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NEET Scam: परीक्षा पे चर्चा वाली नौटंकी के बीच नरेंद्र मोदी सरकार की नीट पर घोर विफलता

 
कोविड-19 के दौरान और उसके बाद स्वास्थ्य के गंभीर सवालों, कारनामों और अनगिनत मौतों को सरकार ने योगा के स्वदेशी आवरण के बीच छिपा लिया। और अब शिक्षा के ढाँचे को बहुत ही गंभीर रूप से कमज़ोर किया जा चुका है। बेरोजगारी का राक्षस तो पहले से ही मुँह फाड़े खड़ा है।
 
यूँ तो हमारे यहाँ गुजरात में अलग अलग परीक्षाओं के दौरान पेपर लीक हो जाना, परीक्षा कैंसिल करना, ये सब बहुत ही सामान्य संस्कृति बन चुका है। और गुजरात का ये मॉडल अब देश में चल रहा है। पिछले 10 सालों में परीक्षा पे चर्चा की नौटंकी के बीच 60 से ज़्यादा बार भारत में अलग अलग महत्वपूर्ण परीक्षाओं में पेपर लीक समेत दूसरी गंभीर गड़बडियाँ हो चुकी हैं, और अब मामला शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी महत्वूर्ण परीक्षा नीट पर आकर ठहर गया है।
 
नीट, यानी नेशनल इलिजिबिलिटी कम इंट्रेस टेस्ट। इस परीक्षा की पूरी प्रक्रिया ने इस बार अति गंभीर सवाल खड़े किए हैं। पहला - रजिस्ट्रेशन बंद करने के बाद अचानक से रजिस्ट्रेशन विंडो खोल देना, दूसरा - परीक्षा के नतीजों की तारीख़ बिना पूर्व सूचना के अचानक बदल कर लोकसभा चुनाव नतीजों की तारीख़ के दिन रख देना, तीसरा - नतीजों पर ढेर सारे तथ्यात्मक सवाल, चौथा - इतनी सारी संदेहास्पद गड़बड़ियों के बीच नीट आयोजित करने वाली एजेंसी एनटीए का चुनाव आयोग की तरह एक ही रट्टा मारना कि पेपर लीक नहीं हुए और सारे सवाल ग़लत हैं, पाँचवाँ - परीक्षा पे चर्चा की अविरत नौटंकी करने वाले नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार का सदैव की तरह मौन साध लेना।
 
एक साथ 67 छात्रों ने 720 में से 720 गुण प्राप्त किए हैं, इतना अच्छा परिणाम जानकारों को ख़ुश करने की जगह संदेह के छाते में ले जा रहा है
नीट 2024 के नतीजे इतने आश्चर्यजनक हैं कि टॉपर स्टूडेंट्स तक इस बार देश के टॉप मेडिकल कॉलेज एम्स में दाखिला नहीं ले पाएँगे! क्योंकि नीट परीक्षा में ऐसे विद्यार्थियों की संख्या 67 हैं, जिन्होंने फर्स्ट रैंक हासिल किया है। ये एक अभूतपूर्व स्थिति है।
 
नीट वो परीक्षा है जिसमें डॉक्टरी की पढ़ाई की इच्छा रखने वाले विद्यार्थी शामिल होते हैं। इसके स्कोर के आधार पर उन्हें मेडिकल कॉलेजों में दाखिला मिलता है। पूरे मार्कस कोई छात्र पाता है तो यह ख़ुशी और प्रशंसा की बात है। किंतु एक साथ 67 छात्र पूरे मार्कस लेकर आए हैं, इसके बाद जानकार तक ख़ुश होने की जगह संदेह के छाते में जाने को मजबूर हैं।
 
4 जून, 2024 को नीट परीक्षा के परिणाम घोषित होने के बाद ऐसे कई दावे सामने आए हैं कि इस परीक्षा का आयोजन ठीक तरह से नहीं हुआ है। टॉप रैंक पर आने वाले 67 छात्रों में 6 ऐसे बताए जा रहे हैं, जिन्होंने हरियाणा के एक ही परीक्षा केंद्र पर इम्तिहान दिया था।
 
