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The Aland Files: वोट चोरी संयोग नहीं बल्कि सुनियोजित और केंद्रीकृत अपराध, नेता प्रतिपक्ष का सीईसी पर सीधा हमला

 
"यह वोट चोरी कोई संयोग नहीं बल्कि एक सुनियोजित अपराध है", "सोफ़्टवेयर और ओटीपी के ज़रिए एक केंद्रीकृत सिस्टम से यह हो रहा है", "मुख्य चुनाव आयुक्त लोकतंत्र का नाश करने वालों को बचा रहे हैं" - कर्नाटक के आलंद निर्वाचन क्षेत्र से प्राप्त आँकड़ों को 'द आलंद फ़ाइल्स' नाम से पेश करते हुए नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अब की बार 'वोट चोरी' के नए सबूत पेश किए।
 
18 सितंबर 2025 के दिन वोट चोरी मामले में दूसरी बड़ी प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने दो टुक कहा, "हमारे पास हम जो कह रहे हैं उसके पुख़्ता सबूत हैं, मैं लोकसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर यह कह रहा हूँ।" उन्होंने वोट चोरी को 'सुनियोजित और केंद्रीकृत अपराध' बताया।
 
नेता विपक्ष ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को 'वोट चोरों का रक्षक' बताया और ऐसा कहने के पीछे कथित सबूत और आँकड़े सामने रखे। राहुल गांधी ने आलंद में जिन वोटरों के नाम कथित रूप से काटे गए, उन्हें पेश किया। राहुल गांधी ने कहा कि यह हाइड्रोजन बम नहीं है, और वह ज़ल्द आएगा।
 
अपनी इस प्रेस वार्ता में राहुल गांधी ने कर्नाटक के आलंद निर्वाचन क्षेत्र से जुड़ी जानकारी और आँकड़ें "द आलंद फ़ाइल्स" नाम से देश के सामने रखे। उन्होंने दस्तावेज़ और आँकड़ों के आधार पर पूरा प्रेजेंटेशन देते हुए आरोप लगाया कि आलंद में 6,018 मतदाताओं के नाम सुनियोजित और संगठित अपराध की रूपरेखा पर चलते हुए हटा दिए गए। उन्होंने कहा कि ये संख्या इससे अधिक हो सकती है, लेकिन ये 6,018 वे नाम हैं जिनकी जाँच हमने पूरी की है।
 
राहुल गांधी ने विस्तृत प्रेजेंटेशन के द्वारा आरोप लगाया कि वोटरों के नाम फ़ेक लॉग-इन के ज़रिए डिलीट किए गए हैं। उन्होंने देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को इस धाँधली के मुख्य भागीदार के रूप में चिन्हित किया और उन्हें अपराधियों का संरक्षक बताया।
लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने दावा किया कि,
·         कर्नाटक के आलंद निर्वाचन क्षेत्र में 6,018 मतदाताओं के नाम हटा दिए गए

·         यह संख्या इससे अधिक हो सकती है, लेकिन ये वे नाम हैं जिनकी जाँच हमने पूरी की है

·         यह वोट चोरी कोई संयोग नहीं, बल्कि एक सुनियोजित अपराध है

·         सॉफ़्टवेयर और ओटीपी के ज़रिए वोटरों के नाम हटाए जा रहे हैं

·         वोट चोरी का यह अपराध एक केंद्रीकृत सिस्टम से हो रहा है

·         वोट चोरी में कॉल सेंटर का भी इस्तेमाल हो रहा है

·         चुनाव आयोग के कुछ लोग वोट चोरी में जुटे लोगों की मदद कर रहे हैं

·         कर्नाटक सीआईडी ने पिछले 18 महीनों में 18 बार चुनाव आयोग को पत्र लिखकर ज़रूरी जानकारी माँगी

·         सीआईडी ने 18 पत्र लिखे तब जाकर आयोग ने जवाब दिया, लेकिन वो जानकारी नहीं दी जो माँगी गई थी

 
राहुल गांधी ने गंभीरतापूर्वक कहा,
·         देश के मुख्य चुनाव आयुक्त भारतीय लोकतंत्र का नाश करने वालों को बचा रहे हैं

·         मैं यह हल्के में नहीं कह रहा, बल्कि लोकसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर कह रहा हूँ

