साल 2023... इस साल भारत चांद पर सफलतापूर्वक पहुंच गया। आसमान की बुलंदियों के उस पार। दूसरी
तरफ़, देश की महिला खिलाड़ियों को न्याय के लिए सड़क पर उतरना पड़ा, उन्हें सड़क पर घसीटा
गया और फिर वे थक हार कर लौट गईं। यह साल, कभी देश शोक में डूबा, तो कभी गर्व से सीना
चौड़ा हुआ।
देश की बेटियों को लेकर बहुत सारे नारे धरे के धरे रह गए, महिला खिलाड़ियों को
सड़क पर घसीटा गया, वे रोती-विलपती रहीं, राजनीति के चक्रव्यूह
ने उन्हें आख़िरकार थका-हरा दिया
ये मसला था भारत के
लिए पदक जीत कर पूरे देश को गौरवान्वित करने वाली हमारी महिला पहलवानों की शिकायत का, उनकी न्याय के लिए माँग का, जो उन्होंने भारतीय कुश्ती महासंघ के तत्कालीन
अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ की थी। महिला पहलवान शिकायतकर्ताओं
ने भूषण पर सहमति के बिना स्तनों और नाभि को छूने, पीछा करने, डराने-धमकाने और पेशेवर
मदद के बदले में यौन सहायता की माँग करने के गंभीर आरोप लगाए।
बकौल विनेश फोगाट, इस बाबत शिकायत केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालय
को भी की गई थी। यानी कि जनवरी 2023 के आंदोलन से पहले। वहाँ नहीं सुना गया उसके बाद 18 जनवरी 2023 के दिन भारतीय महिला
पहलवानों ने आरोपों की जाँच कराने के लिए विरोध प्रदर्शन शुरू किया। इस आश्वासन के
बाद कि केंद्र सरकार आरोपों की जाँच के लिए एक समिति बनाएगी, जनवरी 2023 में विरोध प्रदर्शन बंद कर दिया गया।
इस समिति की जाँच प्रक्रिया, महिला पहलवानों को नहीं सुनने के आरोप, रिपोर्ट गोपनीय रखना, आरोपी को बचाने के कथित प्रयास, आदी चीज़ों को लेकर विवाद हुए। महिला पहलवानों
ने निराश होकर 23 अप्रैल 2023 को अपना विरोध फिर से शुरू किया। ओलंपिक पदक विजेता विनेश फोगाट, साक्षी मलिक, अंशु मलिक, बजरंग पुनिया सहित तीस भारतीय पहलवानों ने डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष बृज भूषण शरण
सिंह और उसके कोचों पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाते हुए धरना दिया।
इस मामले में क़ानून
के मुताबिक़, नैतिकता के मुताबिक़
जो होना चाहिए था, वैसा बिलकुल नहीं हुआ।
यहाँ तक कि इन महिला पहलवानों की शिकायत पुलिस दर्ज तक नहीं कर रही थी! सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एफ़आईआर हुई! महिला पहलवानों की शिकायत को लेकर पुलिस एफ़आईआर दर्ज करें, यह आदेश देश के सर्वोच्च न्यायालय को देना
पड़ा था!!! उपरांत पॉक्सो अधिनियम
के अलावा जिन घाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया, अमूमन दूसरे आरोपियों के साथ जो होता है, उनमें से कुछ भी इस
दबंग आरोपी के ख़िलाफ़ नहीं हुआ।
उल्टा हुआ यह कि एक
दिन देश ने वो शर्मनाक मंज़र देखा, जब इन महिला पहलवानों
को जबरन खींच कर आंदोलन की जगह से हटा दिया गया। उन्हें सड़क पर गिरा दिया गया। उन
पर पुलिस के जूते रखे गए। शर्मनाक तस्वीरें देखनी पड़ी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिपोर्टींग
हुई और सरकार की किरकिरी हुई। दिनों बीत गए और आख़िरकार जिस महिला के बयान के आधार पर
उस अति गंभीर घारा को लगाया गया था, उसने अपना बयान वापस