इस बार नीट के नतीजे ने परीक्षा की पूरी प्रक्रिया को ही सवालों के घेरे में ला दिया है। कोचिंग इंस्टीट्यूट्स और विद्यार्थियों ने नीट परीक्षा को लेकर कई गंभीर चिंताएं सामने रखी हैं।

 
नीट 2024 परीक्षा परिणाम के अनुसार एक साथ 67 छात्रों ने 720 में से 720 नंबर हासिल कए हैं। ऐसा पहली बार है कि इतनी बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने पूरे सौ फ़ीसदी नंबर हासिल किए हो। साल 2023 में ये उपलब्धि केवल 2 ही छात्रों ने हासिल की थी। साल 2022 में किसी भी छात्र ने पूरे नंबर हासिल नहीं किए थे। उस साल भी नीट का कुल पूर्णांक 720 था और परीक्षा में टॉप करने वाले बच्चों को 715 नंबर आए थे।
 
शिक्षा के क्षेत्र से जुडी़ वेबसाइट 'करियर्स360' के संस्थापक महेश्वर पेरी बीबीसी को बताते हैं, "पूरे मामले में कुछ गंभीर गड़बड़ियाँ हैं। भारत में कई प्रवेश परीक्षाएं होती हैं। आम तौर पर कुछ परीक्षार्थी ऐसे होते हैं जो बढ़िया अंक प्राप्त करते हैं। लेकिन ये बहुत बड़ा अपवाद है। हम एक या दो नहीं बल्कि 67 लोगों की बात कर रहे हैं।"
 
जिस बात की ओर सबका ध्यान गया है वो ये है कि 67 टॉपर स्टूडेंट्स में से 6 बच्चों का परीक्षा केंद्र हरियाणा के झज्जर ज़िले का एक सेंटर था! विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी संभावना सामान्य रूप से बहुत कम है।
 
एक साथ 67 छात्र पूरे मार्कस ले आए, एक ही सेंटर के 6 छात्र देश में प्रथम क्रम प्राप्त करें, ये सब यूँ तो अच्छी बात है। किंतु परीक्षा से पहले की पूरी विवादास्पद प्रक्रिया, परिणाम के बाद एनटीए के उड़ाऊ जवाब और चुनाव आयोग जैसा लीपापोती वाला रवैया, ऊपर से केंद्र सरकार का मौन तथा छात्रों और अभिभावकों के सवालों को नज़रअंदाज़ करना, ये आम जनमानस में नीट 2024 को नीट स्कैम 2024 मानने की तरफ़ ले जा रहा है।
 
ग्रेसिंग मार्कस ने अतिगंभीर सवाल उठाए, एनटीए ने उड़ाऊ जवाब दिए, मोदी सरकार ने मौन धारण किया, सुप्रीम कोर्ट में मामला जाने के बाद केंद्र सरकार ने 1563 छात्रों के ग्रेसिंग मार्कस रद्द किए
इस पूरे विवादास्पद मसले को स्कैम माना जा रहा है और इसके लिए ज़िम्मेदार है तो सिर्फ़ नरेंद्र मोदी सरकार, जिसने मौन धारण किया हुआ है। मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई नीट और उसी मोदी सरकार द्वारा बनाई गई एजेंसी एनटीए ने जिस तरह के उड़ाऊ जवाब दिए, वह वाक़ई आप्पतिजनक थे।
 
67 छात्रों को पूरे अंक मिले इस घटना से भी बड़ा विवाद है 1563 छात्रों को ग्रेसिंग मार्कस देना। ग्रेसिंग मार्कस देने का फ़ैसला, ग्रेसिंग मार्कस देने का सिस्टम, यह वाक़ई अचंभित करने वाली घटना थी।
 