·         हमारे पास जो हम कह रहे हैं, उसके पुख़्ता सबूत हैं

·         सीईसी वोट चोरों के संरक्षक हैं, वे अपराधियों को बचा रहे हैं

·         मुख्य चुनाव आयुक्त कर्नाटक सीआईडी जो माँग रही हैं वह सात दिनों में दें, वर्ना पूरा देश आपको लोकतंत्र का अपराधी मानने लगेगा

 
राहुल गांधी ने चौंकाते हुए दावा किया कि,
·       मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि भारत के चुनाव आयोग के अंदर से जानकारी आ रही है और यह रुकने वाली नहीं

·     जब हम यह सब (वोट चोरी की पड़ताल) पूरा कर लेंगे, तो इस बात में कोई शक नहीं रह जाएगा कि लोकसभा की सीटें धोखे से जीती गई थीं

·         बिना सबूत के मैं यहाँ आपके सामने स्टेज पर नहीं आऊँगा

·         हम आगे जाकर एक ऐसा सच सामने रखेंगे जो स्थिति की पूरी सच्चाई को उजागर कर देगा

 
राहुल गांधी ने प्रेजेंटेशन के दौरान कहा कि ये हाइड्रोजन बम नहीं है, हाइड्रोजन बम आने वाला है। उन्होंने आलंद के साथ साथ महाराष्ट्र के राजुरा निर्वाचन क्षेत्र का मामला सामने रखा। राहुल गांधी ने कहा कि वे हाइड्रोजन बम फोड़ने की बुनियाद को पक्का कर रहे हैं।
 
द आलंद फ़ाइल्स - 6018 वोट हटा दिए गए, एक बीएलओ ने अपने रिश्तेदार का नाम कटने पर जाँच की, पड़ोसी के नंबर से रिश्तेदार का नाम काटा गया था, पड़ोसी को पता ही नहीं था
राहुल गांधी के अनुसार, "यह मामला तब सामने आया जब आलंद में एक बीएलओ ने देखा कि उसके परिवार के एक रिश्तेदार का नाम सूची से हटा दिया गया है।"
 
उन्होंने कहा, "कर्नाटक का एक निर्वाचन क्षेत्र है। किसी ने 6,018 वोट हटाने की कोशिश की। हमें पता नहीं कि 2023 के चुनाव में आलंद में कुल कितने वोट हटाए गए थे। वे 6,018 से बहुत ज़्यादा हैं, लेकिन किसी को 6,018 वोट हटाते हुए पकड़ा गया, और यह संयोग से पकड़ा गया। जो हुआ वह यह था कि वहाँ की बूथ-स्तरीय अधिकारी ने देखा कि उनके अंकल का वोट हटा दिया गया है, तो उसने जाँच की कि उसके अंकल का वोट किसने हटाया, और उसे पता चला कि एक पड़ोसी ने वह वोट हटाया था।"
 
राहुल गांधी ने कहा, "जब उसने (बीएलओ ने) पड़ोसी से इस बारे में पूछा, तो पड़ोसी ने इनकार कर दिया। उसके मन में संदेह हुआ और मामले की पड़ताल करने पर उसका संदेह गहराया।"
 
उन्होंने कहा, "बूथ स्तरीय अधिकारी ने अपने पड़ोसी से पूछा कि ये कैसे हुआ तो उसने कहा कि मैंने कोई वोट नहीं हटाया। न तो वोट हटाने वाला व्यक्ति (जिसे रिकॉर्ड में दिखाया गया) और न ही जिसका वोट हटा था, उन्हें कुछ पता था। किसी और 'ताक़त' ने प्रक्रिया को 'हाईजैक' कर दिया और वोट हटा दिए।"
 

राहुल गांधी ने कहा, "मामले की हमारे स्तर पर व्यापक जाँच की गई। हमें पता चला है कि आलंद में 6,018 मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए हैं। यह संख्या इससे ज़्यादा भी हो सकती है।"
 
महाराष्ट्र का राजुरा जहाँ 6,850 फ़र्ज़ी मतदाताओं को जोड़ने का आरोप लगा
अपनी इस प्रेस वार्ता में राहुल गांधी ने आलंद के विपरीत, महाराष्ट्र के राजुरा के मामले का ज़िक्र किया। राहुल गांधी ने दावा किया कि, "यहाँ 6,850 मतदाताओं के नाम जोड़े गए।"
 
