सरकार और संसद से जनतंत्र यही अपेक्षा रखता है कि उनकी जानकारी स्पष्ट हो, संदिग्ध नहीं। यूँ
तो हमारे नेताओं पर इतना भरोसा है कि वे सड़क हो या संसद हो, हर जगह संदिग्ध या
झूठी जानकारी दे सकते हैं। मोदी सरकार में भी, तथा इससे पहले मनमोहन
सरकार तथा इससे पहले की सरकारों में भी यह हो चुका है। फ़िलहाल बात करते हैं 18वीं लोकसभा की।
हो सकता है कि 18वीं लोकसभा में अब तक सरकार द्वारा इन तीन विषयों के अलावा दूसरे विषयों और मुद्दों
पर भी संदिग्ध जानकारी दी जा चुकी हो। फ़िलहाल तीन विषयों की बात करते हैं, जिन पर बड़े ताव से
सरकार ने जो कहा उस पर आसानी से सवाल उठे और सरकारी जानकारी महज़ संदिग्ध दावे बनकर
रह गए।
यूँ तो नागरिक समाज
को 2020-21 की कोरोना त्रासदी और मौत का वह तांडव याद होगा। याद होगा ऑक्सीजन का वह अभूतपूर्व
संकट, जिसमें मरीज़ों के
परीजन दर दर की ठोकरें खाते रहे और उनके अपने बिना ऑक्सीजन तिल तिल मरते रहे। और फिर
राज्यसभा के भीतर 20 जुलाई 2021 को केंद्र सरकार ने कह दिया कि कोविड19 की दूसरी लहर के दौरान
ऑक्सीजन की कमी से देश में किसी कोरोना मरीज़ की मौत नहीं हुई थी।
पिछले 7 साल में कोई पेपर लीक नहीं, क्या शिक्षा मंत्री
ने लोकसभा में झूठ बोला? पेपर लीक के आठ मामलों के सामने शिक्षा मंत्री द्वारा दी गई
सरकारी जानकारी संदिग्ध दावा है?
22 जुलाई 2024 का दिन। जगह लोकसभा। इस दिन देश के केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान
ने देश को ऑन रिकॉर्ड बताया कि, "बीते सात सालों में एक भी पेपर लीक नहीं हुआ है। मैं यह कहना चाहूँगा कि पिछले
सात सालों में किसी भी पेपर लीक के कोई सबूत नहीं मिले हैं।"
यूँ तो बिना सबूत के
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर सरकार का हर मंत्री बहुत कुछ कहते आए हैं। प्रधानमंत्री
तो बिना सबूत के चुनावी प्रचार में इतना कुछ कह जाते हैं, जिसके बाद उन पर अपमानजनक
विशेषण चिपक जाया करते हैं। चुनाव न हो तब भी बिना सबूत के भारत के भीतर महाभारत किए
जाते हैं।
एक बात यह भी नोट करें
कि देश के केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने जिस दिन देश को यह बताया कि बीते सात सालों में
एक भी पेपर लीक नहीं हुआ है, उसके महज़ 14 दिन पहले, 8 जुलाई 2024 के दिन देश की सर्वोच्च
अदालत ने कहा था कि यह साफ़ है कि नीट 2024 का पेपर लीक हुआ था।
लगे हाथ नोट यह भी
करें कि 19 जून 2024 को ही यूजीसी नेट की परीक्षा केंद्र सरकार द्वारा रद्द की गई थी और रद्द करने
के पीछे वजह पेपर लीक के आरोप थे। 20 जून 2024 को मंत्रीजी ने स्वयं ही माना था कि पेपर टेलीग्राम पर लीक हो गया था।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा
नीट 2024 का पेपर लीक हुआ था यह कहने-लिखने के बाद भी, सरकार द्वारा पेपर लीक के आरोपों के बाद यूजीसी
नेट 2024 की परीक्षा रद्द करने के बाद भी, देश के केंद्रीय शिक्षा मंत्री लोकसभा के भीतर ऑन रिकॉर्ड कहते हैं कि बीते सात
सालों में एक भी पेपर लीक नहीं हुआ!