परीक्षा में शीर्ष स्थान पाने वाले 67 स्टूडेंट्स के नतीजे ने भी चौंकाया। उनमें से, शीर्ष स्कोरर में से 44 ने कथित तौर पर बेसिक फिजिक्स के सवाल का ग़लत उत्तर दिया था, लेकिन इन्हें ग्रेस मार्क्स मिले। इसकी वजह यह थी कि एनसीईआरटी कक्षा 12 की किताब के पुराने संस्करण में त्रुटि थी, जिससे इन लोगों को ग्रेस मार्क्स मिले। हैरानी की बात यह कि जिन छात्रों ने ग़लत जवाब दिया था, उन्हें ग्रेस मार्क्स के रूप में 5 नंबर मिले, जिन्होंने उस सवाल को छोड़ दिया था, उन्हें ग्रेस मार्क्स नहीं मिला।
 
29 मई को जब आंसर की सामने आई तो 13,000 से अधिक स्टूडेंट्स ने एनसीईआरटी की किताबों में परस्पर विरोधी जानकारी का हवाला देते हुए आंसर की पर सवाल उठाए। बाद में एनटीए ने आंसर की में ग़लतियाँ स्वीकार की।
 
इसके अलावा मुख्य रूप से 1563 छात्रों को ऐसे प्राप्तांक भी मिले थे, जो परीक्षा की मार्किंग स्कीम के लिहाज़ से गणितीय दृष्टि से मुमकिन नहीं थे। जो गणितीय द्दष्टि से मुमकिन नहीं था, एनटीए ने कैसे मुमकिन किया होगा यह सवाल सदैव तैरेगा।
नीट परीक्षा के अनुसार अगर कोई छात्र किसी सवाल का ग़लत उत्तर देता है तो उसके 4 मार्कस कटते हैं, साथ ही उस सवाल का मूल 1 मार्कस भी। यानी 5 मार्कस। इस लिहाज़ से या तो 720 आने चाहिए, या 715। किंतु अनेक छात्रों को 718, 719 प्राप्तांक मिले। इस पर जमकर बवाल मचा।
 
एनटीए ने कहा कि ग्रेस मार्क्स इसलिए दिए हैं, क्योंकि छात्रों को परीक्षा के लिए कम वक़्त मिला था। कुछ परीक्षार्थियों ने अदालत में याचिका डालकर कहा था कि परीक्षा केंद्र पर वे वक़्त से अपनी परीक्षा शुरू नहीं कर सकें। एनटीए ने कहा कि सेंटर की सीसीटीवी फ़ुटेज देखकर और अधिकारियों से बातचीत करने के बाद इन परीक्षार्थियों को ग्रेस मार्क्स दिए गए। एजेंसी ने कहा कि इसके लिए वही फॉर्मूला अपनाया गया जो सुप्रीम कोर्ट ने कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट के लिए सुझाया था। यही कारण है कि कुछ छात्रों को 718 जैसे नंबर मिले। इसके अलावा एजेंसी ने कहा कि 720 अंक पाने वाले छह छात्र ऐसे हैं, जिन्हें ग्रेस मार्क्स मिले हैं। इसके अलावा 44 अन्य छात्र जिन्होंने 720 मार्क्स (शत-प्रतिशत अंक) पाए, उन्हें फ़िजिक्स के एक प्रश्न के उत्तर के लिए रिविज़न मार्क्स दिए गए हैं।

 
'करियर्स360' के संस्थापक महेश्वर पेरी बीबीसी को बताते हैं, "ग्रेस मार्क्स देने का काम 'गैर-पारदर्शी' तरीक़े से किया गया है।" उन्होंने कहा, "पहले जब उत्तरों की कुंजी, परिणाम से पहले प्रकाशित की जाती थी, तब केवल एनटीए या अन्य परीक्षा संस्था ही स्पष्ट करती थी कि क्या वे प्रश्न में किसी समस्या के कारण अतिरिक्त अंक दे रहे हैं या नहीं। इस मामले में जब उनसे पूछा गया तभी उन्होंने स्पष्टीकरण दिया।"
 