राहुल ने कहा, "आलंद में कांग्रेस के मज़बूत बूथों पर मतदाताओं के नाम टारगेट करके हटाए गए हैं। अन्य जगहों पर भी मतदाता जोड़े जा रहे हैं। ऐसा महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में हुआ है।"
 
मंच पर पेश किए गए वे वोटर जिनके नाम काटे गए थे, मंच पर ऐसे ही एक पीड़ीत आवेदक को सामने लाया गया
प्रेस वार्ता के शुरुआती समय में राहुल गांधी ने कुछ ऐसे वोटरों को मंच पर पेश किया, जिनके नाम कथित रूप से वोटर लीस्ट से उनकी जानकारी या स्वीकृति के बिना हटा दिए गए थे। राहुल गांधी के साथ मंच पर एक ऐसा पीड़ित आवेदक सूर्यकांत भी था, जिनकी जानकारी के बिना उनका नंबर इस्तेमाल किया गया था।
 
राहुल गांधी ने दावा किया कि सूर्यकांत के नंबर का इस्तेमाल कर 14 मिनट में मतदाताओं के नाम हटाने के लिए 12 फ़ॉर्म भरे गए थे। वहाँ एक मतदाता बबिता चौधरी भी मौजूद थीं, जिनका नाम कथित तौर पर सूर्यकांत ने ही हटाया था।
 
कन्नड़ में बोलते हुए सूर्यकांत ने मतदाताओं के नाम हटाने में अपनी संलिप्तता से इनकार किया। एक बुज़ुर्ग महिला, जिनका नाम भी इसी तरह इस्तेमाल किया गया था, ने भी ऐसा कोई फ़ॉर्म भरने से इनकार किया।
 

गोदावई के नाम से फ़र्ज़ी लॉगिन बनाकर 12 मतदाताओं के नाम हटाने का आरोप
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान 63 वर्षीय गोदावई का एक वीडियो दिखाया गया। जिसमें गोदावई कहती हैं, "मेरा वोट हटा दिया गया। मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।"
 
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि गोदावई के नाम से एक फ़र्ज़ी लॉगिन बनाया गया था और 12 मतदाताओं के नाम हटा दिए गए। राहुल गांधी ने गोदावई के 12 पड़ोसियों के नाम भी बताए, जिनके नाम एक मोबाइल नंबर से हटा दिए गए थे।
 
नागराज सुबह 4 बजे उठा, 36 सेकंड के भीतर दो फ़ोर्म भरे और सो गया
राहुल गांधी ने अपनी इस प्रेस वार्ता में एक ग़ज़ब कहानी का दावा किया। कहानी में जो किरदार या कथित अपराधी था, उसका नाम नागराज बताया गया।
 
वह मतदाता सूची से नाम हटाने का आवेदक था। राहुल गांधी ने दावा किया कि इसने 36 सेकंड के अंतराल में दो आवेदन जमा किए थे। स्वाभाविक है कि 36 सेकंड में दो फ़ोर्म भरना, उसे सबमिट करना नामुमकिन है, किंतु बक़ौल राहुल गांधी, ऐसा हुआ।
 

राहुल गांधी ने कहा, "19 दिसंबर 2022 को, यह व्यक्ति सुबह 4.07 बजे उठा और 36 सेकंड के भीतर मतदाताओं के नाम हटाने के लिए दो आवेदन जमा किए! कृपया फ़ॉर्म भरने का प्रयास करें, देखें कितना समय लगता है।"
 
उन्होंने कहा, "वोटर लीस्ट से नाम हटाने के लिए 36 सेकंड के भीतर 2 फॉर्म भरना और उसे सबमिट करना, यह मानव रूप से असंभव है।"
 
राहुल गांधी का आरोप - तमाम मामलों में एक ही पैटर्न दिख रहा है, मतदाताओं के नाम हटाने के लिए इस्तेमाल किए गए फ़ोन नंबर की सूची रखी
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सवाल उठाते हुए कहा, "सारे मामले में एक पैटर्न दिख रहा है। वो यह है कि मतदाताओं के नाम हटाने के लिए इस्तेमाल किए गए फ़ोन नंबर कर्नाटक राज्य के बाहर के थे। जिन मतदाताओं के नाम हटाए गए, वे सूची में सबसे ऊपर थे।"
 
उन्होंने आयोग से पूछा, "ये नंबर किसके हैं? ये कैसे और कहाँ से संचालित होते थे? ओटीपी किसने जनरेट किए?"
 
