भारत की लगभग तमाम व्यवस्थाओं को प्रभावित
भी किया। हमने भारत में पूर्व में हुए मुख्य आतंकी हमले, अलग अलग राज्यों में आतंकी गतिविधियों
की जानकारी, भारत में आतंक फैलाने वाले आतंकी संगठन तथा इस विषय से संबंधित अन्य जानकारियां
देखी थी। यहां हम ताज़ा वारदातों के संदर्भ में आगे बढ़ेंगे।
पठानकोट एयरबेस हमला 2016
2 जनवरी 2016 के
दिन एक बार फिर देश आतंकवाद की आग में झुलस गया। पंजाब के पठानकोट एयरफोर्स बेस पर तड़के करीब
साढ़े 3 बजे पाकिस्तानी आतंकियों के एक ग्रुप ने अटैक कर दिया। करीब 5 घंटे चली सुरक्षाबलों
की कार्रवाई में 4 आतंकी ढेर हो गए जबकि 3 जवान शहीद हो गए। आतंकियों ने एयरबेस पर
हमला करने से पहले एक एसपी को अगवा कर लिया और उनसे उनकी गाड़ी छीन ली। बाद में इन
आतंकियों ने एयरबेस की दीवार लांध कर हमला कर दिया। आतंकियों के विरुद्ध कार्रवाई कई
घंटों तक चलती रही। इस हमले में शामिल तमाम 6 आतंकवादी मार गिराए गए।
पंपोर सीआरपीएफ
हमला 2016
जून 2016 के अंत में पंपोर के
नजदीक सीआरपीएफ के काफिले पर दो आतंकियों ने हमला कर दिया। ये जवान फायरिंग रेंज से
प्रेक्टीस खत्म करके श्रीनगर की ओर लोट रहे थे। तभी पंपोर गांव के नजदीक दो
आतंकियों ने काफिले की एक बस पर अंधाधूध गोलियां बरसाना शुरू कर दिया। काफिले में
शामिल अन्य वाहनों के जवानों ने तुरंत इसका जवाब दिया और दोनों आतंकियों को मार गिराया
गया। लेकिन तब तक ये आतंकी 8 जवानों को मौत के घाट उतार चुके थे। इस हमले में तकरीबन
20 जवान घायल भी हुए।
बिहार में
नक्सलियों के साथ मुठभेड़, 10 जवान शहीद हुए
19 जुलाई 2016 के दिन बिहार के
औरंगाबाद-गया जिले के पास सोनदाहा के जंगलों में नकसलवादियों तथा सुरक्षा बलों के बीच
मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ के दौरान 10 जवान शहीद हो गए। सोनदाहा के जंगलों में सीआरपीए
के जवान खोजी अभियान चला रहे थे। पिछले कई महीनों से खबरें आ रही थी कि नक्सली सुरक्षा
बलों पर हमले करने के आयोजनों में लगे हुए हैं। सोमवार के दिन एक ऐसी ही खबर मिली कि
नक्सलियों का एक गुट जवानों पर बड़े हमले का आयोजन कर रहा है। गौरतलब है कि औरंगाबाद
के एसपी बाबूराम को भी नक्सलियों की धमकियां मिल चुकी थी।
खबर मिलते ही एलीट कमांडो दल
कोबरा फोर्स के 200 से जवान तथा अन्य सुरक्षा जवानों ने सोनदाहा के जंगलों में खोजी
अभियान चलाया। उसी दौरान ये मुठभेड़ हुई। माना जाता है कि नक्सलियो द्वारा जंगलों में लैंड माइन्स बिछाए गए थे। यही माइन्स जवानों के लिए मौत की वजह बने। उसके बाद
सीआरपीएफ के जवान तथा नक्सलियों के बीच देर रात तक मुठभेड़ होती रही। जिसमें चार जवान
घायल हुए। वहीं 6 नक्सली भी मारे गए। मुठभेड़ के दौरान घायल हुए जवानों के इलाज के
लिए रात के डेढ़ बजे एयरपोर्ट खोला गया और उन्हें हेलीकॉप्टर से इलाज के लिए ले
जाया गया।
ज़ाकिर नाइक,
उसके भाषण और भारत की माथापच्ची
बांग्लादेश में जुलाई 2016 के दिन
बड़ा आतंकी हमला हुआ। जांच में बाहर आया कि उन हमलावरों में एक हमलावर ऐसा था जो डॉ. ज़ाकिर नाइक नाम के एक तथाकथित धर्मप्रचारक के भाषणों से प्रभावित हुआ था। डॉ. ज़ाकिर नाइक भारत के मुंबई शहर का रहने वाला था और भारत में पहले से ही वो विवादित था। कई
जगहों पर उस पर प्रतिबंध था। स्वयं मुस्लिम समुदाय के कई तबकों ने उसे आतंकवाद
समर्थक बताया हुआ था। और ऐसा शख्स धड़ल्ले से मुंबई में अपनी ऑफिस खोलकर बैठा था और
अपने कट्टर विचारों का व्यापार भी करता था।
ज़ाकिर ओसामा बिन लादेन को
आतंकवादी नहीं मानता, और ऐसा वो बहुत पहले कह चुका था। ब्रिटेन में 2010 से तथा
कनाडा में 2011 से उस पर प्रवेश प्रतिबंध था, यानी कि वो इन देशों में अपने पैर तक
नहीं रख सकता। मलेशिया भी ज़ाकिर पर प्रतिबंध लगा चुका था। हमारे यहां कुछ दवाइयां ऐसी
है जो विदेशों में प्रतिबंधित है, जबकि हमारे देशों में नहीं। लेकिन ये तो आतंकवाद की
वो महामारी है, जो बाहर प्रतिबंधित है, जबकि हमारे यहां धड़ल्ले से अपना व्यापार
करती आई थी।
बांग्लादेश की घटना के बाद भारत
नींद से उठा और ज़ाकिर नाइक के ऊपर घ्यान केंद्रीत हुआ। लेकिन कई दिन तो ये तय
करने में गुजर गए कि ज़ाकिर के भाषण सचमुच आतंकवादियों के प्रति स्नेह से भरे हुए ये
या नहीं। तत्कालीन गृहमंत्री ने तो कहा कि यदि बांग्लादेश चाहे तो वो नाइक को बेन
कर सकते हैं। उसमें यदि बांग्लादेश चाहे तो... ये हिस्सा काफी चौंकानेवाला था। ये सब
हो रहा था, तब नाइक भारत से बाहर था। और इधर देश में उस पर चर्चा हो रही थी। सालों से धड़ल्ले से अपने काम को अंजाम देने वाले शख्स की ऑफिस इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के बाहर भारत सरकार ने सुरक्षा जवान रख दिए, क्योंकि नाइक पर हमलों का अंदेशा था।