नोट करें कि जब परिणाम घोषित किए गए, तो कई लोगों ने सवाल उठाया कि आख़िर किसी को 718 जैसे नंबर कैसे मिल सकते हैं और तब जाकर एनटीए ने एक ट्वीट में स्पष्ट किया कि ग्रेस मार्क्स दिए गए थे। किंतु ग्रेस मार्कस देने की वजह, आधार और गणितीय प्रक्रिया क्या थी, यह नहीं बताया। फिर बवाल कटा तब जाकर एनटीए ने आगे और जानकारी दी। किस्तों में जानकारी देने का एनटीए का यह अंदाज़ लापरवाही ही कह लीजिए।
 
महेश्वर पेरी कहते हैं, "आप पेपर एक घंटा देरी से शुरू करवाने पर मुझे इसलिए 100 अंक देते हैं क्योंकि सही वक़्त पर पेपर मिलता तो मैं ये अंक हासिल कर सकता था। लेकिन अतिरिक्त समय में मैं उनमें से कई प्रश्नों के ग़लत उत्तर दे सकता था।"
गनीमत थी कि अब की बार नरेंद्र मोदी सरकार स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में नहीं थी, विपक्ष पहले से ज़्यादा एकजुट था, पहले से ज़्यादा मजबूत था, और इसी कारण नीट में कथित गड़बड़ी का मामला जल्द ही देश भर में चर्चा का प्रमुख मुद्दा बना।
 
पहले तो एनटीए ने छात्रों और अभिभावकों के सवालों के जवाब देना ज़रूरी ही नहीं समझा, किंतु सोशल मीडिया और यूट्यूब के चैनलों और विपक्ष ने जमकर घेरा तो फिर नरेंद्र मोदी तो नहीं बोले, किंतु एनटीए को बोलना पड़ा।
 
एनटीए ने जो जवाब दिया वह हास्यास्पद था। एजेंसी ने अपने स्पष्टीकरण में कहा कि सिर्फ़ उन्हीं विद्यार्थियों को अतिरिक्त मार्क्स दिए गए हैं जिन्हें प्रश्न पत्र समय पर नहीं मिला था। लेकिन एनटीए ने यह नहीं बताया कि उन छात्रों को किस आधार पर, किस गणितीय मेलजोल से, किस सिस्टम पर ग्रेसिंग मार्कस दिए गए थे।
 
प्रश्न पत्र समय पर नहीं मिला तो ग्रेसिंग मार्कस दे देना, साथ ही नहीं बताना कि ग्रेसिंग मार्कस देने के पीछे कौन सा गणितीय आधार था। ग़ज़ब सिस्टम अपनाया था एनटीए ने।
 
अगर प्रश्न पत्र समय पर नहीं मिला तो यह ग़लती छात्रों की नहीं थी, यह संबंधित स्टाफ़ की ग़लती थी। उन्हें तो कोई भी नोटिस नहीं, ना कोई फटकार। इतनी महत्वपूर्ण परीक्षा के पेपर्स किसी सेंटर पर आधा आधा घंटे देरी से पहुंचते हैं, और एनटीए या केंद्र इस पर कोई जवाब ही नहीं देता। उलटा, विवादित ढंग से ग्रेसिंग मार्कस दे देता है।
ठीक है, किंतु समय पर प्रश्न पत्र नहीं मिले किसी सेंटर को, तो उस दिन उस सेंटर पर छात्रों को अधिक समय दिया जा सकता था। और ये बिलकुल व्यावहारिक उपाय था। सेंटर तो सीसीटीवी और दूसरी तमाम तैयारियों के साथ सुरक्षित होते हैं। बीच में एनटीए वालों ने फीमेल छात्राओं के साथ परीक्षा में सुरक्षा के नाम पर भद्दा व्यवहार तक किया था। एनटीए के मुताबिक़ अगर सेंटर पर इतनी सख़्त तैयारियाँ होती हैं, वहाँ न कोई बाहर जा सकता है और न कोई अंदर आ सकता है, तो अधिक समय देना व्यावहारिक उपाय था।
 
मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। सुप्रीम में तीन याचिकाएँ दायर की गईं। इसमें मांग मोटा-माटी यही थी कि इम्तिहान में व्यापक अनियमितताएं हुई हैं, ग्रेस मार्क्स देने में कथित विसंगतियाँ हैं, इस वजह से NEET UG 2024 रद्द की जाए और दोबारा परीक्षा करवाई जाए। एक याचिका Physics Wallah के CEO अलख पांडे ने दायर की। याचिका में दावा किया गया कि ग्रेस मार्क्स देने का एनटीए का फ़ैसला 'मनमाना' है। एक याचिका नीट उम्मीदवार जरीप्ति कार्तिक ने दायर की, जिसमें गुहार लगाई गई कि परीक्षा के दौरान ख़राब हुए समय के लिए जो नॉर्मलाइज़ेशन फ़ॉर्मूला लगाया गया है, वो उचित नहीं है।

 
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "अगर किसी की ओर से 0.001% लापरवाही है तो इससे पूरी तरह निपटा जाना चाहिए। अगर आप से रत्तीभर भी ग़लती हुई है तो उसे स्वीकार कीजिए।" अदालत ने यह भी कहा कि वह देश में सबसे कठिन प्रवेश परीक्षाओं में से एक की तैयारी के लिए मेडिकल छात्रों की कड़ी मेहनत को नहीं भूल सकती। अदालत ने कहा, "बच्चों ने परीक्षा की तैयारी की है, हम उनकी मेहनत को नहीं भूल सकते।"
 
आख़िरकार 13 जून को केंद्र सरकार ने जिन 1563 उम्मीदवारों को ग्रेस मार्क्स दिए गए थे, उनके स्कोर-कार्ड रद्द करने का फ़ैसला लिया। इन 1563 छात्रों को दोबारा परीक्षा देने का विकल्प दिया गया। केंद्र सरकार ने ये जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी।
 
इन छात्रों को दो ऑप्शन दिए गए। या तो वो अपने ग्रेस मार्क्स छोड़ दें और तब अपनी रैंक देखें, या फिर री-टेस्ट दें और जो नतीजा आएगा,  उसे स्वीकार लें।
 
रजिस्ट्रेशन बंद होने के बाद भी अचानक विंडो क्यों खोला गया था? परीक्षा के परीणाम की तारीख़ पहले से घोषित की गई थी फिर भी दिनों पहले अचानक नतीजा क्यों घोषित हुआ? एनटीए ने लोकसभा चुनाव नतीजे के दिन ही अपने नतीजे क्यों घोषित किए?
नीट कोई सामान्य परीक्षा नहीं है। यह देश के स्वास्थ्य ढाँचे की रीढ़ की हड्डी है। इसमें उर्तीण होने वाले बच्चे आगे जाकर स्वास्थ्य व्यवस्था संभालेगे। इतनी महत्वपूर्ण परीक्षा में तीन ऐसे सवाल उठे हैं, जो परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसी और संबंधित मंत्रालय को कटघरे में खड़ा करते हैं।
 
रजिस्ट्रेशन बंद होने के बाद अचानक रजिस्ट्रेशन विंडो क्यों खोला गया था?
परीक्षा का फॉर्म भरने की तारीख़ बीतने के बाद अचानक फॉर्म लेने वाला विंडो खुला और 24 हज़ार फॉर्म जमा हो गए! जानकारों और चिंतकों का सबसे ज़्यादा ध्यान इसी तरफ़ है
 
एनटीए ने रजिस्ट्रेशन विंडो बंद होने के 25 दिन बाद अचानक दोबारा विंडो खोला था! नीट का इतिहास पुराना तो नहीं है, किंतु यह पहली बार था कि ऐसा हुआ। हमेशा आवेदकों के अनुरोध पर आवेदन की समय सीमा अंतिम तिथि के दिन या उससे पहले बढ़ाने की घोषणा की जाती है। लेकिन एनटीए ने एप्लीकेशन बंद होने के सीधे 25 दिन बाद फिर से आवेदन का मौका देकर सबको चौंका दिया था।

