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Accidents with Army: अनेक हादसों को झेल चुकी है हमारी सेना, भारतीय फ़ौज से जुड़े हुए बड़े हादसे

 
शांति काल में सेना को होने वाला कोई भी नुकसान किसी भी देश के लिए बहुत चिंताजनक घटना होती है। हर देश की सेना के साथ हादसे होते हैं, जिससे भारत भी अछूता नहीं है। हमारी सेना ने बहुत सारे हादसों को झेला है और अनमोल जवान तथा साजो सामान गँवाए हैं। भारत रक्षक वेबसाइट के मुताबिक़ 2000 से भी ज़्यादा हादसों को भारत की तीनों सेना झेल चुकी हैं।
 
मिग, जिसे उड़ता ताबूत कहा गया... सुपर फाइटर जेट सुखोई के साथ भी हुए हादसे
मिग, यह वो युद्धक विमान है, जिसका नाम ज़्यादातर की जुबां पर होगा। हर एक का समय आता है और जाता है। आख़िरकार पुराने हो चुके मिग विमानों के साथ हादसे इतने बढ़ गए कि एक वक़्त ऐसा भी आया, जब उन्हें फ़्लाइंग कॉफिन, यानी उड़ता ताबूत, कहा जाने लगा।
 
मिग सीरीज़ विमान 1960 के दशक में भारतीय सेना में विधिवत रूप से शामिल हुए। साल 1964 में मिग-12 को शामिल किया गया था। 1967 से एचएएल ने मिग-21 विमानों का उत्पादन शुरू किया। यह भारतीय सेना का पहला सुपरसोनिक स्पीड से उड़ने वाला लड़ाकू विमान था। इसने अपने कार्यकाल के दौरान अनेक सुनहरे अध्याय जोड़े। 1971 की ऐतिहासिक भारत-पाकिस्तान जंग से लेकर 1999 के कारगिल संघर्ष तक इसने भारतीय सेना में अपनी भूमिका निभाई। बता दें कि साल 2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद मिग-21 से ही विंग कमांडर अभिनंदन ने पाकिस्तान के एफ-16 फाइटर जेट को मार गिराया था।
 
इसे भारतीय वायुसेना की रीढ़ माना जाता था। यह भारत में सबसे लंबे समय तक इस्तेमाल किया जाने वाला लड़ाकू विमान है। नये लड़ाकू विमानों को शामिल करने में देरी होती गई और इस वजह से पुराने हो चुके मिग 21 विमानों को मज़बूरन सेना इस्तेमाल करती रही। रूस, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान तक ने पिछली शताब्दी में ही इसे सेवानिवृत्त कर दिया था, किंतु भारत में यह इस्तेमाल होते रहे। एक रिपोर्ट के मुताबिक़, इसके साथ 60 से ज़्यादा बड़े हादसे हुए, जिसमें अनेक जवानों की मौतें हुई। इसे उड़ता ताबूत कहा जाने लगा।
 
साल 2012 में, तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी ने संसद में कहा था कि रूस से ख़रीदे गए 872 मिग विमानों में से आधे से ज़्यादा दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। इस वजह से 171 पायलट्स, 39 सिविलियन और 8 दूसरी सेवाओं से जुड़े लोगों सहित 200 से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है।
 
मिग की जगह लेने वाले सुखोई और मिराज के साथ भी हादसे होते रहे। कभी क्रैश हुए, कभी एक दूसरे से टकरा गए। भारत रक्षक साइट के भीतर 2000 से भी ज़्यादा हादसों को अलग अलग कैटेगरीज़ में दर्शाया गया है। जिसमें भारतीय वायु सेना, भारतीय नौ सेना, भारतीय थल सेना के साथ हुए हादसे, गँवाए गए विमान, जैसी जानकारियाँ डिटेल के साथ लिखी हुई हैं।
 