राहुल गांधी ने दावा किया कि,
·         'कुछ लोग' लाखों मतदाताओं के नाम हटाने के लिए उन्हें व्यवस्थित तरीक़े से निशाना बना रहे हैं

·         हमने 6,018 आवेदनों की जाँच की है जिनके नाम हटाने के लिए आवेदन ग़लत लोगों ने दिए

·      ये आवेदन किसी व्यक्ति विशेष द्वारा नहीं किए गए, बल्कि सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल करके केंद्रीय रूप से किए गए थे

·         मतों को सिस्टमैटिक तरीक़े से हटाया जा रहा है

 
राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान गोदावई के क़िस्से को दिखाते हुए उन 12 पड़ोसियों के नाम बताए, जिनके नाम एक मोबाइल नंबर से हटा दिए गए थे।
 
राहुल गांधी ने दावा किया कि सैकड़ों मतदाता ऐसे हैं जिनके वोट डिलीट हो गए हैं और उन्हें इसकी जानकारी भी नहीं है।
 
वोट चोरी में कॉल सेंटर का इस्तेमालः राहुल गांधी
राहुल गांधी ने पूरे अपराध को सुनियोजित और संगठित बताते हुए दावा किया कि यह अपराध आधुनिक तरीक़े से किया गया और तमाम मामलों का केंद्र एक ही हो सकता है।
 
राहुल गांधी ने कहा,
·         यह किसी व्यक्ति विशेष का काम नहीं है, यह बूथ कार्यकर्ताओं के स्तर पर भी नहीं किया गया, यह एक कॉल सेंटर पर किया गया

·         यह एक सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल करके किया गया, जिसने बूथ पर सबसे पहले ऊपर के मतदाताओं को चुना और मतदाताओं के नाम हटाने के लिए आवेदन दायर किए

·         यह सेंट्रलाइज्ड तरीक़े से किया गया

·         जो भी इसमें शामिल हैं उनके पास अपार संसाधन हैं

·         यह कौन है? इसका जवाब चुनाव आयोग के पास है, वे जानकारी नहीं देकर लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं

 
राहुल गांधी का दावा - कर्नाटक सीआईडी ने 18 बार आयोग को पत्र लिखे, सीआईडी जो माँग रही है वह आयोग नहीं दे रहा
बता दें कि कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र में 2023 के विधानसभा चुनावों के दौरान मतदाता सूची से नाम हटाने के कथित घोटाले की जाँच कर्नाटक सीआईडी कर रही है। यह मामला दिसंबर 2022 से जुड़ा है, जब आलंद के निर्वाचन अधिकारी को 6,018 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें मतदाताओं के नाम हटाने की माँग की गई थी। ये आवेदन एनवीएसपी, वीएचए और गारुड़ा जैसे ऐप्स के माध्यम से ऑनलाइन जमा किए गए थे।
 
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि कर्नाटक की सीआईडी ने पिछले 18 महीनों में 18 बार आयोग को मतदाता हटाने से जुड़ी तकनीकी जानकारी के लिए पत्र लिखा, लेकिन आयोग ने कोई जवाब नहीं दिया।
 
राहुल गांधी ने कहा, "फ़रवरी 2023 में एक एफ़आईआर दर्ज़ की गई। 18 महीनों में कर्नाटक सीआईडी ने चुनाव आयोग को 18 पत्र भेजे हैं, जिनमें आईपी एड्रेस और ओटीपी विवरण माँगे गए हैं। चुनाव आयोग ये विवरण नहीं दे रहा।"

 
उन्होंने कहा, "क्योंकि ये विवरण बात को उस जगह तक ले जाएँगे जहाँ से 'वोट चोरी' का ऑपरेशन चल रहा है।" राहुल गांधी ने बताया, "कर्नाटक सीआईडी ने चुनाव आयोग से वह डेस्टिनेशन आईपी माँगा है जहाँ से फॉर्म भरे गए थे, डिवाइस का डेस्टिनेशन पोर्ट और ओटीपी ट्रेल्स। लेकिन वे (चुनाव आयोग) नहीं दे रहे हैं।"
 