देश के केंद्रीय शिक्षा
मंत्री ने लोकसभा के भीतर ऑन रिकॉर्ड जो कहा, वह तुरंत ही सरकारी जानकारी के बदले संदिग्ध जानकारी बन गया। क्या देश के शिक्षा
मंत्री ने झूठी जानकारी दी थी? जवाब है पता नहीं।
क्योंकि केंद्रीय शिक्षा
मंत्री का पूरा बयान शब्दों की चालाकियों से लबालब था, जिसमें सबूत नहीं मिले
हैं वाला हिस्सा भी शामिल था। दूसरी तरफ़ अनेका अनेक मीडिया रिपोर्ट्स, साथ ही दूसरे पेपर
लीक मामलों में सरकार के ही दूसरे मंत्रियों के संसद के भीतर बयान और दूसरे दावे शिक्षा
मंत्रीजी की बातों से बेहद दूर दिखते हैं।
1. सेना भर्ती पेपर लीक
28 फ़रवरी 2021 के दिन सैनिक (जनरल ड्यूटी) की परीक्षा आयोजित कराई गई। इससे एक दिन पहले, 27 फ़रवरी को पुणे की
मिलिट्री इंटेलिजेंस यूनिट और पुणे सिटी पुलिस की क्राइम ब्रांच ने महाराष्ट्र में
कई जगह छापेमारी की। जाँच एजेंसी को सैनिक (जनरल ड्यूटी) परीक्षा के क्वेश्चन पेपर
बरामद हुए।
हिंदुस्तान टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़ सेना के अधिकारी ने बताया, "प्रश्नपत्र की एक कॉपी
मिलने के बाद सेना के अधिकारियों ने इसकी प्रमाणिकता की पुष्टि की और ऑल इंडिया लेवल
पर परीक्षा को समय पर रद्द करके नुक़सान को नियंत्रित किया गया।"
अधिकारी ने बताया कि
पेपर लीक के इस मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ़्तार किया था। इन पर आरोप
था कि इन्होंने 4-5 लाख रुपये में पेपर बेचे थे। आरोपियों ने पुणे, कोल्हापुर, सतारा, सांगली बेलगाम के साथ अन्य राज्यों के उम्मीदवारों
को भी ये प्रश्न पत्र उपलब्ध कराया था। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़ इस
मामले में 10 मार्च 2021 को कोर्ट ऑफ़ इन्क्वायरी भी ऑर्डर की गई थी। इस संबंध में एक एफ़आईआर भी दर्ज
की गई, जिसके तहत पीठासीन
अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल भगतप्रीत सिंह को गिरफ़्तार किया गया था।
2. सीबीएसई बोर्ड परीक्षा 2018 पेपर लीक
साल 2018 में CBSE की बोर्ड परीक्षा में
पेपर लीक घटना सामने आई थी। इस संबंध में AIADMK सांसद के अशोक कुमार ने संसद में सवाल भी
पूछा था। 11 फ़रवरी 2019 को MHRD मंत्रालय में राज्य
मंत्री डॉक्टर सत्यपाल सिंह ने अशोक कुमार के सवालों का जवाब देते हुए कहा था, "CBSE ने दो पेपरों के लीक
होने की बात बताई है। 12वीं कक्षा में इकोनॉमिक्स और 10वीं के मैथ्स का पेपर लीक हुआ है। 12वीं के इकोनॉमिक्स
पेपर का री-एग्जाम 25 अप्रैल 2018 को कराया गया था। हालाँकि, CBSE ने 10वीं के मैथ्स पेपर का री-एग्जाम आयोजित नहीं करने का निर्णय लिया, क्योंकि 10वीं की परीक्षा 11वीं क्लास में जाने के लिए एक गेटवे होती है।"
बोर्ड परीक्षा पेपर
लीक के इस मामले में CBSE ने दिल्ली रीजन के रीजनल डायरेक्टर के ज़रिए दिल्ली पुलिस में 6 शिकायतें दर्ज कराई थीं। जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने मामले की जाँच के लिए SIT का गठन किया। 12वीं और 10वीं के पेपर लीक मामले में SIT ने हिमाचल प्रदेश के ऊना स्थित एक एग्जाम सेंटर के सेंटर सुपरिटेंडेंट को गिरफ़्तार