ले लिया।
पूरे घटनाक्रम के दौरान
भाषणवीर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप्पी साधे रहे और उनके मौन पर, तथा उनकी निष्क्रियता पर महिला खिलाड़ियों
ने आश्चर्य और दुख प्रक्ट किया। महिला पहलवानों को न्याय तो नहीं मिला, किंतु उन्हें राजनीति के चक्रव्यूह में कुछ
इस तरह फँसा दिया गया, कि आख़िरकार 25 जून 2023 को प्रदर्शनकारी पहलवानों
ने अपना आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की।
उन्हें क़ानूनी प्रक्रिया
पर थोड़ा बहुत भरोसा था, किंतु साल के आख़िरी
महीने में वह भी टूट गया। दिसंबर का महीना था। साक्षी मलिक ने थक-हार कर संन्यास की
घोषणा कर दी तथा बंजरग पूनिया ने अपना पद्म सम्मान पीएम हाउस के बाहर फुटपाथ पर रखकर
अपना दुख प्रकट किया। पैरा एथलीट वीरेंद्र सिंह ने भी अपना पद्म सम्मान वापस करने का
एलान किया। इतना सब कुछ हो जाने के बाद, देश को अतिशर्मनाक
मंज़र प्रदान करने के बाद, अचानक से मोदी सरकार
की आँखें खुलीं और 24 दिसंबर 2023 के दिन खेल मंत्रालय ने भारतीय कुश्ती संघ को बर्खास्त किया।
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की गिरफ़्तारी, सीबीआई और ईडी ने कसा
शिकंजा
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री
मनीष सिसोदिया को 26 फ़रवरी के दिन सीबीआई ने गिरफ़्तार कर लिया। सिसोदिया की यह गिरफ़्तारी शराब नीति
से जुड़े मामले में की गई। सिसोदिया ने अपनी गिरफ़्तारी के बाद 1 मार्च 2023 को दिल्ली के डिप्टी
सीएम पद से इस्तीफ़ा दे दिया।
कथित शराब घोटाले में
सीबीआई ने 8 घंटे की पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ़्तार कर लिया। सीबीआई ने इसी मामले में एक
ब्यूरोक्रेट का बयान दर्ज किया, जिसमें कथित रूप से
यह बताया गया था कि मनीष सिसोदिया ने आबकारी नीति का मसौदा तैयार करने में महत्वपूर्ण
भूमिका निभाई थी और कुछ निर्देश दिए थे।
सीबीआई की गिरफ़्तारी
के बाद मार्च महीने की 9 तारीख को ईडी ने उनकी लंबी पूछताछ की और उन्हें शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग
मामले में तिहाड़ जेल से गिरफ़्तार कर लिया। बता दें कि आम आदमी पार्टी के कई शीर्ष
नेताओं की अलग-अलग मामलों में गिरफ़्तारी हो चुकी है। पार्टी के सांसद संजय सिंह और
पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन पर भी क़ानून का शिकंजा कसा जा चुका है।
30 अक्टूबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया को झटका दिया, जब उनकी ज़मानत याचिका खारिज़ कर दी गई।
नौ राज्यों में चुनाव, पाँच राज्यों में बीजेपी ने जीत दर्ज की, दक्षिण भारत में बीजेपी का मज़बूत क़िला ढह गया
इस साल 2 मार्च को त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय में हुए विधानसभा चुनावों
के नतीजे आए और एक बार फिर बीजेपी का परचम 2 सूबों में लहरा गया। बीजेपी ने त्रिपुरा और नागालैंड में अपनी सरकार क़ायम रखी, वहीं मेघालय में त्रिशंकु विधानसभा अस्तित्व
में आई। हालाँकि मेघालय में सत्ता में कोई परिवर्तन नहीं हुआ और कोनराड संगमा की ही
अगुवाई में एक बार फिर नेशनल पीपुल्स पार्टी की सरकार बनी।