बताइए, इतने सालों तक उसने जो कहा या किया उससे लोगों की जान की नहीं सोची गई। खैर,
सुरक्षा ज़रूरी थी, क्योंकि कुछ बुरा हो जाए तो वातावरण यकीनन बिगड़ सकता था।
सरकार के कई मंत्री, गैरसरकारी
लोग या अन्य लोग संकेत देने लगे कि उसके भाषण जहरीले हैं और समाज को बांटते हैं तथा
धार्मिक उन्माद फैलाते हैं। दिल्ली के तुगलक पुलिस थाने में उसके विरुद्ध प्राथमिकी
दायर हुई।
कहा गया कि बांग्लादेश में जुलाई 2016 के दौरान जो आतंकी हमला हुआ उसके कुछ दिन पहले ज़ाकिर ने बांग्लादेश का दौरा
किया था। लेकिन भारत की जांच एजेंसियां इसकी पुष्टि करने में असमर्थ दिखी। मुंबई के
शिया व सुन्नी समुदाय के कई बड़े नेता बहुत पहले से नाइक से नाराज चल रहे थे। सन
2003 के मुलुंड बम धमाके के बाद ज़ाकिर नाइक पुलिस की निगाहों में आ चुका था। सन 2012
से ज़ाकिर पर कई जगहों पर प्रचार सभाएं करने पर प्रतिबंध था। कई मुस्लिम संस्थान भी इन
पर आपत्ति जता चुके थे। 2013 के दौरान महाराष्ट्र के 6 पुलिस थानों में ज़ाकिर के
विरुद्ध धार्मिक अपमान तथा उन्माद फैलाने की प्राथमिकियां दर्ज की गई थी और अब तक
पुलिस उसकी जांच में लगी हुई है। आखिरी 3 सालों से जांच जारी है। प्राथमिकी दर्ज
करवाने के बाद तीन तीन साल तक जांच होती है लेकिन उसका नतीजा क्या मिला इसका उत्तर
खुद पुलिस के पास नहीं है।
लेकिन देर से सही, सरकारी महकमा
जागा तो सही और उसने ज़ाकिर के सामने सख्त कदम उठाने शुरू किए। विवादास्पद शख्सियत ज़ाकिर नाइक के पीस टीवी पर अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया। पीस टीवी का
युआरएल ब्लॉक किया गया तथा जो केबल टीवी संचालक पीस टीवी को प्रसारित कर रहे थे
उनके खिलाफ सख्त कदम उठाने की हिदायतें दी गई। 2008 के मुंबई हमले के 8 साल बाद जांच
शुरू करने का आश्वासन दिया गया कि उन हमलावरों के साथ ज़ाकिर के संबंध थे या नहीं उसकी जांच की जाएगी तथा नाइक की संस्था को मिलने वाले फंड की जांच करने की बातें होने लगी। ज़ाकिर की गतिविधियां, कार्यशैली और उसके भाषण जांचने के लिए एनआईए तथा
आईबी के द्वारा 9 टीमों का गठन किया गया। उसके भाषण जांचने के लिए खास दल बनाने की
तैयारियां होने लगी। सोशल साइट्स पर उसकी जांच करने के लिए एक टीम लगाई गई।
प्राथमिक तौर पर यह भी कहा जाने लगा कि उसकी कार्यशैली और भाषण भड़काऊ पाए गए हैं।
सन 2008 में ही यूपीए सरकार के
वक्त ज़ाकिर नाइक के विरुद्ध एक रिपोर्ट मुंबई के तत्कालीन कमिश्नर सत्यपाल सिंह
द्वारा भेजी गई थी। किसी विशेष राजनीतिक दल से शादी किये हुए लोग कह सकते हैं कि
यूपीए ने कदम नहीं उठाए इसलिए वो सरकार लीपापोती कर रही थी या दोषित थी। लेकिन
एक सच तो यह भी था कि नयी सरकार एनडीए ने भी 2 साल तक इस मामले में एक भी कदम नहीं उठाया था। जबकि उस वक्त के पुलिस कमिश्नर सत्यपाल सिंह अब उनके नेता थे। मामला तो
शायद ढाका हमले के बाद उठा, या यूंं कह लिजिए कि बांग्ला सरकार ने उठाया। ताज्जुब
तो यह था कि एक शहर के पुलिस कमिश्नर ने, जिस शहर में ज़ाकिर अपनी गतिविधियां चलाता
था, उसके खिलाफ रिपोर्ट दी थी, लेकिन फिर भी नये सिरे से जांच की गई और साथ में राजनीतिक आरोप भी लगते रहे कि पुरानी सरकार ने ज़ाकिर के खिलाफ गंभीरता नहीं दिखायी
थी। सवाल उठने लाजमी थे कि रिपोर्ट इस सरकार के सामने भी है, तो फिर नये सिरे से
जांच करने की ज़रूरत क्या थी? रिपोर्ट देने वाला उच्च अधिकारी
सेवानिवृत्त होने के बाद इसी सरकार से जुड़ा था, ऐसे में मामले को शून्य से जांचने
की ज़रूरत क्या थी?
2016 में जब ये सब हो रहा था, इन
सब आपाधापी के वक्त ज़ाकिर भारत से बाहर था। हालांकि अजीब तो यह था कि सरकार ने कहा
कि ज़ाकिर जब दो दिन बाद भारत आएगा, तब उनका पक्ष सुन कर आगे कार्रवाई की जाएगी।
जबकि ज़ाकिर को कई देशों में प्रतिंबधित किया जा चुका है और बांग्लादेश हम से पहले
उसके खिलाफ कदम उठाने जा रहा है। हालांकि भारत में उसके खिलाफ यह माहौल देखकर ज़ाकिर वापिस आएगा या नहीं, इस बात को लेकर कई लोगों में आशंकाएं थी। कुछ दिन हुआ भी यही। ज़ाकिर ने कुछ सप्ताह के लिए भारत वापस आने से मना कर दिया। आये दिन हम हमारे
अपराधी जो हमारी पकड़ से तथाकथित रूप से बाहर है उनके बारे में विदेशी देशों के सामने
गिड़गिड़ाते रहते हैं। जबकि हमारे यहां अपराधी मुक्त रूप से तब तक घूमता है, जब तक वो
या तो कोई बड़ी वारदात ना कर दे या फिर जनता का दबाव पैदा ना हो।
ज़ाकिर नाइक ने कांग्रेस को दिया था फंड?