एयरफोर्स के 29 लोगों समेत ग़ायब हो गया था भारी भरखम एएन32 हवाई जहाज़, इससे पहले और बाद में भी एएन32 हादसे का शिकार बना था
यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना 22 जुलाई 2016 के दिन हुई थी। एयरफोर्स के एएन32 हवाई जहाज़ ने सुबह चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर के लिए उड़ान भरी। यह जहाज़ सुबह 11-30 बजे पोर्ट ब्लेयर के हवाई अड्डे पर उतरने वाला था। लेकिन चेन्नई से अपनी उड़ान के 16 मिनट बाद ही इससे संपर्क टूट गया। इस हवाई जहाज़ में एयरफोर्स के 29 लोग सवार थे, जिनमें 6 क्रू मेंबर्स थे।
 
इस जहाज़ ने चेन्नई के तांबरम एयरपोर्ट से सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर उड़ान भरी थी। 8-46 बजे इस जहाज़ से संपर्क टूट गया। जब इस जहाज़ से आख़िरी बार संपर्क हुआ तब वह 28,000 फ़ीट की ऊंचाई पर उड़ान भर रहा था। 6 क्रू मेंबर्स के अलावा, 3 एयरफोर्स पायलट, 3 नेवी अधिकारी, 8 नेवी संबंधित कर्मी, 2 कमांडो तथा अन्य अधिकारी जहाज़ पर सवार थे।
 
खोजी अभियान शुरू किया गया। कोस्ट गार्ड ने चेन्नई से 200 नॉटिकल मील की दूरी पर चार जहाज़ और दो डोर्नियर विमान के साथ खोज शुरू की। भारतीय नौ सेना तथा वायु सेना ने लापता हवाई जहाज़ को ढूंढने के लिए प्रयत्न शुरू किए।

 
इस खोजी अभियान के लिए भारतीय नौ सेना ने बंगाल की खाड़ी में अपने 13 बड़े जहाज़ उतार दिए थे। नौ सेना ने आईएनएस सह्याद्री, डिस्ट्रॉयर आईएनएस राजपूत, रणविजय, कोर्वेट्स आईएनएस किर्च- कार्मुक तथा कोरा को भी बंगाल के समंदर में उतार दिया। इसके अलावा आईएनएस शक्ति, ज्योति, आईएनएस घड़ियाल, आईएनएस सुकन्या जैसे जहाज़ों को भी इस अभियान में लगाया गया। पानी के भीतर खोज के लिए तथा संकेत पकड़ने हेतु एक सबमरीन को भी सहायता के लिए लगाया गया। एयरफोर्स ने पी8-1 हवाई जहाज़ों को आसमान में भेजा। इसके अलावा एयरफोर्स ने डीओ-228, सी-130जे जैसे हवाई जहाज़ों को भी काम पर लगा दिया। एनडीआरएफ की भी मदद ली गई।
 
कई दिन गुज़रते गए। कोस्ट गार्ड, नौ सेना या वायु सेना को इस जहाज़ के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। कुछेक दिन बाद तत्कालीन रक्षामंत्री ने बयान दिया कि जहाज़ के साथ कुछ दुखद घटित हो गया हो ऐसी संभावना ज़्यादा लग रही है। तक़रीबन डेढ़ महीना गुज़र जाने के बाद भी इस हवाई जहाज़ के बारे में कोई ख़बर तक नहीं मिल पायी। कोई नहीं जानता कि इसे आसमान खा गया या समंदर निगल गया। आख़िरकार, सितम्बर 2016 के महीने के मध्यकाल में इस हवाई जहाज़ के तमाम यात्रियों को मृत मान लिया गया।
 
जून 2019 में वायु सेना का एक और एएन-32 लापता हो गया। उससे पहले 2009 में वायुसेना का एक और एएन-32 विमान अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम सियांग ज़िले के एक गाँव के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। उस हादसे में 13 रक्षा कर्मियों की मौत हो गयी थी।
 
भारत का सुपर फाइटर जेट सुखोई चीन सरहद पर हुआ लापता, बाद में मिला था मलबा
23 मई 2017 के दिन सुखोई-30 एमकेआई ने सुबह साढ़े दस बजे असम के तेज़पुर वायुसेना स्टेशन से उड़ान भरी थी। उड़ान भरने के कुछ समय बाद से यह लड़ाकू विमान लापता हो गया। विमान अपने नियमित ट्रेनिंग मिशन पर था, जब इसका संपर्क रडार से टूटा था। संपर्क टूटने से पहले विमान तेज़पुर से उत्तर की तरफ़ उड़ रहा था। 12-30 बजे जब विमान अरुणाचल के डौलसांग इलाके में था, तभी रडार से रेडियो संपर्क खो बैठा।
 