वहीं मई महीने में
कर्नाटक में चुनाव हुए। दक्षिण भारत के इस अहम राज्य में कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज
करते हुए बीजेपी को सत्ता से बाहर कर दिया। कांग्रेस ने बड़े बहुमत से अपनी सरकार बनाई।
कर्नाटक चुनावों में हार के साथ ही दक्षिण भारत में बीजेपी का सबसे मज़बूत क़िला कर्नाटक
ढह गया।
वहीं साल के आख़िरी
महीने दिसंबर की शुरुआत राजनीतिक मायने से काफी महत्वपूर्ण रही। 3 दिसंबर को मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिज़ोरम
के चुनावी परिणाम सामने आए। तीन राज्यों में भाजपा को भारी बहुमत से जीत हासिल हुई।
वहीं, तेलंगाना में कांग्रेस
और मिज़ोरम में जेडपीएम पार्टी ने बहुमत से जीत हासिल की।
हालाँकि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़
में बंपर जीत के बाद नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने फिर एक बार सरप्राइज़ फ़ैक्टर को साध लिया और शिवराज सिंह चौहान या वसुंधरा राजे जैसे चेहरों को किनारे कर नये चेहरों
को राज्य का सीएम बना दिया। अगले साल लोकसभा चुनाव आयोजित होने वाले हैं। ऐसे में पाँच राज्यों में से तीन
राज्य विपक्ष के हाथों से यूँ निकल जाना, उनके लिए बड़ा झटका
था। विपक्षी गठबंधन इंडिया अपना मूल रूप धारण करें इससे पहले इनके हिस्से में विफलता
हाथ लगी थी।
राहुल गांधी और मोदी सरनेम मानहानि मामला, सूरत से लेकर सुप्रीम
कोर्ट तक हुई माथापच्ची
इसी साल राहुल गांधी
द्वारा सन 2019 में दिए गए एक भाषण में मोदी सरनेम को लेकर की गई टिप्पणी को लेकर माथापच्ची होती
रही। 13 अप्रैल, 2019 के दिन कर्नाटक के कोलार में अपने 2019 लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान, राहुल गांधी ने मोदी
उपनाम को चोरी में शामिल व्यक्तियों से जोड़ने वाली एक टिप्पणी की थी। उन्होंने भाषण
में सवाल किया था, "ऐसा क्यों है कि चोरी के आरोपी कई व्यक्तियों में मोदी उपनाम आम है?" राहुल गांधी ने यह बयान देते समय नीरव मोदी
जैसे लोगों का ज़िक्र किया था।
23 मार्च, 2023 के दिन राहुल गांधी को सूरत की एक ज़िला अदालत ने मोदी उपनाम मामले में दोषी पाया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें दो साल की जेल
की सज़ा हुई। इस घटनाक्रम को लेकर
काफी बवाल काटा गया। पुरानी शिकायत, जिसे बीजेपी से जुड़े
पूर्णेश मोदी ने की थी, का महीनों तक ठंडे
बस्ते में पड़ा रहना और शिकायकर्ता का अदालत में इसके ऊपर आगे नहीं बढ़ने का पुराना
फ़ैसला, फिर लोकसभा में राहुल
गांधी द्वारा अदाणी पर बड़े हमले और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अदाणी के साथ सीधे
सीधे जोड़ना, फिर अचानक से पूर्णेश
मोदी द्वारा अपनी याचिका को सक्रिय करना और आनन फानन में ज़िला अदालत का राहुल गांधी
को महत्तम सज़ा का ऐलान कर देना। जमकर बवाल काटा गया।
सूरत की अदालत द्वारा
फ़ैसला आने के तुरंत बाद, दूसरे दिन, राहुल गांधी की सांसदी रद्द कर दी गई और उन्हें
लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया। बाद में उन्होंने अपने सरकारी आवास को भी छोड़
दिया। इस बीच अदालती प्रक्रिया चलती रही। याचिका और राजनीति, दोनों साथ साथ चलते रहे।