हिन्दी अख़बार पंजाब
केसरी के रिपोर्ट की माने तो, ज़ाकिर नाइक ने वर्ष 2011 में राजीव गांधी ट्रस्ट को
50 लाख रुपए की राशि अनुदान के तौर पर दी थी। उस समय ट्रस्ट की अगुवाई कांग्रेस पार्टी
की अध्यक्षा सोनिया गांधी कर रही थीं। नाइक ने यह अनुदान अपने ट्रस्ट इस्लामिक रिसर्च
फाउंडेशन की ओर से दिया था। जुलाई में जब से ज़ाकिर नाइक से जुड़े विवाद सामने आए, उसके बाद राजीव गांधी ट्रस्ट ने
इस रकम को वापस करने का मन बना लिया। राजीव गांधी ट्रस्ट को वर्ष 2002 में शुरू किया
गया था। इसका मकसद ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों की मदद करना था। जो अनुदान नाइक
ने दिया था उसे चैक के जरिए सीधे बैंक अकाउंट में जमा करवा दिया गया था। इस्लामिक रिसर्च
फाउंडेशन ने तब राजीव गांधी ट्रस्ट को पत्र लिखा था कि जो रकम जमा की गई, उसका प्रयोग
जनरल फंड के लिए होना था।
ज़ाकिर नाइक की संस्था पर लगा पाँच साल का प्रतिबंध
15 नवम्बर 2016 के
दिन केंद्रीय कैबिनेट ने ज़ाकिर नाइक की संस्था आईआरएफ (इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन)
पर पाँच सालों का प्रतिबंध लगाया। कैबिनेट ये कदम यूएपीए (अनलॉफुल एक्टिविटी ऑफ प्रीवेंशन एक्ट) के तहत उठाया।
हिजबुल के
कमांडर की मुठभेड़ में मौत के बाद कश्मीर में हिंसा और आतंक का दौर
जुलाई 2016 में भारतीय सुरक्षा
बलों के साथ मुठभेड़ के दौरान हिजबुल का कमांडर बुरहान वाणी तथा अन्य दो आतंकी मारे
गए। बुरहान वाणी को हिजबुल का पोस्टर बॉय माना जाता था और वो सोशल मीडिया पर
सक्रीय था। माना जाता है कि ढाका हमलों का आंतकवादी जिस ज़ाकिर नाइक से प्रभावित हुआ
था, उसी नाइक का बुरहान प्रशंसक था। उसके बाद उन तथाकथित अलगाववादियों की पुरानी
परंपराएं शुरू हुई और बुरहान की मौत पर कश्मीर जलने लगा। कश्मीर बंद का एलान दिया
गया और सुरक्षा बलों तथा पुलिस कर्मियों पर हमले होने लगे। बुरहान के जनाजे में सैकड़ों लोगों को जोड़ा गया और योजनाबद्ध तरीके से हिंसा का दौर आगे बढ़ा।
कई शहरों में तथाकथित अलगाववादी या
यूं कहे कि अघोषित आतंकवादी अपने मनसुबों के अनुसार हिंसक प्रदर्शन करवाते रहे।
प्रदर्शनकारी तथा सुरक्षा बलों के बीच कई जगह संघर्ष हुए, जिसमें 12,000 से ज्यादा
लोग घायल हुए तथा 100 से ज्यादा लोग मारे गए। इनमें सुरक्षा बल के जवान भी शामिल
थे। प्रदर्शन के दौरान पांच भवनों में आग लगाई गई, जिनमें तीन पुलिस चौकियां थी।
अनंतनाग में भीड़ ने पुलिस की गाड़ी को नहर में धकेल दिया। कुलगांव में भाजपा के
कार्यालय पर भी हमला हुआ। कश्मीर के कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया। उस वक्त
अमरनाथ यात्रा चल रही थी। अमरनाथ यात्रा में शामिल कुछ प्रवासी बसों पर हमले हुए और
कुछ जगहों पर उनके साथ लूटपाट की घटनाएं भी हुई। आनन फानन में अमरनाथ यात्रा रोक दी
गई। मोबाइल तथा इंटरनेट सेवाएं रोक दी गई। कुछ जगहों पर ट्रेन सेवाएं भी रोक दी गई।
त्राल, अचमाल, दमहाल, शीरी, क्रीरी, देलिना, पट्ट्न तथा पलहालन इलाके ज्यादा
प्रभावित हुए।
आनन फानन में कश्मीर की स्थिति को
लेकर उच्चस्तरिय सुरक्षा बैठकें की गई। तत्कालीन प्रधानमंत्री मोदी उस वक्त अफ्रिका
के दौर पर थे। अपना दौरा खत्म करने से पहले उन्होंने निर्देश दिये कि भारत पहुंचने
के बाद तुरंत कश्मीर मसले पर बैठक की जाएगी। सरकार को विरोध दलों की मदद लेनी पड़ी।
कश्मीर की पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में दो सिरे दिखे। एक सिरे ने कश्मीरियों की
समस्या या कश्मीरियों से बातचीत का प्रस्ताव सामने रखा, तो दूसरे सिरे ने आतंकवाद
पर जोर दिया। इस हिंसा या प्रयोजित हिंसा के चलते कश्मीर के ज्यादातर इलाकों में
कर्फयू लगाना पड़ा। यूं कहे कि कश्मीर ठप हो गया।
तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने यूएस की यात्रा को रोक दिया। घाटी में पुन: शांति स्थापित करने के लिए सत्तादल,
विपक्ष और धर्मगुरुओं ने अपील की। दिनों तक कश्मीर के बड़े इलाके कर्फयू में फंसे रहे।
अमरनाथ यात्रा दोबारा रोकनी पड़ी। कश्मीर में अखबारों के प्रकाशन भी नहीं हो पाए।
घाटी से कश्मीरी पंडितों के 600 परिवारों ने जम्मू की ओर पलायन कर दिया। सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच संधर्ष की वारदातें हर रोज होती रही। कही पर पैलेट गन के
कारण कइयों को गंभीर चोटें आई। सुरक्षा बलों द्वारा पैलेट गन के इस्तेमाल किये जाने
पर प्रदर्शनकारियों में खौफ व गुस्सा छाया रहा।
एक वक्त ऐसा भी आया जब चीन ने भी
इस विवाद में खुद को झोंक दिया और कश्मीर हिंसा पर चिंताएं प्रक्ट की। पाकिस्तानी
समर्थक आतंकवादियों ने वहां प्रदर्शन और रैलियां निकालकर इस स्थिति का फायदा
उठाने की कोशिशें की। पाकिस्तान में बुरहान के एनकाउंटर के दिन को काला दिन मनाने
के आयोजन हुए। भारत में भी लोगों का गुस्सा उबाल पर रहा और पाकिस्तान की इन हरकतों के
कारण माहोल ज्यादा गरमाने लगा। कश्मीर में हिंसा तकरीबन दो महीने तक चलती रही। इन