दावे की माने तो, कर्नाटक सीआईडी ने जाँच के लिए ये जानकारी माँगी,
 
डेस्टिनेशन आईपी और डेस्टिनेशन पोर्ट्स: ये उन सत्रों से संबंधित हैं, जिनके माध्यम से फ़र्ज़ी फॉर्म 7 आवेदन ऑनलाइन जमा किए गए थे। डेस्टिनेशन आईपी और पोर्ट अद्वितीय होते हैं और इनसे उन डिवाइसों का स्थान यानी geolocation पता लगाया जा सकता है, जिनसे ये आवेदन किए गए।
 
ओटीपी ट्रेल्स: सीआईडी ने यह साफ़ करने को कहा कि क्या ओटीपी आवेदक के मोबाइल नंबर पर भेजा गया था या फॉर्म 7 में दर्ज नंबर पर। यह जानकारी यह समझने के लिए ज़रूरी है कि फ़र्ज़ी आवेदनों में ओटीपी  को कैसे बायपास किया गया।
 
आईपी लॉग्स की पूरी जानकारी: सीआईडी ने बार-बार आईपी लॉग्स, तारीख़, समय, डेस्टिनेशन आईपी और डेस्टिनेशन पोर्ट्स की माँग की है, क्योंकि ये जानकारी अपराधियों को ट्रैक करने में मदद कर सकती है।
चुनाव आयोग द्वारा दी गई जानकारी, जो सीआईडी की कथित माँगों को पूरा नहीं करती,
 
फ़र्ज़ी फॉर्म 7 आवेदनों का डेटा: इसमें आवेदक का नाम, EPIC नंबर, लॉगिन के लिए इस्तेमाल किया गया मोबाइल नंबर, आवेदन में दर्ज मोबाइल नंबर, सॉफ़्टवेयर एप्लिकेशन, आईपी एड्रेस, आवेदन जमा करने की तारीख़ और समय और यूजर अकाउंट बनाए जाने की तारीख़ शामिल है।
 
नौ मोबाइल नंबरों की जानकारी: ये नंबर महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश से जुड़े हैं, जिनका इस्तेमाल ईसीआई के ऐप्स पर अकाउंट बनाने के लिए किया गया। हालाँकि इन नंबरों के मालिकों ने दावा किया कि उन्होंने कोई अकाउंट नहीं बनाया और कई डिजिटल रूप से अशिक्षित हैं।
 
आईपी लॉग्स: ईसीआई ने कुछ आईपी लॉग्स दिए, लेकिन ये डायनामिक आईपी एड्रेस थे, जिनसे डिवाइस का स्थान पता लगाना मुश्किल है। डेस्टिनेशन आईपी और पोर्ट की जानकारी शामिल नहीं थी।
 
राहुल गांधी ने कहा, "डेस्टिनेशन आईपी, डिवाइस पोर्ट और ओटीपी ट्रेल्स की जानकारी रोक दी गई है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने ब्लॉक कर दी है।"
 
राहुल गांधी ने दावा किया कि कर्नाटक सीआईडी ने जाँच करने के लिए चुनाव आयोग से ख़ारिज किए गए वोटों का ब्यौरा माँगा है, लेकिन चुनाव आयोग ब्यौरा नहीं दे रहा है। उन्होंने कहा कि आयोग ने एक बार सीआईडी को जवाब दिया, लेकिन जाँच करने के लिए जो माँगा गया था वह नहीं दिया गया।

 
राहुल गांधी की इस प्रेस वार्ता के बाद कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने जाँच के लिए सभी उपलब्ध डेटा पुलिस को सौंप दिया है। कर्नाटक सीईओ ने कहा कि आलंद की 2023 की मतदाता सूची में 5,994 वोटरों से जुड़े सभी आँकड़े पुलिस को सौंप दिए गए हैं।
 
ये बात भले सही हो कि 6,018 आवेदन संदिग्ध रूप से आए और उनमें से 24 वैध पाए गए और बाकी 5,994 अस्वीकार किए गए। किंतु जाँच यह चल रही है कि वे 6,018 आवेदन कहाँ से आए, किसने किए, कैसे किए और कौन कौन इसमें शामिल था।
 
सीआईडी द्वारा आयोग को लिखे गए 18 पत्र बताते हैं कि जाँच को आगे बढ़ाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण तकनीकी जानकारियाँ अभी नहीं दी गई हैं। वहीं, अब तक राज्य या केंद्र के चुनाव आयोग ने यह दावा भी नहीं किया है कि सीआईडी द्वारा माँगे गए डेस्टिनेशन आईपी, डेस्टिनेशन पोर्ट, ओटीपी ट्रेल्स जैसे सबूत दिए गए हैं।
 
लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का सीधा आरोप - देश के मुख्य चुनाव आयुक्त वोट चोरों को बचा रहे हैं और इसके हमारे पास सबूत हैं
राहुल गांधी ने वोट चोरी के तमाम मामलों का पैटर्न एक जैसा बताया और दावा किया कि इस अपराध को सेंट्रलाइज्ड तरीक़े से किया जा रहा है। और इन सबका अपराधी उन्होंने सीईसी ज्ञानेश कुमार को बताया।
 
उन्होंने प्रेजेंटेशन के दौरान कहा, "मैं यहाँ एक दावा करने जा रहा हूँ। बहुत ही मजबूत दावा। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के बारे में। मैं विपक्ष के नेता के तौर पर ये कह रहा हूँ। मैं ऐसे सबूत दिखाने जा रहा हूँ जो बिलकुल साफ़-साफ़ बताते हैं कि मुख्य चुनाव आयुक्त उन लोगों की रक्षा कर रहे हैं जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र को नष्ट कर दिया है।"
 
उन्होंने दावा किया कि, "हमारी जाँच से पता चला है कि आयोग ने मतदाताओं को निशाना बनाकर उनके नाम हटाए हैं।"

 
राहुल गांधी ने दो टूक और बिलकुल स्पष्ट शब्दों में कहा, "मैं आज जो कुछ भी आपको बता रहा हूँ, वह सबूतों पर आधारित है। मैं यह हल्के में नहीं कह रहा, बल्कि लोकसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर कह रहा हूँ।"
 
राहुल गांधी ने कहा, "चुनाव आयोग मतदाताओं के नाम हटाने का विवरण सीआईडी को न देकर लोकतंत्र के 'हत्यारों' को बचा रहा है।"
 
उन्होंने कहा, "कर्नाटक, महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त को भारतीय लोकतंत्र की हत्या करने वालों को बचाना बंद करना चाहिए।"
 
उन्होंने कहा, "भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त उन लोगों की रक्षा कर रहे हैं, जो लोकतंत्र को बर्बाद कर रहे हैं।"
 
ज्ञानेश कुमार एक हफ़्ते में सीआईडी को सबूत सौंपें: राहुल गांधी
राहुल गांधी ने इससे पहले 7 अगस्त 2025 को जब वोट चोरी को लेकर पहली प्रेस वार्ता की थी, तब देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने लगभग हड़काने वाले अंदाज़ में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को कहा था कि सात दिनों के भीतर लिखित हलफ़नामा दें वर्ना कार्रवाई के लिए तैयार रहे। ना राहुल गांधी ने हलफ़नामा दिया, और ना ही चुनाव आयोग ने कोई कार्रवाई की।
 
18 सितंबर की इस प्रेस वार्ता में राहुल गांधी ने कहा, "ग़लत तरीक़े से वोटरों के नाम काटना 'वोट चुराने' का एक और उदाहरण है।"
 
अब की बार राहुल गांधी ने चुनाव आयोग को सात दिन दिए। राहुल गांधी ने बताया,
·         मुख्य चुनाव आयुक्त उन लोगों को बचा रहे हैं जो ऐसा कर रहे हैं। यह पक्का, ठोस सबूत है। मैं ज्ञानेश कुमार पर सीधा आरोप लगा रहा हूँ।

 
·         मैं ज्ञानेश कुमार से कह रहा हूँ कि आपने शपथ ली है। सीआईडी (कर्नाटक) सबूत माँग रही है, आप एक हफ़्ते के अंदर उसे सबूत सौंप दें।

 
राहुल गांधी ने कहा, "मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमारजी को हमारी सलाह है कि आप अपना काम करें, एक हफ़्ते के अंदर कर्नाटक सीआईडी को जवाब दें। वरना देश के सामने साफ़ हो जाएगा कि आप भारत के संविधान की हत्या में शामिल हैं।"
 
राहुल गांधी का चौंकाने वाला दावा - आयोग के अंदर से आ रही है जानकारी
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने चौंकाने वाला दावा करते हुए कहा, "मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि भारत के चुनाव आयोग के अंदर से जानकारी आ रही है और यह रुकने वाली नहीं है।" राहुल गांधी ने कहा, "अब चुनाव आयोग से सूचनाएँ आ रही हैं, जो पहले नहीं आती थीं।"
 