20 अप्रैल को सूरत सत्र अदालत ने दोषसिद्धि पर रोक लगाने की राहुल गांधी की याचिका
खारिज़ कर दी। 3 मई के दिन गुजरात हाईकोर्ट ने राहुल गांधी को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया
और 7 जुलाई के दिन गुजरात हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की दोषसिद्धि को निलंबित करने से
इनकार कर दिया। इसके साथ ही राहुल गांधी के ख़िलाफ़ मानहानि के अन्य मामले भी सामने
आए। राहुल गांधी आख़िरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, जहाँ 4 अगस्त के दिन सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की सज़ा पर रोक लगा
दी। इससे वायनाड से सांसद के रूप में उनकी स्थिति की बहाली का रास्ता साफ हो गया।
मणिपुर हिंसा, महीनों तक सुलगता रहा
भारत का राज्य, फिर एक बार मोदी सरकार
की निष्क्रियता ने बवाल काटा, शर्मनाक वीडियो ने
समाज का घिनौना चेहरा प्रकट किया
मई का महीना। 3 मई को इसकी शुरुआत
एक ऐसी झड़प से हुई, जिसके बाद महीनों तक
भारत का एक राज्य जलता रहा। मणिपुर में मैतेई (घाटी बहुल समुदाय) और कुकी (पहाड़ी बहुल
समुदाय) के बीच भारी झड़प हुई। प्राथमिक रूप से जनजातिय दर्जा पाने का लक्ष्य, तथा बाद में अन्य अनेक कारण मिलें और फिर
जातीय हिंसा भड़क उठी। आगजनी, अपहरण और हत्याओं से
पूरा मणिपुर जूझता रहा। दूसरी तरफ़, राजनीतिक गलियारे में
इस मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला।
यह हिंसा महीनों तक
चलती रही। अनेक परिवारों को अपना घर छोड़ दूसरे राज्यों में शरण लेनी पड़ी। एक दूसरे
पर संगठित और भयानक हमले होते रहे। गाँवों के गाँव आग में झुलसे। स्वाभाविक है कि मणिपुर
की तत्कालीन बीजेपी शासित सरकार, तथा केंद्र की बीजेपी
सरकार, दोनों इसके लिए कटघरे
में खड़े हुए। महीनों तक राज्य और केंद्र सरकार की निष्क्रियता ने मणिपुर को जलाए रखा।
दिनों तक इंटरनेट बैन के सिवा कोई दूसरा संवेदनशील प्रयास सरकारों की तरफ़ से देखने
के लिए नहीं मिला।
सरकारी आँकड़ों के
मुताबिक़ 15 सितम्बर तक हिंसा में 175 लोग मारे जा चुके थे, 1,108 घायल हुए थे, जबकि 32 लापता थे। इन झड़पों
के दौरान दोनों समुदायों ने कई जगहों पर तोड़फोड़ की और कई पुलिस थानों से हथियार भी
लूट लिए। 4,786 घर जला दिए गए और मंदिरों और चर्चों सहित 386 धार्मिक संरचनाओं को तोड़ दिया गया। हिंसा में 70,000 से अधिक लोग अपने
घरों से विस्थापित हो गए। नोट करें कि असली आँकड़ा इससे कहीं अधिक था।
कुछ समय बाद जुलाई
में इंटरनेट को दोबारा शुरू किया गया, जिसके बाद एक बेहद
शर्मनाक वीडियो वायरल हुआ। इस वीडियो में दो महिलाओं को नग्न अवस्था में कई पुरुष लेकर
घूम रहे थे और उनका वीडियो बना रहे थे। इसने सरकार के साथ साथ समग्र समाज का घिनौना
चेहरा प्रकट कर दिया। मणिपुर महीनों तक जलता रहा, भाषणवीर पीएम मोदी पूरा समय चुप रहे! आख़िरकार इस शर्मनाक वीडियो के सामने आने के बाद उन्होंने थोड़ा बहुत खेद प्रकट
किया। दूसरी तरफ़, शर्मसार होने में पीएचडी
कर चुका समाज नये संसद भवन, चंद्रयान मिशन-3 को लॉन्च करना, जैसे विषयों पर गौरव कर रहा था!