दिनों कई शहरों में कर्फयू लगा रहा। कुछेक दिन अख़बार भी बंद रहे। पाकिस्तानी शासकों और
भारतीय सरकार के बीच बयानों के जरिये आक्रमक आरोप-प्रत्यारोप चलते रहे। पाकिस्तान में हुए सार्क सम्मेलन में तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह के साथ पाकिस्तान में अपमानजनक
व्यवहार किया गया।
इसके बाद भारत का रुख और कड़ा हो
गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान के कश्मीर आलाप के सामने
पाक अधिकृत कश्मीर, बलूचिस्तान और गिलगित का मुद्दा उठाया। इसके बाद दोनों देशों के
बीच राजनीतिक रूप से तथा कूटनीतिक रूप से माहौल में जबरदस्त आपाधापी मची रही।
विपक्षी पार्टियों ने भी राष्ट्रहित के मुद्दे पर तत्कालीन सरकार का साथ दिया।
कश्मीर में जारी हिंसा के बाद
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बीएसएफ तक को उतारना पड़ा। 11 साल बाद बीएसएफ को
कश्मीर में उतारा गया। एक महीने में दूसरी बार तत्कालीन गृहमंत्री कश्मीर के दौरे पर
गए। जम्मू कश्मीर की तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी कुछेक बार दिल्ली की मुलाकात ली तथा प्रधानमंत्री से मिली। दिल्ली में इस मसले को लेकर सर्वदलीय बैठक
भी हुई और सदन में कश्मीर हिंसा को लेकर बयान भी दिया गया। 3 सितम्बर के दिन दिल्ली में सर्वदलीय बैठक हुई और 4 सितम्बर के दिन गृहमंत्री के नेतृत्व में ऑल पार्टी
डेलिगेशन कश्मीर पहुंचा। लेकिन अलगाववादियों के अड़ियल रवैये के चलते इसका कोई
फलदायी परिणाम नहीं मिल पाया। कश्मीर में हिंसा महीनों तक चलती रही।
कश्मीर में
आतंकवादी गतिविधियों में शहीद हुए सुरक्षाकर्मी तथा मारे गए आतंकवादियों की संख्या
नीचे दिए गए आंकड़े एसएटीपी
(साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल) से लिये गए हैं। इसके मुताबिक जम्मू-कश्मीर में सितम्बर 2016 तक 100 से ज्यादा आतंकवादी घटनाएं हुई, जिसमें 63 जवान शहीद हुए। वहीं
इन घटनाओं में 115 आतंकवादी मारे गए। इन घटनाओं में 16 आम नागिरकों की मृत्यु हुई थी।
एसएटीपी के मुताबिक पिछले 10 सालों में 5,500 आतंकवादी घटनाएं दर्ज की गई, जिसमें 600
से ज्यादा जवानों की मौतें हो चुकी हैं। वहीं इन घटनाओं के दौरान तकरीबन 2,000 से
ज्यादा आतंकवादी मारे गए। आंकड़ों को देखे तो,
साल
|
शहीद
हुए जवान
|
मारे
गए आतंकवादी
|
नागरिकों
की मौतें
|
2007
|
121
|
492
|
164
|
2008
|
90
|
382
|
69
|
2009
|
78
|
242
|
55
|
2010
|
69
|
270
|
36
|
2011
|
30
|
119
|
34
|
2012
|
17
|
84
|
16
|
2013
|
61
|
100
|
20
|
2014
|
51
|
110
|
32
|
2015
|
41
|
113
|
20
|
Sept 2016
|
63
|
115
|
16
|
सन 1988 से सितम्बर 2016 तक के
आंकड़ों के मुताबिक, जम्मू कश्मीर मे 50,000 से ज्यादा आतंकी घटनाएं हुई, जिसमें 6,250
जवान, 23,083 आतंकवादी तथा 14,470 नागरिकों की मौतें हुई हैं।
अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट की 3 फाइलें बारिश में धुल गई
आतंकी हमला और उसकी जांच। ये
दोनों राष्ट्रीय मसले माने जाते है। लेकिन किसी सिलसिलेवार बम धमाकों की जांच फाइल
बारिश में धुल जाये तो फिर संजीदगी को क्या कहेंगे आप। ऐसा ही कुछ 2016 में गुजरात
में हुआ। बात यह थी कि सन 2008 में गुजरात के अहमदाबाद शहर में सिलसिलेवार बम धमाके
हुए थे। इस आतंकवादी हमले की जांच चल रही थी। विशेष कोर्ट में जांच अधिकारी धनंजय
द्विवेदी द्वारा एक चौंकानेवाला खुलासा किया गया। उन्होंने विशेष अदालत को बताया कि
जांच की 14 फाइलें थी, जिनमें से 3 फाइलें बारिश में धुल चुकी है। धनंजय ने कहा कि
इसके चलते जानकारी या डाटा उपलब्ध नहीं है, लिहांजा ओढव के दो धमाके तथा कलोल धमाके
के बारे में वे कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है।
असम के
कोकराझार में आतंकवादी हमला, 14 की मौत
5 अगस्त, 2016 के दिन असम के
कोकराझार जिले में आतंकवादी हमला हुआ। कोकराझार के बालजान तिलानी मार्केट में तकरीबन 8 आतंकवादियों ने एके 47 बंदूकों से लेस होकर हमला कर दिया। गोलीबारी में 14
लोगों की मौत हो गई। 20 से ज्यादा लोग घायल हुए। हमले के दौरान आतंकियों ने ग्रेनेड
भी फेंका जिसमें तीन दुकानों को नुकसान हुआ। एके 47 बंदूकों से लेस आतंकवादी कार तथा
ऑटो में सवार होकर बाज़ार में घुस गए। उन्होंने बाज़ार में खरीददारी कर रहे लोगों पर
गोलीबारी कर दी। असम में इस प्रकार का यह पहला आतंकवादी हमला था। सुरक्षाबलों की
जवाबी कार्रवाई में 1 आतंकवादी मारा गया। मृत आतंकी से चीनी ग्रेनेड और एके 47
बंदूक मिली। इस आतंकी हमले में बोडो आतंकियों का हाथ होने की आशंकाएं जताई गई।
बारामुला में
आतंकी हमला, 3 सुरक्षा जवान शहीद
16 अगस्त 2016 मंगलवार की रात को
उत्तर कश्मीर के बारामुला जिले में फौजी काफिले पर आतंकियों ने हमला कर दिया। इस
हमले में फौज के दो जवान तथा जम्मू-कश्मीर पुलिस का एक जवान शहीद हो गए। ये हमला
बारामुला के पास ख्वाजगांव के नजदीक हुआ। उसके बाद सेना के काफिलों को रात में
निकलने पर नियंत्रण लगा दिया गया। इसके बाद 19 अगस्त के दिन बीएसएफ के केम्प पर
आतंकियों ने हमला किया था।
