पिछले छह वर्षों में
भारतीय वायुसेना के विमान दुर्घटनाओं में से 45 प्रतिशत मानवीय भूल के कारण हुई हैं। भारतीय वायुसेना ने रक्षा संबंधी संसदीय
समिति को सूचित किया है कि अप्रैल 2004 से मार्च 2010 के बीच कुल 74 हवाई दुर्घटनाएं दर्ज़ की गईं, जिनमें से 42 प्रतिशत दुर्घटनाएं विमान में तकनीकी ख़राबी के कारण तथा मात्र छह प्रतिशत दुर्घटनाएं
पक्षी से टकराने के कारण हुईं।
प्रतिशत में दिए गए
आँकड़ों का मतलब है कि भारतीय वायुसेना को 74 में से 33 दुर्घटनाओं का सामना मानवीय भूलों के कारण, 31 दुर्घटनाओं का कारण विमान में तकनीकी खामियाँ और 4 दुर्घटनाएँ पक्षी
टकराने के कारण हुईं। शेष छह दुर्घटनाओं के कारण समिति को नहीं बताए गए हैं।
समिति ने संसद में
प्रस्तुत अपनी नवीनतम रिपोर्ट में चिंता व्यक्त की है कि ये दुर्घटनाएं ऐसे समय में
हो रही हैं, जब भारतीय वायुसेना प्रशिक्षक विमानों की कमी तथा अपने प्रशिक्षु पायलटों के लिए
सिमुलेटरों के अप्रचलित हो जाने के कारण संकट का सामना कर रही है।
इसमें चिंता व्यक्त
की गई कि भारतीय वायुसेना का हिंदुस्तान पिस्टन ट्रेनर-32, जो एक बुनियादी प्रशिक्षण
विमान है, पिछले वर्ष की शुरुआत में हुई दुर्घटना के बाद एक वर्ष से अधिक समय से उड़ान नहीं
भर रहा है तथा किरण एमके-II एचजेटी-16 सिमुलेटर का उपयोग नहीं हो रहा है।
भारतीय वायुसेना को
एचपीटी-32 के इंजन और एयरफ्रेम में समस्याओं का सामना करना पड़ा है, जबकि इसने अपने सभी
किरण प्रशिक्षकों (आमतौर पर माध्यमिक उड़ान प्रशिक्षण के लिए उपयोग किए जाते हैं) को
छोड़ दिया है, ताकि नए पायलट उड़ान कौशल सीख सकें।
जब पायलटों ने किरण
विमान से मिग-21 सुपरसोनिक लड़ाकू जेट विमानों पर स्विच किया तो एडवांस्ड जेट ट्रेनर (एजेटी) की
कमी के कारण इसके प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में भी अंतराल आ गया।
20 वर्षों तक चली लंबी प्रक्रिया के बाद,
भारतीय वायुसेना ने 2004 में 66 BAE हॉक AJT खरीदने का अनुबंध किया और पायलटों के प्रशिक्षण के लिए पहली खेप 2008 में शामिल की गई।
हालाँकि किसी एक रिपोर्ट
को सामने रख कर समस्या का पूरी तरह से विश्लेषण किया नहीं जा सकता। आँकड़े, प्रतिशत, आदि इस समस्या का एक
महत्वपूर्ण पहलू ज़रूर हो सकता है, किंतु ऐसा होने के पीछे की वजहें आदि को नज़रअंदाज़ करना भी ठीक नहीं लगता।
थल सेना, वायु सेना या जल सेना
में हादसों के प्रतिशत और प्राथमिक कारणों की सूची अनिवार्य है। हो सकता है कि इसके
अलावा शायद कोई दूसरी रपटें भी हो, जो ऐसा होने के पीछे की वजहों पर प्रकाश डालती हो।
स्वाभाविक है कि शांति
काल में किसी भी देश की सेना को होने वाला नुक़सान काफी चिंता का विषय माना जाता है।
भारतीय वायु सेना ने अनेक हादसे झेले हैं। इसके कारण और स्थितियाँ समय समय पर बदलती
रही होगी।
सैनिकों की अपने परिवार
को लेकर चिंताएं, काम का ज़्यादा बोझ, सुविधाओं का अभाव, उनके सम्मान और गौरव को पहुँचती हानि, सैन्य बल और सैन्य ख़र्चों में कमियों वाला सिस्टम, खान-पान से लेकर रहने-सोने
की सहुलियतें, ठेकेदारी सिस्टम, साजो सामान का ख़राब मेंटेनस सिस्टम, तकनीकी गड़बड़ियां, और भी बहुत सारे कोण हो सकते हैं, जो इन हादसों के पीछे अपनी भूमिका निभा रहे हो।