 
नीट यूजी 2024 के लिए रजिस्ट्रेशन 9 फ़रवरी को शुरू हुआ था। इसके लिए आवेदन की अंतिम तिथि 9 मार्च थी। लेकिन 9 मार्च को नोटिस जारी करके लास्ट डेट बढ़ाकर 16 मार्च कर दी गई। यहाँ तक तो सब ठीक था। लेकिन इसके क़रीब 25 दिन बाद, 9 और 10 अप्रैल को एप्लीकेशन विंडो दोबारा ओपन की गई! परीक्षा एजेंसी ने अपने नोटिस में लिखा था कि एप्लीकेशन विंडो कैंडिडेट्स की मांग पर खोली जा रही है। किंतु एनटीए का यह स्पष्टीकरण बाद में विवाद उठने के बाद उसके द्वारा दिए गए उड़ाऊ जवाबों जैसा ही था।
 
अगर एनटीए उम्मीदवारों की मांग पर अचानक एप्लीकेशन विंडो खोल देता है, तब तो अनेका अनेक अभ्यर्थियों की मांग है कि अंतिम दो दिन में जिन उम्मीदवारों ने आवेदन किया था, उनके परीक्षा केंद्र की जानकारी सार्वजनिक की जाए। लेकिन एनटीए इस पर नरेंद्र मोदी की तरह चुप है। एनटीए इस मांग को नहीं मान रही।
 
परिणाम की घोषित तारीख़ बिना पूर्व सूचना के क्यों बदली गई? अचानक 10 दिन पहले लोकसभा चुनाव के नतीजों के दिन ही परिणाम घोषित क्यों कर दिया गया?
इस बार नीट परीक्षा का आयोजन 5 मई को कराया गया था। नीट परीक्षा में शामिल होने के लिए 24 लाख से अधिक विद्यार्थियों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया था। इनमें 23.33 लाख बच्चे परीक्षा में शामिल हुए। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, परीक्षा के परिणाम 14 जून को घोषित होने थे।
देश की इतनी महत्वपूर्ण परीक्षा के परिणाम घोषित करने की तारीख़ 14 जून तय थी। इसकी आधिकारिक घोषणा भी हो चुकी थी। किंतु एनटीए ने परिणाम घोषित तारीख़ से दस दिन पहले दे दिया! बिना किसी पूर्वसूचना के! 4 जून को नीट का परिणाम घोषित कर दिया गया। नोट करें कि यह वह तारीख़ थी जिस दिन 18वीं लोकसभा के आम चुनावों के नतीजे घोषित हो रहे थे।
 
एनटीए ने 6 जून को एक प्रेस रिलीज़ जारी कर कहा कि ज़ल्द से ज़ल्द परिणाम घोषित करना एक तय प्रक्रिया है, इस बार हम हमारा काम ज़ल्द कर सकें हैं।
 
देश के सबसे महत्वपूर्ण और सबसे ज़रूरी चुनाव के नतीजे घोषित हो रहे थे और इस बीच एनटीए ने अपने नतीजे बिना किसी पूर्वसूचना के दे दिए, जो दस दिन बाद देने थे! नीट के नतीजे में जो दिखा वह इतना बवाल मचाने लगा कि सबसे पहला आरोप यही लगा कि एनटीए ने नतीजे लोकसभा चुनाव परिणाम के दिन ही इसलिए घोषित किए, ताकि जो गड़बड़झाला है उसे छिपाया जा सके।
 
नीट परीक्षा की प्रक्रिया पर नज़र रखने वाले जानकारों के अनुसार, गड़बड़ी के अंदेशे का पहला संकेत इसी बात से मिल गया था।
 
लोकसभा चुनाव के नतीजे 4 जून को आ रहे थे और उसी दिन एनटीए ने नीट के नतीजे घोषित कर दिए! स्टूडेंट्स को इसकी जानकारी पहले से नहीं थी कि 4 जून को नीट का भी नतीजा आ जाएगा! छात्रों का, उनके पैरंट्स का गुस्सा सोशल मीडिया पर आने में देर नहीं लगी।
 
पेपर लीक के आरोप लगे, पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज की, गिरफ़्तारी की, किंतु एनटीए ने बिना जाँच के एलान किया कि पेपर लीक नहीं हुआ
एनटीए ने हर सवाल पर जिस तरह के उड़ाऊ जवाब दिए, इस हिसाब से एनटीए और नीट के शीर्ष अधिकारियों पर सख़्त कार्रवाई होनी चाहिए थी। किंतु अब तक हुई नहीं है।
 