हंदवाड़ा में
सेना के काफ़िले पर हमला
7 सितम्बर, 2016 के दिन हिंसा की
आग में जल रहे कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में हंदवाड़ा इलाके में आतंकवादियों ने सेना के
काफिले पर हमला कर दिया। सेना का काफिला बारामुला की ओर जा रहा था तभी हंदवाड़ा इलाके के वुडपोरा में आतंकवादियों ने हमला किया। इस हमले में किसी जवान की जान नहीं गई, लेकिन तीन जवान गंभीर रूप से घायल हुए। बाद में सेना ने फरार हो चुके आतंकियों को खोजने के लिए अभियान चलाया।
उरी में बटालियन
मुख्यालय पर हमला 2016
18 सितम्बर 2016 के दिन सुबह
साढ़े पांच बजे उरी में बटालियन मुख्यालय पर आत्मघाती हमला हुआ। ये हमला बहुत बड़ा था। हताहत जवानों की संख्या के हिसाब से भी, तथा जगह के हिसाब से भी। पिछले 30 सालों में फौज पर हुआ ये तीसरा सबसे बड़ा आतंकवादी हमला था। रविवार तड़के बटालियन मुख्यालय,
जो एलओसी के पास सटा हुआ है, चार आतंकवादियों ने आत्मधाती हमला कर दिया। उन्होंने
ग्रेनेड फेंक दिये और अंधाधूध फायरिंग शुरू कर दी। इस आत्मधाती हमले में तकरीबन 20
जवान शहीद हुए तथा कई जवान घायल हुए। पैरा कमांडो फोर्स को तुरंत भेजा गया। चारो
आतंकियों को मार गिराया गया। इसी साल जनवरी में पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले के
बाद, बटालियन के हेडक्वार्टर पर किया गया यह हमला सेना से सीधी जंग के बराबर था।
कश्मीर में
आतंकियों ने ग्रेनेड से किया हमला, 5 जवान घायल
26 सितम्बर, 2016 के दिन अनंतनाग
के कुलगांव में आतंकवादियों ने सीआरपीएफ की पार्टी पर ग्रेनेड बम से हमला कर दिया।
इस हमले में सीआरपीएफ के 5 जवान घायल हो गए। सीआरपीएफ के जवान जब पेट्रोलिंग पर
थे, तब उन पर हमला किया गया था। हालांकि, आतंकियो द्वारा फेके गए ग्रेनेड उनके
लक्ष्य से दूर फटे। इसीके चलते किसी जवान की जान नहीं गई।
बारामुला में
आरआर पर आतंकी हमला, 1 जवान शहीद
2 अक्टूबर, 2016 की रात साढ़े दस
बजे बारामुला में राष्ट्रीय राइफल्स के कैंप पर हमला हुआ। हालांकि वक्त रहते जवानों ने आतंकियों को कैंप के बाहर ही रोक दिया। इस हमले के दौरान 1 जवान शहीद हो गया तथा
1 जवान घायल हुआ। तकरीबन साढ़े दस बजे तीन से चार आतंकियों ने हथियारों से लैस होकर
कैंप में घुसने के लिए हमला कर दिया। आतंकवादियों ने बारामूला में सेना के 46 राष्ट्रीय
राइफल्स कैंप और इसी से सटे बीएसएफ कैंप पर दो गुटों में लगभग 10-30 बजे हमला किया।
इसके बाद भारी गोलीबारी और धमाकों की आवाजें सुनी गईं। यह जगह श्रीनगर से 60 किलोमीटर
दूर है। आतंकवादी बीएसएफ शिविर के किनारे तक प्रवेश करने में कामयाब रहे, लेकिन उन लोगों को उरी हमले के बाद हाई अलर्ट
पर चल रही सेना और बीएसएफ की भारी फायरिंग का सामना करना पड़ा। संभवत आतंकियों ने
झेलम नदी के रास्ते घुसपेठ की थी। हमले के दौरान कितने आतंकी मारे गए, कितने बच
निकले या कितने आतंकियो ने हमला किया था उसकी कोई ठोस खबर नहीं मिली। सर्चे ऑपरेशन के दौरान जीपीएस डिवाइस और तार काटने वाले कटर मिले।
कुलगांव में
पुलिस स्टेशन पर हमला
4 अक्टूबर, 2016 की देर रात को
कुलगांव के यारीपुरा में पुलिस स्टेशन पर आतंकी हमला हुआ। पुलिस के जवान और आतंकियों के बीच गोलीबारी हुई। फायरिंग करने के बाद आतंकी निकल भागे। वहीं 3 अक्तबूर के दिन
आतंकियों ने कुलगांव में हमला किया था। उस दौरान आतंकियों ने पुलिस के हथियार लूट
लिये थे। यारीपुरा पुलिस स्टेशन पर हुए आतंकी हमले में किसी की जान नहीं गई।
हंदवाड़ा में
आरआर आर्मी कैंप पर हमला, 3 आतंकी मार गिराए गए
6 अक्टूबर, 2016 के दिन, तड़के
सुबह 5 बजे के आसपास आर्मी कैंप पर हमला किया गया। आतंकियों ने सुबह 5 बजे हंदवाड़ा के लंगेट में 30 आरआर आर्मी कैंप पर हमला किया। इससे पहले 2 अक्टूबर के दिन
बारामुला में आरआर कैंप पर हमला किया गया था। हमला करने वाले आतंकी पाकिस्तान से
आए थे। आतंकियों की तैयारियां देखकर अंदाजा लगाया गया कि वे कैंप को भारी नुकसान
पहुंचाने के इरादे से आये थे और उरी हमले के तर्ज पर वो कैंप में घुस कर नुकसान
पहुंचाना चाहते थे। इस हमले के दौरान जवानों ने 3 आतंकियों को मार गिराया। मारे गए आतंकी पाकिस्तानी थे। उनके पास से पाकिस्तानी मार्क वाली दवाइयां, ड्राई फ्रूट्स तथा
अन्य चीजें बरामद हुई। इसके अलावा 3 एके 47 राइफलों के साथ ग्रेनेड लॉन्चर के अलावा भारी
मात्रा में गोला बारूद भी बरामद किए गए। उनसे रास्ते बताने वाला जीपीएस, रेडियो सेट और नक्शें भी मिले। आतंकियों और आर्मी जवानों के बीच तकरीबन 6 घंटे लंबी मुठभेड़ चली। इस हमले में आर्मी के दो
जवान भी घायल हुए। कहा गया कि दो आतंकी बच निकलने में सफल हुए, जिन्हें हेलीकॉप्टर
की मदद से ढूंढने के प्रयास हुए।
शोपियां में
पुलिस चोकी पर आतंकी हमला, एक पुलिस कर्मी की मौत
7 अक्टूबर के दिन शोपियां जिले में
लघुमतियों की सुरक्षा हेतु बनायी गई पुलिस चोकी पर आतंकवादियों ने हमला किया।
जुम्मे की रात तकरीबन साड़े आढ़ बजे आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। इस गोलीबारी में