भारतीय वायुसेना के लापता सुखोई विमान के बारे में पूछे जाने पर खीजे चीन ने भारत को शांति बनाए रखने की नसीहत दे डाली। चीन ने बताया कि फ़िलहाल उसके पास लापता सुखोई के बारे में कोई जानकारी नहीं है। चीन के मुताबिक़ उसके विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग से भारत ने लापता सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान के बारे में पूछा था। साथ ही भारत द्वारा यह भी पूछा गया था कि क्या बीजिंग लापता विमान को खोजने में नई दिल्ली की सहायता करेगा।
 
बाद में इस फाइटर जेट का मलबा 26 मई के दिन उसी जगह से मिला, जिस जगह जहाज़ से संपर्क टूट गया था। हालाँकि विमान में सवार दो पायलटों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई। इसके कुछ दिनों बाद एक और ख़बर आई कि 30 मई के दिन ख़ून से सना एक जूता, आधा जला हुआ पैन कार्ड तथा एक वॉलेट मिला। बताया गया कि ये किसी एक पायलट का था। मलबा मिलने के दो दिन बाद 28 मई को हवाई जहाज़ का ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया गया। बताया गया कि जहाँ मलबा मिला वो घना जंगल था और इसीलिए अब तक दूसरा मलबा या पायलट के शव का कोई पता नहीं चल पाया था।
 
बाद में भारतीय वायुसेना ने दोनों पायलटों के मौत की पुष्टि कर दी। विमान का मलबा बरामद होने के पाँच दिन बाद, 31 मई 2017 को वायुसेना ने कहा कि दोनों पायलट सुखोई के कॉकपिट से निकलने में असफल रहे और जानलेवा चोटों के कारण उनकी मौत हो गई। तेज़पुर 4 कोर के लेफ़्टिनेंट कर्नल सौंबित घोष ने कहा कि स्क्वाड्रन लीडर डी पंकज (36) और फ्लाइट लेफ़्टिनेंट एस अच्युदेव (26) के अवशेष तेज़पुर एयरबेस लाए गए। वायुसेना के प्रवक्ता विंग कमांडर अनुपम बनर्जी के मुताबिक़ विमान के फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर व दुर्घटनास्थल से बरामद हुई कुछ अन्य चीज़ों के विश्लेषण से पता चला कि दोनों पायलट दुर्घटना के वक़्त विमान से नहीं निकल सके थे।
 
अरुणाचल में एयरफोर्स का अत्याधुनिक हेलीकॉप्टर एमआई17 क्रैश हुआ, रुद्र और चीता भी हो चुके हैं क्रैश
6 अक्टूबर 2017 की सुबह अरुणाचल के तवांग के पास इंडियन एयरफोर्स का एमआई17 वी-5 हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया। इस हादसे में एयरफोर्स के पाँच क्रू सदस्य तथा आर्मी के दो जवानों की मौत हो गई। सुबह 6 बजे के आसपास हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया। हेलीकॉप्टर एयर मेंटेनेंन्स मिशन के लिये उड़ान पर था।
 
एमआई17 वी-5 अत्याधुनिक हेलीकॉप्टर माना जाता था। 2008 में मुंबई के नरीमन पॉइंट में आतंकी हमले के वक़्त भी सुरक्षा बलों ने इन्हीं हेलीकॉप्टर्स का इस्तेमाल किया था। तत्कालीन एयर चीफ़ मार्शल बीएस धनोआ ने प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि शांति के समय में भी जवानों की मौत होना काफ़ी चिंताजनक है।
 

2013 में उत्तराखंड में बाढ़ के बाद चलाए जा रहे राहत बचाव कार्य में भी ये हेलीकॉप्टर दुर्घटना का शिकार हुआ था। उस वक़्त हादसे में 20 लोगों की मौत हुई थी।
 
मार्च 2023 में चीन बॉर्डर के पास सेना का चीता हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था। हादसे में दोनों पायलट्स की मौत हो गई थी। न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक़ हेलीकॉप्टर मंडला हिल्स इलाके में क्रैश हुआ था।
 