नीट की परीक्षा जिस दिन, यानी 5 मई 2024 को आयोजित हुई, उसी दिन शाम से पेपर लीक के आरोप जमकर लगे थे। फिर अचानक दस दिन पहले एनटीए ने परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया! परिणाम ऐसा कि वहाँ आश्चर्य, संदेह और सवालों की झडी थी।
 
5 मई को परीक्षा शुरू होने से पहले कुछ परीक्षा केंद्रों पर NEET UG प्रश्न पत्र कथित रूप से लीक हो गया था। टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया कि कम से कम 3 ऐसे मामले सामने आए और पुलिस ने मामले दर्ज किए।

 
सबसे पहले बिहार में पेपर लीक मामले में एक एफ़आईआर दर्ज हुई और साथ ही 13 लोगों को गिरफ़्तार किया गया। बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने इस केस की जाँच के लिए एसआईटी का गठन किया। नीट से जुड़े मामलों में गुजरात और हरियाणा में भी कार्रवाईयाँ हुईं।
 
किंतु इसके बाद भी एनटीए ने भयानक उड़ाऊ जवाब दिया कि पेपर लीक जैसी कोई घटना नहीं हुई है। एक तरफ़ एक राज्य की पुलिस पेपर लीक मामले में एफ़आईआर दर्ज कर रही है, गिरफ़तारियाँ हो रही हैं, इसके तार गुजरात से लेकर महाराष्ट्र समेत दूसरे कुछेक राज्यों में जाते दिख रहे हैं, और एनटीए बिना जाँच के एलान कर देती है कि पेपर लीक जैसी कोई घटना हुई ही नहीं है!
 
पिछले 7 सालों में ही देश भर में 60 से ज़्यादा परीक्षाओं के पेपर लीक हो चुके हैं ऐसी ख़बरें तमाम विश्वासपात्र जगहों पर हैं, जिसकी वजह से 1 करोड़ 50 लाख से अधिक छात्र प्रभावित हो चुके हैं। ग़लती, लापरवाही, अनियमितता, जो भी कहे, वह करे कोई लेकिन भुगतेंगे केवल छात्र!
 
इधर नीट के कथित स्कैम विवाद के बीच यूजीसी नेट की परीक्षा रद्द कर दी गई है। शिक्षा मंत्री ने माना है कि यूजीसी नेट का पेपर टेलीग्राम पर लीक हुआ है। मोदी सरकार सदैव की तरह दो काम अब की बार भी कर रही है। पहला - दूसरों की योजनाओं या सिद्धियों को अपने नाम कर रही है और दूसरा - जब अपनी योजनाओं की विफलता की बात आती है तो ज़िम्मेदारी लेने से दूर भाग रही है।
 
नीट को लेकर मतभेद यह भी है कि यह स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत है या शिक्षा मंत्रालय के। देश के प्रधानमंत्री द्वारा परीक्षा पे चर्चा वाली ग़ैरज़रूरी प्रक्रिया करने के बाद आज वही प्रधानमंत्री देश की सबसे बड़ी परीक्षाओं में से एक नीट के कथित स्कैम या स्पष्ट गड़बड़ियों और अनिमयितताओं पर चुप हैं। सदैव की तरह हर समस्या और हर सवालों पर पीएम मोदी ने चुप्पी साध ली है। नरेंद्र मोदी सरकार नीट को लेकर चर्चा करने के लिए भी तैयार दिख नहीं रही। नीट आयोजित करने वाली एजेंसी एनटीए के हर जवाब और हर स्पष्टीकरण हास्यास्पद भी हैं, तथा कुछ तो बाक़ायदा मिट्टी में मिल चुके हैं। स्वास्थ्य और शिक्षा, देश के दो महत्वपूर्ण ढाँचे को इसी तरह रखने से ही विश्वगुरु बना जाता होगा शायद।
(इनसाइड इंडिया, एम वाला)