एक पुलिस जवान शहीद हो गया। एक नागरिक भी घायल हुआ। शोपियां जिले के हेरपोर इलाके
की पुलिस चोकी पर ये हमला हुआ। माना गया कि पुलिस चोकी पर हमला हथियारों की लूट के
लिए किया गया था।
पंपोर में
उद्योगसाहसिकता संस्थान पर आतंकी हमला, घंटो तक चली मुठभेड़
श्रीनगर से 11 किमी दूर पंपोर में
सेमपोरा स्थित जम्मू-कश्मीर एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (जेकेईडीआई) के
मुख्यालय परिसर की एक इमारत पर आतंकियों ने हमला किया। इस इमारत को कश्मीरी युवाओं को वोकेशनल ट्रेनिंग देने के लिए बनाया गया था। हालांकि, बुरहान वानी की मौत के
बाद भड़की हिंसा के चलते यह इमारत बंद अवस्था में थी।
10 अक्टूबर के दिन आतंकवादियों ने
इमारत परिसर में हमला बोल दिया। तीन से चार आतंकी पंपोर में स्थित उद्योगसाहसिकता संस्थान
(ईडीआई) में जा घुसे। आतंकी सुबह 6 बजे झेलम के रास्ते ईडीआई की इमारत
तक पहुंचे। जानकारी के मुताबिक, 7 मंजिला इमारत में आतंकियों को किसी ने बहुत देर तक
नोटिस नहीं किया। इमारत में घुसने के बाद आतंकियों ने इमारत की एक मंजिल में आग लगा
दी। बिल्डिंग से धुआं निकलता देख लोगों ने फायर ब्रिगेड को सूचना दी। मौके पर पहुंची
फायर ब्रिगेड के आने पर आतंकियों ने इमारत में धमाका किया। आतंकियों ने फायर ब्रिगेड
पर गोलीबारी की, जिसके बाद आग बुझाने आए कर्मचारियों ने भागकर अपनी जान बचाई। बाद
में सेना के जवानों ने मोर्चा संभाल लिया। आतंकी तथा सेना के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई।
सेना और स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की टीम ने इमारत में सर्च ऑपरेशन शुरू किया। सर्च ऑपरेशन
के दौरान ही सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई, जो कि दूसरे दिन और रात तक चलती रही।
ये इमारत 7 मंजिला था, जिसमें 50
से अधिक कमरे थे। दिन भर रुक रुक कर गोलीबारी चलती रही। शुरुआती गोलीबारी में सेना
का एक जवान जख्मी हो गया। इस बीच ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए 9 पैराकमांडो की कंपनी
को बुलाया गया। इमारत में आतंकवादी बार बार अपनी जगह बदलते रहे। 10 अक्टूबर की रात
से लेकर 11 अक्टूबर की सुबह तक भारी गोलीबारी चलती रही। इमारत को कई बार आग लग
जाने के बाद भी आतंकी बाहर नहीं आए और कई मंजिला इस इमारत में अपनी जगह बदलते
रहे। बुधवार सुबह सेना के जवानों ने इमारत में दाखिल होने की कोशिश की थी, लेकिन आतंकियों
की ओर से हो रही भारी गोलाबारी के कारण सेना के जवानों को वापस बुला लिया गया। बाद
में इमारत को लक्ष्य कर आईईडी, आरबीजीएल
तथा यूबीजीएल भी दागे गए। सेना ने पूरे इलाके में हेलीकाप्टरों से निगरानी शुरू कर
दी, जिससे आतंकियों को भागने न दिया जाए।
आखिरकार 58 घंटे के लंबे अभियान
के बाद दो आतंकियों को मार गिराया गया और अभियान आखिरकार खत्म हुआ। इमारत में छिपकर
बैठे आतंकियों को बाहर निकालने या मार गिराने की कोशिश में सुरक्षाबलों ने 50 से ज़्यादा
रॉकेट, मशीनगनों तथा अन्य
विस्फोटकों का इस्तेमाल किया। मुठभेड़ इतनी लंबी इसलिए खींच गई, क्योंकि इमारत में
आतंकियों को बंकर जैसी सुरक्षा मिल रही थी। इसके अलावा उनके पास भारी मात्रा में
गोला-बारुद और हथियार थे।
हमले के खिलाफ कार्रवाई के दौरान
सेना के दो जवान जख्मी हो गए। इसी इमारत में फरवरी 2016 मे आतंकियों ने हमला किया
था। उस वक्त हुई मुठभेड़ 48 घंटे तक चली थी।
शोपियां में
सीआरपीएफ जवानों पर आतंकवादी हमला, 11 जवान घायल
11 अक्टूबर के दिन शोपियां जिले में
सीआरपीएफ के जवानों पर आतंकी हमला हुआ। ये हमला सीआरपीएफ की पेट्रोलिंग पार्टी पर हुआ
था। सीआरपीएफ के जवानों पर पेट्रोलिंग करने के दौरान आतंकियों द्वारा ग्रेनेड से हमला
किया गया। इस हमले में सीआरपीएफ का 1 जवान,
3 पुलिसकर्मियों समेत 7 स्थानीय नागरिक घायल हुए। जानकारी के मुताबिक 2 से 3 आतंकियों ने इस हमले को अंजाम दिया।
इस हमले के बाद खुद पर पलटवार के बाद आतंकी मौके से फरार हो गए। घटना की सूचना मिलते
ही सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने इलाके को घेर कर सर्च ऑपरेशन
शुरू कर दिया।
जकूरा में
एसएसबी पर आतंकी हमला, एक जवान शहीद, कई जख्मी हुए
14 अक्टूबर के दिन श्रीनगर के
जकूरा में आतंकवादियों ने एसएसबी (सीमा सुरक्षा दल) की पेट्रोलिंग पार्टी पर हमला
किया। ये हमला सीआरपीएफ कैंप के नजदीक ही हुआ था। आतंकियों ने जवानों के गश्ती दल पर
धड़ाधड़ फायरिंग शुरू कर दी। ये गश्ती दल जकूरा वापस आ रहा था। दल पर अचानक ही
गोलीबारी करने के बाद आतंकवादी वहां से भाग गए। उन्हें ढूंढने के लिए सर्च ऑपरेशन
चलाया गया। इस हमले में एक जवान शहीद हो गया तथा 9 जवान जख्मी हुए।
उड़ीसा में
नक्सलियों का एनकाउंटर, 24 नक्सली मारे गए
24 अक्टूबर 2016 के दिन उड़ीसा के
मलकानगिरी के जंगलों में आंध्र तथा उड़ीसा पुलिस ने संयुक्त अभियान चलाया। साझा
अभियान में सीपीआई (माओवादी) के 24 नक्सलवादी मारे गए। मारे गए नक्सलियों में 17
पुरुष तथा 7 महिलाएं थी। ये अभियान आंध्र की सरहदों से थोड़ी दुर चलाया गया था। पुलिस