भारत को मिला नया और अत्याधुनिक संसद भवन
एक तरफ़ मणिपुर जल
रहा था, दूसरी तरक़ इसी महीने
में, 28 मई को भारत को उसका नया और अत्याधुनिक संसद भवन मिला। पीएम ने इसी दिन नए संसद
भवन का उद्घाटन किया। 971 करोड़ रुपये की लागत से बना यह भवन लोकसभा में 888 सांसदों और राज्यसभा
में 300 सांसदों को समायोजित कर सकता है।
पीएम मोदी ने Central Vista Redevelopment Project के तहत 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी। इस बिल्डिंग को आर्किटेक्ट बिमल पटेल ने डिज़ाइन
किया था और इसका ठेका टाटा प्रोजेक्ट्स के पास था। नए संसद भवन को तिकोने आकार में
बनाया गया और इसमें चार मंजिल हैं। 64 हज़ार 500 वर्ग मीटर में बना नए संसद में 3 दरवाजे हैं, जिन्हें ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार नाम दिया गया है।
नए संसद भवन में लोकसभा
चैंबर एक ख़ास थीम पर आधारित है। यह राष्ट्रीय पक्षी मयूर थीम पर बनाया गया है। नए संसद
भवन की बिल्डिंग प्लेटिनम रेटेड ग्रीन बिल्डिंग है। राज्य सभा चैंबर राष्ट्रीय फूल
लोटस थीम पर बनाया गया है। नए संसद भवन में कुल 120 ऑफ़िस हैं। कैफे और डाइनिंग एरिया भी हाईटेक है।
नये संसद भवन का लोकार्पण
कार्यक्रम काफी विवादास्पद भी रहा। राष्ट्रपति जैसे संवैधानिक ओहदे को दरकिनार कर पीएम
मोदी ने ख़ुद के हाथों नये भवन का अनावरण किया! इस मुद्दे को लेकर 20 विपक्षी दलों ने उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार किया। लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान
धार्मिक सेंगोल वाले क़िस्से ने काफी बवाल काटा। इसी दिन, नये संसद भवन से बस कुछ दूरी पर, देश की अंतरराष्ट्रीय मेडल प्राप्त महिला
पहलवान खिलाड़ियों को, दिल्ली पुलिस द्वारा
सड़क पर घसीटा जा रहा था, उनके साथ अभद्र व्यवहार
किया जा रहा था!
ओडिशा में तीन ट्रेन एक दूसरे से टकरा गई, भीषण हादसा, तीन सौ के आसपास लोगों
ने जानें गवाई
2 जून को ओडिशा में चेन्नई की ओर जाने वाली कोरोमंडल शालीमार एक्सप्रेस, अन्य एक सुपरफास्ट ट्रेन और एक मालगाड़ी की
भीषण टक्कर हो गई। इस भीषण हादसे में सैकड़ों लोगों ने अपनी जान गँवा दी। शुरुआती दावे
के मुताबिक़ इस हादसे में लगभग 300 लोग मारे गए थे और लगभग 850 लोग घायल हुए थे।
अधिकारियों और प्रत्यक्षदर्शियों
के अनुसार, ट्रेन हादसा शाम 6.50 बजे से 7.10 बजे के बीच हुआ। कुछ
ही मिनटों में तीन ट्रेन एक-दूसरे से टकरा गईं। ये दर्दनाक हादसा बालासोर ज़िले के बहांगा
बाज़ार स्टेशन के पास हुआ। दोनों ट्रेनों के क़रीब 17 डिब्बे पटरी से उतर गए।
हादसा इतना भयानक था
कि कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन के कई कोच तबाह हो गए। एक इंजन तो मालगाड़ी के रैक पर ही
चढ़ गया। टक्कर इतनी भीषण थी कि खिड़कियों के काँच टूट गए और क़रीब 50 लोग बाहर जाकर गिरे।
प्रवासियों के परिजन अंधेरे में अपनों को तलाशते रहे। चश्मदीदों के मुताबिक़ कहीं किसी
का हाथ पड़ा था, तो कहीं पैर। 30 लाशों की हालत ऐसी थी कि उनकी शिनाख़्त डीएनए से करनी पड़ी! राज्य में एक दिन का शोक घोषित किया गया।
चंद्रयान-3 ने सफलतापूर्वक चांद पर लैंड किया, राजनीति के घिनौनापन
वाले मंज़र के बीच देश के वैज्ञानिकों ने भारत को दिलाई शानदार उपलब्धि