इससे पहले 21 अक्टूबर 2022 को अरुणाचल प्रदेश के सियांग ज़िले में लड़ाकू हेलीकॉप्टर 'रुद्र' क्रैश हो गया था। हादसा टूटिंग हेडक्वार्टर से 25 किलोमीटर दूर सिंगिंग गाँव के पास हुआ था। हादसे में पाँच जवानों की मौत हुई थी।
 
एमआई-17 के साथ बड़ा हादसा, देश के प्रथम सीडीएस जनरल रावत समेत 13 सैन्य अफ़सरों के निधन
8 दिसंबर 2021 के दिन तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलीकॉप्टर हादसे में देश के पहले चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ़ जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 13 लोगों की जान चली गई। हादसे में एकमात्र जीवित बचे, लेकिन गंभीर रूप से घायल मिले ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने भी क़रीब आठ दिन तक मौत से संघर्ष के बाद दम तोड़ दिया।
 
हेलीकॉप्टर में 14 लोग सवार थे, जिनमें से 13 लोगों की मौक़े पर ही मौत हो गई। हादसा इतना बड़ा था कि शवों की पहचान डीएनए जाँच से करनी पड़ी थी। यह एक सैन्य हेलीकॉप्टर एमआई-17 वी5 था। क्रैश तमिलनाडु के नीलगिरी ज़िले के कुन्नूर में हुआ। हेलीकॉप्टर सुलुर के आर्मी बेस से निकला था। जनरल रावत को लेकर यह हेलीकॉप्टर वेलिंगटन सैन्य ठिकाने की ओर बढ़ रहा था।
 
बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत के अलावा हेलीकॉप्टर में ब्रिगेडियर एलएस लिद्दर, लेफ़्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह और अन्य अधिकारी मौजूद थे। साथ ही नायक गुरसेवक सिंह, नायक जितेंद्र कुमार, लांस नायक विवेक कुमार, लांस नायक बीसाई तेजा और हवलदार सतपाल भी हेलीकॉप्टर पर मौजूद थे।
 
एमआई सीरीज़ हेलीकॉप्टर 1963 में कश्मीर में हुआ था क्रैश, लेफ़्टिनेंट जनरल और एयरवाइस मार्शल समेत 6 लोगों की हुई थी मौत, 1993 में हुआ था ऐसा ही हादसा
इंडियन एयरफोर्स का एक हेलीकॉप्टर 23 नवंबर 1963 के दिन कश्मीर के पुंछ सेक्टर में क्रैश हो गया था। ये हादसा भी जनरल बिपिन रावत के विमान हादसे से ही मिलता जुलता था, जिसमें लेफ़्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह, फ्लाइट लेफ़्टिनेंट एसएस सोढ़ी और एयरवाइस मार्शल एरिक पिंटो के अलावा तीन अन्य लोग सवार थे। इन सभी 6 लोगों की इस विमान हादसे में मौत हो गई थी। ये सभी अधिकारी किसी काम का निरीक्षण करने के लिए गए थे, जहाँ पुंछ नदी के पास टेलीग्राफ लाइन से टकराने के चलते इनका विमान क्रैश हो गया और सभी की मौत हो गई।

 
1993 में लेफ़्टिनेंट जनरल जमील महमूद का हेलीकॉप्टर क्रैश हादसा भी जनरल बिपिन रावत के हेलीकॉप्टर के साथ हुए हादसे से मिलता-जुलता है। इस बार भी सेना का एमआई सीरीज़ हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ था। दुर्घटना ख़राब मौसम के चलते हुई थी। जमील महमूद के अलावा हेलीकॉप्टर में उनकी पत्नी और कुछ अन्य सैन्य अधिकारी कर्नल एमएन अहमद, लेफ़्टिनेंट लक्ष्मण त्यागी, जी. त्यागराजन और हवलदार एस वासुदेवन के अलावा फ़्लाइंग पायलट भी हेलिकॉप्टर में सवार थे। दुर्घटना में सभी लोगों की मौत हो गई थी।
 