किया था। SIT ने सेंटर सुपरिटेंडेंट
के अलावा उसके दो साथी और बैंक के एक अधिकारी को भी गिरफ़्तार किया था।
दिल्ली पुलिस ने 10वीं का पेपर लीक करने के आरोप में दिल्ली स्थित मदर खजानी कॉन्वेंट स्कूल के प्रिंसिपल
और दी टीचरों सहित ईज़ी कोचिंग इंस्टीट्यूट के मालिक को भी गिरफ़्तार किया था। CBSE ने कार्रवाई करते हुए
मदर खजानी कॉन्वेंट स्कूल की मान्यता रद्द भी की थी।
3. SSC 2017 पेपर लीक
एसएससी की कंबाइंड
ग्रेजुएट लेवल (CGL)
(Tier II), 2017 परीक्षा। एसएससी ने फ़रवरी-मार्च 2018 में परीक्षा आयोजित
कराई। 21 फ़रवरी 2018 के दिन आयोजित कराई गई Tier II परीक्षा के पेपर-1 में गड़बड़ी और लीक की ख़बरें सामने आईं। परीक्षा की शुचिता
बरकरार रखने की नियत के साथ एसएससी ने एग्जाम रद्द करने का फ़ैसला सुनाया। 9 मार्च 2018 को पेपर दोबारा आयोजित कराया गया।
सरकार ने SSC CGL 2017 परीक्षा में पेपर लीक की बात संसद में भी मानी था। पूर्व सांसद जितेंद्र चौधरी
के सवाल के जवाब में कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय में राज्य मंत्री डॉक्टर जितेंद्र
सिंह ने कहा था कि, "पेपर लीक की घटना सामने
आने के बाद एसएससी के कहने पर केंद्र सरकार ने मामले में सीबीआई जाँच के आदेश भी दिए
हैं।"
4. NEET 2021 पेपर लीक
NEET 2024 से पहले 2021 के एग्जाम में भी पेपर लीक की बात सामने आई थी। दावा किया गया था कि परीक्षा शुरू
होने से पहले ही पेपर लीक हो गया था। एनडीटीवी में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़ 12 सितंबर 2021 को जयपुर पुलिस ने NEET परीक्षा में नकल करते हुए एक छात्रा सहित सात अन्य लोगों को
गिरफ़्तार किया था। डीसीपी रिचा तोमर ने बताया था कि आरोपी छात्रा, उसके चाचा, सेंटर इनचार्ज और चार
अन्य लोगों को इस मामले में गिरफ़्तार किया गया था।
रिपोर्ट के मुताबिक़
परीक्षा शुरू होने के बाद आरोपी छात्रा के चाचा और सेंटर इनचार्ज ने पेपर की फ़ोटो
दो अन्य व्यक्तियों को भेजी थी। दोनों ने जयपुर के चित्रकूट इलाक़े के एक अपार्टमेंट
में बैठे दो लोगों को ये फ़ोटो भेजी थीं। जिसके बाद ये फ़ोटो सीकर में बैठे कुछ अन्य
लोगों को फॉरवर्ड करी गई थी।
आरोपी छात्रा ने जो
बताया था उसके अनुसार, सीकर में बैठे व्यक्तियों ने पेपर की आंसर-की चित्रकूट में बैठे आरोपियों को फॉरवर्ड
की थी। जिसके बाद ये सेंटर इनचार्ज को भेजी गई। सेंटर इनचार्ज ने आंसर-की आरोपी छात्रा
के चाचा को भेजी। जिसके बाद चाचा ने आरोपी छात्रा को परीक्षा हल करने में मदद की।
पेपर लीक के इस मामले
में पुलिस ने किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU), वाराणसी के एक छात्र के साथ एक अन्य व्यक्ति
को भी गिरफ़्तार किया था। इंडिया टुडे में छपी रिपोर्ट के अनुसार पेपर लीक के इस मामले
में कोचिंग संचालक नवरत्न स्वामी को मास्टरमाइंड बताया गया था। परीक्षा का पेपर 35 लाख रुपये में बाँटने की बात भी सामने आई थी।
5. JEE Mains 2021 पेपर लीक