को जानकारी मिली थी कि माओवादी इस इलाके में बड़े पैमाने पर ट्रेनिंग कैंप आयोजित
कर रहे थे। आंध्र के ग्रेहाउंड कमांडो तथा उड़ीसा के सशस्त्र बल ने मिलकर इस
अभियान को अंजाम दिया।
असम में उल्फा व
एनएससीके का आतंकवादी हमला, 3 जवान शहीद
19 नवम्बर, 2016 के दिन असम के
तिनसुकिया जिले के दिग्बोई शहर के पास उल्फा और एनएससीएन (के) आतंकियो ने सेना पर
हमला कर दिया। इन आतंकियों ने सेना की 15वी कुमाऊं रेजिमेंट पर हमला किया, जिसमें 3
जवान शहीद हो गए। 19 नवम्बर की सुबह 5-30 बजे 15वी कुमाऊं रेजिमेंट का एक दस्ता
पेनगिरी से दिग्बोई जा रहा था। दिग्बोई असम का ओयल सिटी माना जाता है। तभी तकरीबन
15 आतंकियों ने हमला कर दिया। सेना का दस्ता उग्रवाद विरोधी अभियान के तहत जा रहा
था। आतंकियों ने ग्रेनेड, आईआईडी तथा मशीनगनों से हमला किया। इस हमले में सेना के
हवलदार मुल्तान सिंह, हवलदार रिशी पाल तथा नायक नरपत सिंह शहीद हो गए।
छत्तीसगढ़ में
नकसली हमले में सीआरपीएफ अधिकारी की मौत
22 नवम्बर 2016 के दिन छत्तीसगढ़ के चिंतलनारा थाना क्षेत्र में प्रेशर बम विस्फोट हुआ। ये इलाका नक्सल प्रभावित
इलाका है। इस विस्फोट की वजह से सीआरपीएफ की 74वी बटालियन के उप निरिक्षक बीएस
बिष्ट की मौत हो गई। एक अन्य जवान सुधाकर जख्मी हो गए। गौरतलब है कि अगले ही दिन,
यानी कि 21 नवम्बर को इसी इलाके में प्रेशर बम विस्फोट हुआ था, जिसने सीआरपीएफ के
दो जवान जख्मी हो गए थे।
कुलगांव में
आतंकी हमला, दो जवान शहीद, बांदीपुरा में भी हुआ आतंकी हमला
25 नवम्बर, 2016 के दिन
जम्मू-कश्मीर के कुलगांव में आतंकियों ने पुलिस पार्टी पर हमला किया। गोलीबारी में दो
जवान शहीद हो गए। इसी दिन सुबह बांदीपुरा में फौज तथा आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई।
जिसमें एक जवान शहीद हो गया। इस मुठभेड़ में दो आतंकियों को मार गिराया गया। इस घटना
के बाद कुलगांव में आतंकवादियों ने पुलिस की पार्टी पर हमला कर दिया।
कुपवाड़ा में
बीएसएफ पर आतंकी हमला
26 नवम्बर के दिन कुपवाड़ा में बीएसएफ के काफिले पर आतंकियों ने हमला किया। काफिला लंगाटे से बारामूला की ओर जा
रहा था। इसी बीच उधीपोरा क्रॉसिंग के नजदीक आतंकी हमला हुआ। आतंकियों ने सड़क के
किनारे खेत से काफिले पर गोलीबारी की। इस हमले में एक जवान जख्मी हो गया।
पंजाब नाभा जेल
ब्रेक मामला
27 नवम्बर 2016 के दिन पंजाब के
नाभा जेल में तकरीबन 20 लोगों ने अपने साथी कैदियों को छुड़ाने के लिए जेल पर हमला कर
दिया। ये जेल उच्च सुरक्षा व्यवस्था से लेस जेल मानी जाती है। लेकिन इस दिन इस
सरकारी दावे की सरेआम धज्जियां उड़ गई। तकरीबन 20 लोगों ने हथियारों के साथ इस जेल पर
अचानक हमला बोल दिया। जेल के कैदियों को नास्ते के लिए बाहर निकाला जा रहा था और
ठीक इसी वक्त पुलिस की वर्दी में हमला हुआ। पंजाब सरकार और भारतीय जेल सुरक्षा के
लिए शर्मनाक प्रकरण यह रहा कि इन लोगों ने केवल 10 मिनट में अपने 6 साथियों को जेल
से छुड़ा लिया। हमलावरों ने 10 मिनट में तकरीबन 200 गोलियां दागी। केवल चंद मिनटों में वे अपने 6 साथियों को उड़ा ले गए। जिसमें 2 खालिस्तानी आतंकी थे, जबकि अन्य 4
गेंगस्टर थे।
नाभा जेल ब्रेक की इस घटना के
पश्चात हमले के मास्टरमाइन्ड माने जाने वाले परमिंदर सिंह को यूपी पुलिस ने शामली
जिले के कैराना से गिरफ्तार किया। इसे नाभा जेल की इस घटना का मास्टरमाइन्ड बताया
गया था। इस घटना के 16 घंटे के भीतर खालिस्तानी आतंकवादी संगठन का सरगना
हरमिन्दर सिंह मिंटु दिल्ली से पकड़ लिया गया। 28 नवम्बर की रात 1 से 2 बजे के बीच
मिंटु को दिल्ली के निजामुद्दीन रेल्वे स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया गया। वहीं भागे
हुए कैदियों में से एक गुरुप्रीत सिंह लेहम्बर को पंजाब पुलिस ने दूसरे दिन जलंधर से
गिरफ्त में ले लिया। दूसरे कैदी अब भी फरार थे।
नागरोटा आर्मी
कैंप पर बड़ा आतंकी हमला, 4 जवान शहीद
ये हमला उरी हमले के बाद आतंकियों का सबसे बड़ा हमला था। 29 नवम्बर 2016 के दिन सुबह तकरीबन 5-30 बजे आतंकियों ने
नागरोटा के आर्मी कैंप पर हमला कर दिया। ऑटोमेटिक हथियार तथा ग्रेनेड से लेस आतंकी
तड़के सुबह इस कैंप में घुसने मे कामयाब हो गए। आतंकी सेना की वर्दी में आए थे।
उन्होंने आर्टिलरी यूनिट की पिछली दीवार पर तैनात सुरक्षाजवान पर गोलीबारी शुरू कर
दी। आर्टिलरी यूनिट की पिछली दीवार पर हमला करने के बाद आतंकियों ने कैंप के अंदर
घुसने के प्रयास किए। उन्होंने ऑफिसर्स मेस पर जबरदस्त गोलीबारी की तथा ग्रेनेड
फेंके। आतंकवादी उस इमारत में घुसने में कामयाब हो गए, जहां फौजी अधिकारी, जवान
उनके परिवार के साथ रहते है।
आतंकवादियों ने 12 जवान, 2 महिला
तथा 2 बच्चों को बंधक बना लिया। अब ये स्थिति आतंकवादी हमले से उलट हो चुकी थी। भारतीय
सेना के जवान तथा उनके परिवार के सदस्य आतंकियों के हाथों बंधक बन चुके थे। वहीं,
भारतीय सेना ने भी देर नहीं की। वहां स्थित सेना के जवानों तथा अन्य दस्तों ने त्वरित