देश की राजनीति अपने
घिनौनापन से देश को नफ़रत, अन्याय, हिंसा, चुनावी राजनीति जैसे मसलों के सिवा कुछ दे नहीं पा रही थी। इस बीच अगस्त का महीना
भारत के लिए एक ऐतिहासिक महीना साबित हुआ। 23 अगस्त को भारत ने अपने चंद्र मिशन चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक चांद की सतह पर लैंड कर इतिहास रच दिया। चांद
के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला भारत इकलौता देश बन गया। चंद्रमा पर उतरने वाला भारत
चौथा देश बना।
चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण सतीश
धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई, 2023 शुक्रवार को भारतीय समय अनुसार दोपहर 2:35 बजे हुआ। यह यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास की सतह पर 23 अगस्त 2023 को भारतीय समय अनुसार
सायं 06:04 बजे के आसपास सफलतापूर्वक उतरा।
चंद्रयान-3 चाँद पर खोजबीन करने
के लिए इसरो द्वारा भेजा गया तीसरा भारतीय चंद्र मिशन है। इसमें चंद्रयान-2 के समान एक लैंडर
और एक रोवर है, लेकिन इसमें ऑर्बिटर
नहीं है। यह मिशन चंद्रयान-2 की अगली कड़ी है, क्योंकि पिछला मिशन
सफलतापूर्वक चाँद की कक्षा में प्रवेश करने के बाद अंतिम समय में मार्गदर्शन सॉफ़्टवेयर में गड़बड़ी के कारण उतरने की नियंत्रित प्रकिया में विफल हो गया था।
चंद्रयान-3 के लैंडर का नाम विक्रम
हैं, जबकि छह पहियों वाले
रोवर का नाम प्रज्ञान है। एक और नाम विकास जुड़ा हुआ है, जो यह असल में एक लिक्विड फ्यूल इंजन है, जो चंद्रयान-3 के तीन स्टेज वाले
रॉकेट एलवीएम 3 में लगा था।
भारत में आयोजित हुआ जी20 शिखर सम्मेलन
सितम्बर के महीने में
नई दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ। कई शक्तिशाली वैश्विक नेताओं ने राजधानी में आयोजित
इस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। कुल 10 महीने के अंदर देशभर के 60 शहरों में जी20 की 200 से ज़्यादा बैठकें हुईं। इसके आख़िरी चरण में 9 और 10 सितम्बर, 2023 को प्रगति मैदान, नई दिल्ली में, 18वें G20 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें सभी राष्ट्र
प्रमुख मिलें और वैश्विक मसलों पर मंथन किया।
यह पहला शिखर सम्मेलन
था, जब भारत ने G20 देशों के शिखर सम्मेलन
की मेज़बानी की हो। इस शिखर सम्मेलन का विषय "वसुधैव कुटुंबकम" था, जिसका अर्थ है - विश्व एक परिवार है। भारत
में जी 20 को लेकर अलग-अलग बैठकें हुईं। इनमें बिजनेस 20 (B20), कल्चर 20 (C20), एनवायरनमेंट 20 (A20) जैसे विषयों पर बैठकें
हुईं।
भारत जी20 की बैठकों को देश
के हर हिस्से में ले गया। 2022 में इंडोनेशिया में क़रीब 22 बैठकें हुई थीं। भारत ने 60 स्थानों पर 200 से ज़्यादा बैठकें आयोजित की। इनमें योग, सांस्कृतिक कार्यक्रमों
के अलावा ख़ास तौर पर खाने का मेन्यू शामिल रहा। क़रीब 125 देशों के हज़ारों मेहमानों
ने भारत का दौरा किया और देश में अनेक शहरों में विविध कार्यक्रम आयोजित हुए।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दी महिला आरक्षण बिल को मंज़ूरी
29 सितम्बर 2023 के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा हस्ताक्षर करने के बाद से अब यह क़ानून
बन गया। 20 सितम्बर को, लोकसभा में इसके प्रस्ताव