मुरैना में मिराज और सुखोई आसमान में ही एक दूसरे से भीड़ गए, बिना पायलट जेट आग का गोला बन हवा में उड़ता रहा
जनवरी 2023 के दौरान भारत के दो बड़े फाइटर जेट मिराज 2000 और सुखोई-30 मध्य प्रदेश के मुरैना में क्रैश हो गए थे। आधुनिक टेक्नॉलोजी से लबरेज इन फाइटर जेट्स का क्रैश होना बहुत सारे सवाल खड़े कर गया। मुरैना में एयरफोर्स एक्सरसाइज़ चल रही थी। ये सभी विमान वहाँ पर हिस्सा लिए हुए थे। इस हादसे में एक पायलट की मौत हो गई।
 
टक्कर इतनी ज़बरदस्त थी कि दोनों विमानों का मलबा 36 किलोमीटर की दूरी पर मिला। एक विमान का मलबा मुरैना में मिला, और दूसरे विमान का मलबा राजस्थान के भरतपुर में मिला। हादसे के दौरान पहाड़गढ़ में ही सुखोई-30 के दोनों पायलट इजेक्ट कर गए, इसके बाद सुखोई-30 यहाँ से सैकड़ों किलोमीटर दूर तक बिना पायलट के ही आग का गोला बन कर हवा में उड़ता रहा। सुखोई में दो पायलट थे, जबकि मिराज में एक पायलट था।
 
बता दें कि 26 जनवरी 2019 को 12 मिराज-2000 विमानों ने बालाकोट एयर स्ट्राइक में हिस्सा लिया था, जहाँ पाकिस्तानी समर्थित आतंकियों के अनेक कैंप ध्वस्त किए गए थे।
 
सिक्किम में सेना का ट्रक खाई में गिरा, 16 जवानों की मौतें, एक जगह अचानक आई बाढ़ के चलते सैनिक और उनके वाहन तक बह गए थे
23 दिसंबर 2022 के दिन सिक्किम में सेना के साथ बहुत बड़ा हादसा हो गया। इस दिन एक सैन्य ट्रक खाई में गिर गया। इस दुर्घटना में देश के 16 जवानों की मौतें हुई। ये सैनिक सीमा चौकियों पर जा रहे थे। यह हादसा राजधानी गंगटोक में स्थित लाचेन से क़रीब 15 किलोमीटर दूर जेमा में सुबह क़रीब 8 बजे हुआ था। भारतीय सेना के मुताबिक़ जवान ट्रक से काफ़िले के साथ चट्टेन से थांगू जा रहे थे, तभी यह हादसा हुआ। जेमा 3 क्षेत्र में एक तीव्र मोड़ को पार करते समय जवानों से भरा ट्रक सड़क से उतर गया और सैकड़ों फ़ीट नीचे गिर खाई में गिर गया।
 
सन 2023 के अगस्त महीने के मध्य में एक सड़क हादसे में भारतीय सेना के 9 जवान वीर गति को प्राप्त हुए। वाहन के खाई में गिरने से सेना के 9 जवानों की जान चली गई। यह दुर्घटना लद्दाख के क्यारी शहर से 7 किमी दूर शाम के समय हुई थी। सैनिक कारू गैरीसन से लेह के पास क्यारी की ओर बढ़ रहे थे। वीरगति को प्राप्त करने वालों में एक जेसीओ (जूनियर कमीशंड ऑफ़िसर) और बाकी 8 जवान थे।
 
सिक्किम के ल्होनक में 3 अक्टूबर 2023 को बादल फटा। बादल फटने के कारण झील का एक किनारा टूट गया, जिससे तीस्ता नदी में जल स्तर बढ़ गया और राज्य के कई इलाक़े जलमग्न हो गए। क्षेत्र में तैनात भारतीय सेना भी इस बाढ़ से प्रभावित हुई। तीस्ता नदी तट पर स्थित उसके कुछ शिविर बह गए। अचानक आई बाढ़ के कारण सिंगताम के पास बुरडांग में अस्थायी रूप से रात भर के लिए रुके 23 सैनिक और 39 वाहन गाद में दब गए या बह गए। फ़्लैश फ़्लड के कारण भारतीय सेना के लापता जवानों में से 8 जवानों के निधन की पुष्टि तत्काल की गई। 
(इनसाइड इंडिया, एम वाला)