साल 2021 में इंजीनियरिंग एडमिशन के लिए होने वाली JEE Mains परीक्षा का पेपर लीक
होने की बात सामने आई थी। मामले के सामने आते ही सीबीआई ने इसकी जाँच शुरू की। 1 सितंबर 2021 को सीबीआई ने पेपर लीक मामले में Affinity Education Private Limited, इसके डायरेक्टर और
अन्य कर्मचारियों के ख़िलाफ़ केस रजिस्टर किया। इन पर आरोप था कि ये हरियाणा के सोनीपत
स्थित एक एग्जाम सेंटर से रिमोट एक्सेस के माध्यम से प्रश्न पत्र हल कराते थे।
द हिन्दू में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़ आरोपियों ने इच्छुक उम्मीदवारों की दसवीं और बारहवीं कक्षा की मार्कशीट
सहित उनके यूजर आईडी और पासवर्ड तथा सिक्योरिटी के तौर पर पोस्ट-डेटेड चेक जमा कर लिए
थे। कॉलेज में एडमिशन की पुष्टि के बाद उन्हें कथित तौर पर हर उम्मीदवार से 12 से 15 लाख रुपये तक का कमीशन मिलता था।
सीबीआई का कहना था
कि JEE Mains पेपर लीक मामले में कुछ विदेशी भी शामिल हो सकते हैं। अक्टूबर 2022 में एजेंसी ने इसी मामले में रूसी हैकर मिखाइल शार्गिन को गिरफ़्तार किया था।
उसे कज़ाकिस्तान के अल्माटी से दिल्ली आने पर इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पकड़ा
गया था। मिखाइल पर परीक्षा में इस्तेमाल होने वाले सॉफ्टवेयर को हैक करने में दूसरों
की मदद करने का आरोप था। द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक़ सीबीआई ने मार्च 2023 में JEE पेपर लीक मामले के कथित मास्टरमाइंड विनय दहिया को गिरफ़्तार किया था।
6. CTET 2023 पेपर लीक
जनवरी 2023 में हुई कॉमन टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (CTET) परीक्षा में कथित गड़बड़ी की बात सामने आई
थी। उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने CTET परीक्षा पेपर लीक मामले में मेरठ से दो आरोपियों को गिरफ़्तार किया था। टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़ STF ने मेरठ की महिला आरोपी और हरियाणा के पुरुष
आरोपी को गिरफ़्तार किया था।
रिपोर्ट के अनुसार
पुलिस को सूचना मिली थी कि पेपर लीक में शामिल दो लोग 17 जनवरी को कंकरखेड़ा इलाक़े में एक नर्सिंग होम पहुंचेंगे, और परीक्षा से क़रीब
एक घंटे पहले वो एक अभ्यर्थी को प्रश्नपत्र बेचेंगे। पुलिस पूछताछ में पुरुष आरोपी
ने माना कि वो पेपर लीक में शामिल था। पुलिस की जानकारी के मुताबिक़ 13 जनवरी 2021 को हुए पेपर से पहले सुबह 7 बजे एक महिला आरोपी ने फरीदाबाद के कुछ अभ्यर्थियों के साथ
प्रश्न पत्र साझा किया था। यही नहीं, उसने बदरपुर बॉर्डर में भी कुछ अभ्यर्थियों के साथ सुबह साढ़े 9 बजे परीक्षा का पेपर साझा किया था। एसटीएफ अधिकारी ने बताया था कि महिला आरोपी
लखनऊ स्थित कोचिंग सेंटर के मालिक से 2 लाख रुपये में पेपर ख़रीदती थी और ढाई लाख
में बेच देती थी।
7. NEET 2024 पेपर लीक
2024 नीट विवाद बहुत बड़ा
विवाद है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने जिस दिन लोकसभा में जानकारी दी कि बीते सात सालों