उन्होंने कहा, "आलंद में कांग्रेस के मज़बूत बूथों पर मतदाताओं के नाम टारगेट करके हटाए गए हैं। अन्य जगहों पर भी मतदाता जोड़े जा रहे हैं। ऐसा महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में हुआ है।"
 
राहुल गांधी ने दावा किया कि महिलाओं, दलितों और आदिवासियों के वोट चोरी हुए हैं और टारगेट करके कांग्रेस वोटरों के नाम डिलीट किए गए हैं।
 
हाइड्रोजन बम अभी नहीं, जब हम यह सब पूरा कर लेंगे तो इस बात में कोई शक नहीं रह जाएगा कि लोकसभा की सीटें धोखे से जीती गई थीं - राहुल गांधी
प्रेजेंटेशन के बाद पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए राहुल गांधी ने कहा, "जब हम यह सब (वोट चोरी की पड़ताल) पूरा कर लेंगे, तो इस बात में कोई शक नहीं रह जाएगा कि लोकसभा की सीटें धोखे से जीती गई थीं।"
 
उन्होंने कहा, "मे एक नेता हूँ। मेरा काम यह नहीं है और फिर भी मैं यह काम कर रहा हूँ। यह भारत की संस्थाओं की ज़िम्मेदारी है। लेकिन वे ऐसा नहीं कर रही हैं।"
 
हाइड्रोजन बम के खुलासे के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "हम हाइड्रोजन बम का प्रदर्शन करेंगे। मैंने अपनी टीम से कहा है कि जब तक हमारे पास 100% सबूत नहीं होंगे, मैं उस मंच पर नहीं जाऊँगा।"
 

राहुल गांधी ने आगे कहा, "मैं सबूतों के साथ सब कुछ साबित कर दूँगा। मैं अभी नींव रख रहा हूँ। हाइड्रोजन बम में सब कुछ साफ़-साफ़ दिख रहा है। देश के लोकतंत्र का अपहरण कर लिया गया है।"
 
उन्होंने कहा, "हमें इन प्रेजेंटेशन को पूरा करने में 2-3 महीने लगेंगे, और आपको इसमें कोई संदेह नहीं रहेगा कि भारत में एक के बाद एक राज्य चुनावों में चोरी हो रही है।"
 
आयोग की प्रतिक्रिया - राहुल गांधी के आरोप ग़लत और बेबुनियाद
चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के ज़रिए राहुल गांधी के प्रेजेंटेशन पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए तमाम आरोपों को ग़लत और बेबुनियाद बताया।
 
चुनाव आयोग ने लिखा, "जैसा कि ग़लतफ़हमी फैलाई गई है, किसी भी आम नागरिक के वोट को ऑनलाइन डिलीट नहीं किया जा सकता।" आयोग ने पोस्ट में लिखा, ''कोई भी नागरिक किसी के वोट को ऑनलाइन नहीं हटा सकता। वोट हटाने से पहले संबंधित व्यक्ति को अपनी राय व्यक्त करने का अवसर दिया जाता है।''
 
आयोग ने कहा, "साल 2023 में आलंद विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं के नाम डिलीट करने के कुछ असफल प्रयास हुए थे। इस मामले की जाँच के लिए ख़ुद चुनाव आयोग ने एफ़आईआर दर्ज़ कराई थी।"
 

ग़ौरतलब है कि अपनी पिछली प्रेस वार्ता में 7 अगस्त 2025 के दिन राहुल गांधी ने कर्नाटक की महादेवपुरा विधानसभा सीट को लेकर तथ्यों, दस्तावेज़ों, आँकड़ों के साथ संपूर्ण प्रेजेंटेशन के ज़रिए आरोप लगाया था कि वहाँ 1,00,250 वोटों की चोरी की गई थी। अपनी उस प्रेस वार्ता में उन्होंने सैकड़ों फ़र्ज़ी मतदाता, अवैध पते, विचित्र और निसंदेह अवास्तविक नाम, एक ही पते पर सैकड़ों मतदाता, समेत कई खुलाए करते हुए आरोप लगाया था कि चुनाव आयोग और बीजेपी ने मिलकर वोट चोरी की थी, चुनाव चुराए थे।
 