पर पक्ष में वोट करने वाले सदस्य 454 थे, जबकि 2 सदस्यों ने विरोध
में वोट किया था और 21 सितम्बर को राज्यसभा में यह सर्वसम्मति से पास हो गया था।
राज्यसभा ने इससे पहले
2010 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान महिला आरक्षण विधेयक पारित
किया था, लेकिन यह लोकसभा में
नहीं पास हो सका था और बाद में यह संसद के निचले सदन में रद्द हो गया था।
'नारी शक्ति वंदन अधिनियम', जो कि महिलाओं को
लोकसभा, साथ ही विधानसभाओं
में 33 फ़ीसदी आरक्षण का प्रावधान करता है, इस दिन क़ानून बन गया।
यह नये संसद भवन में पास होने वाला पहला बिल था।
उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग ढह जाने से अनेक मज़दूर फंसे
नवंबर का महीना। जब
पूरा देश दीवाली का पर्व मना रहा था, तब उत्तराखंड में सिलक्यारा
सुरंग ढह जाने से 41 मज़दूर उसी में फंस गए और ज़िंदगी के लिए जंग लड़ने लगे। दरअसल, एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे 41 मज़दूर रोजाना की तरह
अपने काम पर गए, लेकिन दुर्भाग्यवश
टनल का रास्ते पर पहाड़ धसने से सभी 41 मज़दूर उसी में फंस गए।
यह हादसा 12 नवंबर के दिन हुआ, जिसमें टनल के भीतर एक हिस्सा ढह गया और मज़दूर
फंस गए। अगले ही दिन, 13 नवंबर को मज़दूरों से संपर्क स्थापित हुआ और एक पाइप के ज़रिए उन तक ऑक्सीजन पहुंचाया
जाने लगा। इसके बाद से इन मज़दूरों को बाहर निकालने के कई उपाय किए गए। सारे उपाय नाकाम
होते चले गए। पंद्रह दिनों के बाद भी इन मज़दूरों को बाहर नहीं निकाला जा सका था। बचाव
कर्मियों को बार बार कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
अमेरिकी ऑगर मशीन से
खुदाई का कार्य किया गया, किंतु 48 मीटर की खुदाई के
बाद यह मशीन मलबे में फंस गई। तीन अलग अलग ऑगर मशीनें एयरलिफ़्ट कर लाई गई, किंतु मज़दूरों तक नहीं पहुंचा जा सका। इसके
बाद अधिकारियों की ओर से मैनुअल ड्रिलिंग कराने का फ़ैसला लिया गया। आख़िरकार 17 दिनों की मशक्कत के
बाद तमाम मज़दूरों को सकुशल बार निकाल लिया गया।
रेस्क्यू ऑपरेशन में
एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीआरओ, आरवीएनएल, एसजेवीएनएल, ओएनजीसी, आईटीबीपी, एनएचएआईडीसीएल, टीएचडीसी, उत्तराखंड राज्य शासन, ज़िला प्रशासन, भारतीय थल सेना, वायुसेना समेत तमाम संगठनों, अधिकारियों और कर्मचारियों की अहम भूमिका
रही। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की भी मदद ली गई।
दशहरा के दिन भारतीय क्रिकेट टीम का घोड़ा नहीं दौड़ा, ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ फाइनल में हारी क्रिकेट टीम
इस साल क्रिकेट विश्व
कप का आयोजन भारत में हुआ। पूरा सीरीज़ भारत के क्रिकेट प्रेमियों के लिए उत्साहवर्धक
रहा। देश में चल रहे अनेक दुखद प्रसंगों से नागरिकी समाज मुक्ति पा गया! हालाँकि इस विश्व कप प्रतियोगिता का अंत उन क्रिकेट प्रेमियों के लिए अच्छा नहीं
रहा।
दरअसल, वर्ल्ड कप सीरीज़ में
भारत ने काफी सफलता हासिल की थी और तमाम मेच शानदार तरीक़े से जीते थे। 19 नवंबर को ऑस्ट्रेलिया
के ख़िलाफ़ भारतीय क्रिकेट टीम ने अहमदाबाद में फाइनल खेला। हालाँकि, उस शाम देश के लगभग 1.4 अरब लोगों का दिल