में कोई पेपर लीक नहीं हुआ है, उसके महज़ 14 दिन पहले, 8 जुलाई 2024 को देश के सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह साफ़ है कि नीट 2024 का पेपर लीक हुआ है।
लाज़मी है कि देश की
सर्वोच्च अदालत ने नीट 2024 का पेपर लीक हुआ है, ऐसा यूँ ही नहीं कहा होगा। कुछ ठोस होगा तभी यह कहा-लिखा गया होगा। हालाँकि पेपर
लीक का दायरा और नुक़सान बड़ा नहीं था इसलिए परीक्षा दोबारा नहीं कराई गई।
देश की सर्वोच्च अदालत
के कहने के बाद भी केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने लोकसभा के भीतर कह दिया कि कोई पेपर लीक
नहीं हुए हैं।
8. UGC NET 2024 पेपर लीक
2024 में नीट पेपर लीक
तथा नीट ग्रेसिंग मार्कस समेत अनेक नीट विवादों के बीच ही, 18 जून 2024 यूजीसी नेट की परीक्षा ली गई थी। इसके अगले ही दिन 19 जून को यूजीसी नेट 2024 परीक्षा को भी रद्द कर दिया गया था। 20 जून 2024 को स्क्रॉल.इन की रिपोर्ट के मुताबिक़ शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने माना
था कि यूजीसी-नेट परीक्षा का प्रश्न पत्र टेलिग्राम पर लीक हो गया था। मीडिया रिपोर्ट
के अनुसार शिक्षा मंत्री ने माना था कि इस परीक्षा का प्रश्न पत्र डार्कनेट पर लीक
हुआ था। इस संबंध में भी सीबीआई ने केस दर्ज किया था।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट, पिछले पाँच सालों में 65 पेपर लीक की घटनाएँ
इंडिया टुडे से जुड़े
शुभम तिवारी और बिदिशा साहा ने अलग-अलग डेटा को इकट्ठा कर एक रिपोर्ट तैयार की थी।
इन्होंने 1 जनवरी 2019 से 25 जून 2024 के बीच के मामलों की जाँच की थी। इसके मुताबिक़ उपरोक्त पेपर लीक के साथ 2019 में 9, 2020 में 12, 2021 में 17, 2022 में 11, 2023 में 12 और 2024 में अब तक 5 परीक्षाओं के पेपर लीक हो चुके हैं। यानी, पिछले पाँच सालों में कुल मिलाकर 65 पेपर लीक की रिपोर्ट।
इस रिपोर्ट के अनुसार
ये लीक कुल 19 राज्यों से हुए। जिन परीक्षाओं के पेपर लीक हुए, उनसे इस दौरान 3 लाख सरकारी पदों पर भर्तियाँ होनी थीं। इंडिया टुडे की इसी रिपोर्ट से पता चला
कि सबसे ज़्यादा आठ पेपर लीक की घटनाएँ उत्तर प्रदेश में दर्ज की गईं। इसके बाद राजस्थान
और महाराष्ट्र में सात ऐसे मामले सामने आए। बिहार में छह, गुजरात और मध्य प्रदेश
में चार-चार पेपर लीक हुए। वहीं हरियाणा, कर्नाटक, ओडिशा और पश्चिम बंगाल
से तीन-तीन ऐसे केस सामने आए। दिल्ली, मणिपुर और तेलंगाना में दो-दो घटनाएँ दर्ज की गईं। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, झारखंड और नागालैंड
से एक-एक केस आए।
देश के रक्षा मंत्री
ने लोकसभा में लुघियाना के मृतक अग्निवीर को दी गई अनुग्रह राशि पर जानकारी दी, अगले दिन अग्निवीर
के परिजनों ने बताया कि बीमा कवर मिला था अनुग्रह राशि नहीं
देश के रक्षा मंत्री
ने क्या लोकसभा में वीर सैनिक (अग्निवीर) को उसकी मृत्यु के बाद दी गई अनुग्रह राशि
पर संदिग्ध जानकारी दी थी? क्या इस पूरे मामले में दी गई बीमा कवर राशि को अनुग्रह राशि के तौर पर रक्षा मंत्री
ने प्रचारित कर दिया था?