कार्रवाई की। पठानकोट हमले में राजनीतिक दखलअंदाजी तथा रणनीतियों में विफलता के बाद
उरी हमले और उसके बाद यहां पर भी सेना ने अपने दम पर जबरदस्त कार्रवाई की। सेना ने
अपना अभियान चलाया और बिना किसी बंधक को नुकसान पहुंचाए तमाम को मुक्त करवा लिया।
शुरुआती हमले में एक मेजर के साथ
3 भारतीय जवान शहीद हो गए। इसके अलावा अन्य कई जवान जख्मी भी हुए। शहीद हुए मेजर
166 मिडीयम आर्टिलरी रेजिमेंट के मेजर कृणाल गोसावी थे, जो महाराष्ट्र से थे। इसके
अलावा लांस नायक संभाजी यशवंत कदम तथा सिपाही राघविंदर भी इस शुरुआती हमले में देश
के लिए कुर्बान हो गए। सेना की कार्रवाई में 4 आतंकवादी मारे गए।
अरुणाचल में
आतंकी हमला, एक अधिकारी तथा दो जवान शहीद हुए
3 दिसंबर 2016 के दिन अरुणाचल
में एनएस खपलांग (नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड) संगठन के संदिग्ध
आतंकवादियों ने असम राइफल्स के काफिले पर हमला किया। ये हमला तिराप जिले में हुआ था।
इस हमले में एक जूनियर कमीशन अधिकारी तथा दो जवान शहीद हुए। अन्य दो जवानों की
स्थिति गंभीर बताई गई।
असम राइफल का एक दल रौजाना
पेट्रोलिंग पर था और वापस आ रहा था। इस बीच तिराप जिले के गिनु गांव के पास दोपहर
दो बजे के आसपास यह हमला हुआ। ये जगह म्यांमार सरहद के पास है। आतंकियों ने
ऑटोमेटिक हथियारों से गोलीबारी की। गौरतलब है कि आखिरी 15 दिनों में उत्तरपूर्व के
आतंकवादियों द्वारा सेना पर किया गया ये तीसरा हमला था। इससे पहले 19 नवम्बर के दिन
असम के तिनसुकीया के पास हमला हुआ था, जिसमें तीन जवान शहीद हुए थे। उसके बाद 26
नवम्बर के दिन मणिपुर में हमला हुआ था, जिसमें पांच जवान जख्मी हो गए थे।
एक महीने में एक
ही बैंक में आतंकियों ने की तीन बार पैसों की लूट की
नवम्बर 2016 में लागू की गई कथित
नोटबंदी के बाद तकरीबन एक महीने के अंदर जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों ने बैंक से
तीन बार पैसे लूट लिए। ताज्जुब तो यह था कि आतंकियों ने तीनों लूट एक ही बैंक में की। 21 नवम्बर के दिन बड़गांव में जेएंडके (जम्मू एंड कश्मीर) बैंक से आतंकवादियों
ने 12 लाख रुपयों की लूट चलाई। 8 दिसंबर के दिन चार से पांच हथियारी आतंकियों ने
पुलवामा में जेएंडके (जम्मू एंड कश्मीर) बैंक से 10 लाख रुपये लूट लिए। वहीं 15
दिसंबर के दिन पुलवामा की ही जेएंडके शाखा से 11 लाख रुपये की लूट की गई। यानी
कि 24 दिनों के भीतर एक ही बेंक से तीन तीन बार पैसे लूट लिये गए।
मणिपुर में पुलिस काफ़िले पर हमला, 4 जवानों की मौत
15 दिसंबर 2016 के दिन मणिपुर
राज्य के चंदेल जिले में उग्रवादियों ने पुलिस काफिले पर हमला कर दिया। हमला और उसके
बाद हुई मुठभेड़ में पुलिस के चार जवानों की मौत हो गई। चंदेल के लोकचाओ के पास
उग्रवादियों ने पुलिस काफिले को बीच में रोक दिया और हमला किया। उसके बाद पुलिस और
उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ हुई।
पंपोर में फिर
एक बार आतंकी हमला, 3 जवान शहीद
ये आतंकी हमला शनिवार 17 दिसंबर
2016 के दिन हुआ। पुलवामा जिले में इस दिन दोपहर आतंकवादियों ने आर्मी के काफिले पर
हमला किया। सेना के जवानों को ले जा रही बस श्रीनगर से 10 किमी दूर पंपोर शहर के
कदलाबदल पहुंची। इसी दौरान बाईक पर आये दो आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। इस
गोलीबारी में 3 जवान शहीद हो गए। आतंकवादियों ने योजना के अनुसार बस के चालक पर
गोलीबारी की। जिससे बस वहीं रुक जाए और ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाया जा सके।
गनीमत ये रही कि बस के चालक ने जख्मी हालत में होते हुए भी बस वहां से निकाल ली।
हमले की जगह भी ऐसी पसंद की गई थी जहां ज्यादा नागरिक मौजूद हो। इसके चलते सेना को
प्रतिक्रियाएं देने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हमला करने के बाद दोनों आतंकवादी
वहां से फरार हो गए। जिसके बाद सेना और पुलिस ने सर्च ऑपरेशन चलाया।
भारत की
प्रतिष्ठित कंपनी टाटा सन्स और रतन टाटा पर आतंकवादी को पैसे देने का लगा आरोप
टाटा सन्स तथा रतन टाटा के खिलाफ
आतंकवादी से संबंध के सनसनीखेज आरोप लगाए गए। केवल आरोप नहीं, बल्कि नेशनल कंपनी
लॉ ट्रिब्यूनल में शापूरजी पालोनजी ग्रुप ने एक अर्जी दायर की थी, जिसमें ये दावा
किया गया था। नवभारत टाइम्स के हवाले से खबर आई थी कि शापूरजी ग्रुप की दो
कंपनियां साइरस इन्वेस्टमेंट तथा स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट ने द्वारा दायर की गई
एक अर्जी में कथित घोटाले का आरोप लगाया। ट्रिब्यूनल के समक्ष आरोप लगाए गए कि
टाटा सन्स तथा रतन टाटा ने हमिद रजा के साथ सौदा किया था। हमिद रजा आतंकवादी है और
बड़ा नाम है। अर्जी में डिलाईट का हवाला दिया गया। डिलाईट ने एयर एशिया घोटाले की फोरेंसिक जांच की थी। अर्जी में आरोप लगाया गया कि रतन टाटा के कहने पर एयर एशिया
के साथ किये गए सौदे में टाटा ग्रुप ने आतंकवादी को सीधे पैसा दिया था। टाटा सन्स
के प्रवक्ता ने आरोपों को नकारा भी है। एयर एशिया घोटाले की जांच ईडी कर रही है।