टूट गया। 40 रातों तक अजेय की तरह आगे बढ़ने बाद 41वीं रात को भारत को ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ क़रारी हार का सामना करना पड़ा।
अनुच्छेद 370 हटाने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगा दी मुहर
सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसंबर, 2023 को एक अहम फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि आर्टिकल 370 एक अस्थायी व्यवस्था थी, जिसे हटाए जाने का फ़ैसला पूरी तरह संवैधानिक है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा
कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा जल्द दिया जाना चाहिए।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़
की अध्यक्षता वाली पाँच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य
का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाना वैध माना। 5 अगस्त 2019 को केंद्र की बीजेपी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करते
हुए इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बाँट दिया था।
सर्वोच्च न्यायालय
ने अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि 370 एक अस्थायी प्रावधान था और राष्ट्रपति के पास इसे हटाने की शक्ति थी। अदालत ने
कहा कि जम्मू-कश्मीर के पास बाक़ी राज्यों से अलग कोई संप्रभुता नहीं है।
संसद भवन में नाराज़ नागरिकों के एक छोटे से समुह ने योजनाबद्ध
तरीक़े से की घुसखोरी, कैन से पीले रंग का
धुआँ छोड़ा, मच गया हडकंप
दिन था 13 दिसंबर 2023, दिन बुधवार। संसद हमले की 22वीं बरसी। जगह थी नया
संसद भवन, जिसका इसी साल मई महीने
में लोकार्पण किया गया था। लोकार्पण के समय जिस संसद भवन को अतिआधुनिक और अतिसुरक्षित
बताया गया था, उसी भवन में इस दिन
सुरक्षा में चूक की दो घटनाएँ घटीं!
पहली घटना में, संसद के बाहर दो संदिग्धों ने प्रदर्शन किया
और कैन से पीले रंग का घुआँ छोड़ दिया। दूसरी घटना में, इसी समय लोकसभा के भीतर कार्यवाही के दौरान
दर्शक दीर्घा में बैठे दो लोग सदन के बीच में कूद गए और सीटें फांद कर दौड़ने लगे! टेलीविज़न फ़ुटेज में वे एक डेस्क से दूसरे डेस्क पर कूदते हुए और सदन के वेल
की ओर जाते हुए दिखे! जब दोनों संदिग्ध
सदन में कूदे तो सदन में कुछ धुआँ सा उठा। हालाँकि, दोनों ही घटनाओं में संदिग्धों को सुरक्षा कर्मियों ने हिरासत में ले लिया और पूछताछ
की गई।
लोकसभा के भीतर दोनों
संदिग्धों को कुछ सांसदों द्वारा काबू कर लिया गया और उन्हें सुरक्षा कर्मियों को सौंप
दिया गया। बाहर के संदिग्धों को सुरक्षा कर्मियों ने काबू कर लिया। द इंडियन एक्सप्रेस
की रिपोर्ट के अनुसार सदन के अंदर मौजूद सदस्यों ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि
वे (प्रदर्शनकारी) 'तानाशाही नहीं चलेगी' जैसे नारे लगा रहे
थे।
पूछताछ के दौरान पता
चला कि ये चारों लोग योजनाबद्ध तरीक़े से संसद के बाहर और भीतर पहुंचे थे और वे सरकार
की नीतियों से नाराज़ थे। बेरोजगारी, महंगाई और दूसरे मुद्दों
से नाराज़ ये युवा अपनी बात को पहुंचाने के लिए ऐसा प्रदर्शन कर गए। जब उन्हें काबू
किया जा रहा था, तब भी वे सत्ता विरोधी
नारे लगा रहे थे।
(इनसाइड इंडिया, एम वाला)
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