तब उन्होंने मजबूत शक जताया था कि कर्नाटक के साथ-साथ महाराष्ट्र में भी कई मतदान केंद्रों पर एक ही मतदाता शामिल थे। 8 अगस्त को, बेंगलुरू में एक रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा था, "यदि चुनाव आयोग हमें इलेक्ट्रॉनिक डेटा दे दे तो हम साबित कर देंगे कि हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री वोट चोरी कर प्रधानमंत्री बने हैं।" उन्होंने उस दिन दावा किया था कि चुनाव में क़रीब 100 सीटों पर ऐसी गड़बड़ियाँ की गईं थीं।
इस बीच अब स्थिति यह है कि, कथित "वोट चोरी" और "चुनाव चोरी" का यह मामला सिर्फ़ इस तर्क के सहारे ख़ारिज नहीं किया जा रहा कि यह विपक्षी नेता का आरोप मात्र है। सच यह भी है कि राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं और वे बाक़ायदा उन पचास फ़ीसदी से अधिक लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जिन्होंने एनडीए को वोट नहीं किया था। उपरांत इसलिए भी, क्योंकि पिछले कुछ समय से राहुल गांधी की छवि ऐसी बनी है, जहाँ वे कुछ भी यूँ ही नहीं कह देते, बल्कि इसके पीछे कुछ तो तर्क तथ्य होते हैं।
 
अनेक मामलों में देखा गया है कि राहुल गांधी ने जो कहा, ना ना करते हुए मोदी सत्ता को आख़िर में वो करना ही पड़ा। "वोट चोरी" और "चुनाव चोरी" के इस मामले में राहुल गांधी आयोग के ही आँकड़े, दस्तावेज़, तथ्य, ठोस तर्क, तकनीकी विश्लेषण और विस्तृत प्रेजेंटेशन के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
 
राहुल गांधी के आरोपों को जवाब देते हुए इस बार मुख्य चुनाव आयोग ने आलंद में धोखाधड़ी के प्रयास की बात ज़रूर मानी है। महादेवपुरा विधानसभा सीट और आलंद सीट के इस घटनाक्रम के बीच नितिन गड़करी का 3.5 लाख वोट कट जाने का दावा, मध्य प्रदेश के रीवा संसदीय क्षेत्र के बीजेपी सांसद जनार्दन मिश्रा का एक कमरे के अंदर 1,000-1,100 मतदाता पंजीकृत होने का आरोप, अखिलेश यादव द्वारा दायर 18 हज़ार एफ़िडेविट, बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर द्वारा लोकसभा चुनावों में राहुल, प्रियंका, स्टालिन समेत 6 वीआईपी सीटों पर फ़र्ज़ी मतदाताओं की मौजूदगी का दावा, यह सब आग में घी डाल रहा है।
 
दूसरी तरफ़ इस दौरान गुजरात की नवसारी लोकसभा सीट, कर्नाटक की सरसंबा और सावलेश्वर सीट, उत्तर प्रदेश कुंदरकी उप चुनाव मामला, यूपी की महोबा सीट गड़बड़ी मामला, महाराष्ट्र की पनवेल लोकसभा सीट, उत्तराखंड राज्य चुनाव आयोग का अदालती मामला, हरियाणा की एक पंचायत के चुनाव नतीजे का चौंकाने वाला घटनाक्रम, बिहार में मतदाता शुद्धिकरण अभियान का विवाद, 65 लाख मतदाताओं के नाम कट जाने का अदालती मामला, सूची बहुत लंबी हो चली है।
 
जिस तरह मेनस्ट्रीम मीडिया और उसके अनेक नामी पत्रकारों को अपनी मुठ्ठी में भींच कर एक ऐसा भव्य माहौल तैयार किया गया था कि नरेंद्र मोदी चुनाव हार ही नहीं सकते, उस माहौल की नींव 2024 लोकसभा चुनाव नतीजों ने हिला दी थी और अब "वोट चोरी" और "चुनाव चोरी" का यह मामला उस नींव को ज़्यादा खोखला करता जा रहा है। तंज़ कसा जा रहा है कि अब पता चला कि नड्डा ने क्यों कहा था कि हमें अब चुनाव जीतने के लिए आरएसएस की ज़रूरत नहीं है।
(इनसाइड इंडिया, एम वाला)