बता दें कि अनुग्रह
भुगतान कर्मचारियों को किया जाने वाला स्वैच्छिक भुगतान है, जो किसी क़ानूनी दायित्व
या अनुबंध के परिणामस्वरूप नहीं, बल्कि आमतौर पर सद्भावना या प्रशंसा के संकेत के रूप में किया जाता है।
दरअसल, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष
राहुल गांधी ने अग्निपथ योजना और अग्निवीर को लेकर सत्ता पक्ष की ज़बरदस्त आलोचना की
थी। अपने भाषण में नेता प्रतिपक्ष ने लोकसभा में कहा कि लुघियाना के मृतक अग्निवीर
के परिजनों ने उन्हें स्वयं बताया कि उनके बेटे की ड्यूटी के दौरान मृत्यु के बाद भी
उन्हें सेना या सरकार से कोई अनुग्रह राशि नहीं मिली है, जिसकी सरकार द्वारा
घोषणा की गई थी।
नेता प्रतिपक्ष के
भाषण को रोकते हुए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में ऑन रिकॉर्ड बताया
कि लुघियाना के मृतक अग्निवीर के परिजनों को 1 करोड़ की अनुग्रह राशि दी गई है। बाद में
केंद्रीय गृह मंत्री समेत सत्ता पक्ष के नेताओं ने नेता प्रतिपक्ष को सदन को गुमराह
करने का आरोप लगाया। हालाँकि इस गहमागहमी के बीच नेता प्रतिपक्ष ने दोबारा कहा कि आम
जनता को मुझ पर या रक्षा मंत्री की बात पर यक़ीन हो या न हो, मृतक के परिजन की बात
पर यक़ीन करना होगा।
उसी दिन लोकसभा समय
के बाद तुरंत ही राहुल गांधी ने वो वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसमें मृतक अग्निवीर
के परिजन और राहुल गांधी की मुलाकात थी। इस वीडियो में मृतक अग्निवीर के परिजन साफ़
साफ़ कह रहे थे कि उन्हें सेना या सरकार से कोई अनुग्रह राशि नहीं मिली है। दरअसल, मृतक अग्निवीर के परिजनों
को जो राशि मिली थी वो बीमा कवर राशि थी, अनुग्रह राशि नहीं थी।
लोकसभा के भीतर रक्षा
मंत्री के द्वारा दी गई जानकारी के बाद मृतक अग्निवीर अजय सिंह के पिता चरणजीत सिंह
काला ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "हमें बीमा कवर दावे
से 98 लाख रुपये मिले हैं। इसमें सेना से 48 लाख रुपये का चेक
शामिल है, जो बीमा कवर है, न कि अनुग्रह राशि।
एक निजी बैंक से 50 लाख रुपये और मिले हैं जो मेरे बेटे की बीमा पॉलिसी का दावा है। पंजाब सरकार ने
हमें 1 करोड़ रुपये का मुआवज़ा दिया है। लेकिन राजनाथ सिंह का दावा कि केंद्र ने हमें
1 करोड़ रुपये का मुआवज़ा दिया है, पूरी तरह से झूठ है। हमें अभी तक केंद्र या सेना से कोई अनुग्रह राशि नहीं मिली
है।"
कुछ दिनों बाद नेता
प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इस मुद्दे को दोबारा लोकसभा में उठाया और आरोप लगाया कि देश
के रक्षा मंत्री ने बीमा कवर राशि को मुआवज़ा बताकर झूठा दावा किया था।
वायनाड भूस्खलन पर
केंद्रीय गृह मंत्री ने दावा किया कि केरल सरकार को अलर्ट किया गया था, मीडिया फैक्ट चेक के
सहारे दावा कि गृह मंत्री द्वारा दी गई जानकारी संदिग्ध थी
2024 के जुलाई महीने के
अंते में केरल के वायनाड में, जो कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का संसदीय इलाक़ा है, में भारी भूस्लखल के
चलते अनेक लोगों की मौतें हुईं। दरअसल, पिछले दो महीनों से अनेक प्राकृतिक और मानव सर्जित हादसों के चलते नरेंद्र मोदी
सरकार पर सवाल उठ रहे थे। बारिश और देश के प्रमुख शहरों में जल भराव के बीच करोड़ों
ख़र्च कर नये बनाए गए और प्रधानमंत्री द्वारा देश को समर्पित किए गए एयरपोर्ट-पुल-सड़कें-मंदिर-संसद
के बुरे हाल पर बवाल मचा हुआ था।
प्रमुख अंतरराष्ट्रीय
एयरपोर्ट की छत टूट रही थी, पानी लीक हो रहा था, नव निर्मित पुल ढहे जा रहे थे, राम मंदिर की छत से पानी टपक रहा था, करोड़ों के राम पथ पर बड़े बड़े गड्ढे हो चुके थे, शानदार और चमकदार टनल
ख़स्ता हाल में थीं, पेपर लीक हो रहे थे,
ट्रेन हादसे जारी थे, और अंत में करोड़ों की लागत से बने नये संसद भवन की छत से पानी
टपका और संसद परिसर में इतना पानी पर गया, जैसे कि स्विमिंग पूल हो।
जुलाई महीने के अंत
में केरल के वायनाड में भारी भूस्खलन हो गया। कईं गाँव तबाह हो गए और सैकड़ों लोग बेमौत
मारे गए। विपक्ष ने आरोप लगाया कि केरल को केंद्र सरकार ने अलर्ट नहीं किया था। इन
सब घटनाओं के बीच 31 जुलाई 2024 के दिन राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री ने बताया कि, "केंद्र ने 23 जुलाई को केरल सरकार को अत्यधिक बारिश और भूस्खलन की संभावना के बारे में चेतावनी
दी थी।"
इसी दिन शाम को केरल
के मुख्यमंत्री ने कहा कि गृह मंत्री झूठ बोल रहे हैं, ऐसा कोई भी अलर्ट केंद्र
से हमें नहीं मिला था। विपक्ष वाले सत्ता पक्ष के दावे को झूठा कहे तो हम किसी लेख
में विपक्षी दावों को जगह नहीं देते। ऐसा होता रहता है। किंतु विपक्ष ने 2 अगस्त 2024 को बाक़ायदा अमित शाह के ख़िलाफ़ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव राज्यसभा सभापति
के पास भेजा। और ऐसा हमेशा नहीं होता।
विपक्ष के सांसद जयराम
रमेश ने विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव में द हिन्दू अख़बार का ज़िक्र करते हुए लिखा कि, "मीडिया में इन दावों का बड़े पैमाने पर फैक्ट-चेक किया गया है। 2 अगस्त, 2024 को द हिन्दू में प्रकाशित ऐसी एक विस्तृत फैक्ट-चेक रिपोर्ट संलग्न है।"
नोटिस में लिखा गया था कि, "यह साफ़ है कि केंद्रीय गृह मंत्री ने केंद्र सरकार द्वारा जारी
की गई प्रारंभिक चेतावनियों पर अपने जोरदार बयानों से राज्यसभा को गुमराह किया, जो झूठी साबित हुई हैं। यह अच्छी तरह से स्थापित है कि किसी मंत्री या सदस्य द्वारा
सदन को गुमराह करना विशेषाधिकार का उल्लंघन और सदन की अवमानना है।"
पेपर लीक, अग्निवीर अनुग्रह राशि
और केरल सरकार को अलर्ट जारी करना, जैसी बातों पर लोकसभा
या राज्यसभा में ऑन रिकॉर्ड कोई जानकारी सत्ता पक्ष द्वारा दी जाती है और उस आधिकारिक
जानकारी को महज़ कुछ ही घंटों के भीतर ठोस चुनौतियाँ मिलती हैं, तब सरकारी जानकारी
महज़ संदिग्ध दावा बन कर रह जाती है। संसद को सड़क की चुनावी सभा बनाने समान यह चेष्टा
किसी नज़रिए से ठीक नहीं है। संसद को स्पष्ट होना चाहिए, संदिग्ध नहीं।
(इनसाइड इंडिया, एम वाला)